होटल में भूले महंगी घडी......
28 अगस्त 2021 शनिवार रात 9.44
होटल ग्र्रीन वैली,भुजिया हाट
(काठगोदाम नैनीताल रोड)
इस समय हम लोग भोजन भी कर चुके है और जल्दी ही सौ जाने की तैयारी है,क्योंकि कल सुबह जल्दी,हो सके तो सुबह छ: बजे निकल जाना है और अल्मोडा पंहुच जाना है।
सुबह एक समौसा और खाना था,लेकिन आशुतोष ने समौसे को टोटली रिजेक्ट कर दिया,इसलिए फिर हरि(अली)गढ से निकल पडे। रास्ता मुराद नगर से होकर काठगोदाम था। मुराद नगर करीब 150 किमी है। दशरथ जी गाडी चला रहे थे। कहने को तो ये नेशनल हाईवे है,लेकिन टू लेन है। सड़क बढिया बनी हुई थी। चलते रहे। अब नाश्ते की बजाय सीधे भोजन करने की इच्छा थी। भूख लगने लगी थी,धमाल मचाने लगी थी।
रास्ते में कई सारे होटल निकलते रहे लेकिन ढंग का कोई नहीं था। बारह बजने को आ गए। एक जगह डीजल डलवाने को रुके। अब गाडी की ड्राइविंग मैने सम्हाल ली थी। इच्छा यही थी कि जैसे ही ढंग का होटल दिखेगा गाडी रोक दुंगा। 15-20 किमी बाद ही एक ढंग का होटल मिल गया। सब्जी में कोई च्वाइस नहीं थी। या तो पनीर खाओ या आलू और गोभी। भोजन का आर्डर दे दिया। दाल और पनीर की सब्जी और मिस्सी रोटी,तंदूरी रोटी। फिर चाय पी। बेहद शानदार। आगे बढे गाडी मैैं ही चला रहा था। उत्तर प्रदेश पार करके अब हम उत्तराखण्ड में आ गए। रुद्रपुर। इस वक्त साढे चार बजे थे। यहां से काठगोदाम के रास्ते पर रुक कर चाय पी। अब काठगोदाम 30-35 किमी दूर था। अभी पहाड शुरु नहीं हुआ था। गाडी चली। पहले हलद्वानी आया। ट्रैफिक बढ चुका था। हलद्वानी से काठगोदाम मात्र 9 किमी है। ट्रैफिक बढता ही रहा था। काठगोदाम से निकलते ही पहाडी इलाका शुरु हो जाता है। काठगोदाम से निकलते ही जाम लग गया। जाम में फंसे फंसे आगे बढते रहे। अल्मोडा के लिए इस रास्ते से दाहिनी ओर कटना था,लेकिन जाम के कारण यह रास्ता छूट गया। जाम लगा हुआ था।एक लाइन हमारी वाली खुली थी,इसलिए आगे बढते रहे। अब नैनीताल 29 किमी था। यहां से दो विकल्प थे। या तो नैनीताल होकर अल्मोडा जाते,जो कि 30 किमी लम्बा रास्ता था। दूसरा विकल्प यह था कि पीछे लौट कर अल्मोडा वाला रास्ता पकडते। लेकिन इसके लिए फिर से जाम में फंसना पडता।सामने ही होटल था,ग्र्रीन वैली। यहां भाव ताव किया। ढाई हजार में दो रुम एक्स्ट्रा बेड के साथ तय हो गया। शाम सात बजे ही यहां डेरा डाल दिया। जल्दी से भोजन इत्यादि करके अब सौने की तैयारी है।
इस यात्रा में एक नई कहानी बनी। पहले रात्रि विश्राम के लिए निवाई में होटल रायल पैलेस में रुके थे। दशरथ जी अपनी महंगी घडी कमरे में भूल गए थे। घर से लाई लहसन की चटनी भी भूल गए थे। कल उन्हे घडी याद आ गई थी,संयोग से होटल का नम्बर भी याद आ गया था। होटल वाले से बात की। उसने कहा पता नहीं दिखवाता हूं। आज फिर उससे बात हुई,तो घडी का पता चल गया। उसे एड्रेस व्हाट्सएप पर भेज दिया,ताकि वह कोरियर से घडी भेज दे। उसकी कोरियर की फीस उसे आनलाइन ट्रांसफर कर देंगे। उसने भी हामी भर ली। सभी लोग खुश हुए कि चलो घडी मिल जाएगी।
अभी रात को भोजन के दौरान मैने आईजी गुंजियाल सा. को फोन किया। उन्हे बताया कि हम उत्तराखण्ड में आ गए है। कल अल्मोडा जाएंगे। आईजी सा. ने कहा कि हमने ठीक ही किया,इस बार कुमाउं की यात्रा चुनी। क्योकि गढवाल के सारे पुल टूटे हुए है,रास्ते बन्द है।आईजी सा. ने कहा कि वे कुमाउं की स्थिति के बारे में मुझे अपडेट करेंगे। उन्होने फिर फोन करने को कहा। इस बीच वैदेही से भी बात हो गई। उसे एमपीएचबी की खुशखबरी भी दे दी। लौटने के बाद प्लाट का मामला निपटाना है।
उम्मीद है कल हमारी ट्रेकिंग शुरु हो जाएगी।
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