Sunday, December 17, 2023

आदि कैलास यात्रा-2 नैनीताल-शक्तिपीठ,जहां गिरी थी देवी सती की बाईं आंख

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03 सितम्बर 2023 शनिवार (सुबह 7.50) 
होटल सुकून स्टे नैनीताल   

मेरी नींद सुबह 6.30 पर खुल गई थी। थोडी देर बाद आशुतोष भी उठ गया। बाकी के तीनो मित्र दूसरे कमरे में है और देरी से उठे है। हमने रात को तय किया था कि सुबह नौ बजे तैयार होकर निकलेंगे।  आज दोपहर तक नैनीताल घूम घाम कर निकल जाएंगे और पिथौरागढ जाकर रुकेंगे। गुंजियाल सा ने पिथौरागढ रुकने का सुझाव दिया है। कल यानी सोमवार को धारचूला पंहुच जाएंगे।  अब स्नान की तैयारी है। आज विडीयो बनाने की भी योजना है। अब तक कुछ विडीयोज बनाए है,लेकिन चैनल पर अपलोड करने जैसे विडीयो नहीं है।आज नैनीताल का एक विडीयो बनाकर चैनल पर अपलोड करने की इच्छा है।


   03 सितम्बर 2023 रविवार (रात 11.30) 
आईटीबीपी आफिसर्स मेस,पिथौरागढ  


इस वक्त मैं पिथौरागढ शहर से करीब तीन किमी दूर आईटीबीपी की आफिसर्स मेस में हूं। भोजन हो चुका है। सारे मित्र सो चुके है। आईटीबीपी के परिसर के भीतर सामान्य लोग प्रवेश नहीं कर सकते,लेकिन चूंकि हम आईजी संजय गुंजियाल सा के मेहमान है,इसलिए इस आफिसर्स मेस के सम्मानित मेहमान है।  


आज की सुबह हम नैनीताल में थे। पहले तय किया था कि सुबह नौ बजे निकलेंगे। मेरी नींद तो सुबह साढे छ: पर ही खुल गई थी। मैं और आशुतोष एक कमरे मेें थे। मैव उठ गया,आराम से तैयार होता रहा। मेरे पीछे आशुतोष उठा। जल्दी नहा धोकर तैयार हो गया। लेकिन दूसरे कमरे में लोग आराम से सोते रहे। सवा नौ बजते बजते दूसरे कमरे के साथी भी तैयार होने लगे।  इधर आशुतोष महाराज को तेज भूख लग गई। पहले सोचा था कि नाश्ता होटल से निकल कर करेंगे,लेकिन दूसरे कमरे वाले साथी देर से उठे थे,इसलिए आशुतोष ने पहले दो आलू पराठे का आर्डर दिया फिर बढाकर 5 पराठे कर दिए। पराठे बनकर आते इससे पहले सारे लोग तैयार हो गए। पहले एक पराठा आया,तो सारे लोग उस पर टूट पडे। फिर दूसरा,फिर बाकी के। एक और पराठा बनाने का कहा। यहां चाय की व्यवस्था नहीं थी। पराठे खाकर गाडी में सामान लोड कर नैनीताल घूमने निकले। हमें सबसे पहले जाना था नैना देवी मन्दिर में। नैनीताल प्राचीन नगरी है। इसका उल्लेख स्कंद पुराण में भी है। सती की बाई आंख यहां गिरी थी,इसलिए यह शक्तिपीठ है। 


  हम निकले तो टोल के एक सौ बीस रु.देकर आगे बढे। नैना देवी मन्दिर की पहली पार्किंग फुल थी। दूसरी और तीसरी भी फुल थी। आगे बढते रहे। चौथी पार्किंग भी फुल मिली। हमें गाडी खडी करने के लिए पांचवी पार्किंग मिली जोकि नैना देवी मन्दिर से करीब पौन किमी दूर थी। गाडी पार्क करके मन्दिर के लिए चल पडे। दस या पन्द्रह मिनट में मन्दिर में पंहुच गए। यहां आकर पता चला कि स्वामी विवेकानन्द भी यहां आए थे,दो बार। मन्दिर में विडीयो बनाया। 


मन्दिर के नजदीक ही नैना झील  में बोटिंग करने का एक घाट भी है। इस घाट पर नौकायन करने पंहुचे। 420 रु. में फुल बोटिंग और 320 में हाफ बोटिंग। ये तय किया कि हाफ बोटिंग करेंगे। हर नाव में नाविक के अलावा तीन यात्री बैठ सकते है। इसलिए हम दो नावों में सवार हुए. मैं और टोनी एक नाव में थे। करीब आधे घण्टे बोटिंग की। फोटो विडीयो बनाए। लौटकर आए तो गुरुद्वारे में मत्था टेक कर पिथौरागढ के रास्ते पर बढ गए।


  पिथौरागढ से काफी पहले नीब करौरी बाबा का आश्रम कैंचीधाम आता है। हमें भी कैंची धाम के दर्शन करना थे। नीब करौरी बाबा को हनुमान जी का अवतार माना जाता है। इस स्थान की प्रसिध्दि में एपल के संस्थापक स्टीव जाब्स का बडा रोल है। कहते है कि स्टीव जाब्स पर एक वक्त ऐसा आया था,जब उसने आत्महत्या करने तक का विचार कर लिया था। लेकिन आत्महत्या से पहले जानकारी जुटाने के उद्देश्य से वह उत्तराखण्ड आया और नीब करौरी बाबा से मिल लिया। बाबा ने उसे आशिर्वाद मेें एक सेवफल दिया,उसी के नाम पर स्टीव जाब्स ने अपनी कंपनी का नाम एप्पल रखा। स्टीव जाब्स को सफलता का आशिर्वाद और प्रेरणा यहीं से मिली थी।


बहरहाल यहां भारी भीड थी। पार्किंग में गाडी खडी करके आश्रम में गए,विभिन्न मन्दिरों में दर्शन किए। नीब करौरी बाबा की समाधि पर शीश नवायां और आगे बढ गए।  कल रात गुंजियाल सा.ने सुझाव दिया था कि हमें पिथौरागढ में रुकना चाहिए। उनके सुझाव के मुताबिक यात्रा का कार्यक्रम उन्हे व्हाट्सएपप कर दिया था। कैंची धाम से आगे बढ गए। इस वक्त दो बज चुके थे। 


पिथौरागढ यहां से करीब सवा सौ किमी दूर था।  रास्ते में एक रेस्टोरेन्ट में भोजन के लिए रुके। दोपहर करीब तीन बजे भोजन किया। चाय पी। चाय मैने अकेले पी। अब आगे बढे। तब तक गुंजियाल सा. की ओर से कोई खबर नहीं मिली थी। कैंचीधाम से किलने के कुछ समय बाद गुंजियाल सा.का मैसेज आ गया कि हमारे रुकने की व्यवस्था पिथौरागढ में कन्फर्म है। आगे भी व्यवस्था होती रहने की उम्मीद है।  हम भोजन करके निकले। उस समय करीब साढे तीन हो रहे थे। यहां से निकले,इसी दौरान आशुतोष के फोन पर काल आ गई कि पिथौरागढ में हमारा इंतजार किया जा रहा है।  हम चलते रहे। 


गोल गोल पहाडी रास्ते पार करके हम शाम करीब साढे आठ बजे पिथौरागढ पंहुचे,फिर लोकेशन की मदद से आईटीबीपी कैम्प पर आ गए। हमारे आने का सन्देश पहले ही आ चुका था। आईटीबीपी के आफिसर्स मेस के अतिविशीष्ट डेकोरेटेड करमरों में हमारे रुकने की व्यवस्था थी। डाइनिंग हाल में भोजन भी तैयार था।   आफिसर्स मेस के कमरों में सैटल हुए। रात्रिकालीन गपशप शुुरु हुई। करीब एक डेढ घण्टे बाद भोजन किया। अब कल धारचूला जाना है। जोकि मात्र सौ किमी दूर है। कल शाम तक वहां पंहुचेंगे। फिर देखते है आगे क्या होता है?  


4 सितम्बर 2023 सोमवार (सुबह 8.30)
 आईटीबीपी आफिसर्स मेस पिथौरागढ 


 कल सारा दिन मैं कमर दर्द से परेशान रहा। इससे पिछली रात को हम नैनीताल के सुकून स्टे होटल में ठहरे थे। कमरे में लगे बिस्तर जरुरत से ज्यादा मुलायम थे। इसी वजह से आधी रात के वक्त ही मुझे आभास हो गया था कि कमर में लोचा हो गया है। सुबह उठा तो कमर में दाई ओर दर्द चालू हो चुका था,जो कि वक्त गुजरने के साथ बढता जा रहा था। शाम होते होते दर्द काफी बढ गया था। रास्ते में एक मेडीकल स्टोर से इटोरिकोक्सिब टेबलेट लेने गया,लेकिन वो मिली नहीं।  रात को जब यहां पंहुचे तो तुरंत बिस्तर छोडकर जमीन पर सोने का निर्णय लिया। इसका नतीजा है कि आज की सुबह काफी ठीक है। समस्या पचास प्रतिशत ठीक हो चुकी है।


 सुबह साढे छ: पर नींद खुल गई। नित्यकर्म से निवृत्त होकर थोडा कमर का व्यायाम भी कर लिया। उम्मीद है कि जमीन पर सोने से एक दो दिन में ये समस्या हल हो जाएगी।  आज तो हम आईटीबीपी के मेहमान है। इस वक्त सभी लोग उठ चुके है। कल रात यहां के जवानों को सुबह ब्रेकफास्ट के लिए साढे नौ का समय दिया था। इसलिए अभी वक्त गुजार रहे है,ताकि स्नान होते ही नाश्ता मिल सके। जल्दी नहा लिए तो भूखे पेट इंतजार करना भारी पड जाएगा।  


कल हम नैनीताल में थे। नैनीताल में नैनादेवी मन्दिर और गुरुद्वारे के पास ही एक बडी सी मस्जिद भी बनी हुई है। इस बार उत्तराखण्ड में अनेक स्थानों पर मुस्लिम दुकानें दिखाई पडी। मुसलमान धीरे धीरे उत्तराखण्ड में फैल रहे है।जो कि चिन्ताजनक बात है। इकलौता उत्तराखण्ड ही ऐसा राज्य है जहां दिन में नमाज का शोर नहीं सुनाई देता। लेकिन जिस गति से मुस्लिम यहां घुसपैठ कर रहे है,वह दिन ज्यादा दूर नहीं है जब यहां भी हर जगह नमाज का कानफोडू शोर सुनाई देने लगेगा।   वैसे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार अब फर्जी मजारों को ढहा रही है। लोग भी जागरुक होने लगे है और बाहरी लोगों को यहां से खदेड रहे है।


  कल का दिन हम करीब एक सौ पिच्यासी किमी चले थे। अब यहां से धारचूला मात्र सौ किमी है। यहां से नाश्ता करके निकलेंगे तो शाम से पहले धारचूला पंहुच जाएगें। फिलहाल खबर ये है कि आदि कैलास का रास्ता बन्द है और इनर लाइन परमिट भी अभी जारी नहीं किए जा रहे है। वैसे मैने गुंजियाल सा. को भी इसके बारे में बताया है। अब धारचूला पंहुच कर ही पता चलेगा कि क्या होगा? वहां प्रतीक नाबियाल और विक्रम धामी हमारे कैलाश यात्रा के साथी इंतजार कर रहे है।


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आदि कैलास यात्रा-3 नेपाल सीमा से सटे धारचूला में मालवा के दाल बाफले


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