Tuesday, March 10, 2009
तिलक होली-परम्परा को नष्ट करने की कोशिश
इन दिनों एक समाचार पत्र द्वारा पानी बचाने के नाम पर होली नही खेलने और तिलक होली मनाने का अभियान चलाया जा रहा है। अख़बारों मे नाम छपाने को आतुर रहने वाले तथाकथित बुद्धिजीवी इस मे जोर शोर से शामिल हो रहे है.जरा उनसे पूछिये कि पुरे साल भर उन्हें पानी बचाने कि चिंता क्यो नही होती.एक अदभुत पर्व को पानी बचाने के नाम पर नष्ट करने का औचित्य क्या है। ऐसा अद्भुत पर्व जिस दिन लोग अपनी मान मर्यादा भूलकर,सारे भेदभाव भूलकर रंगों कि तरंगो में खो जाते है और अपनी सारी कुंठाए भूल जाते है उसे आधुनिकता के नाम पर मिटाने कि कोशिश और इसकी आड़ में विज्ञापन झटकने का खेल। वाह रे जल कि चिंता,कभी तालाबो बावडियो कुओ के लिए तो अभियान नही चलाया.एक दिन थोड़ा सा पानी बचाने के लिए सदियों पुराने रंग बिरंगे त्यौहार को ख़त्म करने का प्रयास क्या उचित है.पानी बचाने के लिए साल भर अभियान चलाना होगा और हर रोज पानी बचाना होगा। अपने तालाबो बावडियो और कुओ कि चिंता करना होगी होली बिगाड़ कर पानी नही बचेगा.तो आइये जोर शोर से होली खेले। सभी को होली कि शुभकामनये
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