Sunday, April 8, 2018

Tripura Mizoram Journey-2

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अगरतला की धरती पर,उज्जयंता पैलेस में


1मार्च 2018 गुरुवार (रात 10.00)

सर्किट हाउस अगरतला (त्रिपुरा)

त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में,यहां सर्किट हाउस के कमरा न.7 में इस वक्त डायरी से जुडने का मौका मिला है। सर्किट हाउस में हमारे पास दो रुम है। रुम न.1 में,इससे ठीक नीचे संतोष जी और दशरथ जी हैं।
हम यानी मै और अनिल यहां पहली मंजिल पर कमरा न.7 में रुके है। अभी कुछ देर पहले भोजन किया है। भोजन के बाद मैं और अनिल बाहर सडक़ पर करीब 1 किमी टहल कर आए हैं। कल सुबह सात बजे निकलना है। टैक्सी तय कर ली है। फिलहाल सोने की तैयारी है। सोने से पहले,कल से लेकर अभी तक का हाल लिख रहा हूं। कहानी वहीं से शुरु करता हूं जहां छोडी थी।

कल यानी 28 फरवरी की दोपहर को भोजन के बाद सब सोने लगे। मैने भी कोशिश की। एकाध घण्टा पडा रहा। अकाध झपकी भी आई,लेकिन गहरी नींद नहीं आई। करीब पौने तीन बजे बिस्तर से उठ गया। करने को कोई काम नहीं था,सोचा शेविंग कर लेता हूं। शेविंग की। फिर टीवी पर फिल्म देखने लगा। थोडी देर बाद अनिल भी उठ गया। मैने सोचा,स्नान  भी कर लिया जाए। मन में इच्छा थी कि कम से कम लालकिला तो देख लिया जाए,लेकिन सभी साथी सौ रहे थे। करीब चार सवा चार तक सब लोग उठ गए। मै स्नान कर चुका था। कमरे से निकलते निकलते पौने पांच हो चुके थे। अब लालकिला देखना संभव नहीं था। फिर भी चांदनीचौक जाने का मन
बनाया। डेढ सौ रु.में एक आटो तय करके चारों लोग चांदनीचौक पंहुचे। लालकिला सामने ही है। सूर्यास्त के समय प्रवेश बन्द हो जाता है। बाहर ही कुछ फोटो लिए। विडीयो भी बनाए। फिर चांदनी चौक में घूमते रहे। चाय पी। संतोष जी को बेल्ट खरीदना था। दशरथ जी ने भी एक बेल्ट खरीद लिया। लौटते समय बडी मशक्कत करके पहाडगंज की एक बस पकडी।
आज का दिन सुबह से ही परेशान करने वाला  साबित हुआ। जहां उतर जाना था,वहां उतरे नहीं।  गलतफहमी में करीब दो किमी आगे पंहुच गए। अब पैदल पैदल चल कर होटल तक पंहुचना था। पैर जवाब देने लगे थे। रास्ता भटक चुके थे। एक जगह हम बिछुड भी गए। मैं और अनिल अलग रास्ते पर चल पडे। दशरथ जी और संतोष जी अलग रास्ते पर। हम पहले होटल पंहुच गए। कुछ ही मिनटों में दशरथ जी और संतोष जी भी आ गए। लेकिन इस दौरान संतोष जी का मोबाइल गायब हो चुका था। इस झटके को बर्दाश्त करने के सिवाय और कोई चारा भी नहीं था।
रात करीब साढे नौ बजे तक भोजन से निवऋत्त हो गए। कल सुबह पौने आठ बजे की फ्लाईट है। रिपोर्टिंग टाईम साज बजकर दस मिनट का है। आज की चोट का असर है कि कल साढे छ: तक या उससे भी पहले एयरपोर्ट पंहुच जाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए सुबह पांच बजे होटल छोड देने का निर्णय किया है।
मेरी नींद सुबह पौने चार बजे खुल गई। मेरे पीछे पीछे अनिल भी उठ गया। सुबह पांच दस पर कमरे से निकल गए। बाहर मुख्य सडक़ पर आटो वाले ने सुझाव दिया कि नई दिल्ली मैट्रो स्टेशन की बजाय शिवाजी स्टेडियम मैट्रो स्टेशन पंहुचना ज्यादा आसान है। डेढ सौ रु.में उसने हमें शिवाजी स्टेडियम मैट्रो स्टेशन पर छोड दिया।
मैट्रो स्टेशन की बगल में पैट्रोल पंप पर चौबीसों घण्टे चाय नाश्ते की सुविधा है। अभी साढे पांच हो रहे थे। मैट्रो छ: बजे चलना शुरु होती है। पैट्रोल पंप पर ाजकर चाय पी। नाश्ते के लिए संतोष जी के घर से आए पपडी,शक्कर पारे का उपयोग किया। करीब पौने छ: बजे मैट्रो स्टेशन पंहुचे। चैकिंग के दौरान सुरक्षाकर्मियों ने सुटकेस में रखा पंच निकलवा लिया। मैने कहा कि ये लक्ष्मी जी का यंत्र है,लेकिन वे नहीं माने। विवाद करने का समय नहीं था। पंच जब्त कर लिया गया। मैट्रो में सवार होकर 6.05 पर एयरोसिटी स्टेशन पर उतरे। यहां से बस में सवार होकर साढे छ: बजे टी-1 डी पर भी पंहुच गए। भीतर जाते जाते पौने सात हो गए।
चैक इन टाइम सात दस का था,लेकिन हम छाछ के जले हुए थे। दूध भी फूंक फूंक कर पीना था। बोर्डिंग पास आटोमैटिक मशीन से निकाले। हमारे बैग्स काउण्टर पर जमा किए और फ्लाईट में सवार होने के लिए पंहुच गए।
हम फ्लाईट में सवार हो चुके थे। अब कोई खतरा नहीं था। दिल्ली एयरपोर्ट किसी सरकारी बस स्टैण्ड जैसा हो चुका है। भीड भाड वाला। हमारा विमान दस बजे कोलकाता पंहुचा। अगली फ्लाईट 11.35 की थी। लेकिन चैक इन टाइम 10.40 का था। सुबह जल्दी उठने की वजह से पेट साफ नहीं हो पाया था। कोलकाता एयरपोर्ट पर मैने और दशरथ जी ने बाकी का काम निपटाया। टिकट पर हमारी फ्लाईट के लिए गेट न.25 दर्ज था। हम गेट न.25 पर जाकर बैठ गए। अभी 11.10 हो चुके थे,लेकिन इस गेट पर कोई हलचल नहीं थी। मैं इण्डिगो कर्मचारियों को ढूंढने निकला,तो पता चला कि हमारी फ्लाईट जाने को तैयार खडी थी लेकिन गेट न.25 से नहीं बल्कि 24 से। मैने जैसे ही कर्मचारी को बोर्डिंग पास दिखाया,वह बोला आप क्या कर रहे हो। जल्दी चलो। मैने तुरंत बाकी सभी को बुलाया। हम विमान में सवार हो गए। मात्र चालीस मिनट की उडान थी। विमान पन्द्रह मिनट की देरी से उडा,लेकिन ठीक साढे बारह पर हम अगरतला एयरपोर्ट पर थे।
लगेज आता है,तब तक मैं कुछ कर लूं। यह सोच कर मैने अगरतला के प्रोटोकाल आफिसर को फोन किया। यहां कमरे बुक करने के लिए मेरी चर्चा पहले ही हो चुकी थी। हमने एयरपोर्ट से आटो किया और स्टेट गेस्ट हाउस सोनार तारी पंहुच गए। चुनाव के पर्यवेक्षक भी हमारी फ्लाईट से ही वहां ंपुहचे थे। वे भी वहीं पंहुचे। स्टेट गेस्ट हाउस में प्रोटोकाल आफिसर शंकर देव से मुलाकात हुई तो उन्होने बताया कि हमारी बुकींग तो सर्किट हाउस में की गई है। हमारा आटो जा चुका था। स्टेट गेस्ट हाउस मुख्य सडक़ से करीब आधा किमी दूर एक उंची सी टेकरी पर बना हुआ है। नीचे मुख्य सडक़ तक हमें पैदल ही जाना था। नीचे सडक़ पर पंहुच कर दो आटो पकडे और यहां रविन्द्र कानन उद्यान के सामने स्थित सर्किट हाउस में पंहुचे।
अभी दोपहर के दो बजे थे। आधा दिन हमारे पास था। आते ही स्नान और शेविंग के काम निपटाए। स्नान के बाद कल का बचा हुआ भोजन निपटाया। अब बारी थी अगरतला घूमने की। आटो पकड कर सीधे उज्जयंता पैलेस पंहुचे। यह पैलेस त्रिपुरा के राजा वीर विक्रम देव का है। पहले यह राजा का निवास था। बाद में यहां त्रिपुरा विधानसभा लगा करती थी। अब यहां राज्य का संग्रहालय बना दिया गया है। संग्रहालय में उत्तर पूर्वी राज्यों का विभिन्न जन जातियों का विस्तार से प्रदर्शन किया गया है।
म्यूजियम और पैलेस देखकर निकले तो सोचा कि अगले दो-तीन दिनों की यात्रा की व्यवस्था कर ली जाए। इसी दौरान जोधपुर से आईबी के मित्र पृथ्वीराज खिंची का फोन आ गया। खिची सा. ने बताया कि त्रिपुरा में अगरतला में उनके एक मित्र आईबी के एसपी है। आईबी के एसपी योगेश दीक्षित जी से बात भी हो गई। एसपी सा. से मैने कहा कि हम गाडी करने की फिराक में है ताकि त्रिपुरा घूम सकें।  उन्होने कहा कि थोडी देर में उनका एक कर्मचारी फोन करके सारी व्यवस्था करवा देगा। इधर हम बाजार घूम कर बस स्टैण्ड पंहुच गए। यहां दशरथ जी और संतोष जी ने त्रिपुरा घूमने के लिए एक टैक्सी से बात करली। उधर आईबी एसपी का कहना था कि उनका आदमी टैक्सी करवा देगा।
बहरहाल,इधर दशरथ जी ने एक आल्टो वाले से बात कर ली थी। एसपी सा. के आदमी की व्यवस्था हमें कुछ महंगी लग रही थी। आखिरकार हमने वही टैक्सी तय की,जिससे दशरथ जी ने बात की थी। इसका प्रतिदिन का किराया सात सौ रु. और सात रु.प्रति किमी था,जबकि एसपी सा. वाली गाडी बारह सौ रु. किराया और बारह रु.किमी के रेट की थी। आखिरकार हमने बीएल डे नामक ड्राइवर की   मारुति इको गाडी से घूमने का फैसला कर लिया। कल सुबह सात बजे हमें घूमने के लिए निकलना है।

02 मार्च 2018 शुक्रवार (सुबह 6.05)

अगरतला सर्किट हाउस

आज हमने उदयपुर और छबिमोडा (छबिमुरा) जाने की योजना बनाई है। टैक्सी वाला सात बजे आएगा। मैं नित्यकर्म से निवृत्त हो चुका हूं। सिर्फ स्नान बाकी है। अनिल स्नानगृह में ही है।
आज होली का दिन है। कल शहर में घूमने और बातचीत के दौरान पता लगा था कि यहां भी होली जोरशोर से खेली जाती है। आज सारे बाजार बन्द रहेंगे। कल मतगणना का दिन है। लोगोंको परिणाम के बाद हिंसा गडबडी होने का डर है। कई लोगों ने हमें बताया कि यदि भाजपा जीत गई तो सीपीएम वाले विवाद खडे करेंगे। हमें भी कल बाहर नहीं जाने की सलाह दी जा रही है। देखते है क्या होता है..? फिलहाल तो त्रिपुरा की होली देखते है।


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