Wednesday, January 28, 2015

दुनिया के लिए जरुरी है तिब्बत की स्वतंत्रता

तवांग बौध्द मठ के प्रमुख गुरु रिनपोचे से विशेष बातचीत
(तवांग से लौटकर तुषार कोठारी)
भारत के आखरी छोर पर बसे दुनिया के दूसरे सबसे बडे बौध्द मठ तवांग तक पंहुचना अपने आप में दुष्कर कार्य है। देश के सुदूर उत्तर पूर्व में तिब्बत या वर्तमान में कथित तौर पर चीन की सीमा से सटे तवांग शहर को यहां के विशाल बौध्द मठ की वजह से भी पहचाना जाता है। इस मठ के प्रमुख गुरु तुलकु रिनपोचे का कहना है कि तिब्बत स्वतंत्र होकर रहेगा। तिब्बत की स्वतंत्रता पूरी दुनिया के लिए जरुरी है। तिब्बत की स्वतंत्रता का संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक कि तिब्बत पूर्णत:स्वतंत्र नहीं हो जाता।

Thursday, January 15, 2015

चमत्कारी तनोट माता,जहां बेकार हो गए पाकिस्तान के बम

राजस्थान यात्रा नवंबर 1999
रतलाम-जैसलमेर-रतलाम
इस यात्रा में हम चार मित्र मै,कमलेश पाण्डेय,अनिल मेहता और राजेश घोटीकर मोटर साइकिलों से गए थे। यूथ होस्टल्स आफ इण्डिया की नेशनल डेजर्ट सफारी में हिस्सा लेने के लिए हम लोग रतलाम से निकले थे। यह यात्रा हमने मेरी राजदूत (175 इलेक्ट्रानिक) और कमलेश की यामाहा आरएक्स-100 से की थी। इस यात्रा में पहले विनय कोटिया जाने वाला था,लेकिन एन वक्त पर उसका कार्यक्रम रद्द हुआ और उसके स्थान पर राजेश घोटीकर हमारे साथ हो गया।

Tuesday, January 6, 2015

कलात्मकता और विशालता है खजुराहो की खासियत


सांची-खजुराहो-झांसी-ओरछा-ग्वालियर यात्रा
 दि. 4 जनवरी 1997 शनिवार
पूरे 362 दिन बाद फिर से यात्रा पर।  इस यात्रा में भी हम दो ही लोग थे। मै और अनिल मेहता। एक बहाना भोपाल में एपीपी की परीक्षा का था,जो कल सुबह नौ बजे बैरागढ में होना है। सोचा था,दोपहर तीन की ट्रेन से उज्जैन पंहुचकर इन्दौर भोपाल पैसेंजर से भोपाल पंहुचेंगे। घर से निकलने में कुछ देरी हो गई और आखिरकार शाम 5.30 पर रतलाम-ग्वालियर बस से साढे आठ पौने के बीच उज्जैन पंहुचे। समय का

प्राकृतिक गुफा में रहती है मां काली

(अम्बा जी और माउण्ट आबू यात्रा)
रतलाम से अम्बा जी और माउण्ट आबू की यह यात्रा मैने और अनिल मेहता (सैलाना) ने मेरी राजदूत मोटर साइकिल से की थी। रतलाम से निकलते समय यह तय नहीं था कि वास्तव में जाना कहां है। रतलाम से निकलने के बाद हमने रोड एटलस देखकर यह तय किया कि माउण्ट आबू देखा जाए। इस यात्रा पर हम 7 जनवरी 1996 को निकले थे।

जारी है जुमलो के जरिये जनता का जनादेश जीतने का जतन

 -तुषार कोठारी देश की सरकार बनाने के आम चुनाव के दो चरण पूरे हो चुके है। पिछले कई दशकों में शायद यह पहली बार ही हो रहा है कि देश भर में बहस ...