Friday, March 31, 2023

रतलाम अयोध्या यात्रा-3 / 34 सीढिया चढ़ कर होंगे रामलला के दर्शन


  15 जनवरी 2022 रविवार (दोपहर 2.30)
जानकी महल अयोध्या

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इस वक्त जानकी महल के मंच पर गुरुदेव नर्मदानन्द जी की राश्ट्र गौरव पदयात्रा का समापन समारोह अमृत मंथन का कार्यक्रम चल रहा है। आज सुबह से जबर्दस्त ठण्ड है और मंच के सामने लगी कुर्सियों पर बैठने से ठिठुरन हो रही है। इधर बगल में अलाव जल रहा है और मैैं अलाव की गर्मी से खुद को गर्म कर रहा हूं।


आज की सुबह बडे आराम से आठ बजे के करीब सौ कर उठा था। मेरे उठने तक घोटीकर जी स्नान निपटा कर तैयार हो चुके थे। मंचीय कार्यक्रम की व्यवस्था रात को ही तैयार कर ली थी। इस वक्त ज्यादा तनाव नहीं था। सिर्फ मीडीया वालों से बात करना थी और कार्यक्रम की प्रेस रिलीज तैयार करना थी।


स्नान के बाद पोहे जलेबी का नाश्ता करके तैयार हुआ और मीडीया वालो से सम्पर्क करने की कोशिश की। एक मीडीया वाले से बात भी हुई,लेकिन उसने कई खास भाव नहीं दिया। मैने सोचा समझदारी इसी में है कि कार्यक्रम के साथ साथ खबर बनाता चलू ताकि कार्यक्रम निपटते ही मैैं भी जल्दी फ्री हो जाऊं। कापी,कल जानकी घाट जाते वक्त खरीद ली थी और यात्रा वृत्तान्त लिखना भी शुरु कर दिया था। उसी कापी में न्यूज फार्मेट बनाकार खबर बनाना शुरु कर दिया।


कार्यक्रम निर्धारित समय पर प्रारंभ कर दिया गया। मंच पर पांच महामण्डलेश्वर,एक आचार्य महामण्डलेश्वर और कुल मिलाकर 8-9 संत मौजूद थे। चम्पतराय जी,अयोध्या के सांसद लल्लू सिंह,विधायक,महापौर के आने की बात थी,लेकिन कार्यक्रम की शुरुआत पर इनमें से कोई मौजूद नहीं था।


16 जनवरी 2023 (शाम 5.30)
कोच न. ए-2 साबरमती एक्सप्रेस नागदा जंक्शन


इस वक्त हमारी ट्रैन नागदा जंक्शन पर आ चुकी है और अगले 30-35 मिनट या पौन घण्टे में हम रतलाम पंहुच जाएंगे। कल जहां डायरी छोडी थी,उसके बाद इतना समय ही नहीं मिला कि डायरी लिख सकूं। कल दोपहर ढाई बजे अयोध्या के जानकी महल में डायरी लिख रहा था।


कहानी वहीं से शुरु करता हूं जहां छोडी थी। 


अलाव की गर्मी में डायरी लिख रहा था,तभी मोहन जी मुरलीवाला ने इशारा किया तो मैैं लिखना छोड कर उठा। चम्पत राय जी आने वाले ते। मैैं मोहन जी के साथ मुख्य द्वार पर खडा हो गया। कुछ ही देर में चम्पत राय जी अपने सहायक धर्मवीर के साथ आ पंहुचे। उनकी अगवानी की और उन्हे मंच पर ले गए। उस वक्त मंच पर एक महामण्डलेश्वर जी का भाषण चल रहा था। उनका भाषण समाप्त होने के बाद चम्पत राय जी का भाषण शुरु हुआ. उन्होने अपने भाषण में कहा कि यात्राएं जोडने का काम करती है। उन्होने आदि शंकराचार्य और गुरु नानकदेव जी की यात्राओं के उदाहरण दिए। इसके बाद उन्होने श्री रामजन्म भूमि के लिए चले संघर्ष की संक्षेप में जानकारी दी। उन्होने बताया कि करीब पांच सौ साल तक इसके लिए साधुओं ने संघर्ष किया। आखरी संघर्ष 1924 में हुआ। फिर 1949 में तीन साधुओं ने योजनाबद्ध तरीके से यहां श्री राम जी की मूर्ति स्थापित कर दी। इसके बाद अदालती मुकदमा चलता रहा। फिर आरएसएस और विहिप इससे जुडे और 1984 में भगवान श्री राम को इसका पक्षकार बनाया गया। उन्होने बताया कि भगवान की मूर्ति जीवित व्यक्ति होती है और उसके स्थान पर कोई कब्जा नहीं कर सकता। इसी तथ्य के आधार पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया।


चम्पत राय जी ने इसके बाद मन्दिर निर्माण की प्रक्रिया की विस्तार से जानकारी दी। उन्होने बताया कि कई वैज्ञानिक शोधों से ज्ञात हुआ कि श्री राम जन्म भूमि स्थल पर नींव खुदाई करके भवन नहीं बनाया जा सकता। क्योकि नीचे ठोस पत्थर नहीं है,बल्कि बालू ही बालू है। इसके बाद वैज्ञानिक शोधों के आधार पर सरयू के तल की गहराई यानी करीब 16 मीटर तक खुदाई कर वहां से सीमेन्ट कांक्रीट का भराव किया गया। एक-एक फीट की 54 परतें बनाई गई है,जिसके उपर मन्दिर निर्माण किया जा रहा है। नींव भराई के बाद पत्थर की कुर्सी बनाई गई है,जो कि करीब 21 फीट ऊंची होगी। इसके उपर मन्दिर निर्माण प्रारंभ किया गया है। पूरे निर्माण में अब तक किसी धातु लोहे आदि का कोई उपयोग नहीं किया गया है।तीन मंजिला मन्दिर बनेगा। प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट होगी। 392 स्तंभ होंगे। भगवान की मूर्ति तक जाने के लिए 34 सीढियां चढनी पडेगी।


चम्पत राय जी का भाषण सुना। इसके बाद निर्वाण पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी विशोकानन्द भारती जी का सम्बोधन हुआ। अब साढे ती हो गए थे। मुझे लगा कि कार्यक्रम लम्बा खींच सकता है। स्वामी जी श्रोताओं को कीर्तन करवा रहे थे। तब मैैं उपर अपने कमरे में पंहुच गया। बैग पूरी तरह पैक कर लिया। करीब तीस मिनट स्वामी जी का भाषण चला। फिर आभार प्रदर्शन और कार्यक्रम समाप्त। कार्यक्रम समाप्ति के पांच मिनट बाद मेरा समाचार भी तैयार था। मैने तुरंत अपने लिखे हुए कागजों की पीडीएफ बनाई और तुरंत प्रदीप जी और वहां के एक पत्रकार को भेज दी जिन्हे इस कार्यक्रम के प्रचार की जिम्मेदारी दी गई थी।


अब चार बज चुके थे। भक्तों का भोजन बगल के भवन में हो रहा था,लेकिन संतो का भोजन यहीं हो रहा था। हमने भी यहीं भोजन कर लिया। पोलायकलां के पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष मुकेश चौधरी भी हमारे साथ ही जाने वाले थे। यहां की भोजन व्यवस्था उन्होने सम्हाल रखी थी। उन्हे फोन किया। कुछ ही देर में वे भी आ गए। पांच बजे इ रिक्शा लेकर हम निकल पडे और कुछ ही मिनटों में हम अयोध्या रेलवे स्टेशन पर पंहुच गए। हमारी ट्रेन करीब 45 मिनट लेट थी। हमारे पास अभी डेढ घण्टा था। मैैं अपनी व्यवस्था के लिए इ रिक्शा लेकर फैजाबाद जो अब अयोध्या केन्ट कहलाता है,वहां गया और व्यवस्था जुटा कर स्टेशन पर आ गया।


शाम 7.30 पर ट्रैन आई। हमारी व्यवस्था चाक चौबन्द थी। टीसी से हमने टिकट भी चैक करवा लिए। कोई दिक्कत नहीं आई। रात करीब साढे ग्यारह पर सोए तो सुबह साढे दस पर मेरी नीन्द खुली। फ्रैश होते करते बारह बज गए। फिर भोजन किया। मुकेश चौधरी जी बैरागढ में ही उतर गए। उनका फोन भी आ गया कि वे पोलाय पंहुच गए है। अब ट्रैन खाचरौद से निकल चुकी है और कुछ ही देर बाद हम इस संक्षिप्त यात्रा को पूरा कर रतलाम में होंगे।

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