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02 सितम्बर 2022 शुक्रवार (रात 11.00)
जयपुर के पास किसी होटल में
इस वक्त राते के ग्यारह बज चुके है। हम लोग आज सुबह निकले तो कुछ देरी हो चुकी थी। हम लोग सुबह दस बजे होटल से निकल पाए थे।
निकलते ही भूख लगी। गाडी दशरथ जी चला रहे थे। मैने कहा देसी ढावा देखकर गाडी रोक लेना। करीब साढे ग्यारह बजे एक ढावा देखकर दशरथ जी ने गाडी रोकी। आलू के तंदूरी पराठे खाए। बेहद शानदार पराठे। नाश्ता करके आगे बढे। अभी हमे 950 किमी चलना था। जम्मू से चले। अम्बाला से आगे अम्बाला एक्सप्रेस वे था। एक्सप्रेस वे करीब 230 किमी लम्बा है। करीब 90 मिकी गाडी चलाने के बाद दशरथ जी ने गाडी मुझे थमा दी। फिर मैने गाडी सम्हाली। एक्सप्रेस वे पार किया। अब जयपुर नजदीक ही था। जयपुर के आसपास होटल ढूंढ रहे थे। जल्दी ही होटल मिल गया और अब सौने की तैयारी।
3 सितम्बर 2022 शनिवार (प्रात: 7.14)
होटल हरिकृष्णा पैलेस जयपुर हाईवे
ये होटल जयपुर हाईवे पर है और जयपुर यहां से मात्र 20 मिकी है। रात करीब साढे आठ बजे हल यहां पंहुचे थे। कमरे ठीक ठाक थे।कीमत भी ठीक ही थी। यहीं दो कमरे ले लिए थे। कल अम्बाला एक्सप्रेस वे पर करीब 90 किमी चलने के बाद दशरथ जी ने गाडी मुझे थमा दी थी। अम्बाला एक्सप्रेस वे पार करके हम जयपुर हाईवे पर आ गए थे। हम सीएनजी पंप देखते हुए चल रहे थे। रास्ते में दो तीन सीएनजी पंप पर सीएनजी नहीं मिली। गाडी पैट्रोल पर ही चल रही थी। इस होटल के नजदीक सीएनजी पंप था,लेकिन वहां लम्बी कतार लगी हई थी। हम आगे बढ गए,तभी ये होटल नजर आ गया. फिर यहां रुक गए। कल डायरी लिखते वक्त होटल का नाम ही ध्यान नहीं था।
आज संभवतया हमारी यात्रा का आखरी दिन है। हम मन्दसौर से करीब पांच सौ किमी दूर है। आजकल सारे एनएच सिक्स लेन हो चुके है और गाडियां बडी आसानी से तेज चलती है। हम शाम तक मन्दसौर पंहुच जाएंगे। इस यात्रा में हम अब तक करीब 2200 किमी का सफर कर चुके है। इस दौरान मणि महेश की दुर्गम यात्रा करने के साथ खज्जियार डलहोजी देख चुके है। फिर कठुआ जिले की हीरानगर बार्डर के जीरो पाइन्ट पर जाकर हमने पाकिस्तान की चौकियां,भारत की सीमा तैयारियों की जानकारी बडे विस्तार से ली। सारी व्यवस्थाओं को समझा। अब वापसी का सफर है,जो आज शाम तक पूरा हो जाएगा।
04 सितम्बर 2022 रविवार (दोपहर 12.00)
इ खबरटुडे कार्यालय रतलाम
कल सुबह जयपुर से चले थे। जिस हरिकृष्णा पैलेस होटल में रुके थे,वहीं नाश्ता किया। और वहां से करीब दस बजे निकले। होटल में नाश्ते के बाद मैने समापन का एक विडीयो बनाया। जिसमें सभी यात्रियों के और मेरे खुद के यात्रा के बारे में विचार रेकार्ड किए। लगातार करीब साढे तीन घण्टे चलने के बाद एक होटल पर रुक कर चाय पी।
फिर आगे बढे। करीब साढे तीन बजे एक देसी ढाबे में भोजन किया। वहां से आगे बढे। गाडी में चलते रहने के दौरान यात्रा का अंतिम हिसाब किया गया। इस यात्रा में प्रत्येक व्यक्ति पर करीब साढे बारह हजार रु. का खर्च आया था। अन्य यात्राओं की तुलना में यह काफी सस्ती यात्रा साबित हुई थी। हिमाचल प्रदेश में प्रवेश के बाद भोजन पर खर्च बेहद कम हुआ था। जगह जगह भण्डारे लगे हुए थे,इसलिए भोजन वहीं हो गया। मणिमहेश यात्रा में रुकने का खर्च भी बेहद कम था। पहाड की चढाई के दौरान सौ रु.प्रति व्यक्ति रुकने का खर्च था। जबकि दो तीन बार हम सरकारी रेस्ट हाउस में रुके थे। केवल हिमाचल जाने और वहां से आने के दौरान रास्ते में हमें होटल लेना पडे थे,जिनपर औसतन प्रतिव्यक्ति प्रतिरात का खर्चा करीब पांच सौ रुप.पडा था। गाडी भी जाते वक्त तो सीएनजी पर ही चली थी। लेकिन हिमाचल में प्रवेश के बाद और फिर वहा ंसे वापसी तक पैट्रोल का उपयोग हुआ था।
इस प्रकार यह बेहद सस्ती यात्रा थी। हम शाम करीब साढे छ: बजे मन्दसौर पंहुच गए। हमारे स्वागत के लिए रतलाम से संतोष त्रिपाठी एडवोकेट,सुभाष नायडू,किशोर सिलावट,सैलाना से अनिल मेहता और मनीष धभाई मनीष की गाडी से आए थे। मन्दसौर में सम्राट ने उसकी फैक्ट्री पर पार्टी का आयोजन किया था। वहां पंहुचते ही सारे मित्रों ने हार पहना कर हमारा स्वागत किया। फैक्ट्री पर सम्राट के दोनो पु्त्र पंकज और गज्जू,राजू राठोड,पंकज तिलक समेत कई लोग मौजूद थे। भोजन पानी के बाद रात करीब नौ बजे वहां से चले तो 11 बजे रतलाम पंहुचे। पहले हाईवेसे सीधे दशरथ जी को नगरा छोडा फिर इ खबर टुडे के आफिस पर पंहुचे। यहां आकर यात्रा का सम्पूर्ण समापन रात साढे ग्यारह बजे हुआ।
समाप्त.......।
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