Wednesday, November 20, 2019

लद्दाख कश्मीर यात्रा-11

खाटू श्याम और सालासर बालाजी के दर्शनों के साथ अब वापसी

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13 सितंबर 2019 (रात 12.45)
होटल रायल अमर,किशनगढ(जयपुर-अजमेर हाईवे)

इस वक्त वैसे तो तारीख बदल चुकी है,लेकिन दिन सुबह बदलेगा इसलिए तारीख 13 ही लिखी है। अब तक हम चार हजार किमी की यात्रा कर चुके है और इस वक्त किशनगढ अजमेर हाईवे पर है और उस जगह आ चुके है,जहां आना चाहते थे।

कश्मीर लद्दाख यात्रा-10

स्वर्णमन्दिर के दर्शन और तीखी धूप में बाघा बार्डर की परेड

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11 सितंबर 2019 (रात 11.15)
ओयो होटल अमृतसर

   अमृतसर के सुप्रसिध्द स्वर्णमन्दिर के बेहद नजदीक एक ओयो होटल में इस वक्त हम ठहरे हुए हैं।
    आज की सुबह हम बनिहाल में जेके टूरिज्म के डाक बंगले में सोकर उठे थे। सुबह साढे आठ तक सब लोग
लगभग तैयार हो चुके थे। रात को बनिहाल के एसएचओ आबिद बुखारी से सुबह मिलने की बात हुई ती। हमारे फोन बंद थे। डाक बंगले के एक कर्मचारी का फोन लेकर मैने आबिद बुखारी को फोन लगाया। उसने कहा कि वह पन्द्रह बीस मिनट में रेस्ट हाउस पर पंहुचेगा। इस दौरान हम लोगों ने बेहतरीन सब्जी पराठे का नाश्ता किया। चाय पी। हम निकलने को तैयार थे।

लद्दाख कश्मीर यात्रा-09

370 हटने से बेअसर दिखी पूरी घाटी

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10 सितंबर 2019 (रात 11.15)
जीकेटीडीसी रेस्ट हाउस बनिहाल

बनिहाल के जेके टूरिज्म के रेस्ट हाउस में बनिहाल पुलिस स्टेशन के एसएचओ आबिद बुखारी से मित्रता करने के बाद हम कमरे में सोने की तैयारी कर रहे है। किस्सा वहीं से शुरु करना पडेगा,जहां हम दो ढाई घण्टे फंसे हुए थे।
    हम सोनमर्ग में फंसे हुए थे। मोहर्रम का मातम जुलूस चीटींकी चाल से आगे बढ रहा था। एकाध दर्जन रक्तरंजित लोगों को मेडीकल हेल्प दी गई। जैसे तैसे मातम जुलूस हाईवे से सरका और हम सोनमर्ग से दोपहर तीन बजे आगे बढ पाए।  श्रीनगर यहां से करीब अस्सी किमी दूर था।

लद्दाख कश्मीर यात्रा-08

द्रास में कारिगल वार मेमोरियल,मोहर्रम और जाम का मातम 

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10 सितंबर 2019 (दोपहर 2.30)
सोनमर्ग (लेह-श्रीनगर हाईवे)

हम कारगिल के मुहर्रम से बचने के लिए रात को ही द्रास पंहुच गए थे। लेकिन अब यहां हाईवे पर मुहर्रम का मातम मनाया जा रहा है और हाईवे पर ट्रैफिक जाम है। हमसे आगे दो इनोवा गाडियों में सवार मुंबई के गुजराती लोगों की शाम को फ्लाइट है। वे पुलिसवालों से गुहार लगा रहे है कि किसी तरह उनकी गाडियां पार करवा दें,लेकिन यह संभव नहीं दिखता। करीब दो तीन सौ पुरुष और सौ के करीब महिलाएं काले कपडे पहन कर मुहर्रम का मातम मना रहे हैं।

लद्दाख कश्मीर यात्रा-7

 बार्डर पर बन्द गाडी ,हिमालय पर भी है रेगिस्तान

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09 सितम्बर 2019 सोमवार
होटल सिटी हार्ट लेह (लद्दाख)

इस वक्त हम लेह से निकल कर कारगिल जाने की तैयारी कर रहे हैं। कल रात डायरी से जुडने का मौका ही नही मिल पाया था। टीवी पर थ्री इडियट्स फिल्म आ रही थी। वही देखते देखते नींद आ गई,डायरी रह ही गई। इस वक्त भी समय कम है,देखते है कितना आगे बढ पाती है।
 बात वहीं से,जहां छोडी थी। हमारी गाडी बन्द थी। स्टार्ट नहीं हो पा रही थी। पोस्ट पर तैनात  फौजी अमनदीप भी हमारी मदद करने के लिए बाहर आ गया था।

लद्दाख कश्मीर यात्रा-6

खारदुंगला और नूब्रा वैली के साथ ठांग से पीओके का नजारा

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8 दिसंबर 2019 (सुबह 9.00)
162 आरडी,आर्मी रेस्ट हाउस,परतापुर

इस वक्त हम परतापुर के आर्मी रेस्ट हाउस में स्नान करके नाश्ता करने की तैयारी में है। बात कल से शुरु करता हूं। कल सुबह हम करीब सवा नौ बजे होटल से निकले। नाश्ता करना था। ड्राइवर पुनचुक ने कहा कि
नाश्ता रास्ते में करेंगे।
गाडी चली। थोडी ही देर में खारदुंगला का चढाई वाला रास्ता शुरु हो गया। जबर्दस्त तीखी चढाई,घुमावदार रास्ते और उंचाई बढने के साथ तेजी से कम होती आक्सिजन। आक्सिजन की कमी का ही असर था कि नींद आने लगी।

लद्दाख कश्मीर यात्रा-5

 लेह में हाल आफ फेम और कारगिल वार का लाइट एण्ड साउण्ड शो

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06 सितंबर 2019 शुक्रवार (रात 9.00)
होटल सिटी हार्ट,मेन बाजार लेह

दिन भर लेह घूमघाम कर वार मेमोरियल हाल आफ फेम से कारगिल वार का लाइट एंड साउंड शो देखकर इस वक्त मैं और अनिल होटल में आ गए हैं। बाकी तीनों बाजार में खरीददारी करने गए हैं।
 आज की सुबह हम इस होटल में आ गए थे। कल जो होटल किया था,वह महंगा भी था और कमरे तो अच्छे थे,लेकिन पूरी तरह पैक थे। हवा आने की कोई जगह ही नहीं थी। रात को सफोकेशन की वजह से नींद ही नहीं
आ पाई। रात को दो बजे कमरे का दरवाजा खोला,बाहर जाकर खुली खिडकी से ताजी सांस ली। फिर दरवाजा खुला रखकर ही सोया। तब भी ठीक से नींद नहीं आई। यह पहले ही सोचा था कि सुबह होटल बदलना है। सुबह वाले होटल का चटैक आउट टाइम सुबह नौ बजे का था। इसलिए जो करना था,जल्दी करना था।

लद्दाख कश्मीर यात्रा-4




साढे सत्रह हजार फीट की उंचाई पर ड्राइविंग और हाई अल्टी का असर

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5 सितंबर 2019 गुरुवार (दोपहर 11.35)
(सरचू-टंगलंग ला रोड पर पांग से 14 किमी पहले किसी स्थान पर)


हम काफी देर से इस जाम में फंसे थे। मैने सोचा कि डायरी ही निकाल ली जाए,लेकिन अब जाम खुल गया है और अब गाडी आगे बढ गई है।

5 सितंबर 2019 (दोपहर 12.15)
पांग( 15280 फीट)


इस वक्त हम पांग पंहुच चुके है और अभी भोजन का वक्त है।
 हम सुबहं ठीक छ: बजे जिस्पा से निकल गए थे।

लद्दाख कश्मीर यात्रा-3

 रोहतांग पास से गुजर कर डाक्टर और डीजल की तलाश

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4 सितंबर 2019 बुधवार (रात 9.20)
पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस जिस्पा(हिप्र)

इस वक्त रात के केवल 9.20 हुए हैं,लेकिन हम सोने की तैयारी में है। सुबह जल्दी छ: बजे हम यहां से निकल जाएंगे।
सुबह हम ठीक आठ बजे,होटल चलते चलते से निकल पडे थे। रोहतांग पास यहां से 40 किमी दूर था। शुरुआती रास्ता ठीक था,लेकिन थोडी ही देर बाद बेहद खराब रास्ता आ गया। जगह जगह लैंड स्लाइडिंग के कारन पतथर कीचड,हज से ज्यादा उबड खाबड रास्ता। हम चलते रहे,लेकिन रोहतांग पास से 15 किमी पहले बडा जाम लगा हुआ था। इस जाम में हम करीब ढाई घंटे फंसे रहे। सारा ट्रैफिक रोहतांग पास तक ही था। हम करीब बारह बजे रोहतांग पास पर पंहुच गए।

लद्दाख कश्मीर यात्रा-2/

हिडिम्बा मन्दिर के पास ही है खाटू श्याम बर्बरीक का स्थान

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3 सितंबर 2019 मंगलवार (रात 10.00)
होटल चलते चलते पालचन (हिप्र)

दोपहर को भोजन करने के बाद निकले तो कुल्लू से बाहर हो ही चुके थे। अब हमें मनाली पंहुचना था। हम शाम करीब पांच बजे मनाली पंहुच गए। गूगल मैप पर हिडिंबा मन्दिर देखा तो पता चला कि जहां हम थे,हिडिंबा मंदिर भी वहीं दिख रहा था। गाडी पार्क की,भीतर जाने का टिकट पचास रु.प्रतिव्यक्ति था। 5 टिकट लेकर भीतर गए तो पता चला कि यह तो वन विहार है। हिडिंबा मन्दिर तो अभी तीन किमी आगे है।  इस गार्डन में नीचे एक छोटा सा तालाब बनाकर इसमें पैडल बोट भी डालकर रखी है। यह सिर्फ एक उद्यान था,जिसमें देवदार के बडे बडे पेड थे।

यात्रा वृत्तान्त-32/ धारा 370 हटने के बाद कश्मीर और लद्दाख का भ्रमण

(मनाली-लेह-श्रीनगर यात्रा)
(1 सितंबर 2019 से 14 सितंबर 2019)
 5 अगस्त 2019 को अचानक जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद  370 को हटा दिया गया। मनाली से लेह होकर श्रीनगर की तरफ से वापस आने की हमारी योजना पहले से ही बन रही थी,लेकिन जैसे ही 370 हटने का मामला हुआ वहां जाने की उतसुकता और भी बढ गई। इस यात्रा में पहले हम पांच मैं,दशरथ पाटीदार,प्रकाश राव
पंवार,अनिल मेहता और मन्दसौर से आशुतोष नवाल जाने वाले थे,लेकिन अंतिम समय आते आते आशुतोष की यात्रा गडबडाने लगी। उसके पिता जी का स्वास्थ्य ठीक नहीं था। अब हम चार ही जाने वाले थे। अंतिम समय तक उदित अग्रवाल से मैं पूछता रहा,लेकिन वह इंकार करता रहा। एक सितंबर को हम चार लोग ही दशरथ जी की ब्रिजा से रवाना हुए,लेकिन दोपहर तक दृश्य बदल गया और उदित भी हमारे साथ शामिल हो गया और गाडी भी ब्रिजा की जगह एक्सयूवी 500 हो गई। इस तरह यह यात्रा पांच लोगों ने की।

जारी है जुमलो के जरिये जनता का जनादेश जीतने का जतन

 -तुषार कोठारी देश की सरकार बनाने के आम चुनाव के दो चरण पूरे हो चुके है। पिछले कई दशकों में शायद यह पहली बार ही हो रहा है कि देश भर में बहस ...