Thursday, November 23, 2017

Satopant Swargarohini Yatra-13 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-13 (अंतिम)

(फिर से रतलाम) 18 सितम्बर 2017
रोहतक में रात को देर हो गई थी। इसका असर सुबह के कार्यक्रम पर पडना था। सुबह नौ बजे रवाना होना था,लेकिन निकलते निकलते दस बज गए। हमारी मंजिल यानी रतलाम अभी साढे आठ सौ किमी दूर था। एक बार दशरथ जी ने सुझाव दिया कि पुष्कर होते हुए चले।

Satopant Swargarohini Yatra-12 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-12

19 सितम्बर 2017 मंगलवार (दोपहर 3.50)
इ खबरटुडे आफिस रतलाम

यात्रा के अंतिम हिस्से में व्यस्तताएं इतनी अधिक रही कि डायरी से जुडने का मौका ही हाथ नहीं आया। बीती रात डेढ बजे रतलाम पंहुचने के बाद आज दोपहर को यह मौका मिल पाया है। अब स्मृतियों को पीछे वहां तक ले जाता हूं जहां से डायरी छोडी थी।

Satopant Swargarohini Yatra-11 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-11

(ग्यारहवां दिन) 17 सितम्बर 2017 (रविवार) (दोपहर 2.15)
पुलिस रेस्ट हाउस ऋषिकेश

आज की सुबह गंगा स्नान से हुई। पुलिस रेस्ट हाउस गंगा किनारे पर है। यह राम झूले के नजदीक है। सुबह गंगास्नान के बाद कमरे में आए,तभी एसडीआरएफ के एसआई कवीन्द्र सजवान ने आकर बताया कि राफ्टिंग की व्यवस्था हो रही है। एकाध घण्टे बाद आप राफ्टिंग के लिए जा सकेंगे।

Satopant Swargarohini Yatra-10 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-10

(दसवां दिन) 16 सितम्बर 2017 शनिवार (रात 11.00)
ऋषिकेश पुलिस रेस्ट हाउस

गंगा मां के किनारे पर पुलिस रेस्ट हाउस में,मै डायरी लिख रहा हूं। आज सुबह से शुरु कर ता हूं। शरीर का पोर पोर दुख रहा था,लेकिन शायद इसी दर्द की वजह से ठीक से नींद नहीं आई थी। कल रात मैने बद्रीविशाल मंदिर जाने से साफ मना कर दिया था। रात को दर्द की अधिकता से एहसास हुआ कि शायद बद्रीनाथ के तप्त कुण्ड में स्नान से दर्द दूर हो जाएगा।

Satopant Swargarohini Yatra-9 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-9


(नौंवा दिन) 15 सितम्बर 2015 शुक्रवार (दोपहर 12.00)
लक्ष्मीवन

लक्ष्मीवन की घाटी में एक टीले पर हम पांच लोग हमारे कुक देवेन्द्र के साथ रुके हुए है। आशुतोष पीछे आ रहा है। यह हमारी वापसी की यात्रा है। यह यात्रा हमने आज सुबह साढे आठ बजे चक्रतीर्थ से प्रारंभ की थी।
 चक्रतीर्थ से लक्ष्मीवन की वापसी जाने की अपेक्षा कुछ आसान है,क्योकि हम नीचे उतरते जाते है। हांलाकि यह रास्ता पूरी यात्रा का सबसे दुर्गम रास्ता है। रास्ते का वर्णन एक बार फिर से करने की इच्छा है।

Satopant Swargarohini Yatra -8 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-8

(आठवां दिन)15 सितम्बर 2017 शुक्रवार (सुबह 7.05)
चक्रतीर्थ कैम्प

पहाडों के उपर सूरज की रोशनी नजर आने लगी है,लेकिन हमारे कैम्प से अभी यह काफी दूर है। धूप दिखने की हिम्मत से ही सारे साथी  नित्यकर्म से निवृत्त हो चुके है। इस कैम्प की खासियत यह है कि पूरे मैदान में पहाडी झरनों से उतरते पानी की प्राकृतिक नहर सी बनी हुई है। पानी की सारी जरुरत इसी नहर से पूरी हो जाती है। हांलाकि ये पानी बर्फीला है और जमा देता है। हाथ धो लो तो हाथ सुन्न पड जाते है।

Satopant Swargarohini Yatra -7 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-7

 (सातवां दिन)14 सितम्बर 2017 गुरुवार (शाम चार बजे)
चक्रतीर्थ कैम्प

टेण्ट के बाहर बर्फीली तेज हवा चल रही है। हम किचन टेण्ट में बैठे है। टेण्ट में ही दो स्टोव जलाकर सूप बनाकर पी चुके है। सारे लोग सतोपन्त झील और स्वर्गारोहिणी मार्ग पर जाकर भी आ चुके हैं। यात्रा के अंतिम लक्ष्य को हासिल कर चुके है।

Satopant Swargarohini Yatra-6 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-6

(छठा दिन)13 सितम्बर 2017 बुधवार (शाम 4.20)
चक्रतीर्थ कैम्प

सूरज की धूप खिली हुई है। हमारे टेण्ट लग रहे हैं। कुक देवेन्द्र सूप तैयार कर रहा है। चक्रतीर्थ वह स्थान है,जहां से धर्मराज ने अकेले ही यात्रा की थी। शेष सभी पाण्डव व द्रौपदी पहले ही प्राण त्याग चुके थे। यहां से सतोपंत झील मात्र चार किमी दूर है।

Satopant Swargarohini Yatra-5 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-5

(पांचवा दिन)12 सितम्बर 2017 मंगलवार (शाम 4.40)
कैम्प साईट लक्ष्मीवन

माना गांव से यहां तक का करीब सात किमी का रास्ता,जो कि है ही नहीं,बेहद कठिन,खतरनाक और थका देने वाला है। ये रास्ता पार कर हम साढे चार पर यहां पंहुचे। सबसे बडी परेशानी यह है कि हमारे पोर्टर,टेण्ट और खाद्य सामग्री लेकर अब तक नहीं पंहुचे है। हम उन्ही का इंतजार कर रहे है। इसी इंतजार को मैं डायरी लिख कर पूरा कर रहा हूं।

Satopant Swargarohini Yatra -4 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-4

(चौथा दिन) 11 सितम्बर 2017 सोमवार (दोपहर 2.10)
पुलिस रेस्ट हाउस बद्रीनाथ

कल जैसा तय किया था,आज हमें चरण पादुका और उससे उपर जहां तक संभव हो,जाकर आना था। सुबह करीब छ: बजे उठे। मैं,आशुतोष और अनिल यहीं रुके रहे,शेष चार लोग आज फिर तप्त कुण्ड में स्नान कर बद्रीनाथ जी के दर्शन करने चले गए। कुक को सब्जी पराठे का नाश्ता बनाने को कह दिया था। करीब साढे नौ पर सभी लोग नाश्ता करने बैठे।

Satopant Swargarohini Yatra-3 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-3

(तीसरा दिन) 10 सितम्बर 2017  रविवार /सुबह 7.30
होटल तुलसी,रुद्रप्रयाग

आज हमें बद्रीनाथ पंहुचना है। कल रास्ते में ही तय किया था कि गाडी की छत पर बान्धा हुआ सामान सीधे बद्रीनाथ में ही खोलेंगे। सारा सामान गाडी पर ही बंधा हुआ रहने देंगे। इसका नतीजा यह है कि हमारा सारा जरुरी सामान भी हमारे पास नहीं है। सिर्फ अण्डर वियर पहनकर इस वक्त बैठा हूं और डायरी लिख रहा हूं।

Satopant Swargarohini Yatra -2 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-2

(दूसरा दिन) 9 सितम्बर 2017 शनिवार सुबह 8.35
आफिसर्स मेस,40 पीएसी बटालियन हरिद्वार

कल दिल्ली में रास्ता भटकने के अलावा कल से आज तक कोई दिक्कत नहीं आई। रात को आफिसर्स मेस में बढिया भोजन किया। सुबह नाश्ता भी यहीं करेंगे।

satopant Swrgarohini yatra-1 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-1

सतोपंत स्वर्गारोहिणी यात्रा (7 सितम्बर 2017 से 19 सितम्बर 2017)

सतोपंत स्वर्गारोहिणी की खतरनाक यात्रा पर जाने का आइडिया सबसे पहले एडवोकेट मित्र प्रकाश राव पंवार ने दिया था। पिछले साल कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान उत्तराखण्ड के आईजी संजय गुंजियाल से मित्रता हुई,तब उनसे इस यात्रा का जिक्र किया था और उन्होने कहा था कि तुम जब भी आना चाहो आ जाओ,इस यात्रा की सारी व्यवस्थाएं मैं करवाउंगा। इसके अलावा 2015 में उत्तराखण्ड के चारधाम की यात्रा के दौरान भी यह तय हुआ था कि दो साल बाद संतोष  जी त्रिपाठी का जन्मदिन बद्रीनाथ में मनाया जाएगा। इन सारे कारणों से इस बार सतोपंत स्वर्गारोहिणी की कठिन यात्रा की योजना बनी।

जारी है जुमलो के जरिये जनता का जनादेश जीतने का जतन

 -तुषार कोठारी देश की सरकार बनाने के आम चुनाव के दो चरण पूरे हो चुके है। पिछले कई दशकों में शायद यह पहली बार ही हो रहा है कि देश भर में बहस ...