कहते है कि किसी भी व्यक्ति को कम से कम अपनी सात पीढियों की जानकारी होना चाहिए। तभी उसे अपना और अपने परिवार का वास्तविक परिचय मिल पाता है। अगर देश के गैर हिन्दू खास तौर पर मुस्लिमों में यह परम्परा चालू हो जाए,तो अस्सी प्रतिशत से अधिक मुसलमान ये जान जाएंगे कि वे वास्तव में सनातनी थे और उनके पूर्वजों को मार मार के मुसलमान बनाया गया था। वे इस्लाम में स्वेच्छा से नहीं आए बल्कि उन्हे प्रताडित करके मौत का डर दिखा के मुसलमान बनाया गया था। आज के मुसलमानों को यह बात समझ में आ जाए,तो भारत की मुस्लिम समस्या समाप्त हो सकती है।
लेकिन वर्तमान समय में कई हिन्दू भी अपनी दो तीन पीढी तक की जानकारी ही रखते है। जबकि प्रत्येक हिन्दू को कम से कम अपनी सात पीढियों का पता होना चाहिए। मैैं तुषार कोठारी और हमारे कोठारी घराने के सदस्य भाग्यशाली है कि उनके पास अपनी पूरी वंशावली ना सिर्फ उपलब्ध है,बल्कि हमारे काका डा.रवीन्द्र कोठारी ने अत्यन्त परिश्रम करके कोठारी घराने का इतिहास भी लिख कर रखा है। कोठारी घराने का इतिहास मराठी भाषा में पुस्तक रुप में उपलब्ध है। काफी समय से इच्छा थी कि इसे डिजीटलाईज कर लिया जाए,ताकि ये लम्बे समय तक सुरक्षित रह सके। इसका मौका मई 2022 के अंतिम दिनों (30 मई 2022 ) में तब मिला जब मै और वैदेही यूथ होस्टल के कार्यक्रम में लोनावाला पंहुचे और उसके बाद हम पूणे गए। पूणे में रवि काका के घर पर जब उनसे और सौ काकी से भेट हुई तो मैने उनके पास उपलब्ध पुस्तक व अन्य ऐतिहासिक दस्तावेज देखने की इच्छा व्यक्त की। जब रवि काका ने "कोठारी घराणे" पुस्तक दिखाई तो मैने उसी समय मोबाइल से उसकी पीडीएफ कापी तैयार कर ली,ताकि उसे अपने ब्लाग पर संग्र्रहित किया जा सके। नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करके इसे पढा जा सकता है।
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