Saturday, January 26, 2019

Mahabaleshwar Journey-3

वेण्णा लेक में बोटिंग और खालिस महाराष्ट्रीयन डिशेज का मजा

26 मई 2018 शनिवार खारघर (शाम 6.15)
आकाश का निवास,खारघर सेक्टर 15

हम सुबह महाबलेश्वर की वेण्णा लेक में बोटिंग कर रहे थे। इस वक्त खारघर लौट चुके है। आज सुबह थोडे आराम से उठे,तो नौ बजे कमरों से बाहर हुए। महाबलेश्वर की यात्रा पूरी हो चुकी थी। आज के दिन का उपयोग करना था। पहले सोचा कि माथेरान चलते है। लेकिन दूरी को देखते हुए तय किया कि रास्ते में खण्डाला रुक जाएंगे। सुबह कमरे छोड दिए। सामान गाडी में रख दिया। कमरों से निकले तो मुख्य बाजार के एक ठेले पर वडा पाव  चाय का डोज लिया। साढे नौ पर गाडी में सवार होकर वेण्णा लेक पंहुच गए। सुबह का वक्त कोई भीडभाड नहीं। बडे आराम से आधे घण्टे बोटिंग की और फिर चल पडे।

महाबलेश्वर,मुंबई बैंगलुरु हाईवे छोडने के स्थान से 42 किमी पहाडी रास्ते पर है। महाबलेश्वर आते समय,जैसे ही हाईवे छोडकर महाबलेश्वर के लिए मुडे,नुक्कड पर ही एक होटल नजर आया। यहां पंहुचे तो पता चला कि यहां खालिस महाराष्ट्रीयन डिशेज ही मिलती है। मजा आ गया। थालीपीठ खाए। महाराष्ट्रीयन थाली में ज्वार की भाकरी,भरवां बैंगन जैसे महाराष्ट्रीयन व्यंजनों का भोजन किया। तभी तय किया था कि लौटते समय फिर यहीं भोजन करेंगे।
जब खारघर से चले थे,ड्राइविंग प्रकाश ने की थी,इसी मोड से गाडी मुझे थमाई थी। पहाडी इलाके में पूरे समय ड्राइविंग मुझी को करना थी। महाबलेश्वर की भीडभाड में पहाडी रास्तों पर गाडी चलाना वैसे तो मेरे लिए कठिन नहीं था,लेकिन बार बार क्लच,ब्रेक और एक्सीलैटर का उपयोग करने से घुटनों में तकलीफ होती है। लेकिन मजबूरी थी।  तीन दिन तक तो यह तकलीफ मुझी को उठाना थी। महाबलेश्वर से निकले,तो पहाडी से उतरने तक गाडी मैं ही चलाता रहा। जैसे ही पहाडी रास्ता खत्म हुआ,मैने गाडी प्रकाश को थमा दी।
फिर से उसी मोड के अजिंक्य होटल में भोजन किया। अब ड्राइविंग सीट पर प्रकाश था और मैं बगल में। भोजन के बाद झपकियां आ रही थी। बार बार पलकें भारी हो रही थी।शानदार सिक्स लेन हाई वे। जल्दी ही हम पूणे पंहुच गए। यहां से मुंबई तो एक्सप्रेस हाईवे है। आठ लेन वाला हाईवे। यह  हाईवे पहाडों पर से भी गुजरता है। रास्ते में कई सुरंगे है,लेकिन ये भी सिक्स लेन। पहाडों पर भी सिक्स लेन रोड। हांलाकि मुंबई से पूणे तक जाने के लिए 280 रु. टोल टैक्स देना पडता है। लेकिन यह दूरी महज सवा डेढ घण्टे में पूरी हो जाती है।
हमने खण्डाला रुकने की योजना बनाई थी। हाइवे छोडकर लोनावाला के लिए मुडे। सोचा था कि एक रात यहीं रुकेंगे। लोनावाला से खण्डाला मात्र 6 किमी है। लोनावाला पार कर खण्डाला की तरफ बढे। खण्डाला का फारेस्ट रेस्ट हाउस नजर आया। वहां रुकने की कोशिश की लेकिन रेस्ट हाउस बुक था।  फिर पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस देखा। यहां भी जगह नहीं थी। रास्ते में अपने लायक कोई होटल नजर नहीं आया और पांच दस मिनट में ही हम फिर से एक्सप्रेस हाईवे पर आ गए। यह तय हो गया कि अब सीधे खारघर आकाश के घर ही जाएंगे। करीब एक घण्टे में ही हम आकाश के घर पंहुच गए।  अब हम ठण्डक से गर्मी में चिपचिपाहट भरे माहौल में आ गए है। कल यानी 27 की शाम की ट्रैन है। कल शाम तक का यही ठिकाना है।




























28 मई 2018 रविवार
रतलाम

26 की शाम से लेकर 27 की शाम तक हम खारघर में आकाश के घर ही रहे। इस दौरान टीवी देखने और सोने के अलावा और कोई काम नहीं था। हमारी ट्रेन 27 की शाम साढे सात की थी,लेकिन हम खारघर से दोपहर करीब पौने चार ही निकल पडे थे। स्टेशन जाने के लिए हमने औला कैब का सहारा लिया और करीब पांच बजे हम मुंबई सेन्ट्रल रेलवे स्टेशन पर पंहुच गए थे। ट्रेन के आने में अभी वक्त था। ये ढाई घण्टे बच्चों व महिलाओं ने एसी वेटिंग हाल में गुजारे और हम यानी मै और प्रकाश बाहर के होटलों में घूम कर आ गए। हमारे रिजर्वेशन कन्फर्म थे। ट्रेन में ही भोजन करके बडे आराम से सोए। सुबह हम रतलाम पंहुच चुके थे।
इति...।

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