Thursday, January 24, 2019

Sri Sailam Mallikarjun Journey-1




यात्रा वृत्तान्त-29/ घनघोर वन में स्थित श्री शैलम मल्लिकार्जुन के दर्शन


द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक श्री शैलम मल्लिकार्जुन के दर्शनों का योग गंगौत्री गौमुख यात्रा के मात्र अठारह
दिनों के बाद ही बन गया। 15 सितम्बर की मध्यरात्रि को मैं गंगौत्री गौमुख यात्रा से लौटा था। केवल अठारह दिनों के बाद 3 अक्टूबर को रतलाम से हैदराबाद होते हुए श्री शैलम की यात्रा प्रारंभ हो गई। इस यात्रा की योजना गंगौत्री यात्रा करने से पहले ही बन चुकी थी और टिकट आदि भी पहले ही बुक करवाए जा चुके थे। यह एक पारिवारिक यात्रा थी,जो वायुमार्ग से की गई। इस यात्रा में मेरे साथ आई दादा वैदेही और प्रतिमा भी थे।


पहली हवाई यात्रा...
03 अक्टूबर 2018 बुधवार (शाम 6.20)
जेट एयरवेज(इन्दौर-हैदराबाद फ्लाईट)


इन्दौर से हैदराबाद के बीच चलने वाली जेट एयरवेज की नियमित उडान के विमान में इस वक्त खिडकियों के बाहर सिर्फ बादल नजर आ रहे हैं। कहीं कहीं सूरज की किरणें भी चमक रही है। इस वक्त विमान के परिचारक,नाश्ते का वितरण कर रहे हैं। जैसे ही नाश्ता मेरे पास आएगा,मैं डायरी बन्द करके नाश्ता करुंगा और तब डायरी लिखूंगा।

अब मैं नाश्ता कर चुका हूं। प्लेन में नाश्ते में हमें जैन बर्गर खाने को मिला था। वैसे वेज खाना खाने वालों के लिए सैण्डविच थी,लेकिन वह खत्म हो गई थी। फ्रूट भी थे,लेकिन हमने जैन बर्गर लेना पसन्द किया। फीका फीका सा बर्गर था,लेकिन ठीक है,कुछ तो मिला।
यह आई दादा की पहली हवाई यात्रा है। यात्रा की योजना बनाते समय जब वायुयान से जाने का सुझाव मैने दिया तो आई ने साफ इंकार कर दिया था। इंकार की वजह एयरपोर्ट पर उपर नीचे जाने के लिए एस्केलेटर लगे होना था। आई का कहना था कि वे एस्केलेटर पर नहीं चल सकते,उन्हे डर लगता है। मैने समझाया कि वहां लिफ्ट भी होती है। तब कहीं जाकर वो राजी हुई।
बहरहाल,इस बार की यह यात्रा पूरी तरह पारिवारिक है। सौ.आई,दादा,प्रतिमा ताई,वैदेही और मै। यात्रा की योजना तो गौमुख यात्रा से भी पहले ही बन गई थी। दादा का दबाव था कि हैदराबाद जाना है। विनय का घर भी देख लेंगे और श्री शैलम मल्लिकार्जुन के दर्शन भी कर लेंगे। अक्टूबर में जाने का आइडिया मैने ही दिया था,ताकि गौमुख यात्रा पहले कर लूं। गौमुख यात्रा से पहले ही फ्लाईट के टिकट भी बुक कर लिए थे। तब कुल आठ टिकट बुक किए थे। नारायण और आरती वहिनी की यात्रा अंतिम समय में रद्द हो गई,क्योंकि आरती वहिनी का स्वास्थ्य खराब हो गया। इसी तरह सुषमा ताई का स्वास्थ्य भी खराब हो गया था। अब हम पांच ही बचे थे।
गौमुख यात्रा से मैं 15 सितम्बर की रात को रतलाम लौटा था। यात्रा से लौटने के बाद इस यात्रा की अन्य तैयारियां शुरु हुई। पहले तो श्री शैलम देवस्थान में कमरे बुक करवाए। विनय के घर के पास रुकना था,लेकिन बाद में पंकज के घर पर रुकना तय हुआ।  विनय हैदराबाद में है तो पंकज सिकन्दराबाद में। विनय को कहीं बाहर भी जाना था,लेकिन आज ही पता चला कि उसका कार्यक्रम रद्द हो गया है और वह हैदराबाद में ही है।
आज यात्रा प्रारंभ करना थी,लेकिन एक समस्या अब भी बाकी रह गई थी। प्रतिमा ताई की छुट्टियां स्वीकृत नहीं हुई थी। आज दोपहर साढे बारह बजे घर से निकलने की योजना बनाई थी।

रात 12.15
पंकज का निवास सिकन्दराबाद
 

शाम को प्लेन में डायरी लिख रहा था,लेकिन जैसे ही पायलट ने घोषणा की,कि हम हैदराबाद पंहुच गए है,सीट बेल्ट बान्ध लीजिए,डायरी को वहीं रोक दिया था। तब से अब तक समय नहीं मिल पाया। खैर बात वहीं से शुरु करता हूं।
दोपहर साढे बारह बजे घर से निकलने की योजना थी। ग्यारह बजे मैं भोजन करके आफिस पंहुच गया। लामा जी के आफिस में चाय पी। करीब साढे ग्यारह बजे कोर्ट से फोन आ गया। कोर्ट में दशरथ जी,संतोष जी और प्रकाश के साथ चाय पी। इस बीच प्रतिमा ताई से बात हुई। उसकी छुट्टी अब भी स्वीकृत नहीं हुई थी। मैं साढे बारह पर घर आ गया। सारी तैयारी हो चुकी थी। आई तैयार हो रही थी। तब तक मैं गाडी में डीजल डलवाकर और हवा चैक करवा कर आ गया। तब तक मलय भी दादा को लेकर आ गया। एक बज गया था। प्रतिमा ताई से बात हुई। उसकी छुट्टी स्वीकृत हो गई थी।  मैने कहा हम आफिस से ही उसे ले लेंगे। लेकिन फिर उसे इ खबर के आफिस पर बुलवा लिया। ठीक 1.15 पर हम आफिस से निकल गए। 2.30 पर नागदा से आगे मनासा मिडवे पर रुक कर चाय पी। यहीं बचपन में साथ पढा हुआ,कक्षा चौथी का मित्र संदेश चौरडिया मिल गया। उससे मिलकर आगे बढे। ठीक पौने चार बजे हम इन्दौर के देवी अहिल्या बाई होलकर एयरपोर्ट पर पंहुच गए थे। आई दादा व सभी को उतारकर मैं गाडी पार्क करने के लिए बाबा मौर्य के घर पंहुचा। गाडी यहीं रखना थी। गाडी वहां रखकर मैं साढे चार बजे वापस लौटा। हमने एयरपोर्ट पर चैक इन किया। सुरक्षा जांच में दादा का बैग रोक लिया गया। वे कहने के बावजूद शेविंग किट में कैंची व ब्लेड लेकर आ गए थे। कैंची व ब्लैड निकालने के बाद बैग वापस मिला। हम प्लेन में सवार हुए। फ्लाइट डेढ घण्टे की थी,लेकिन मात्र 55 मिनट में हमने हैदराबाद लैण्ड कर लिया।
एयरपोर्ट से औला कैब करके पंकज के घर के लिए चले। विनय का फोन आ गया था। वह भी पंकज के घर पंहुच रहा था। रात को ठीक सवा नौ बजे हम पंकज के घर पंहुच गए। हैदराबाद के एयरपोर्ट से पंकज के घर की दूरी 40 कीमि है। डेढ हजार रु.में टैक्सी मिली।
यहां पंहुचे तो विनय और पंकज सडक़ पर ही खडे थे। पंकज का फ्लैट चौथी मंजिल पर है। उपर आए। बातचीत होने लगी। रात करीब साढे दस बजे भोजन किया। फिर बातचीत का दौर चला। अब डायरी के साथ हूं। सोने का समय हो गया है। सुबह आठ बजे श्री शैलम के लिए रवाना होना है।

(अगला भाग पढने के लिए यहां क्लिक करें)


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