Friday, May 1, 2020

जैसलमेर डेजर्ट सफारी-4

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झीलों के शहर में गुजरा एक दिन 


3 जनवरी 2020

आज की सुबह जल्दी हुई। ठण्ड कम थी,इसलिए मैं साढे सात पर उठ गया। नाश्ते में पोहे बने थे। हिमांशु ने प्रस्ताव रखा कि बिना स्नान के जल्दी निकलते है,ताकि जल्दी उदयपुर पंहुच जाएं। लेकिन यह प्रस्ताव दमदार नहीं था। स्नान नहीं करते तो आधा घण्टा बचता,लेकिन स्नान कर लेते तो अच्छा फील होता। तैयार होते होते सवा दस बज गए। लेकिन इससे हिमांशु नाराज हो गया।
हर बात में भडकने लगा। हम साढे बजे जैसलमेर से रवाना हो गए। अब गाडी मैं चला रहा था। शानदार सडक़ पर गाडी सौ एक सौ दस पर चल रही थी। अचानक एक जगह पुलिस वाले ने गाडी रोकी और तेज चलने की वजह से चार सौ रु.का चालान काट दिया।  इसके बाद मैने गाडी को नब्बे की स्पीड पर फिक्स कर दिया।  दोपहर ढाई बजे हम जोधपुर से 35 किमी दूर थे। हमने भोजन किया। भोजन करने के बद पैट्रोल पंप नजर आया। गाडी में डीजल डलवाया।  अब गाडी हिमांशु ने ले ली थी।  उदयपुर यहां से 250 किमी था। मैने उदयपुर में रुकने के लिए पहले सर्किट हाउस ढूंढा,लेकिन बाद में इस होटल को सिलेक्ट कर लिया। हिमांशु को बताकर किया कि यह होटल उदयपुर से 10 किमी के रैडियस में है।  हम रात साढे आठ बजे उदयपुर तक का फोरलेन खत्म कर चुके थे और गूगल मैप होटल की दूरी 11 किमी बता रहा था। होटल का रास्ता फिर से हाई वे की तरफ था। जैसे ही मैने गाडी उधर लेने को बोला,हिमांशु ने कहा कि आपने तो जंगल में होटल ले लिया है,इससे तो अच्छा था कि हम शहर में जाकर होटल ढूंढ लेते। मैने बुक किए हुए होटल पर ही चलने को कहा। दस मिनट में हम होटल पर पंहुच गए। यहां बुकींग कन्फर्म कर रहा था कि हिमांशु ने आकर कहा कि रुम देखे या नहीं? मैने कहा चलकर देख लेते है। रुम बढिया थे। अब उसके पास आपत्ति का विषय नहीं था। कमरों में आए। सामान रखा। भोजन का आर्डर देना था। उसने इंकार कर दिया। वैदेही और अर्चना ने खिचडी चावल आदि मंगवाए। खाना आया,तब तक हिमांशु सो चुका था। मै कमरे में आकर टीवी पर जी न्यूज देखने लगा। वैदेही ने भोजन किया। अब सोने का वक्त। इस वक्त 11.10 हुए हैं।

5 जनवरी 2020 रविवार (दोपहर 3.15)
इ खबरटुडे आफिस,रतलाम
कल हमारी यात्रा रात को ठीक साढे आठ पर घर पंहुचकर समाप्त हुई। कोर्ट में अभिभाषकों की नववर्ष की पार्टी थी,मैं घर से फौरन वहां पंहुच गया और फिर रात बारह बजे घर पंहुचा।
अब बात कल की। परसों रात को सोते सोते बारह बज गए थे। मैने और वैदेही ने तय किया था कि सुबह जल्दी उठकर आठ बजे तैयार हो जाएंगे। 3 जनवरी को पूरा दिन सुबह से रात तक हिमांशु हर बात में भडक रहा था। मैने भी सोचा कि यात्रा के अंतिम दिन मैं भी इसके मजे लुंगा। रात को मेरी बातें भी शायद उसने सुन ली थी,इसलिए ठीक आठ बजे तैयार होकर उसने दरवाजे पर दस्तक दी। उसने रात की बात का जिक्र भी किया। हम होटल से निकले। हिमांशु की कोई फेसबुक फ्रेन्ड यहां रहती है। उसने सुबह सवेरे ही उससे मिलने का प्रोग्राम बना लिया था। हम लोग जब वहां पंहुचे,तो वैदेही ने कहा कि हम इनसे मिलकर क्या करेंगे। हम बाहर ही रुक गए। हिमांशु सपरिवार मिलने चला गया। हम बाहर मुख्य सडक़ पर आए और एक दुकान पर पोहे खाए। दूसरी दुकान पर समोसे खाए। नाश्ता करके लौटे,तब तक हिमांशु भी मुलाकात करके लौट आया था। अब हम चले पिछोला लेक के लिए। यह खूबसूरत झील है,जिसमें बोटिंग होती है। झील पर हिमांशु ने बोटिंग करने को कहा लेकिन हमारा मन नहीं था। उधर सीमा ताई से बात हो गई थी। वह घर पर बुला रही थी। सीमा ताई का घर सहेलियों की बाडी के पास में है। हिमांशु ने बोटिंग का आनन्द लिया। वो लौटे फिर हम सहेलियों की बाडी देखने पंहुचे। सहेलियों की बाडी में वैदेही के चार-छ: फोटो लिए। वह अभी और रुकना चाहती थी,लेकिन मैने जल्दी की,तो वह उखड गई। हिमांशु को हमने सलाह दी कि वह सिटी पैलेस देख आए,तब तक हम सीमा ताई से मिल लेते है। हम सीमा ताई के घर पंहुच गए। वहां भोजन करके करीब डेढ बजे फ्री हो गए। हिमांशु को फोन किया तो वह मोती मोंगरी पर था। कुछ ही देर में हम भी वहां पंहुच गए। करीब ढाई बजे हम रतलाम के लिए निकल पडे। उदयपुर से चित्तौड के रास्ते में पुलों का काम चल रहा है। यहां जगह जगह डायवर्जन बने हुए हैं। स्पीड नहीं मिल पाती। करीब पांच बजे निंबाहेडा पंहुच गए। मन्दसौर पार करके एक ढाबे पर मेरे अलावा सभी लोगों ने आलू पराठे खाए। वहां से सीधे चले तो रात ठीक साढे आठ पर गाडी घर पंहुच गई। सात दिन की यात्रा करके हम रतलाम आ चुके थे। इस तरह जैसलमेर की तीसरी यात्रा पूरी हुई।



























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