Sunday, August 4, 2019

बद्रीनाथ वसुधारा यात्रा -1

यात्रा वृत्तान्त-31 / बद्रीनाथ चरण पादुका और वसुधारा का ट्रैक

(5 जून 2019 से 13 जून 2019)
यह यात्रा चिंतन की छुट्टियों के कारण तय की गई थी। आमतौर पर जून की छुट्टियों में उत्तराखंड जाना ठीक नहीं होता,लेकिन गर्मियों में जाने लायक और कोई जगह भी नहीं मिल रही थी। अभिभाषक मित्र प्रकाश राव पंवार का भी जबर्दस्त आग्रह था कि एक यात्रा  परिवार के साथ करना ही है। तय हुआ कि इस बार उत्तराखंड में बद्रीनाथ के रास्ते पर जाकर हेमकुंड साहिब की यात्रा  की जाए। यही तय करके निकले थे,लेकिन उत्तराखंड में यात्रियों की भारी भीड के कारण यह संभव नहीं हो पाया और आखिरकार हम बद्रीनाथ धाम पर इस बार चरण  पादुका और वसुधारा की यात्रा  करके वापस लौट आये।


6 जून 2019 (गुरुवार) सुबह 10.35
हरिद्वार एक्सप्रेस (कोच  बी-टू)

हमारी ट्रेन दिल्ली के पास पंहुच चुकी है। इस पारिवारिक यात्रा  में मेरे साथ वैदेही,चिंतन एडवोकेट साथी प्रकाश राव पंवार,उनकी श्रीमती जी,बेटियां प्रकृति और संस्कृति और भतीजा मौसम हम आठ लोग,बर्फ से ढंके श्री हेमकुंड साहिब और बद्रीनाथ के दर्शनों के लिए निकले हैं। यह यात्रा बीती रात 5 जून को रात 11.00 बजे रतलाम रेलवे स्टेशन से प्रारंभ हुई थी। पिछली भूटान यात्रा के 4 महीने 21 दिन बाद यह यात्रा  शुरु हुई है।
यात्रा की योजना दो महीने पहले बन गई थी। चुनाव नतीजों के बाद निकलने के लिए रिजर्वेशन करवाए थे। वापसी के सारे टिकट कन्फर्म हो गए थे लेकिन जाने के सारे टिकट वेटिंग में ही थे। सीनीयर डीसीएम सुनील मीणा जी से काफी दिन पहले मैने कहा था कि वे मेरे टिकट कन्फर्म करवाएं। रतलाम से वीआईपी कोटा केवल दो बर्थ का है। हमारे टिकट सात थे। बाद में मौसम भी जुड गया। इस तरह हम आठ हो गए। सुनील मीणा  जी ने पूरी मदद की और हमारे छ: टिकट कन्फर्म हो गए।
ट्रेन में हमारे साथ पत्रकार  साथी सुशील और उनकी श्रीमती रचना खरे भी है। उनके साथ एक और बन्दा भी है,जो स्लीपर में है। ये लोग बद्रीनाथ और केदारनाथ जाएंगे। हरिद्वार से उन्होने गाडी बुक की है। हमारा साथ हरिद्वार तक ही रहेगा।
उत्तराखंड में मै इससे पहले पांच बार और जा चुका हूं। सबसे पहले यमुनौतरी की यात्रा  की थी। फिर चार धाम की पारिवारिक यात्रा। एक बार कैलास यात्रा  के दौरान कुमाऊं मंडल की यात्रा। ये मेरी छठी यात्रा  है।
लेकिन जून के महीने में ये मेरी पहली यात्रा  है। इससे पहले जब भी गए,तब उत्तराखंड में भीडभाड वाला सीजन नहीं था। होटलें सस्ती और खाली मिला करती थी।  लेकिन इस सीजन में वहां भारी भीड है। बडी मुश्किल से हरिद्वार में होटल बुक हुआ।  आगे जोशीमठ और बद्रीनाथ में तो आनलाईन बुकींग मिल ही नहीं रही है। हम आठ लोगों के लिए इनोवा जरुरी है,लेकिन इस वक्त इसके रेट साढे पांच हजार रु.प्रतिदिन है। पांच दिनों में से दो या तीन दिन तो हमें हेमकुंड साहिब जाने आने में लगेंगे,यानी गाडी खडी रहेगी और हम कम से कम ग्यारह हजार रु. खडी गाडी के लिए देंगे। यह हमें जमा नहीं। इसलिए गाडी भी तय नहीं की है। हरिद्वार पंहुच कर ही देखेंगे कि क्या होता है? संभव हुआ तो हम बस से निकल पडेंगे। गाडी अभी दिल्ली में ही चल रही है। हरिद्वार पंहुचने का समय चार बजे है। देखते है गाडी कब पंहुचती है?
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