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26 अगस्त 2022 शुक्रवार (रात 11.45)
होटल अवतार पैलेस- जालन्धर पठानकोट रोड
इस वक्त हम जालन्धर से निकल कर पठानकोट के रास्ते में इस अवतार पैलेस होटल में ठहरे हैैं।
आज सुबह आलू पराठे और सब्जी पुडी का नाश्ता करके हम जयपुर से करीब सौ किमी पहले स्थित नीलम होटल से निकले थे। आज दिन भर हमें गाडी में ही चलना था। जयपुर शहर को बाहर छोडते हुए रोहतक होते हुए हरियाणा से गुजरते हुए लुधियाना जालन्धर के रास्ते पर थे। सुबह दबा के नाश्ता किया था। जयपुर से अम्बाला के बीच अब शानदार अम्बाला एक्सप्रेस वे बन चुका है।
इतना खुबसूरत रास्ता जैसे पहले फिल्मों में विदेशी रास्ते दिखाए जाते थे। यह एक्सप्रेस वे छ: लेन का है। पूरा बन चुका है। टोल भी शुरु हो चुके है,लेकिन अधिकारिक तौर पर अभी इसका उद्घाटन नहीं हुआ है।इस शानदार एक्सप्रेस वे पर जगह जगह कैमरे लगे हुए हैैं। इतना ही नहीं गाडी की स्पीड चैक करने वाले सेंसर के साथ भी कैमरे लगे हुए है। रोड पर चलते चलते सामने बडी स्क्रीन पर आपकी गाडी की गति दिखा दी जाती है। इस रोड पर एलएमवी की अधिकतम गति सौ किमी प्रति घण्टा निर्धारित है। स्पीड सेंसर को चैक करते हुए चलते रहे। अगर आपकी स्पीड बढी हुई है,तो चालान आपके घर पंहुच जाएगा। पूरी तरह हाईटेक इस एक्सप्रेस वे पर फिलहाल ना तो पैट्रोल पंप है और ना ढाबे है। सबकुछ एनएचएआई बनाएगी,जिनका काम तेजी परहै। इसी हाईवे पर रोहतक के नजदीक करीब दो बज गए थे और भोजन की इच्छा होने लगी थी।रोहतक के पास एक्सप्रेस वे के एक एक्जिट से बाहर निकले। नीचे उतरते ही एक ढाबा नजर आ गया। बस वहीं गाडी लगा दी। ढाबे के बाहर ही हरियाणा की पहचान हुक्का रखा हुआ था। वहां मौजूद लोगों ने बताया कि हुक्का चालू है,आप इसका मजा ले सकते हैैं। हुक्के की आग भी थोडी तेज कर दी गई। हम सभी ने दो तीन बार हुक्का गुडगुडाया। इस बीच भोजन भी लग गया। दाल मखनी,सेव टमाटर और मटर पनीर। रोटियां शानदार गेंहू के आटे की थी। भोजन में आनन्द आ गया। भोजन करके आगे बढे। जल्दी ही अम्बाला के नजदीक पंहुच गए। अम्बाला शहर के बाहर से ही हमने अमृतसर हाईवे पकड लिया जो कि लुधियाना जालन्धर होते हुए जाता है। जालन्धर से हमें यह हाईवे छोडकर पठानकोट के रास्ते पर पलटना था। जालन्धर से बाहर निकलकर पठानकोट के रास्ते पर बढते बढते रात के पौने नौ बज चुके थे। यह तय किया कि जालन्धर से पठानकोट के रास्ते पर पंहुचते ही होटल की तलाश प्रारंभ कर देंगे। हमारी तलाश बहुत जल्दी खत्म हो गई। पहला ही होटल ये वाला था। कमरे देखे भाव ताव किया। भाव समझ में आ गया। दो हजार में दो कमरे मिल गए। तुरंत गाडी भीतर घुसाई। रात पौने दस बजे तक तो हम लोग अगले कार्यक्रम के लिए तैयार हो चुके थे। इसी होटल वाले का रेस्टोरेन्ट भी है,जो रात भर चालू रहता है। यहां बेहतरीन भोजन किया। मैैं तो रात को भोजन करता नहीं। मैने सब्जी और दाल चखी। शानदार थी। भोजन करने के बाद डा.राव ने चाय पी। अब हम कमरों में आकर सोने की तैयारी में है।
कल सुबह आठ बजे कमरे छोड देने की योजना है। यहां से पठानकोट करीब सौ किमी दूर है और वहां से चम्बा करीब 150 किमी। उम्मीद है कि कल शाम से पहले चम्बा पंहुच जाएंगे। देखते है क्या होता है..?
27 अगस्त 2022 शनिवार (रात 10.30)
जलशक्ति रेस्टहाउस गरोला
इस वक्त रात के साढे दस बजे है। मेरे सभी साथी सौ चुके है।आशुतोष ने अभी अभी मन्दसौर से जारी रिपोर्ट ली है।
हम इस वक्त भरमौर से करीब 13 किमी पीछे गरोला नामक गांव में जल शक्ति विभाग के रेस्ट हाउस में रुके हैैं। सारे साथी भोजन करके सौ चुके है। मैैं डायरी लिखने के बाद सोने वाला हूं।
सोने से पहले आज का घटनाक्रम लिख लूं। सुबह का नाश्ता वहीं किया था,जहां रात गुजारी थी। होटल अवतार पैलेस के रेस्टोरेन्ट में नाश्ता वही आलू के पराठे थे लेकिन इसमें आलू के साथ प्याज भी थे। 4 पराठे का आर्डर दिया। आलू प्याज के पराठे उम्मीद के मुताबिक नहीं थे। तंदूरी पराठे थे,लेकिन उसमें मसाला नाममात्र का था। नाश्ता करके आगे बढे। हमारे नाश्ते में पांच की बजाय चार लोग ही शामिल होते है। प्रकाशराव सुबह के वक्त खाने से परहेज करते है,लेकिन आज डा. दिनेश ने भी खाने से इंकार कर दिया। कहा कि आज शनिवार है और उनका उपवास है। मैने समझाया कि यात्रा में उपवास आदि नहीं करना चाहिए। लेकिन वे नहीं माने। हम तीन लोग नाश्ता करके आगे बढे। हम जालन्धर पार कर चुके थे और पठानकोट सौ किमी दूर था। शानदार फोरलेन का नेशनल हाईवे। सौ किमी ढाई घण्टे में पार हो गया। अभी मैदानी रास्ता करीब तीस किमी और था। हमें नुरपुर होकर चम्बा के रास्ते पर जाना था। यह रास्ता अब नेशनल हाईवे बन चुका है। गाडी चलती रही। नूरपुर के कुछ ही आगे दो रास्ते कट रहे थे। एक दुकानदार से पूछा कि किधर जाना है?उसने कहा गाडी रोको,पहले भण्डारे में भोजन करो फिर आगे जाना। जिस दिशा से हम आए थे,उसके ठीक विपरित जाना था। भण्डारे में सब्जी पुडी की व्यवस्था थी। मैने दो पुडी और सब्जी ली। अभी भूख भी नहीं लगी थी। चूंकि भण्डारा था,इसलिए प्रसाद रुप में दो पुडी ही ली। साथ में राजमा और आलू मटर की सब्जी थी। यहां भोजन करके आगे बढे। रास्ते भर कई सारे भण्डारे लगे हुए थे,जो हाथ जोड जोड कर यात्रियों को रोक रहे थे। हम चलते रहे। हिमाचल का पहाडी इलाका लगातार जारी था। नागमोडी सडके। एक तरफ खाई,दूसरी तरफ पहाड वाले रास्ते पर चलते रहे। अब चम्बा करीब बीस किमी दूर था। रास्ते में एक भण्डारा पडा। भण्डारे के सेवादार हाथ जोड जोड कर गाडियां रोक रहे थे। उनके निवेदन पर हमारी गाडी भी रुकी। इस वक्त दोपहर के तीन बजे थे। चूंकि एक लंगर पर सब्जी पुडी खा चुके थे,इसलिए आज भोजन किया ही नहीं था। मुझे भी भूख का एहसास हो रहा था।आशुतोष भी कह चुका था कि भूख लग रही है,भोजन करना है। इसी बीच ये भण्डारा आ गया,जहां गरमागरम मसाला डोसा बनाया जा रहा था। मसाला डोसा सांभर चटनी के साथ परोसा जा रहा था। भण्डारे के मसाले डोसे बेहद स्वादिष्ट थे। मैने एक डोसा लिया और तुरंत तय कर लिया कि एक और लुंगा। मेरे साथ दशरथ जी और नवाल सा. ने भी फिर से डोसा लेना चाहा और हम फिर से लाइन में लग गए। भण्डारे के मसाले डोसे खाकर आगे बढे। जल्दी ही हम चम्बा पंहुच गए। चूंकि हमें भरमौर जाना था इसलिए चम्बा में रुकने की जरुरत नहीं थी।
इसी दौरान मैैं भरमौर एडीएम के आफिस का नम्बर ट्राय कर रहा था। फोन नहीं लगा। इससे पहले मैैं चम्बा के पीआरओ से एक दो बार बात कर चुका था। मैने उसे फोन किया तो उसने भरमौर एसडीएम का मोबाइल नम्बर दिया। भरमौर एसडीएम अमित सूद सा. से मेरी बात हुई तो उन्होने कहा कि भरमौर में रेस्ट हाउस खाली नहीं है,आप गरोला में रुक जाईए। हम गरोला के फारेस्ट रेस्ट हाउस पंहुच गए। वहां पंहुचे तो पता चला कि फारेस्ट रेस्ट हाउस किसी और को अलाट किया जा चुका है। फिर एसडीएम सूद से बात हुई तो उन्होने कहा कि वे अभी फिल्ड में है और उन्होने अपने पीए का नम्बर दिया। एसडीएम के पीए चतुर्वेदी से बात हुई तो उसने कहा कि गरोला में आप जलशक्ति रेस्ट हाउस पर चले जाईए। वहां व्यवस्था कर दी गई है। हम शाम करीब 6 बजे गरोला के इस रेस्ट हाउस पर पंहुच गए। इसीलिए आज जल्दी सौ रहे है ताकि कल सुबह जल्दी उठ कर यहां से निकल जाए।
28 अगस्त 2022 रविवार (सुबह 7.30)
जलशक्ति रेस्टहाउस गरोला
सब लोग तैयार हो रहे है। हमने आज सुबह जल्दी उठने की योजना बनाई थी,लेकिन गहरी नींद आई और सुबह 6 बजे ही आंख खुल पाई। आज हमे ट्रेकिंग शुरु करना है। सभी ने अपने बैग तैयार कर लिए है। वजन कम से कम होना चाहिए,लेकिन जरुरी सामान भी जरुरी है। मैने एक ड्रेस और अण्डर वियर के अलावा जर्किन इनर टोपी तो रखी ही है। इसके अलावा एक गमछा रखा हैैं। कपडों के अलावा मोबाइल दोनो कैमरे,हैडलाईट जैसी चीजे रखना जरुरी है। स्लीपर भी रख रहा हूं। कुल मिलाकर वजन बढ रहा है लेकिन इससे कम में काम नहीं चलेगा।आंकडे बता रहे है कि चढाई बेहद कठिन और रास्ता बेहद दुर्गम है। हडसर की उंचाई मात्र 3200 फीट है और मणि महेश लगभग साढे सौलह हजार फीट पर है। रास्ते की लम्बाई करीब 15 किमी है यानी हर एक किमी में करीब आठ सौ फीट उपर चढना है। यानी एकदम खडी चढाई। यहां से निकल कर पहले हम भरमौर पंहुचेंगे और वहां से आगे हडसर तक गाडी जाएगी और वहां से चढाई शुरु करेंगे। बैग में कपडों के अलावा बैटरी बैैंक बरसाती जैसी चीजें भी रख ली है और डायरी पेन तो रखना ही है।
यहां से आधे घण्टे में चलेंगे।
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