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Thursday, November 23, 2017

satopant Swrgarohini yatra-1 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-1

सतोपंत स्वर्गारोहिणी यात्रा (7 सितम्बर 2017 से 19 सितम्बर 2017)

सतोपंत स्वर्गारोहिणी की खतरनाक यात्रा पर जाने का आइडिया सबसे पहले एडवोकेट मित्र प्रकाश राव पंवार ने दिया था। पिछले साल कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान उत्तराखण्ड के आईजी संजय गुंजियाल से मित्रता हुई,तब उनसे इस यात्रा का जिक्र किया था और उन्होने कहा था कि तुम जब भी आना चाहो आ जाओ,इस यात्रा की सारी व्यवस्थाएं मैं करवाउंगा। इसके अलावा 2015 में उत्तराखण्ड के चारधाम की यात्रा के दौरान भी यह तय हुआ था कि दो साल बाद संतोष  जी त्रिपाठी का जन्मदिन बद्रीनाथ में मनाया जाएगा। इन सारे कारणों से इस बार सतोपंत स्वर्गारोहिणी की कठिन यात्रा की योजना बनी।

Wednesday, May 25, 2016

यात्रा वृत्तान्त - 22 सांप,मेंढक और कुत्तों के मांस का बाजार,महिलाएं करती हैं व्यापार

(नागालैण्ड और मणिपुर यात्रा 6 जनवरी से 20 जनवरी 2016)

उत्तर पूर्वी राज्यों की यात्रा का यह तीसरा मौका था। इस बार की यात्रा में हमने अरुणाचल के दूरस्थ क्षेत्रों,अनीनी की दिशा में जाने की योजना बनाई थी। साथ ही रहस्यमय माने जाने वाले नागालैण्ड व मणिपुर को भी इस यात्रा में जोडा था। पिछली अरुणाचल तवांग यात्रा के अनुभवों से सबक लेते हुए इस बार हम पर्याप्त समय लेकर चले थे,ताकि गडबड ना हो। हम २१ जनवरी की सुबह लौटे। इस यात्रा में हम केवल तीन व्यक्ति शामिल थे। मेरे साथ दशरथ पाटीदार व हिमांशु जोशी इस यात्रा में शामिल थे।

Saturday, February 27, 2016

Country of rising sun Arunachal यात्रा वृत्तान्त -20 उगते सूर्य के प्रदेश में

(अरुणाचल यात्रा  17 जनवरी से 26 जनवरी 2015)

17 नवंबर को तिरुपति से लौटे थे। इसके मात्र दो माह बाद फिर से यात्रा पर। ये यात्रा एयरलाइन्स के सस्ते टिकटों की वजह से हुई। करीब तीन महीने पहले ही हमने दिल्ली से गुवाहाटी की फ्लाइट आने जाने की बुक करवा ली थी। बुकींग छ: लोगों की थी।मैं,दशरथ पाटीदार जी,संतोष त्रिपाठी जी,हिमांशु जोशी,उदित अग्रवाल और सुदीप जैन(बंटी),इस यात्रा में जाने वाले थे। लेकिन अंत में बंटी की यात्रा रद्द हो गई और 17 जनवरी 2015 को हम अरुणाचल के लिए निकल पडे। हमने रतलाम से दिल्ली का रिजर्वेशन कराया,ज्लिी से गुवाहाटी हमारी फ्लाइट थी और गुवाहाटी से हमारा आरक्षण तीनसुकिया तक है।

Tirupati Balaji यात्रा वृत्तान्त-19 तिरुपति बालाजी के दर्शन

अण्डमान निकोबार की यात्रा के अंतिम चरण में तिरुपति बालाजी पंहुचे थे। इससे पहले दक्षिण की यात्रा के दौरान भी आशुतोष की जिद्द के कारण तिरुपति आए थे,लेकिन उस समय मैने दर्शन नहीं किए थे। अण्डमान की यात्रा के दौरान जब तिरुपति पंहुचे थे,तो मैने सोचा था कि यदि आसानी से दर्शन हो सकेंगे तो जरुर करुंगा और दर्शन आसानी से हो गए थे। तिरुपति पंहुचे ही थे,कि एक बडे काम के होने के संकेत मिले और उसी समय तिरुपति से यह प्रार्थना की थी कि यदि काम हो गया तो फौरन तिरुपति आएंगे। जब लौटे तो आखिरकार काम हो ही गया।

जारी है जुमलो के जरिये जनता का जनादेश जीतने का जतन

 -तुषार कोठारी देश की सरकार बनाने के आम चुनाव के दो चरण पूरे हो चुके है। पिछले कई दशकों में शायद यह पहली बार ही हो रहा है कि देश भर में बहस ...