Friday, September 29, 2023

यात्रा वृत्तांत 42 सिन्धु दर्शन यात्रा-1 देश का इकलौता स्थान लेह जहा बहती है पवित्र सिंधु नदी

 यात्रा वृत्तांत 42 

  (हिमाचल,लद्दाख कश्मीर यात्रा) 16 जून 2013 से 03 जुलाई 2023  


17 जून 2023 शनिवार (प्रात: 8.25)

 खजुराहो कुरुक्षेत्र एक्सप्रेस कोच न. एस-2  


हजरत निजामुद्दीन से हम इस ट्रेन में सवार हुए है और ये ट्रेन कुरुक्षेत्र के लिए चल पडी है। हम दोपहर तक कुरुक्षेत्र पंहुचेंगे,जहां से वास्तविक सिन्धु दर्शन यात्रा प्रारंभ होगी।  हमारी ये यात्रा कल ही यानी 16 जून को शुरु हो गई थी। बीती रात मैं और वैदेही एकता नगर ह.निजामुद्दीन सुपरफास्ट ट्रेन में सवार हुए थे। ट्रेन आधे घण्टे की देरी से 9.30 पर रतलाम से चली और आज सुबह 6.00 बजे ह.निजामुद्दीन पंहुची थी।  


 इस यात्रा की योजना करीब दो महीने पहले बन गई थी। जब मुझे आशुतोष ने बताया कि इस बार सिन्धु दर्शन यात्रा के यात्रियों को म.प्र.शासन 25 हजार रु. अनुदान देने वाला है। यात्रा का शुल्क 26 हजार रु. था। हमने सोचा कि बेहद कम खर्च वाली यात्रा ठीक रहेगी। इसी चक्कर में यात्रा की बुकींग कर ली। हांलाकि बाद में पता चला कि म.प्र. सरकार ने अब तक ऐसी कोई योजना नहीं बनाई है। और अब सारा खर्चा जेब से ही करना पडेगा। पहले आशुतोष भी जाने का इच्छुक था। दो महीेने पहले ही ट्रेन के टिकट करवा लिए थे। लेकिन बाद में आशुतोष और उसके साथी का टिकट कैंसिल करवाना पडा।  यात्रा पर संकट के बादल 5 दिन पहले तब मण्डराए जब वैदेही 9 जून को पारिवारिक कार्यक्रम में उज्जैन गई और वहां बीमार हो गई। आखिरकार 11 जून को उसे लेने उज्जैन जाना पडा। तब उसकी हिम्मत टूटने लगी थी,लेकिन रतलाम आने के बाद उसका साहस लौटा और फिर यात्रा की तैयारियां शुरु हुई।   


एक संकट और था,जो अब तक समाप्त नहीं हुआ है। इ खबरटुडे की वेबसाईट की होस्टिंग का प्लान बदलना था। इच्छा ये थी कि यात्रापर जाने से पहले सब कुछ व्यवस्थित हो जाए। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। दो दिन पहले प्लान बदला। अब वेबसाईट को नए प्लान में शिफ्ट करना था। लेकिन इसका बेकअप लेकर दूसरे प्लान में चढाना बेहद कठिन काम था। 45 जीबी का डाटा डाउनलोडिंग करने में भी डेढ दिन लग गया। बाद में उसे घटना कर फाईलों को कम्प्रेस करके डाउनलोड किया,तो 4.9 जीबी का डाटा बना। कल शाम को जैसे तैसे ये डाउनलोड तो हो गया लेकिन दूसरे प्लान पर अपलोड नहीं हो पाया। अब शायद यात्रा से लौट कर इस समस्या का समाधान होगा। 


 ये सारी बातें तो यात्रा शुरु होने से पहले की थी। अब कुछ बातें यात्रा की। ये मेरी लद्दाख की तीसरी यात्रा है। वैदेही पहली बार जा रही है। सिन्धु दर्शन यात्रा का ये 27 वां साल है। ये यात्रा रा.स्व. संघ के लोगं ने प्रारंभ करवाई है,ताकि देश के लोग इस दूरस्थ क्षेत्र को जान सके और लद्दाख के लोगों से मिल जुल सके।   सिन्धु दर्शन यात्रा कुरुक्षेत्र से शुरु होगी। फिर मनाली और केलांग होते हुए लेह पंहुचेगी। लेह में 4 दिन सिन्धु दर्शन होगा। वहां से कारगिल,जोजीला पास होते हुए श्रीनगर पंहुचेंगे और फिर जम्मू। फिर हम वहां से वैष्णो देवी जाएंगे और 3 जुलाई को रतलाम लौटेंगे।  


 17 जून 2023 शनिवार (रात 10.30) 

गूजर धर्मशाला कुरुक्षेत्र 


 कुरुक्षेत्र की गूजर धर्मशाला के एसी रुम में इस वक्त अब सोने की तैयारी है। इसलिए अब डायरी का वक्त है।  हमारी ट्रेन कुछ लेट हुई और हम दोपहर एक बजे कुरुक्षेत्र स्टेशन पर पंहुचे। मैं निश्चिन्त था क्योकि यहां पहले ही रिटायरिंग रुम बुक कर लिया था। स्टेशन पर उतरे तो चुनौती थी रिटायरिंग रुम ढूंढने की। स्टेशन की बडी सी बिल्डिंग बनी है। उपर जाने की सीढियां बनी है। मुझे लगा कि रिटायरिंग रुम उपर होगा। अपना लगेज लेकर दो तिहाई सीढियां चढ गए। सीढियों पर जमी गंदगी देखकर लगा,जैसे इसका उपयोग ही नहीं हो रहा है। बात सच थी। उपर कुछ भी नहीं था। फिर से नीचे उतरे। 


मैने वैदेही से कहा कि मैं पता करता हूं रिटायरिंग रुम कहां है? लगेज टिका कर ढूंढने निकला। रिटायरिंग रुम स्टेशन सुपरिटेन्डेन्ट के आफिस से आगे था। वहां पंहुचा,वहां कोई नहीं था। मैं लौट कर सीधे एसएस के आफिस में घुसा। उसको बतया कि मेरी बुकींग है,लेकिन कोई मिल नहीं रहा है। उसने मुझे बुकींग आफिस भेजा। बुकींग आफिस जाकर मैने अपनी एन्ट्री दर्ज कराई। लेकिन रिटायंिरंग रुम की  चाबी नहीं मिल रही थी। फिर मैं वैदेही के पास पंहुचा,लगेज लिया और हम सीधे फिर से एसएस के आफिस में पंहुच गए। वाआईपी लाउंज भी यहीं था। वहां जाकर सोफे पर टिक गए। एसएस आफिस में मौजूद कर्मचारियों को बताया कि हमारी बुकींग है। पता चला कि कोई टीटी रिटायरिंग रुम में अपना सामान टिका कर चाबी लेकर भोजन करने चला गया है। रेलवे वालों ने उसकी खोजबीन की। करीब एक घण्टे बाद चाबी आई और हम रुम में पंहुचे।


 स्नान बाकी था। स्नान किया। इसी दौरान दीपाली बुचके भी वहीं मिल गई। बुचके फैमेली भी इसी यात्रा में आई है। हमारा तो भोजन भी बाकी था। स्नान ध्यान करके सवा तीन बजे हम स्टेशन से बाहर निकले। भूख लगी थी। एक होटल वाले ने भोजन के लिए मना कर दिया। पैदल अधा किमी चले तो एक होटल पर भोजन मिल गया। तेज भूख लगी थी इसलिए भोजन अच्छा लगा।


 भोजन के बाद धर्मशाला की जांच करने के लिए इ रिक्शा पकड़ कर ब्रम्ह सरोवर पंहुचे। गूजर धर्मशाला इसके सामने ही बताई गई थी। ब्रम्ह सरोवर देखा। फिर धर्मशाला का कमरा देखने पंहुचे। एसी रुम था इसलिए तय किया कि रिटायरिंग रुम छोडकर धर्मशाला में ही आ जाते है।  धर्मशाला से फिर  स्टेशन पंहुचे। लगेज उठाया। एक विडीयो बनाया।  इ रिक्शा पकड कर शाम पांच बजे धर्मशाला पंहुच गए। यहां आकर थोडा आराम किया।   रात आठ बजे फिर ब्रम्ह सरोवर देखने निकले। विडीयो भी बनाए। हमारे पास मोबाइल दो है लेकिन चार्जर एक ही है,इसलिए चार्जिंग की समस्या है। विडीयो अपलोड नहीं कर पाए। लौटे तो वैदेही ने धर्मशाला का निशुल्क भोजन दाल चावल किया। अब कमरे में आ चुके है। अब सोने का वक्त...। शुभ रात्रि....  




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