14 जनवरी 2022 शनिवार (रात 8.10)
जानकी महल अयोध्या
एक बार फिर अयोध्या में। इस समय अयोध्या में आए हुए 15 घण्टे गुजर चुके है। अयोध्या की ये यात्रा बिलकुल अचानक हुई। वैसे तो कई महीनों पहले इसी समय इसी कार्यक्रम में अयोध्या आने का कार्यक्रम तय था,लेकिन जैसे जैसे अयोध्या यात्रा की तारीख नजदीक आई,यहां आने का मन कम होता गया था और आखिर में यहां आने की योजना पूरी तरह रद्द हो गई थी। लेकिन फिर बिलकुल अंतिम समय पर यहां आना तय हुआ। भगवान श्री राम का बुलावा था,इसलिए आना ही पडा। तो इस यात्रा पर मैैं और राजेश घोटीकर साथ आए हैैं।
कार्यक्रम संत श्री नर्मदानन्द जी की राष्ट्र गौरव यात्रा के समापन का था। नर्मदानन्द जी ने 1 नवंबर को श्री नगर से अयोध्या के लिए राष्ट्र गौरव पद यात्रा प्रारंभ की थी। तभी समापन का कार्यक्रम भी तय हुआ था और यहां आने की योजना बनने लगी थी।
संत श्रीनर्मदानन्द जी की यात्राश्रीनगर से शुरु हुई थी और 75 दिनों के बाद 15 जनवरी को अयोध्या में समापन समारोह तय हुआ था। जनवरी के शुरुआती दिनों में ही धीरे धीरे सारे मित्र ना करते गए और आखिर में मैने भी मन बदल लिया था। हांलाकि बीच में एक बार गुरुदेव का फोन भी आया था कि तुम्हे समापन पर आना ही है,लेकिन कोई साथ नहीं था,इसलिए मेरी भी मन बदल गया था।
कहानी में बदलाव 12 जनवरी को तब आया,जब मैैं मोहन मुरलीवाला जी द्वारा बाजनखेडा में रखे गए विवेकानन्द जयन्ती के कार्यक्रम में शामिल होने चला गया। इस कार्यक्रम में मा. प्रदीप जी पाण्डेय और अशोक जी पाटीदार दोनो ही अतिथि थे। ये तीनों ही गुरुदेव की यात्रा के आधार स्तंभ है। कार्यक्रम के बाद अशोक जी ने मुझसे कहा कि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है,इसलिए उनके रिजर्वेशन पर मैैं अयोध्या चला जाउं। फिर रतलाम में प्रदीप जी आफिस पर आए तो उन्होने भी जोर डाला कि मुझे अयोध्या चलना ही चाहिए। अशोक जी से सेकण्ड एसी में तीन रिजर्वेशम करवाए थे। उसमें से अशोक जी और उनका साथी मनीष सुरेका अयोध्या नहीं जाना चाहते थे। अशोक जी ने मुझसे कहा कि आप किसी साथी को भी साथ ले जाओ। फिर मैने राजेश घोटीकर जी को अयोध्या चलने की प्रस्ताव दिया। राजेश जी ने हां कह दिया।. उधर प्रदीप जी का ट्रेन से आना अनिश्चित था। वे प्लेन से आना चाहते थे,लेकिन बाद में उन्होने भी ट्रेन से ही आने का फैसला किया। इस तरह 12 जनवरी की रात को तय हुआ कि सुबह 5 बजे साबरमती एक्सप्रेस में सवार होना है। समस्या दूसरे नाम पर सफर करने की थी। इसका एक हल हमने यह निकाला कि अयोध्या के दो जनरल टिकट भी ले लिए।
अयोध्या जाने की फैसला पक्का होने के बाद सुबह जल्दी उठने की बात थी। पहले सोचा कि जल्दी सोएंगे। लेकिन रात को ध्यान आया कि भगवा शाल का शर्ट सिलने दिया है। टेलर यासीर से बात हुई तो उसने कहा कि अगर आपको सुबह जाना है तो रात को चाहे 12 बज जाए शर्ट तैयार करके ही दुंगा। शर्ट रात को बारह बजे ही तैयार हुआ। इस तरह सोते सोते साढे बारह हो गए।
तय किया था कि सुबह मुंह पर पानी की छींटे मारकर चल देना है। सुबह आशु घोटीकर ने कार से हमें स्टेशन छोडा और हम ट्रैन में सवार हो गए। मोहन जी भी साथ ही थे। उज्जैन तक बातें होती रही। उज्जैन में प्रदीप जी आ गए। फिर कुछ देर बातें होती रही और मैैं उपर बर्थ पर सोने चला गया। करीब साढे ग्यारह तक सौता रहा।
इस ट्रैन से रतलाम के कई लोग अयोध्या जा रहे थे। निर्मल जी कटारिया सपरिवार थे। एक करण वशिष्ट था,जो कि भाजपा सोशल मीडीया का जिला संयोजक है। वह भी ट्रैन में साथ था। इसके अलावा निर्मल जी के साथ ट्रेन में कई अन्य लोग,आसपास के गांवों के लोग,कुछ गुजरात के लोग इस तरह कई सारे लोग अयोध्या जा रहे थे।
बहरहाल पूरे 24 घण्टे का सफर था। हम सुबह पांच बजे ट्रेन में चढे थे और अगली सुबह पांच बजे ही अयोध्या पंहुचने वाले थे।
दिन भर कई सारे विषयों पर चर्चाएं होती रही? कार्यक्रम की भी बातें हो रही थी और देश दुनिया के विषय भी निकल रहे थे। संगठन सत्ता और व्यक्तियों पर चर्चाएं होती रही। जैसे तैसे दिन कटा। रात करीब ग्यारह बजे सोने का समय हुआ। ट्रेन का सफर सोते जागते चलता रहा। कभी नींद आई,कभी नहीं आई। किसी तरह सुबह का समय आया। अब हम अयोध्या पंहुचने वाले थे। सुबह साढे पांच बजे ट्रेन अयोध्या पंहुच गई और हम स्टेशन के बाहर निकले। कुल मिलाकर 19-20 लोग साथ हो गए थे। तीन इ रिक्शा पकड कर कार्यक्रम स्थल जानकी महल पंहुच गए।
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