गांधीसागर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में परिन्दों के साथ गुजारे वो दो दिन
(31 जनवरी 2020 से 2 फरवरी 2020) गांधीसागर अभ्यारण्य
01 फरवरी 2020 शनिवार (रात 11.30)
बेसला कैम्प(रामपुरा के समीप)
इस वक्त हम,मैं और अनिल गांधीसागर बांध से 25 किमी पहले रामपुरा से 13 किमी आगे,बैसला गांव में वन विभाग के डिप्टी रेंजर के सरकारी निवास पर रुके हुए हैं। इस वक्त हम अनिल की नई गाडी के भीतर बैठे है। मैं अगली सीट पर बैठ कर डायरी लिख रहा हूं,अनिल पिछली सीट पर बैठ कर बातें कर रहा हैं। बातचीत करने के बाद अब मैं डायरी लिख रहा हूं।
हमारी यह यात्रा करीब दो महीने पहले तय हो गई थी,जब राजेश घोटीकर ने गांधीसागर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में बर्ड्स सर्वे होने की जानकारी दी थी। मैने तो हाथोहाथ रजिस्ट्रेशन करवा लिया था।
कुछ दिनों के बाद अनिल का भी रजिस्ट्रेशन करवा लिया था। यहां आने की तैयारियां हमने 30 जनवरी से करना शुरु कर दी थी। 30 को मैने अनिल को फोन किया। उसने बताया कि वह देर रात तक सैलाना पंहुचेगा।
तय ये हुआ कि हम लोग 31 तारीख की सुबह आठ बजे निकलेंगे। अनिल सैलाना से गाडी लेकर आएगा और हम उसी से जाएंगे। अनिल सही समय पर आ गया लेकिन कुछ देरी मेरी वजह से हुई। हम सुबह ठीक 8.35 पर रतलाम से निकल गए। जावरा से आगे जोयो होटल पर घटिया नाश्ता करके हम मन्दसौर से मनासा,रामपुरा होकर दोपहर करीब साढे बारह बजे गांधीसागर डैम गेट से करीब तीन किमी पहले फारेस्ट रेस्ट हाउस पर पंहुच गए। यहां आते ही हमने रजिस्ट्रेशन करवाया। वहां से दी गई टी शर्ट मैने और राजेश ने वहीं पहन ली। फिर लंच का इंतजार चला। पौने दो बजे लंच शुरु हुआ। बेहतरीन भोजन था। भोजन के बाद अगले तीन घण्टों तक हमें कोई काम नहीं था। बर्ड्स सर्वे का यह हमारा पहला अनुभव था। मैं और अनिल इसके बारे में कुछ भी नहीं जानते थे। बर्ड्स सर्वे के प्रतिभागी आते जा रहे थे। हाई फाई कैमरे,बडी बडी दूरबीनें। मैं तो देख देख कर हैरान था। पांच दस महिलाएं भी थी। चैन्नई तक से लोग आए थे।
राजेश ने बताया कि पूणे से डा.पाण्डे आएंगे,वो बर्ड्स वाचिंग की ट्रैनिंग देंगे। डॉ. पाण्डे डाक्टर भी है और पक्षी विशेषज्ञ भी। राजेश ने उनकी लिखी पुस्तक भी मुझे दी। तब मुझे पता चला कि ऐसे लोग भी होते हैं जो डाक्टर होने के साथ साथ पक्षी विशेषज्ञ भी है।
शाम को पहले तो परिचय सत्र हुआ। तब पता चला कि कुल तेरह राज्यों से करीब अस्सी लोग बर्ड्स सर्वे के लिए यहां आए हैं। बडे बडे विद्वान,पक्षी विशेषज्ञ,बडे बडे फोटोग्राफर। इसके बाद पक्षी विशेषज्ञ डॉ.सतीश पाण्डेय का सत्र हुआ। पक्षियों के बारे में इससे पहले मुझे कुछ भी नहीं पता था। उन्होने बताया,तो दिमाग घूम गया। कितनी प्रजातियां कितने गुण,कितनी व्यवस्थाएं,बाप रे बाप। जीवन में पहली बार ये नया विषय मिला था। उनके भाषण के बाद ग्रुप बनना थे। तेईस ग्रुपों को अलग अलग स्थानों पर जाना था। ग्रुप बंटे तो हम तीनों अलग अलग ग्रुप में रख दिए गए थे। मैने और अनिल ने मेहनत करके एक ही ग्रुप में एन्ट्री ले ली। राजेश अलग ग्रुप में चला गया। हम दोनो बैसला पंहुच गए। यहां सारी व्यवस्थाएं उपलब्ध है। बिस्तर है,वाश रुम है,गर्मपानी के लिए इलेक्ट्रिक राड मौजूद है। सुबह नाश्ता चाय सबकुछ मिलेगा। इस वक्त रात के साढे बारह बज चुके है। वैदेही से बात हो चुकी है। अब सोने का समय....।
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