तुषार कोठारी
देसी लोगों की मान्यता अब तक यही हुआ करती थी कि अंग्रेजी में लिखने वाले भारतीय लेखक पाश्चात्य संस्कृति को बढावा देते है। लेकिन हाल के कुछ वर्षों में परिदृश्य पूरी तरह बदल गया है। भारत के अंग्रेजी लेखकों की लिखी पुस्तकें दुनिया भर में भारतीय संस्कृति,धर्म और इतिहास का डंका बजा रही है। भारत के पौराणिक और धार्मिक चरित्रों की जानकारी अब पूरी दुनिया के लोगों को,अंग्रेजी में लिखने वाले भारतीय लेखकों की वजह से मिल रही है। यही नहीं भारतीय लेखकों द्वारा पौराणिक और धार्मिक कथाओं को नए सन्दर्भों में प्रस्तुत किए जाने की यह विशीष्ट शैली दुनियाभर में इतनी पसन्द की जा रही है कि ये भारतीय लेखक आज दुनिया के बेस्टसेलर बने हुए है। इन अंग्रेजी उपन्यासों की बदौलत भारत का गौरवमयी अतीत पूरी दुनिया की जानकारी में भी आ रहा है।
हांलाकि कुछ दशकों पहले स्थिति इससे ठीक विपरित थी। अंग्रेजी में लिखने वाले भारतीय लेखक,भारत की वह छबि दुनिया के सामने रखते थे,जो अत्यन्त बुरी थी। अशिक्षा,गरीबी,अन्धविश्वास जैसी तमाम बुराईयों को परोसा जाता था और इसके सहारे ये लेखक स्वयं को अन्तर्राष्ट्रिय स्तर के साहित्यकार के रुप में स्थापित करने का प्रयास करते थे। लेकिन पिछले एक दशक में परिदृश्य पूरी तरह बदल गया। अंग्रेजी में लिखने वाले युवा लेखकों की एक पूरी जमात सामने आई,जिसने विश्व समुदाय के सामने प्राचीन भारत के गौरवमयी अतीत को सफलता पूर्वक प्रदर्शित किया। इन नए लेखकों में अधिकांश आईआईएम या आईआईटी जैसे संस्थानों से निकले हुए युवा है,जिन्होने हासिल की हुई उच्चशिक्षा का उपयोग अंग्रेजी साहित्य लेखन में किया और अपनी प्रखर बौध्दिकता को पौराणिक सन्दर्भों को आधुनिक युग से जोडने व इस दिशा में नए शोध करने में लगाया।
देश में अब पौराणिक और धार्मिक चरित्रों को केन्द्रीय पात्र बनाकर लिखने वालों की बडी संख्या है। इनमें निश्चित तौर पर अमिश त्रिपाठी,अश्विन सांघी,अशोक के बैंकर,देवदत्त पटनायक,आनन्द नीलकान्तन जैसे लेखक अग्रणी भूमिका में है।
भारतीय साहित्य के इस नए युग की शुरुआत पिछले करीब एक दशक में हुई। एमबीए करने के बाद पारिवारिक व्यवसाय कर रहे अश्विन सांघी ने वर्ष 2006 में अपना पहला उपन्यास द रोजाबेल लाइन लिखा। जीसस क्राइस्ट(इसा मसीह) की मृत्यु सूली पर नहीं होने और उनके द्वारा अपना अंतिम समय भारत के कश्मीर में गुजारे जाने के तथ्य को आधार बना कर लिखे गए इस काल्पनिक ऐतिहासिक और रहस्यमय कथानक वाले उपन्यास ने विश्व भर के पाठकों को झकझोर कर रख दिया। उनके इस उपन्यास को दुनियाभर में भरपूर सफलता मिली और वे वल्र्ड बेस्ट सेलर लेखकों में शामिल हो गए। इसके बाद उन्होने भगवान कृष्ण के चरित्र को आधार बनाकर कृष्णास की और महान कूटनीतिज्ञ चाणक्य को आधार बनाकर चाणक्य चाण्ट जैसे उपन्यास लिखे। ये सभी उपन्यास दुनियाभर में हिट रहे। मूलत: अंग्रेजी में लिखे गए इन उपन्यासों का अब हिन्दी समेत दुनिया की कई भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।
भारतीय पौराणिक और धार्मिक चरित्रों को आधुनिक समाज के सामने नए ढंग से लाने के अभियान को नई उंचाईयां अमिश त्रिपाठी ने दी। आईआईएम कोलकाता के स्नातक अमिश त्रिपाठी ने चौदह वर्षों तक बैंकींग और फाइनेन्शियल क्षेत्र में काम किया और फिर वे अचानक लेखन की ओर मुड गए। उन्होने भगवान शिव को केन्द्र में रखकर शिव ट्रायोलाजी लिखना प्रारंभ किया। अमिश ने भगवान शिव को सामान्य मानव से महादेव बनने की कथा को अत्यन्त रोचक ढंग से तीन खण्डों में प्रस्तुत किया। शिव ट्रायोलाजी का प्रथम खण्ड इम्मोर्टल्स आफ मेलूहा वर्ष 2010 में प्रकाशित हुआ। अमिश ने अपनी प्रबन्धन और मार्केटिंग क्षमताओं का शानदार उपयोग करते हुए इस उपन्यास को विश्व बाजार में प्रस्तुत किया। अद्भुत कथानक और रोचक प्रस्तुति के चलते उनका पहला ही उपन्यास जबर्दस्त हिट रहा। यह उपन्यास दुनिया के किसी भी एयरपोर्ट के बुक स्टोर पर सबसे अधिक बिकने वाली पुस्तक बन गया। अंग्रेजी पढने वाले लोगों के लिए रोचक शैली में लिखा गया प्राचीन भारत का यह स्वर्णिम इतिहास पढना एक नया अनुभव था। इससे पहले वे भारत को सांप सपेरों और जादू टोने वाले पिछडे हुए देश के रुप में जानते थे। अमिश ने मोहन जो-दारो,हडप्पा और लोथल में मिले प्राचीन भारतीय सभ्यता के अवशेषों को आधार बनाकर प्राचीन भारत का इतना आकर्षक चित्र प्रस्तुत किया कि पूरा विश्व समुदाय चमत्कृत रह गया। उनकी पहली पुस्तक इम्मोर्टल्स आफ मेलूहा के बाद शिव त्रयी के दो और खण्ड सीक्रेट्स आफ नागाज और ओथ आफ वायुपुत्र अगले तीन वर्षों में प्रकाशित हुई। इन पुस्तकों ने बिक्री के सारे रेकार्ड ध्वस्त कर दिए। शिव ट्रायोलाजी सीरीज साढे तीन लाख प्रतियों के साथ भारतीय इतिहास की सबसे तेज बिक्री वाली सीरीज बन गई। इन पुस्तकों की अब तक 100 करोड रुपए की बिक्री हो चुकी है। फोब्र्स इण्डिया ने अमीश को वर्ष 2012,2013 और 2014 लगातार तीन वर्षों तक टाप हंड्रेड सेलिब्रिटी में शामिल किया। शिव ट्रायोलाजी की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि चौदह भाषाओं में इनका अनुवाद उपलब्ध है। शिव ट्रायोलाजी के बाद अमीश के मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जीवन पर आधारित सीरीज स्कियान आफ इक्ष्वाकु लिखना प्रारंभ किया है। इस सीरीज की पहली पुस्तक वर्ष 2015 में प्रकाशित हुई। पाठकों ने इसे भी हाथोंहाथ लिया। दुनियाभर में उपन्यासों के शौकीन पाठकों ने इसे खरीदा। इस सीरीज के अगले खण्ड की प्रतीक्षा बडी बेसब्री से की जा रही है।
अंग्रेजी में लिखने वाले लेखकों की इस सूचि में अशोक के बैंकर भी शामिल है। अशोक बैंकर के साहित्य ने भी दुनियाभर में तहलका मचाया है। मुंबई में जन्मे अशोक बैंकर ने पहले पत्रकार के रुप में काम किया और बाद में वे पौराणिक कथाओं पर आधारित उपन्यास लिखने लगे। उन्होने आठ खण्डों की रामायण सीरीज लिखी। उनकी रामायण सीरीज विश्वभर में सराही गई। न्यूयार्क टाइम्स ने धार्मिक(मायथालाजी) कैटेगरी को सर्वाधिक लोकप्रिय बनाने का श्रेय अशोक बैंकर को दिया। वेद की कथाओं पर आधारित उनका उपन्यास दश राजन भी दुनियाभर में चर्चित हुआ। महाभारत में अठारह खण्डों की सीरीज भी वे लिख रहे है। उनकी पुस्तकों की दो लाख प्रतियां बिक चुकी है। उनकी पुस्तके विश्व की सौलह भाषाओं में और 58 देशों में उपलब्ध है।
भारत के प्राचीन गौरव को अंग्रेजी संसार के सामने लाने वालों में कई अन्य नाम भी शामिल है। उडीसा में जन्मे पेशे से चिकित्सक डॉ.देवदत्त पटनायक ने चौदह वर्षों तक चिकित्सा क्षेत्र में काम करने के बाद धार्मिक विषयों को आधार बनाकर लेखन शुरु किया। उनके बेस्टसेलर उपन्यासों में मिथ-मिथ्या,मायागीता,जया-एन इलस्ट्रेटेड रिटेलिंग आफ द महाभारत,शिखण्डी आदि शामिल है। इनकी पुस्तकों के हिन्दी,तमिल,तेलुगु,गुजराती और मराठी में अनुवाद हो चुके है।
त्रिचूर केरला के शासकीय इंजीनियरिंग कालेज से स्नातक आनन्द नीलकान्तन वर्ष 2000 तक इण्डियन आईल कंपनी में कार्यरत थे। वर्ष 2012 में उनका पहला उपन्यास असुरा-टेल आफ द वैनक्विश्ड प्रकाशित हुआ। इसे पाठकों ने हाथोहाथ लिया। इसके बाद उन्होने महाभारत पर आधारित दो खण्ड वर्ष 2014 में अजय-रोल आफ डाइस और वर्ष 2015 में अजय-राइज आफ काली प्रकाशित हुई। उनके ये उपन्यास भी बेहद लोकप्रिय हुए। इण्डियन एक्सप्रेस ने उन्हे मोस्ट प्रामिसिंग राइटर के खिताब से नवाजा वहीं डेली न्यूज एण्ड एनालिसिस ने वर्ष 2012 के छ: उल्लेखनीय लेखकों में शामिल किया। फाइनेन्शियल एक्सप्रेस ने उन्हे वर्ष 2012 में सबसे अधिक पढा गया लेखक निरुपित किया। इसी तरह सिंगापुर निवासी पेशे से व्याख्याता,भारतीय लेखिका कृष्णा उदयशंकर के महाभारत पर आधारित उपन्यास गोविन्दा,कौरव और कुरुक्षेत्र भी दुनियाभर में खासे चर्चित रहे हैं।
बहरहाल,अंग्रेजी भाषा में लिखने वाले इन भारतीय लेखकों की वजह से आज सारी दुनिया प्राचीन भारत के ज्ञान,वैभव और समृध्दि से परिचित हो रही है। वो जमाना अब बीत गया,जब भारत के अंग्रेजी लेखक,भारत का बेहद गन्दा दृश्य प्रस्तुत करते थे। नई पीढी के भारतीय अंग्रेजी लेखक चाहे पौराणिक और धार्मिक सन्दर्भों में लिखें या चेतन भगत की तर्ज पर आधुनिक कथाएं लिखें,वे भारत का चमकदार और उजला स्वरुप दुनिया के सामने ला रहे हैं।
देसी लोगों की मान्यता अब तक यही हुआ करती थी कि अंग्रेजी में लिखने वाले भारतीय लेखक पाश्चात्य संस्कृति को बढावा देते है। लेकिन हाल के कुछ वर्षों में परिदृश्य पूरी तरह बदल गया है। भारत के अंग्रेजी लेखकों की लिखी पुस्तकें दुनिया भर में भारतीय संस्कृति,धर्म और इतिहास का डंका बजा रही है। भारत के पौराणिक और धार्मिक चरित्रों की जानकारी अब पूरी दुनिया के लोगों को,अंग्रेजी में लिखने वाले भारतीय लेखकों की वजह से मिल रही है। यही नहीं भारतीय लेखकों द्वारा पौराणिक और धार्मिक कथाओं को नए सन्दर्भों में प्रस्तुत किए जाने की यह विशीष्ट शैली दुनियाभर में इतनी पसन्द की जा रही है कि ये भारतीय लेखक आज दुनिया के बेस्टसेलर बने हुए है। इन अंग्रेजी उपन्यासों की बदौलत भारत का गौरवमयी अतीत पूरी दुनिया की जानकारी में भी आ रहा है।
हांलाकि कुछ दशकों पहले स्थिति इससे ठीक विपरित थी। अंग्रेजी में लिखने वाले भारतीय लेखक,भारत की वह छबि दुनिया के सामने रखते थे,जो अत्यन्त बुरी थी। अशिक्षा,गरीबी,अन्धविश्वास जैसी तमाम बुराईयों को परोसा जाता था और इसके सहारे ये लेखक स्वयं को अन्तर्राष्ट्रिय स्तर के साहित्यकार के रुप में स्थापित करने का प्रयास करते थे। लेकिन पिछले एक दशक में परिदृश्य पूरी तरह बदल गया। अंग्रेजी में लिखने वाले युवा लेखकों की एक पूरी जमात सामने आई,जिसने विश्व समुदाय के सामने प्राचीन भारत के गौरवमयी अतीत को सफलता पूर्वक प्रदर्शित किया। इन नए लेखकों में अधिकांश आईआईएम या आईआईटी जैसे संस्थानों से निकले हुए युवा है,जिन्होने हासिल की हुई उच्चशिक्षा का उपयोग अंग्रेजी साहित्य लेखन में किया और अपनी प्रखर बौध्दिकता को पौराणिक सन्दर्भों को आधुनिक युग से जोडने व इस दिशा में नए शोध करने में लगाया।
देश में अब पौराणिक और धार्मिक चरित्रों को केन्द्रीय पात्र बनाकर लिखने वालों की बडी संख्या है। इनमें निश्चित तौर पर अमिश त्रिपाठी,अश्विन सांघी,अशोक के बैंकर,देवदत्त पटनायक,आनन्द नीलकान्तन जैसे लेखक अग्रणी भूमिका में है।
भारतीय साहित्य के इस नए युग की शुरुआत पिछले करीब एक दशक में हुई। एमबीए करने के बाद पारिवारिक व्यवसाय कर रहे अश्विन सांघी ने वर्ष 2006 में अपना पहला उपन्यास द रोजाबेल लाइन लिखा। जीसस क्राइस्ट(इसा मसीह) की मृत्यु सूली पर नहीं होने और उनके द्वारा अपना अंतिम समय भारत के कश्मीर में गुजारे जाने के तथ्य को आधार बना कर लिखे गए इस काल्पनिक ऐतिहासिक और रहस्यमय कथानक वाले उपन्यास ने विश्व भर के पाठकों को झकझोर कर रख दिया। उनके इस उपन्यास को दुनियाभर में भरपूर सफलता मिली और वे वल्र्ड बेस्ट सेलर लेखकों में शामिल हो गए। इसके बाद उन्होने भगवान कृष्ण के चरित्र को आधार बनाकर कृष्णास की और महान कूटनीतिज्ञ चाणक्य को आधार बनाकर चाणक्य चाण्ट जैसे उपन्यास लिखे। ये सभी उपन्यास दुनियाभर में हिट रहे। मूलत: अंग्रेजी में लिखे गए इन उपन्यासों का अब हिन्दी समेत दुनिया की कई भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।
भारतीय पौराणिक और धार्मिक चरित्रों को आधुनिक समाज के सामने नए ढंग से लाने के अभियान को नई उंचाईयां अमिश त्रिपाठी ने दी। आईआईएम कोलकाता के स्नातक अमिश त्रिपाठी ने चौदह वर्षों तक बैंकींग और फाइनेन्शियल क्षेत्र में काम किया और फिर वे अचानक लेखन की ओर मुड गए। उन्होने भगवान शिव को केन्द्र में रखकर शिव ट्रायोलाजी लिखना प्रारंभ किया। अमिश ने भगवान शिव को सामान्य मानव से महादेव बनने की कथा को अत्यन्त रोचक ढंग से तीन खण्डों में प्रस्तुत किया। शिव ट्रायोलाजी का प्रथम खण्ड इम्मोर्टल्स आफ मेलूहा वर्ष 2010 में प्रकाशित हुआ। अमिश ने अपनी प्रबन्धन और मार्केटिंग क्षमताओं का शानदार उपयोग करते हुए इस उपन्यास को विश्व बाजार में प्रस्तुत किया। अद्भुत कथानक और रोचक प्रस्तुति के चलते उनका पहला ही उपन्यास जबर्दस्त हिट रहा। यह उपन्यास दुनिया के किसी भी एयरपोर्ट के बुक स्टोर पर सबसे अधिक बिकने वाली पुस्तक बन गया। अंग्रेजी पढने वाले लोगों के लिए रोचक शैली में लिखा गया प्राचीन भारत का यह स्वर्णिम इतिहास पढना एक नया अनुभव था। इससे पहले वे भारत को सांप सपेरों और जादू टोने वाले पिछडे हुए देश के रुप में जानते थे। अमिश ने मोहन जो-दारो,हडप्पा और लोथल में मिले प्राचीन भारतीय सभ्यता के अवशेषों को आधार बनाकर प्राचीन भारत का इतना आकर्षक चित्र प्रस्तुत किया कि पूरा विश्व समुदाय चमत्कृत रह गया। उनकी पहली पुस्तक इम्मोर्टल्स आफ मेलूहा के बाद शिव त्रयी के दो और खण्ड सीक्रेट्स आफ नागाज और ओथ आफ वायुपुत्र अगले तीन वर्षों में प्रकाशित हुई। इन पुस्तकों ने बिक्री के सारे रेकार्ड ध्वस्त कर दिए। शिव ट्रायोलाजी सीरीज साढे तीन लाख प्रतियों के साथ भारतीय इतिहास की सबसे तेज बिक्री वाली सीरीज बन गई। इन पुस्तकों की अब तक 100 करोड रुपए की बिक्री हो चुकी है। फोब्र्स इण्डिया ने अमीश को वर्ष 2012,2013 और 2014 लगातार तीन वर्षों तक टाप हंड्रेड सेलिब्रिटी में शामिल किया। शिव ट्रायोलाजी की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि चौदह भाषाओं में इनका अनुवाद उपलब्ध है। शिव ट्रायोलाजी के बाद अमीश के मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जीवन पर आधारित सीरीज स्कियान आफ इक्ष्वाकु लिखना प्रारंभ किया है। इस सीरीज की पहली पुस्तक वर्ष 2015 में प्रकाशित हुई। पाठकों ने इसे भी हाथोंहाथ लिया। दुनियाभर में उपन्यासों के शौकीन पाठकों ने इसे खरीदा। इस सीरीज के अगले खण्ड की प्रतीक्षा बडी बेसब्री से की जा रही है।
अंग्रेजी में लिखने वाले लेखकों की इस सूचि में अशोक के बैंकर भी शामिल है। अशोक बैंकर के साहित्य ने भी दुनियाभर में तहलका मचाया है। मुंबई में जन्मे अशोक बैंकर ने पहले पत्रकार के रुप में काम किया और बाद में वे पौराणिक कथाओं पर आधारित उपन्यास लिखने लगे। उन्होने आठ खण्डों की रामायण सीरीज लिखी। उनकी रामायण सीरीज विश्वभर में सराही गई। न्यूयार्क टाइम्स ने धार्मिक(मायथालाजी) कैटेगरी को सर्वाधिक लोकप्रिय बनाने का श्रेय अशोक बैंकर को दिया। वेद की कथाओं पर आधारित उनका उपन्यास दश राजन भी दुनियाभर में चर्चित हुआ। महाभारत में अठारह खण्डों की सीरीज भी वे लिख रहे है। उनकी पुस्तकों की दो लाख प्रतियां बिक चुकी है। उनकी पुस्तके विश्व की सौलह भाषाओं में और 58 देशों में उपलब्ध है।
भारत के प्राचीन गौरव को अंग्रेजी संसार के सामने लाने वालों में कई अन्य नाम भी शामिल है। उडीसा में जन्मे पेशे से चिकित्सक डॉ.देवदत्त पटनायक ने चौदह वर्षों तक चिकित्सा क्षेत्र में काम करने के बाद धार्मिक विषयों को आधार बनाकर लेखन शुरु किया। उनके बेस्टसेलर उपन्यासों में मिथ-मिथ्या,मायागीता,जया-एन इलस्ट्रेटेड रिटेलिंग आफ द महाभारत,शिखण्डी आदि शामिल है। इनकी पुस्तकों के हिन्दी,तमिल,तेलुगु,गुजराती और मराठी में अनुवाद हो चुके है।
त्रिचूर केरला के शासकीय इंजीनियरिंग कालेज से स्नातक आनन्द नीलकान्तन वर्ष 2000 तक इण्डियन आईल कंपनी में कार्यरत थे। वर्ष 2012 में उनका पहला उपन्यास असुरा-टेल आफ द वैनक्विश्ड प्रकाशित हुआ। इसे पाठकों ने हाथोहाथ लिया। इसके बाद उन्होने महाभारत पर आधारित दो खण्ड वर्ष 2014 में अजय-रोल आफ डाइस और वर्ष 2015 में अजय-राइज आफ काली प्रकाशित हुई। उनके ये उपन्यास भी बेहद लोकप्रिय हुए। इण्डियन एक्सप्रेस ने उन्हे मोस्ट प्रामिसिंग राइटर के खिताब से नवाजा वहीं डेली न्यूज एण्ड एनालिसिस ने वर्ष 2012 के छ: उल्लेखनीय लेखकों में शामिल किया। फाइनेन्शियल एक्सप्रेस ने उन्हे वर्ष 2012 में सबसे अधिक पढा गया लेखक निरुपित किया। इसी तरह सिंगापुर निवासी पेशे से व्याख्याता,भारतीय लेखिका कृष्णा उदयशंकर के महाभारत पर आधारित उपन्यास गोविन्दा,कौरव और कुरुक्षेत्र भी दुनियाभर में खासे चर्चित रहे हैं।
बहरहाल,अंग्रेजी भाषा में लिखने वाले इन भारतीय लेखकों की वजह से आज सारी दुनिया प्राचीन भारत के ज्ञान,वैभव और समृध्दि से परिचित हो रही है। वो जमाना अब बीत गया,जब भारत के अंग्रेजी लेखक,भारत का बेहद गन्दा दृश्य प्रस्तुत करते थे। नई पीढी के भारतीय अंग्रेजी लेखक चाहे पौराणिक और धार्मिक सन्दर्भों में लिखें या चेतन भगत की तर्ज पर आधुनिक कथाएं लिखें,वे भारत का चमकदार और उजला स्वरुप दुनिया के सामने ला रहे हैं।
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