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रेलवे के हिसाब से तारीख बदल चुकी है,इसलिए उपर 12 जून की तारीख लिखी है। वरना हमारे लिए तो अभी 11 जून की रात डेढ बजे का ही वक्त है।
तो आज की सुबह,बद्रीनाथ की जीएमवीएन रेस्ट हाउस में सुबह साढे चार बजे सौकर उठा,फ्रैश हुआ। ठीक छ: बजे मैं और प्रकाश राव बस स्टैंड के लिए निकल पडे। बाकी सब लोगों को ठीक साढे छ: बजे तक पूरी तरह तैयार होने के निर्देश देकर। हम बसस्टैंड पंहुचे,तो पहले हमें इंतजार करने को कहा गया। हम चाय पीने चले गए। खारी और बिस्कुट खाकर चाय पी। फिर से बुकींग आफिस गए।
बडी जद्दोजहद के बाद साढे सात वाली बस में पीछे की पांच पुश बैक और तीन सीटे बिलकुल पीछे वाली मिल पाई। हम साढे सात बजे बस पर पंहुच गए। बस आठ बजे बद्रीनाथ से चली। मेरा अंदाजा बारह घंटों के सफर का था,लेकिन यह गलत साबित हुआ। बस वाले ने ग्यारह बजे नाश्ते के लिए एक जगह बस रोकी। करीब सवा दो बजे नगरासू में दोपहर के भोजन के लिए बस रोकी गई। मैने सब को कहा कि आज मौका है तो लंगर चखते है। नगरासू में बडा गुरुद्वारा है और हेमकुंड साहेब जाने वालों के लिए यहां लंगर की व्यवस्था है। हम सभी लोग लंगर में पंहुच गए। लंगर चखा,तो वैदेही को बडी जोर से खांसी उठने लगी। वहीं गुरुद्वारे में खांसी की निशुल्क दवा मिल गई। इसी दौरान में मैने हरिद्वार रेलवे स्टेशन के पास पन्द्रह सौ के रेट में तीन एसी कमरे होटल में बुक कर लिए। हमारा पुराना ड्राइवर सुभाष लगातार फोन कर रहा था। फिर उसे बताया कि कमरे बुक हो गए है। उसने कहा कि वह रात को मुलाकात करेगा।
बस चली। घुमावदार रास्तों पर जगह जगह फोरलेन का काम चल रहा है। टूटी फूटी सडक़ें,धूल और धूप। प्रकाश की छोटी बिटिया को बुखार आने लगा था। उसे दवा दी। मेरा अंदाजा था कि हम नौ बजे तक ऋषिकेश पंहुच जाएंगे। ऋषिकेश अभी तीस किमी दूर था,कि ड्राइवर ने पोने आठ बजे ब्यासी में चाय पीने के लिए गाडी रोक दी। चाय पीकर आगे बढे तो मैने ड्राइवर से कहा कि हमे सीधे हरिद्वार जाना है। तभी पता लगा कि बस के सारे पैसेंजर हरिद्वार ही जाने वाले है। ड्राइवर काफी देर तर ना नुकुर करता रहा फिर हरिद्वार जाने के राजी हुआ।
ऋषिकेश तो हम ठीक नौ बजे पंहुच गए,मुझे लगा था कि ड्राइवर बिना शहर में घुसे सीधे हरिद्वार चल देगा,लेकिन उसे उपरी कमाई करना थी। वह गाडी को भीतर बसस्टैंड रोड पर लेकर आया। आधा घंटा वहां जाम में खराब हो गया। ऋषिकेश बसस्टैंड पर उसे और सवारिया मिल गई। उ्हे बैठाने में उसने एक घंटा और बिगाडा। साढे दस पर हरिद्वार के लिए चले,तो रास्ते के जाम ने हमें 11.10 पर हरिद्वार बसस्टैंड पंहुचाया। बसस्टैंड से मुहमांगे दाम देकर हम दो आटो से होटल पंहुचे। इसी दौरान सुभाष के भी फोन आते रहे। हम जैसे ही होटल पर पंहुचे सुभाष भी होटल पर पंहुच गया। सारे लोग बुरी तरह थके हुए और भूखे थे। होटल का रेस्टोरेंट बंद हो चुका था। होटल वाले ने कहा कि बाहर रेस्टोरेन्ट खुले हैं,वहां भोजन मिल जाएगा। मैं सुभाष की गाडी से रेस्टोरेंट देखने निकला। होटल तो कई सारे खुले हुए थे,लेकिन हमारे थके हुए लोग इतनी दूर जाने में सक्षम नहीं थे। मैने भोजन पैक करवाकर होटल ले जाने का मन बनाया और स्टेशन के सामने के एक होटल पर आर्डर दिया। जेब में पैसे भी नहीं थे। सुभाष के साथ काफी दूर जाकर एक एटीएम से रुपए निकाले। भोजन लिया और होटल लौटा। भोजन करते कराते रात की एक बज गई। अब सोने का वक्त। कल वापसी का सफर शुरु होगा।
12 जून 2019 बुधवार (शाम 4.30)
सन होटल,तुलसी चौक हरिद्वार
अब वापसी का वक्त। दो घंटे के बाद हम हरिद्वार बलसाड ट्रेन में सवार हो जाएंगे।
आज की सुबह बडी देर से हुई। सब लोग बहद थके हुए थे। सुबह नौ बजे मेरी आंख खुली। रिसेप्शन पर पता किया तो मालूम हुआ कि यहां ब्रेकफास्ट कांप्लिमेंट्री है। इसका समय साढे दस तक था। मैने सबको उठाया। मुझे उममीद अच्छे नाश्ते की थी,लेकिन यहां सिर्फ सब्जी पुडी का नाश्ता था। इसके बाद चाय। नाश्ता करने के बाद गंगा स्नान के लिए जाना था। यहां से बिलकुल नजदीक गणेश घाट है। इस घाट पर बिलकुल भी भीड नहीं थी,वरना आज गंगा दशहरा होने की वजह से हर की पौडी जैसे प्रमुख घाटों पर पैर धरने की भी जगह नहीं थी। गंगा स्नान करके लौटने में साढे ग्यारह बज गए। आईजी गुंजियाल सा. से देहरादून जाकर मुलाकात करना अब संभव नहीं था। गाडी से जाने में भी कम से कम दो घंटे लगना थे। शाम को ट्रेन पकडना थी। आई जी सा. से बात हुई तो मैने कहा कि किसी बंदे को भेज दीजिए। उनका गिफट पैक उन्हे देना था।
स्नान करके लौटे। अब हर कोई आराम करना चाहता था। हमने तीन में से दो कमरे खाली कर दिए थे,लेकिन एक कमरा रख लिया था। सभी आराम करने लगे। दोपहर करीब दो बजे होटल के ही रेस्टोरेन्ट में हल्का भोजन किया। भोजन के बाद मैं सुभाष की दुकान देखने पंहुच गया। वहां जाकर चाय पी। करीब चार बजे वहां से लौटा। अब यहां से निकलने की तैयारी है।
समापन 13 जून 2019 गुरुवार,रतलाम
होटल से एक आटो बुक करके हम ट्रेन के रवाना होने से करीब डेढ घंटा पहले स्टेशन पर पंहुच गए। सभी के रिजर्वेशन कन्फर्म थे। ट्रेन प्लेटपार्म पर लग चुकी थी। सभी को ट्रेन में छोड कर मैं और प्रकाशराव भोजन पैक कराने के लिए बाहर निकले। हमें अपनी व्यवस्थाएं भी जुटानी थी। बाहर निकल कर सामने एक होटल में आर्डर दिया और अपना काम निपटाकर वापस लौटे। ट्रेन की रवानगी के पन्द्रह मिनट पहले हम ट्रेन पर पंहुच गए। निर्धारित समय पर ट्रेन हरिद्वार से चल दी। ट्रेन में रतलाम के पत्रकार साथी सुशील खरे सपत्नीक मौजूद थे। बाद में अभिभाषक किशोर मंडोरा जी भी मिल गए। वे भी सपरिवार यात्रा से लौट रहे थे। चर्चाएं होती रही। फिर रात का सफर सोते जागते कटा और सुबह पौने ग्यारह बजे हमारी ट्रेन रतलाम पंहुच गई।
समाप्त....
पूरा दिन बस का सफर और आख़िरकार गंगा स्नान
12 जून 2019 बुधवार (प्रात: 1.30)रेलवे के हिसाब से तारीख बदल चुकी है,इसलिए उपर 12 जून की तारीख लिखी है। वरना हमारे लिए तो अभी 11 जून की रात डेढ बजे का ही वक्त है।
तो आज की सुबह,बद्रीनाथ की जीएमवीएन रेस्ट हाउस में सुबह साढे चार बजे सौकर उठा,फ्रैश हुआ। ठीक छ: बजे मैं और प्रकाश राव बस स्टैंड के लिए निकल पडे। बाकी सब लोगों को ठीक साढे छ: बजे तक पूरी तरह तैयार होने के निर्देश देकर। हम बसस्टैंड पंहुचे,तो पहले हमें इंतजार करने को कहा गया। हम चाय पीने चले गए। खारी और बिस्कुट खाकर चाय पी। फिर से बुकींग आफिस गए।
बडी जद्दोजहद के बाद साढे सात वाली बस में पीछे की पांच पुश बैक और तीन सीटे बिलकुल पीछे वाली मिल पाई। हम साढे सात बजे बस पर पंहुच गए। बस आठ बजे बद्रीनाथ से चली। मेरा अंदाजा बारह घंटों के सफर का था,लेकिन यह गलत साबित हुआ। बस वाले ने ग्यारह बजे नाश्ते के लिए एक जगह बस रोकी। करीब सवा दो बजे नगरासू में दोपहर के भोजन के लिए बस रोकी गई। मैने सब को कहा कि आज मौका है तो लंगर चखते है। नगरासू में बडा गुरुद्वारा है और हेमकुंड साहेब जाने वालों के लिए यहां लंगर की व्यवस्था है। हम सभी लोग लंगर में पंहुच गए। लंगर चखा,तो वैदेही को बडी जोर से खांसी उठने लगी। वहीं गुरुद्वारे में खांसी की निशुल्क दवा मिल गई। इसी दौरान में मैने हरिद्वार रेलवे स्टेशन के पास पन्द्रह सौ के रेट में तीन एसी कमरे होटल में बुक कर लिए। हमारा पुराना ड्राइवर सुभाष लगातार फोन कर रहा था। फिर उसे बताया कि कमरे बुक हो गए है। उसने कहा कि वह रात को मुलाकात करेगा।
बस चली। घुमावदार रास्तों पर जगह जगह फोरलेन का काम चल रहा है। टूटी फूटी सडक़ें,धूल और धूप। प्रकाश की छोटी बिटिया को बुखार आने लगा था। उसे दवा दी। मेरा अंदाजा था कि हम नौ बजे तक ऋषिकेश पंहुच जाएंगे। ऋषिकेश अभी तीस किमी दूर था,कि ड्राइवर ने पोने आठ बजे ब्यासी में चाय पीने के लिए गाडी रोक दी। चाय पीकर आगे बढे तो मैने ड्राइवर से कहा कि हमे सीधे हरिद्वार जाना है। तभी पता लगा कि बस के सारे पैसेंजर हरिद्वार ही जाने वाले है। ड्राइवर काफी देर तर ना नुकुर करता रहा फिर हरिद्वार जाने के राजी हुआ।
ऋषिकेश तो हम ठीक नौ बजे पंहुच गए,मुझे लगा था कि ड्राइवर बिना शहर में घुसे सीधे हरिद्वार चल देगा,लेकिन उसे उपरी कमाई करना थी। वह गाडी को भीतर बसस्टैंड रोड पर लेकर आया। आधा घंटा वहां जाम में खराब हो गया। ऋषिकेश बसस्टैंड पर उसे और सवारिया मिल गई। उ्हे बैठाने में उसने एक घंटा और बिगाडा। साढे दस पर हरिद्वार के लिए चले,तो रास्ते के जाम ने हमें 11.10 पर हरिद्वार बसस्टैंड पंहुचाया। बसस्टैंड से मुहमांगे दाम देकर हम दो आटो से होटल पंहुचे। इसी दौरान सुभाष के भी फोन आते रहे। हम जैसे ही होटल पर पंहुचे सुभाष भी होटल पर पंहुच गया। सारे लोग बुरी तरह थके हुए और भूखे थे। होटल का रेस्टोरेंट बंद हो चुका था। होटल वाले ने कहा कि बाहर रेस्टोरेन्ट खुले हैं,वहां भोजन मिल जाएगा। मैं सुभाष की गाडी से रेस्टोरेंट देखने निकला। होटल तो कई सारे खुले हुए थे,लेकिन हमारे थके हुए लोग इतनी दूर जाने में सक्षम नहीं थे। मैने भोजन पैक करवाकर होटल ले जाने का मन बनाया और स्टेशन के सामने के एक होटल पर आर्डर दिया। जेब में पैसे भी नहीं थे। सुभाष के साथ काफी दूर जाकर एक एटीएम से रुपए निकाले। भोजन लिया और होटल लौटा। भोजन करते कराते रात की एक बज गई। अब सोने का वक्त। कल वापसी का सफर शुरु होगा।
12 जून 2019 बुधवार (शाम 4.30)
सन होटल,तुलसी चौक हरिद्वार
अब वापसी का वक्त। दो घंटे के बाद हम हरिद्वार बलसाड ट्रेन में सवार हो जाएंगे।
आज की सुबह बडी देर से हुई। सब लोग बहद थके हुए थे। सुबह नौ बजे मेरी आंख खुली। रिसेप्शन पर पता किया तो मालूम हुआ कि यहां ब्रेकफास्ट कांप्लिमेंट्री है। इसका समय साढे दस तक था। मैने सबको उठाया। मुझे उममीद अच्छे नाश्ते की थी,लेकिन यहां सिर्फ सब्जी पुडी का नाश्ता था। इसके बाद चाय। नाश्ता करने के बाद गंगा स्नान के लिए जाना था। यहां से बिलकुल नजदीक गणेश घाट है। इस घाट पर बिलकुल भी भीड नहीं थी,वरना आज गंगा दशहरा होने की वजह से हर की पौडी जैसे प्रमुख घाटों पर पैर धरने की भी जगह नहीं थी। गंगा स्नान करके लौटने में साढे ग्यारह बज गए। आईजी गुंजियाल सा. से देहरादून जाकर मुलाकात करना अब संभव नहीं था। गाडी से जाने में भी कम से कम दो घंटे लगना थे। शाम को ट्रेन पकडना थी। आई जी सा. से बात हुई तो मैने कहा कि किसी बंदे को भेज दीजिए। उनका गिफट पैक उन्हे देना था।
स्नान करके लौटे। अब हर कोई आराम करना चाहता था। हमने तीन में से दो कमरे खाली कर दिए थे,लेकिन एक कमरा रख लिया था। सभी आराम करने लगे। दोपहर करीब दो बजे होटल के ही रेस्टोरेन्ट में हल्का भोजन किया। भोजन के बाद मैं सुभाष की दुकान देखने पंहुच गया। वहां जाकर चाय पी। करीब चार बजे वहां से लौटा। अब यहां से निकलने की तैयारी है।
समापन 13 जून 2019 गुरुवार,रतलाम
होटल से एक आटो बुक करके हम ट्रेन के रवाना होने से करीब डेढ घंटा पहले स्टेशन पर पंहुच गए। सभी के रिजर्वेशन कन्फर्म थे। ट्रेन प्लेटपार्म पर लग चुकी थी। सभी को ट्रेन में छोड कर मैं और प्रकाशराव भोजन पैक कराने के लिए बाहर निकले। हमें अपनी व्यवस्थाएं भी जुटानी थी। बाहर निकल कर सामने एक होटल में आर्डर दिया और अपना काम निपटाकर वापस लौटे। ट्रेन की रवानगी के पन्द्रह मिनट पहले हम ट्रेन पर पंहुच गए। निर्धारित समय पर ट्रेन हरिद्वार से चल दी। ट्रेन में रतलाम के पत्रकार साथी सुशील खरे सपत्नीक मौजूद थे। बाद में अभिभाषक किशोर मंडोरा जी भी मिल गए। वे भी सपरिवार यात्रा से लौट रहे थे। चर्चाएं होती रही। फिर रात का सफर सोते जागते कटा और सुबह पौने ग्यारह बजे हमारी ट्रेन रतलाम पंहुच गई।
समाप्त....
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