Thursday, January 24, 2019

Sri Sailam Mallikarjun Journey-4

मल्लिकार्जुन स्वामी के बाद रामोजी फिल्म सिटी में एक दिन


06 अक्टूबर 2018/ शनिवार सुबह 7.15
होटल मेघा सिटी/हैदराबाद


रात को काफी देर हो गई थी,इसलिए डायरी जल्दी से बन्द कर दी थी। इस चक्कर में कई सारी बातें छूट गई थी।
 कल जब श्री शैलम से चले तो बस में हमें पीछे की सीटें मिली थी। इस बार बस लगभग भरी हुई थी। यह दो एक वाली छोटी एसी  बस थी। इस बार बस में विडीयो पर हैदराबादी दक्षिणी फिल्मे चल रही थी। हम केवल दृश्य देखकर फिल्म को समझने की कोशिश कर सकते थे। भाषा हमारी समझ में आना नहीं थी।

खैर फिल्म देखते देखते और उंघते आंघते चलते रहे। इस दौरान बाहर बारिश होने लगी। बस ने करीब ढाई घण्टे में पहाडी रास्ता पार किया और उसी होटल पर रुकी,जहां जाते समय रुकी थी।
 इस दौरान मैं रतलाम की खबरें लेता रहा। कोर्ट के स्टे आर्डर के बावजूद उमेश मिश्रा ने काम बंद नहीं किया था। मैने विवेक को फोटो लेने भेजा था। जब वह फोटो लेने गया,तो उसके साथ मारपीट का प्रयास किया गया। मैने दशरथ जी को वहां जाने को कहा। दशरथ जी वहां पंहुचे।फिर वहां विवाद की स्थिति बनी। कमलेश ने इस बात की जानकारी एसपी को दे दी। मैने भी एसपी से बात कर ली। रास्ते भर यही सबकुछ चलता रहा।
हमारी बस भी चलती रही। ड्राइवर ने कहा था कि हम आठ बजे तक इमलीबन बसस्टाप पंहुच जाएंगे। हम करीब 8.10 पर इमलीबन बसस्टाप पर पंहुच कर उतरे। हमें लेने के लिए विनय वहां आया हुआ था। लेकिन बस से उतरने के बाद करीब आधा घण्टा हम लोग एक दूसरे को ढूंढते रहे। फिर आखिरकार हमारी मुलाकात हुई। इसी चक्कर में उसके घर पंहुचते पंहुचते रात के सवा नौ बज गए।
विनय का घर शहर के बीचो बीच बशीरबाग इलाके के एक अपार्टमेन्ट में है। हमारा होटल उसके अपार्टमेन्ट से लगा हुआ ही है। उसके घर भोजन इत्यादि से निपट कर हम करीब साढे ग्यारह बजे निकले और होटल पंहुचे। कुछ देर बाद विनय को बिदा किया। सोने की कोशिश करने लगे। मुझे तो नींद आ गई,लेकिन कमरे के बाहर कुछ ठोकापीटी चल रही थी,जिससे वैदेही सो नहीं पा रही थी। फिर उसने रिसेप्शन पर फोन लगाया। रात दो बजे हमारा कमरा बदला गया। इस नए कमरे में आकर रात सवा दो बजे सोये।
आज की सुबह छ: बजे उठ गए. नींद ठीक से हो नहीं पाई है,लेकिन आज के दिन का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करना है। इसलिए देर तक सौ नहीं सकते।  बहरहाल आज सुबह आठ बजे तक विनय के घर पंहुचना है और नौ बजे वाली बस पकड कर रामोजी फिल्म सिटी जाने का इरादा है।

7 अक्टूबर 2018/रात 12.40
पंकज का घर सिकन्दराबाद

आज या कहिए कल की सुबह,जो तय किया था,उससे आधे घण्टे की देरी हो गई थी। हम आठ की बजाय साढे आठ बजे होटल से विनय के घर पंहुचे। वहां नाश्ता चाय करने में पौने दस बज गए,जब हम रामोजी फिल्म सिटी के लिए निकले। विनय मुझे और वैदेही को कार से लेकर निकला। उसका अंदाजा जहां था,वह स्थान टूरिज्म की बस के निकलने का था। टूरिज्म वालों की बस साढे आठ पर निकल चुकी थी। पूछते पाछते हम कोटी से आगे वुमंस कालेज बस स्टाप पर पंहुचे। जहां से साढे दस बजे हमें रामोजी फिल्म सिटी के लिए सीधी बस मिल गई। इस बस ने मात्र एक घण्टे में साढे ग्यारह पर हमें रामोजी फिल्म सिटी छोड दिया।
 रामोजी फिल्म सिटी पूरे दिन भर का प्रोजेक्ट है,जिसमें दो ढाई घण्टे के चार शो और ढाई से तीन घण्टे की साईट सीइंग शामिल है।आप चाहे तो यहां कई घण्टे या कई दिन भी गुजार सकते है। इसका विस्तार बाद में लिखूंगा।
 फिल्म सिटी देखकर शाम सवा पांच बजे फ्री हुए। बस ढूंढने वाले थे,तभी एक आटो वाला आया और बडी हुज्जत के बाद साढे तीन सौ रुपए में घर छोडने को राजी हुआ। आधे रास्ते में उसका गियर वायर टूट गया। उसने दूसरा आटो किया जो पता नहीं किन किन रास्तों से गुजरता हुआ शाम साढे सात बजे बशीर बाग,स्काय लाइन थियेटर विनय के घर पंहुचा। अब बाजार जाने का समय नहीं बचा था। विनय के घर पंहुच कर चाय पी। पता चला कि सभी को रात को पंकज के घर सिकन्दराबाद पंहुचना है,क्योंकि आज पंकज का जन्मदिन था। आई के आग्रह पर विनय आई दादा और ताई को लेकर कार से जा रहा था। आई ने संगीता भाभी को भी चलने को कहा। वह भी साथ आई। मैं और वैदेही आटो से जाने वाले थे। ये लोग रवाना हुए। हम होटल पंहुचे,चैक आउट किया। ओला कैब की मदद से आटो बुलवाया और रात करीब नौ बजे पंकज के घर पंहुचे।
आज पंकज का जन्मदिन था। इसलिए सब का भोजन वहीं हुआ। फिर पंकज को तिलक लगाकर आरती उतारकर उसका जन्मदिन मनाया। मैं और विनय सबके लिए पान लेकर आए। पान खाकर पंकज की दोनों बालिकाओं की जिद पर पत्ते खेलने बैठे,तो रात के साढे बारह बज गए। सुबह हमें आठ,सवा आठ बजे निकलना होगा। सुबह सवा आठ के लिए ओला कैब बुक की है। इस वक्त रात के एक बज चुके है। सोना है और सुबह पांच बजे उठना पडेगा,क्योंकि सात बजे तक स्नान करके तैयार होना है।

समापन (9 दिसम्बर 2018)/इ खबरटुडे आफिस
हैदराबाद से लौटकर कई दिन गुजर चुके है। रतलाम लौटने के बाद व्यस्तताएं इतनी अधिक रही कि पिछली गौमुख यात्रा को ही आनलाईन नहीं किया जा सका था। अब तक केवल क्म्यूटर पर टाइप ही हो सकी है। आज ही डायरी देखी तो पता चला कि इस यात्रा का समापन नहीं हो सका है। फौरन कलम उठाई औव लिखने लगा......।
हैदराबाद में पंकज के घर पर सुबह ठीक समय पर उबर कैब आ गई। करीब चालीस मिनट की यात्रा के बाद हम सही समय पर हैदराबाद के एयरपोर्ट पर पंहुच गए थे। हैदराबाद से इन्दौर की उडान करीब ढाई घण्टे की थी। रास्ते में नाश्ता भी दिया गया।
हम दोपहर करीब डेढ बजे इन्दौर में थे। इन्दौर के देवी अहिल्या एयरपोर्ट से बाहर निकले। मैं,कार लेने के लिए बाबा मौर्य के घर पंहुचा। वहां खडी कार को साफ किया। कार पर धूल की मोटी परत जम चुकी थी। धूल साफ करके गाडी स्टार्ट की,एयरपोर्ट पंहुचा। सभी को गाडी में बैठाया। हम इन्दौर से चले। सातरुण्डा पार कर के साईं ढाबे पर भोजन किया और शाम करीब साढे पांच बजे हम रतलाम पंहुच गए।
इति।

(अगला भाग पढने के लिए यहां क्लिक करें)

No comments:

Post a Comment

अयोध्या-3 /रामलला की अद्भुत श्रृंगार आरती

(प्रारम्भ से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे )  12 मार्च 2024 मंगलवार (रात्रि 9.45)  साबरमती एक्सप्रेस कोच न. ए-2-43   अयोध्या की यात्रा अब समाप्...