यात्रा वृत्तान्त-33 / गोवा के टूटे फूटे किले और दूधसागर झरना
(8 नवंबर 2019 से 17 नवंबर 2019)
श्री शांतादुर्गा मन्दिर कवळे फोन्डा (गोवा)
देश के लिए ऐतिहासिक दिन। सैंकडों सालों तक चले संघर्ष के बाद आज सुप्रीम कोर्ट ने रामजन्मभूमि के मामले में मन्दिर बनाने का आदेश प्रदान कर दिया। किसी को उम्मीद नहीं थी कि सुप्रीम कोर्ट आज ही फैसला सुना देगा। मुझे बहुत बुरा लग रहा था कि इस फैसले के वक्त में ट्रैन में यात्रा कर रहा था।
पिछली लद्दाख कश्मीर यात्रा से 14 सितंबर 2019 की रात को रतलाम लौटा था। इसके 53 दिन बाद 8 नवंबर यानी कल ही हम मरुसागर एक्सप्रेस में शाम साढे पांच बजे सवार हुए थे। इस यात्रा की योजना तो लद्दाख जाने से भी पहले बन गई थी। यहां गोवा में कोठारी सम्मेलन आयजित किया गया है। मैने इसमें आने की सहमति पहले ही दे दी थी।
कल किशोर कुमावत अपनी कार से हमें लेने घर आ गया था। मैं,वैदेही,नलु अत्या और सुभाष काका हम चारों स्टेशन के लिए निकले थे। सुभाष काका का रिजर्वेशन स्लीपर में था,जबकि हम तीनों का एसी थ्री में। एसी थ्री में भी हम तीनों की बर्थ अलग कोच में थी। नलु अत्या का रिजर्वेशन बी-3 में था,जबकि मेरा और वैदेही का बी-1 में। ट्रेन चलने के बाद सोने के लिए मैं बी-3 में चला गया और बी-1 में नलु अत्या और वैदेही रह गए। ट्रेन चली। रात करीब साढे आठ बजे विवेक ने फोन पर बताया कि जन्मभूमि का फैसला कल ही आने वाला है। इसी खबर भी जारी हो गई है। जैसे ही कल फैसला होने की खबर मुझे मिली,मैं बेहद परेशान हो गया। ऐसे वक्त पर तो मैं रतलाम में ही रहना पसन्द करता,लेकिन अब कोई चारा नहीं था। मैने रतलाम में विवेक और अन्य मित्रों से कहा कि वे मुझे कल लगातार अपटेड करते रहें।
फैसले की उत्सुकता में ही रात को सोया। सुबह जल्दी सात बजे उठ गया और करीब साढे आठ तक फ्रैश होकर,शेविंग,दंतमंजन कर पूरी तरह से फैसला जानने के लिए तैयार हो गया। पेन्ट्री कार के वेन्डर से मसाला डोसा मंगवा कर नाश्ता किया। अब दस बजने को थे। ट्रेन अब कोंकण इलाके में चल रही थी। लगातार टनल्स आ रहे थे और टनल्स में नेटवर्क गायब हो जा रहा था। मोबाइल में टीवी न्यूज चला रहा था,जो बार बार अटक रही थी। मोबाइल टीवी से तो नहीं,लेकिन मित्रों के फोन काल से पता चल गया कि फैसला,राम जन्म भूमि के पक्ष में आ चुका है। लगातार बधाईयों के फोन आने लगे। कभी बात होती,कभी काल कट जाती। अब बारह बजने को थे। फैसला आ चुका था।
इसी बीच विकास दादा से बात हुई। उसने कहा कि मडगांव के पहले करमली स्टेशन से शांतादुर्गा नजदीक पडता है। करमली में ट्रेन का स्टापेज नहीं है,लेकिन उम्मीद थी कि ट्रेन यहां रुकेगी। हुआ भी यही। ट्रेन रुक गई और हम करमली में उतर गए। सुभाष काका को भी यही उतरने को कहा था,लेकिन वे नहीं उतरे। हम लोग डेढ बजे करमली में उतरे थे। करीब दो बजे टैक्सी को सात सौ रु.चुका कर हम श्री शांतादुर्गा मन्दिर पंहुच गए। यहां आकर कमरा लिया और कमरे में आए। इस वक्त ढाई बज रहे थे। चाय पीना थी। मन्दिर के केन्टीन में इस वक्त चाय नहीं थी। यह भी बताया गया कि भोजन तीन बजे तक ही मिलेगा। हम चाय पीने मन्दिर के बाहर गए। चाय पीकर लौटे। मैने स्नान किया। इस समय तीन बज गए थे। मैं फौरन केन्टीन में पंहुचा। भोजन का आर्डर दिया और पूछा कि दो लोग पन्द्रह मिनट में आ जाएंगे,तो क्या उन्हे भोजन मिल जाएगा? केन्टीन वाले ने जब हां में जवाब दिया,तो फौरन नलु अत्या को फोन लगाया। उन्हे कहा कि जल्दी आ जाओ। मेरा भोजन अभी आधा ही हुआ था कि वैदेही और अत्या भी आ गए।
भोजन करके निपटे तो मिलने जुलने का काम शुरु हुआ। जबलपुर से सुषमा ताई और रामचन्द्र जियाजी आए हुए थे। उनसे मिले,फिर कुमुद काकी से मिले। सम्मेलन में आए अन्य कोठारियों से मुलाकात हुई। बांसवाडा का एक कोठारी परिवार तो उसी ट्रेन में हमारे साथ ही यहां आया था।
चार बजे नलु अत्या ने मंगेश और महालक्ष्मी के दर्शन के लिए चलने को कहा। हम तीनो निकले। मन्दिर के बाहर ही साढे चार सौ रु. में एक टैक्सी पकड कर दर्शनों के लिए निकले। मंगेश महादेव यहां से करीब दस कीमि दूर है। पहले वहां गए। दर्शन किए। लौटते समय महालक्ष्मी के दर्शन किए और शाम छ: बजे यहां लौट आए।
इस वक्त नलु अत्या और वैदेही साडियां देखने गए है और मैं कमरे में मोबाइल टीवी पर न्यूज चैनल लगाकर डायरी लिख रहा हूं।
कोठारी सम्मेलन कल से शुरु होगा। कल सभी लोग अरावली जाएंगे। अरावली वैंगुर्ला जिले में वह स्थान है जहां से कोठारी परिवार प्रारंभ हुआ। बाकी इतिहास कल पता चलेगा।
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(8 नवंबर 2019 से 17 नवंबर 2019)
ट्रेन के डिब्बे में राम मंदिर का ऐतिहासिक फैसला
9 नवंबर 2019 शनिवार (शाम 6.00)श्री शांतादुर्गा मन्दिर कवळे फोन्डा (गोवा)
देश के लिए ऐतिहासिक दिन। सैंकडों सालों तक चले संघर्ष के बाद आज सुप्रीम कोर्ट ने रामजन्मभूमि के मामले में मन्दिर बनाने का आदेश प्रदान कर दिया। किसी को उम्मीद नहीं थी कि सुप्रीम कोर्ट आज ही फैसला सुना देगा। मुझे बहुत बुरा लग रहा था कि इस फैसले के वक्त में ट्रैन में यात्रा कर रहा था।
पिछली लद्दाख कश्मीर यात्रा से 14 सितंबर 2019 की रात को रतलाम लौटा था। इसके 53 दिन बाद 8 नवंबर यानी कल ही हम मरुसागर एक्सप्रेस में शाम साढे पांच बजे सवार हुए थे। इस यात्रा की योजना तो लद्दाख जाने से भी पहले बन गई थी। यहां गोवा में कोठारी सम्मेलन आयजित किया गया है। मैने इसमें आने की सहमति पहले ही दे दी थी।
कल किशोर कुमावत अपनी कार से हमें लेने घर आ गया था। मैं,वैदेही,नलु अत्या और सुभाष काका हम चारों स्टेशन के लिए निकले थे। सुभाष काका का रिजर्वेशन स्लीपर में था,जबकि हम तीनों का एसी थ्री में। एसी थ्री में भी हम तीनों की बर्थ अलग कोच में थी। नलु अत्या का रिजर्वेशन बी-3 में था,जबकि मेरा और वैदेही का बी-1 में। ट्रेन चलने के बाद सोने के लिए मैं बी-3 में चला गया और बी-1 में नलु अत्या और वैदेही रह गए। ट्रेन चली। रात करीब साढे आठ बजे विवेक ने फोन पर बताया कि जन्मभूमि का फैसला कल ही आने वाला है। इसी खबर भी जारी हो गई है। जैसे ही कल फैसला होने की खबर मुझे मिली,मैं बेहद परेशान हो गया। ऐसे वक्त पर तो मैं रतलाम में ही रहना पसन्द करता,लेकिन अब कोई चारा नहीं था। मैने रतलाम में विवेक और अन्य मित्रों से कहा कि वे मुझे कल लगातार अपटेड करते रहें।
फैसले की उत्सुकता में ही रात को सोया। सुबह जल्दी सात बजे उठ गया और करीब साढे आठ तक फ्रैश होकर,शेविंग,दंतमंजन कर पूरी तरह से फैसला जानने के लिए तैयार हो गया। पेन्ट्री कार के वेन्डर से मसाला डोसा मंगवा कर नाश्ता किया। अब दस बजने को थे। ट्रेन अब कोंकण इलाके में चल रही थी। लगातार टनल्स आ रहे थे और टनल्स में नेटवर्क गायब हो जा रहा था। मोबाइल में टीवी न्यूज चला रहा था,जो बार बार अटक रही थी। मोबाइल टीवी से तो नहीं,लेकिन मित्रों के फोन काल से पता चल गया कि फैसला,राम जन्म भूमि के पक्ष में आ चुका है। लगातार बधाईयों के फोन आने लगे। कभी बात होती,कभी काल कट जाती। अब बारह बजने को थे। फैसला आ चुका था।
इसी बीच विकास दादा से बात हुई। उसने कहा कि मडगांव के पहले करमली स्टेशन से शांतादुर्गा नजदीक पडता है। करमली में ट्रेन का स्टापेज नहीं है,लेकिन उम्मीद थी कि ट्रेन यहां रुकेगी। हुआ भी यही। ट्रेन रुक गई और हम करमली में उतर गए। सुभाष काका को भी यही उतरने को कहा था,लेकिन वे नहीं उतरे। हम लोग डेढ बजे करमली में उतरे थे। करीब दो बजे टैक्सी को सात सौ रु.चुका कर हम श्री शांतादुर्गा मन्दिर पंहुच गए। यहां आकर कमरा लिया और कमरे में आए। इस वक्त ढाई बज रहे थे। चाय पीना थी। मन्दिर के केन्टीन में इस वक्त चाय नहीं थी। यह भी बताया गया कि भोजन तीन बजे तक ही मिलेगा। हम चाय पीने मन्दिर के बाहर गए। चाय पीकर लौटे। मैने स्नान किया। इस समय तीन बज गए थे। मैं फौरन केन्टीन में पंहुचा। भोजन का आर्डर दिया और पूछा कि दो लोग पन्द्रह मिनट में आ जाएंगे,तो क्या उन्हे भोजन मिल जाएगा? केन्टीन वाले ने जब हां में जवाब दिया,तो फौरन नलु अत्या को फोन लगाया। उन्हे कहा कि जल्दी आ जाओ। मेरा भोजन अभी आधा ही हुआ था कि वैदेही और अत्या भी आ गए।
भोजन करके निपटे तो मिलने जुलने का काम शुरु हुआ। जबलपुर से सुषमा ताई और रामचन्द्र जियाजी आए हुए थे। उनसे मिले,फिर कुमुद काकी से मिले। सम्मेलन में आए अन्य कोठारियों से मुलाकात हुई। बांसवाडा का एक कोठारी परिवार तो उसी ट्रेन में हमारे साथ ही यहां आया था।
चार बजे नलु अत्या ने मंगेश और महालक्ष्मी के दर्शन के लिए चलने को कहा। हम तीनो निकले। मन्दिर के बाहर ही साढे चार सौ रु. में एक टैक्सी पकड कर दर्शनों के लिए निकले। मंगेश महादेव यहां से करीब दस कीमि दूर है। पहले वहां गए। दर्शन किए। लौटते समय महालक्ष्मी के दर्शन किए और शाम छ: बजे यहां लौट आए।
इस वक्त नलु अत्या और वैदेही साडियां देखने गए है और मैं कमरे में मोबाइल टीवी पर न्यूज चैनल लगाकर डायरी लिख रहा हूं।
कोठारी सम्मेलन कल से शुरु होगा। कल सभी लोग अरावली जाएंगे। अरावली वैंगुर्ला जिले में वह स्थान है जहां से कोठारी परिवार प्रारंभ हुआ। बाकी इतिहास कल पता चलेगा।
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