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..31 अगस्त 2022 बुधवार (गणेश चतुर्थी) रात 9.30
फारेस्ट रेस्ट हाउस,खज्जियार
इस वक्त मैैं भारत के मिनी स्विटजरलैण्ड कहे जाने वाले खज्जियार में सबसे शानदार लोकेशन पर बने फारेस्ट रेस्ट हाउस में रुका हुआ हूं। रात्रि भोजन हो चुका है और अब सोने की तैयारी है।
अब कहानी आज के दिन की। आज सुबह 6 बजे नीन्द खुल गई थी। बीती रात आठ बजे के भी पहले सौ गए थे। सुबह छ: बजे उठने के बाद बडे आराम आराम से तैयार होता रहा। नौ बजते बजते पूरी तरह तैयार हो गया। डा.राव पहले ही तैयार हो चुके थे। प्रकाश राव भी तैयार हो गए थे,लेकिन दशरथ जी अभी भी सोए हुए थे। उन्होने साफ कह दिया था कि ना तो वे 84 मन्दिर दर्शन करने जाएंगे और ना कुछ और करेंगे। सिर्फ सोते रहेंगे।
मेरे पास दो काम थे। भरमौर के 84 मन्दिर के दर्शन करना और एसडीएम भरमौर अमित सूद से मुलाकात करना। नौ सवा नौ बजे पर होटल से नीचे तो हम चार लोग उतरे। पूछताछ करने पर पता चला कि 84 मन्दिर के दर्शन के लिए काफी उपर चढना पडेगा। आशुतोष महाराज ने फौरन इंकार कर दिया और कहा कि मैैं तो आराम ही करुंगा। अब मै,डा.राव और प्रकाश नाश्ता करने के लिए चले। एक होटल में हमने आलू पराठे का आर्डर दिया। प्रकाश ने अपने लिए दही मंगवा लिया। नाश्ता खत्म करके मैने एसडीएम श्री सूद को फोन किया। उस वक्त सवा दस बजे थे। उन्होने कहा कि वे आफिस में ही है। एसडीएम आफिस नजदीक ही था। हम एसडीएम आफिस जाने के लिए उठे,तब प्रकाश राव ने भी कमरे में जाकर आराम करने का ही मन बना लिया। अब मैैं और डा.राव एसडीएम श्री सूद से मिलने गए। 15-20 मिनट की बडी अच्छी मुलाकात हुई। एसडीएम श्री सूद ने हमें सुझाया कि हमे खज्जियार में रुकना चाहिए और अगले दिन डलहौजी रवाना होना चाहिए। एसडीएम श्री सूद ने कहा कि वे खज्जियार में हमारे रुकने की व्यवस्था करने की कोशिश करेंगे। एसडीएम से मिलने के बाद हम 84 मन्दिर के दर्शन करने के लिए निकले। 84 मन्दिर काफी उंचाई पर है और पैदल भी काफी लम्बा रास्ता तय करना था। डा.राव तो अपनी श्रद्धा के चलते वहां जाने को राजी थे। मेरे शरीर का पोर पोर दुख रहा था लेकिन 84 मन्दिर जाना जरुरी था। ये अत्यन्त प्राचीन ऐतिहासिक मन्दिर समूह है,जहां शिवजी के 84 मन्दिर है। पहाड़ पर चढाई चढ कर जैसे तैसे मन्दिर पंहुचे। दर्शन किए और वापस होटल पर लौट,तब तक पौने बारह बज चुके थे। तब तक दशरथ जी भी नहा धोकर तैयार हो चुके थे। हम फौरन भरमौर से निकल लिए। अब विषय था खज्जियार में रुकने का। दो चार फोन करने पर खज्जियार के फारेस्ट रेस्ट हाउस में बुकींग हो गई। चम्बा पार करके खज्जियार पंहुच गए। हम शाम को करीब साढे पांच बजे खज्जियार के फारेस्ट रेस्ट हाउस पंहुच गए। रेस्टहाउस बैहतरीन शानदार लोकेशन पर बना हुआ है। यहां आते ही हल्की बारिश शुरु हो गई थी। यहंा के एक दो विडीयो बनाए। शानदार भोजन किया। कल सुबह आराम से यहां से निकलना है। फिर डलहौजी होते हुए पठानकोट की तरफ बढना है।
शुभ रात्रि.......
1 सितम्बर 2022 गुरुवार (सुबह 8.00)
फारेस्ट रेस्ट हाउस खज्जियार
इस वक्त सभी लोग जाग चुके हैैं। मेरी नींद सुबह 6 बजे खुल गई थी। फ्रैश होने के बाद मन में आया कि नीचे उतर कर विडीयो बनाऊं और वैदेही व चिन्तन को भी यहां के दृश्य दिखाउ। करीब 15 फीट नीचे उतरना मेरे लिए बेहद कष्टदायक और कठिन था। शरीर का पोर पोर अब भी दर्द कर रहा हैै। पैरों की हालत तो और भी ज्यादा खराब है। लेकिन फिर भी मैैं नीचे उतरा। नीचे उतर कर वैदेही और चिन्तन को खज्जियार का पूरा दृश्य दिखाया। खज्जियार प्राकृतिक रुप से बना हुआ घांस का मैदान है,जिसके चारो ओर देवदार के बडे बडे वृक्ष है। पहाडों के उपर स्थित इस घांस के मैदान के देवदार के वृक्ष इस तरह से फेन्सिंग किए हुए है,जैसे किसी ने योजनाबद्ध तरीके से लगाए हो। पेडों के पीछे ऊंचे ऊंचे पहाड इस मैदान को घेरे हुए है। मैदान के बीचो बीच में एक सुन्दर सी झील है। झील का आनन्द लेने के लिए झील के किनारे पर दो छतरिया लगाई गई है। जिसके नीचे बैठने की व्यवस्था है। पर्यटक इन छतरियों में बैठकर झील का दृश्य निहारते है। घांस के पूरे मैदान के किनारों पर घूमने के लिए पाथ वे बनाया गया है। इस पाथ वे पर पर्यटकों के बैठने के लिए बैैंचे लगाई गई है। इस बुग्याल के एक किनारे पर कुछ होटल व रेस्टोरेन्ट्स इत्यादि है जिनमें पर्यटक ठहर सकते है। फारेस्ट रेस्ट हाउस और भी अच्छी लोकेशन पर है। यह बिलकुल बुग्याल के किनारे पर है। पहाडों के उपर प्राकृतिक रुप से बने घांस के मैदान को बुग्याल कहा जाता है।
खज्जियार का यह बुग्याल गोल्फ कोर्ट भी है। अन्तर्राष्ट्रिय स्तर पर पसन्द किए जाने वाले खेल ोल्फ के लिए यह बेहद आदर्श मैदान है,जिसमें कई सारे होल बनाए गए है। इसी शानदार नजारे के बीच हमने बीती रात गुजारी है और अब यहां से निकलने की तैयारी है। अब डलहौजी होते हुए आगे बढेंगे।
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