Thursday, January 28, 2010

republic day- a day for thinking about nation

This year we've celibrated our 61 th republic day before two days. today i'm writing on republic day. 60 year ago,in year of 1950 we have created our constituion and our leaders of that time like Mr.Jawaharlal Nehru and other congress leaders wrote INDIA THAT IS BHARAT. The biggest Question of last six decades is that where is Bharat. We becomes indian but nobudy wants to be Bharatiy. We are a Nation who has'nt our National language till today. we could'nt made our national language in sixty years. Gujrat High court commented some day before that hindi is not national language. We have only a language which we have got from our old ruler that we called british. Our supreem court works in English not in any Bharatiy language. Even i'm writing my blog also in English. Only language is not sublect there are so many things that we have not achived yet. We are devided in casts,states and in languages also.late have a look on Maharashtra's insidentes.We hav'nt national pride yet.We feel pruod in following weston culter.whenever we celibrats any birthaday we are happy in cake cutting but we dont like any Puja Or yagya which are our culter.

Tuesday, January 19, 2010

भारत की जनता-प्रयोगशाला के चूहे

भारत की जनता शायद प्रयोगशाला के चूहों के समान है। कम से कम भारत की सरकार और विदेशी कम्पनिया तो यही मानती है। शायद इसीलिए भारत सरकार ने अमेरिका की कंपनी US Agrochemicals and Bio technology (Monsanto) को भारत में बी टी बैंगन के बीज बेचने और इसके उत्पादन की अनुमति दे दी है। भारत में बी टी कोटन पहले से आ चूका है लेकिन यह खाने की नहीं उपयोग की वस्तु थी । भारत में लाये गए बी टी बैंगन की मार्केटिंग महाराष्ट्र हायब्रिड सीड्स कम्पनी लिमिटेड Mahyco कर रही है। इस बी टी बैंगन को Genetic Engineering Approval Commitee GEAC ने भारत में उत्पादन करने की अनुमति दी है कहा जाता है की बी टी किस्मे रोग प्रतिरोधक होती है। उत्पादक कंपनी का यह भी दावा है कि इसके उत्पादन से किसानो की गरीबी दूर होगी।
अब देखिये कि बी टी की असलियत क्या है । भारत में सबसे पहले बी टी काला फार्मूला कपास के लिए आया । कहा गया कि बी टी काटन से किसानो की तकदीर बदल जाएगी । किसानो ने भी महंगे दामो पर बी टी काटन के बीज ख़रीदे और बुवाई शुरू की । लेकिन कुछ समय बाद सचाई सामने आने लगी । आंध्र प्रदेश की सरकार ने अपने किसानो को चेतावनी दी है की वे जिन खेतो में बी टी काटन की फसले ली गई है वहा अपने मवेशियों को न जाने दे ।जहा बी टी काटन की फसले ली गई थी वहा चरने वाले कई मवेशियों की मौत हो गई। पता चला की उनकी किडनी और लीवर ख़राब हो गए थे। तब निष्कर्ष निकला गया की बी टी से किडनी और लीवर को नुकसान होने काला खतरा है। शायद यही कारन रहा की केरल और उड़ीसा सरकारों ने अपनी सीमाओं के भीतर

GM Food (Geneticaly modified food) के ट्रायल पर रोक लगा दी है । उत्तर प्रदेश,छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल ने जीएम फ़ूड की फिल्ड ट्रायल में अनियमितताओ और जी इ ऐ सी की कमजोर मोनिटरिंग की शिकायते की है। अंतर राष्र्टीय ख्यातिप्राप्त खाध्य सुरक्षा विशेषग्य देवेन्द्र शर्मा के मुताबिक जी इ ऐ सी पर आरोप है की उसने भारत में बी टी बैंगन को अनुमति देने के मामले में अंतर राष्ट्रीय बायो टेक इंडस्ट्री के दबाव में सुरक्षा और पर्यावरण को नजर अंदाज किया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री रहे अम्बुमणि रामदौस ने भी बी टी बैंगन का विरोध इस आधार पर किया था की इससे होने वाले प्रभावो पर पर्याप्त शोध नहीं किया गया है। इसकी वजह से स्वास्थ्य सुरक्षा और पर्यवारव पर क्या असर होगा इस पर भी शोध नहीं किया गया है। इसी आरोप को फ़्रांस के विशेषग्य गिलिस एरिक सेरालिनी ने भी सही ठहराया।

फ़्रांस के कीन विश्व विद्यालय के प्रोफ़ेसर गिलिस एरिक सेरालिनी के नेतृत्व में गठित commitee for indipendent research and information on genetic engineering ने बी टी बैंगन पर व्यापक शोध किया और पाया की बी टी बैंगन मानव जीवन के लिए पूरी तरह असुरक्षित है। कमिटी ने महाराष्ट्र हाय ब्रिड सीड्स कंपनी द्वारा उपलब्ध कराये गए तथ्यों (डाटा) को भी संदिग्ध बताया। कमिटी के अध्ययन से स्पष्ट हुआ की बी टी बैंगन खाने से बकरियों को भूख लगाना कम हो गया। चूहों में खून के थक्के बनने लगे और बायलर चिकन में ग्लूकोज का स्टार कम होने लगा। इससे इन प्राणियों में केनामयसीन नामक एंटी बायोटिक तत्व कम होने लगा। कमिटी ने महाराष्ट्र हाय ब्रीड्स कंपनी द्वारा किये गए सुरक्षा परीक्षणों पर भी प्रश्न चिन्ह लगाये है। ग्रीन पिस संस्था से जुड़े श्री सेरालिनी ने अपनी भारत यात्रा के दौरान उम्मीद जताई की भारत की सरकार अपनी जनता को प्रयोगशाला के चूहे नहीं बनने देगी जिन पर बी टी बैंगन का परिक्षण किया जाना हो। यूरोप में भी जनमत बी टी के खिलाफ है। इटली और ऑस्ट्रिया में बी टी पर करवाए गए शोध जी एम् फ़ूड के खिलाफ परिणाम देने वाले साबित हुए। यह तथ्य भी सामने आया की जी एम् फ़ूड काला उपयोग महिलाओ को बाँझ बना सकता है।

डेल्ही हाय कोर्ट ne मार्च २००८ में दिए अपने एक निर्णय में बी टी बैंगन के विरुध कई प्रमाण दिए है। अब भी सर्वोच्च न्यायलय में एक याचिका विचाराधीन है। इस सब के बावजूद अमेरिका की यह कंपनी अब बी टी मक्का और सोयाबीन के बिज बनाने की तयारी कर रही है.

जारी है जुमलो के जरिये जनता का जनादेश जीतने का जतन

 -तुषार कोठारी देश की सरकार बनाने के आम चुनाव के दो चरण पूरे हो चुके है। पिछले कई दशकों में शायद यह पहली बार ही हो रहा है कि देश भर में बहस ...