Thursday, May 12, 2022

यात्रा वृत्तान्त 38 रतलाम काफनी पिण्डारी ग्लेशियर यात्रा

यात्रा वृत्तान्त 38 

कोरोना के लगातार लाकडाउन से घरों में बन्द रहकर हम सभी बेहद परेशान हो चुके थे। सारे साथी चाहते थे कि जल्दी से जल्दी घरों से निकल कर पहाडों पर पंहुच जाएं। आमतौर पर ट्रेकींग के लिए सितम्बर का महीना ठीक रहता है,जब सारे रास्ते खुल जाते है और बर्फ भी पिघल जाती है। लेकिन कोरोना की मारामारी से परेशान हम लोग जल्दबाजी में सितम्बर से पहले अगस्त में ही पहाडों के लिए चल पडे थे। इस बार हमारा लक्ष्य था  उत्तराखण्ड के कुमाऊं क्षेत्र में घूमना और इसके लिए हमने चुना था काफनी और पिण्डारी ग्लैसिरयर की ट्रेकिंग को। यह यात्रा 26 अगस्त 2021 से शुरु हो कर 4 सितम्बर को समाप्त हुई। इस यात्रा में हमने कई धार्मिक स्थानों के दर्शनों का भी लाभ लिया। यात्रा के दौरान हम मेहन्दीपुर बालाजी,कृष्ण जन्मस्थान मथुरा,गोकुल,वृन्दावन,श्री राम जन्मभूमि अयोध्या और पीताम्बरा माई दतिया के दर्शन कर आए।  


काफनी पिण्डारी ग्लेशियर यात्रा-1


बालाजी के सामने पंहुचते ही दूर होती है प्रेतबाधा 


 26 अगस्त 2021 गुरुवार

रात 11.44 होटल रायल पैलेस निवाई राजस्थान


राजस्थान के इस नामालूम से कस्बे निवाई में अब हम सोने की तैयारी कर रहे है।


इस यात्रा में मेरे साथ दशरथ जी,अनिल मेहता,प्रकाश राव पंवार,मन्दसौर से आशुतोष नवाल और पंकज साहू,ये सभी है। इस तरह हम कुल छ: लोग इस यात्रा के लिए निकले है।


हमारी ये यात्रा आज सुबह शुरु हुई। तय किया था कि नौ बजे निकलेंगे। मैैं 6 बजे उठकर सवा आठ तक तैयार हो गया। फिर वैदेही मुझे छोडने आफिस तक आई। दशरथ जी अब तक नहीं आए थे। मैैं सेव मिक्चर खरीद कर लाया। साढे नौ पर आफिस से निकले। प्रकाश राव पंवार अल्का पुरी मेनरोड पर अपनी श्रीमती जी के साथ मौजूद था। प्रकाश को गाडी में बैठाया। सीधे सैलाना पंहुचे। अनिल तैयार खडा था। वहां से निकले। पौहे कचोरी का नाश्ता किया। फिर पिपलौदा होते हुए मन्दसौर के लिए चल पडे। आशुतोष के फोन लगातार आ रहे थे। पौने बारह बजे आशुतोष के आफिस पर पंहुचे। सारा सामान गाडी के उपर कैरियर पर बांधा। स्वागत सत्कार हुआ। हिम्मत डांगी स्वागत करने आए थे। हारफूल से स्वागत हुआ। यहां से निकले तो वीरु के ढाबे पर बिदाई समारोह हुआ। डेढ बजे वीरु के ढाबे से भोजन करके निकले। हमारी मंजिल था मथुरा। रतनगढ होकर जाना था। रतनगढ में एक पुलिस कर्मी संदीप जाट से मिलते हुए जाना था। संदीप से मिलकर चाय पीकर आगे बढे। रतनगढ सिंगोली होकर कोटा हाईवे से जयपुर के रास्ते पर बढ लिए। हमें कोटा से मेहन्दीपुर बालाजी होते हुए मथुरा पंहुचना था। रात के आठ बज चुके थे लेकिन अभी मेहन्दीपुर बालाजी 140 किमी दूर है। इसलिए रुकने की व्यवस्था ढूंढने में लग गए। यहां निवाई में मामला जम गया। मेहन्दीपुर बालाजी यहां से 140 किमी दूर है। करीब तीन घण्टे में वहां पंहुचेंगे। फिर मथुरा वृन्दावन दर्शन करके आगे बढेंगे। यह यात्रा पिछली यात्रा के ठीक ग्यारह महीने बाद शुरु हुई है। पिछले साल 25 सितम्बर को हेमकुण्ड साहिब के लिए निकले थे,इस बार 26 अगस्त को ही चल पडे है। अब तक रतलाम से करीब 650 किमी चल चुके है।


27 अगस्त 2021 शुक्रवार (सुबह 8.45)

होटल रायल पैलेस निवाई (राज)


इस वक्त हम सभी लोग तैयार हो चुके है। आशुतोष और पंकज स्नान कर चुके है। कपडे पहन रहे है। बाहर प्रकाश अनिल और दशरथ जी गाडी के कैरियर पर सामान बान्ध रहे है। आज हमें मेहन्दीपुर बालाजी होते हुए मथुरा वृन्दावन के दर्शन करके आगे बढना है।


अब कुछ कल की बातें। इस बार की यात्रा हम रामद्वारे की इनोवा से कर रहे है। कभी मारुति वैन से घूमने निकले थे। अब हम इनोवा जैसी शाही गाडी से आरामदायक सफर कर रहे है।

कल वैसे तो हम करीब 500 किमी चल लिए थे,लेकिन करीब एक से डेढ घण्टे की देरी की वजह से कुछ कम चल पाए। अब आज देखते है कि कितना आगे जा पाते है।


28 अगस्त 2021 शनिवार (2.00 एएम)

होटल नीलकण्ठ हरि(अली)गढ उप्र


इस होटल में हम पिछली तारीख में रात 11.45 पर पंहुचे थे। छब्बीस सौ रु. में तीन एसी कमरे मिल गए। अब सारे लोग सौ चुके है और मै डायरी के साथ हूं।


 सुबह नाश्ता करने के बाद सवा दस बजे चले थे। मेहन्दीपुर बालाजी हम पौने तीन बजे पंहुचे। दर्शन किए। यह सिद्ध स्थान है। यहां प्रेत बाधा दूर होती है। मंदिर में कई प्रेत बाधा पीडीत लोग दिखाई दिए। यहां से दर्शन करके साढे तीन बजे निकले। सवा चार बजे हम मथुरा पंहुच गए। सौ.रु. में एक गाइड लिया। कृष्ण जन्मस्थान मन्दिर के दर्शन किए। जन्मस्थान पर कब्जा जमाई हुई मस्जिद देखी। पौने पांच बजे यहां से चले। हमारी योजना वृन्दावन जाने की थी,लेकिन गाइड ने हमे गोकुल पंहुचा दिया। गोकुल में उसने बिना हमसे पूछे एक दूसरा गाइड हमारे साथ कर दिया। गोकुल में खास कुछ नहीं है। पर गाइड साथ था,इसलिए पता नहीं कौन कौन सी कहानियां सुनाता रहा। जो काम पन्द्रह मिनट में हो सकता था,उसने डेढ घण्टा लगा दिया। सौ रु. उसे दिए। अब चले वृन्दावन के लिए। शाम की छ: बज चुके थे। वृन्दावन जाने के लिए मथुरा दिल्ली हाईवे पर 11 किमी चलना पडता है। फिर राइट टर्न आता है। वहीं गोवर्धन लैफ्ट टर्न पर आता है। सारे साथियों की इच्छा गोवर्धन जाने की थी। गोवर्धन यहां से 18 किमी दूर था। चल पडे। वहां पंहुच कर गोवर्धन धारण मन्दिर में दर्शन किए। इस समय सवा आठ बज चुके थे। पार्किंग में लौटे,तब तक पौने नौ बज चुके थे। योजना मथुरा से आगे निकल कर रुकने की थी। गोवर्धन से हरि(अली) गढ के 75 किमी के रास्ते में कहीं कोई होटल नहीं मिला। रात साढे ग्यारह बजे इस होटल में आए। भोजन हो चुका है। अब सौने की तैयारी। कल कुछ देर से,सुबह 10 बजे यहां से निकलने का इरादा है।


28 अगस्त 2021 शनिवार सुबह 10.15

होटल नीलकण्ठ हरि(अली)गढ उप्र


रात को सोते हुए करीब दो बज गए थे। इसलिए सुबह देर होना लाजिमी था। अब यहां से निकलने की तैयारी है।


बीता दिन बडा उलझन वाला रहा। मथुरा पंहुचने के बाद समय बहुत खराब हुआ। मथुरा जन्मस्थान के दर्शन के बाद गाइड हमे गोकुल ले गया। गोकुल में एक नया गाइड आया था,जिसने बेवजह करीब सवा घण्टा लगा दिया। गोकुल से अगला पडाव वृन्दावन का था,जो करीब बीस किमी है,लेकिन हाईवे पर जाम के चलते काफी वक्त खराब हो गया। वृन्दावन के टर्न के सामने ही गोवर्धन का रास्ता था। गोवर्धन दर्शन का मन बनाया तो गोवर्धन के लिए चल पडे। गोवर्धन यहां से 18 किमी था। रात करीब सवा आठ बजे वहां पंहुचे थे। पार्किंग में गाडी लगाने के बाद समय बचाने के लिए इ रिक्शा पकड कर गोवर्धन धारण मन्दिर पर पंहुचे थे। फौरन दर्शन करके लौटे। वहां से सीधे काठगोदाम के रास्ते पर निकल पडे थे। हरि(अली)गढ इसी रास्ते में 75 किमी दूर था। पूरा रास्ता टू लेन। पूरे रास्ते में कहीं कोई होटल नहीं। यहां से 24 किमी पहले एक होटल था,लेकिन पैसे ज्यादा मांग रहा था। कुल मिलाकर रात पौने बारह बजे हमारी होटल की खोज खत्म हुई और हम इस होटल में रुक गए।


इस वक्त गाडी पर सामान बान्धा जा रहा है और हम बस निकलने को तैयार है। एक एक समौसा और केले खा चुके है। यहां समौसे अच्छे हैैं। उम्मीद से बेहतर इसलिए अभी एक एक और खाने का इरादा है।


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