(01 सितम्बर 23 से 12 सितम्बर 23 तक)
आदि कैलास यात्रा-1 मात्र 58 दिनों के बाद फिर से यात्रा पर...
1 सितम्बर 2023 शुक्रवार (रात 11.55) फिरोजपुर झिरका (हरियाणा)
पिछली यात्रा यानी लेह लद्दाख कश्मीर और हिमाचल की यात्रा 3 जुलाई को सुबह रतलाम पंहुच कर समाप्त हुई थी। सारे मित्रों का दबाव था कि 15 अगस्त को अगली यात्रा प्रारंभ करना है,लेकिन एडीजी गुंजियाल सा.ने लेह में कहा था कि यात्रा सितम्बर में प्रारंभ करना। दशरथ जी और प्रकाश जी पंवार को बडी मशक्कत से समझाया कि 1 से 15 सितम्बर तक डायरी में नो डेट लिख लें। मेहनत मशक्कत के बाद यह तय हो गया कि 31 अगस्त को रतलाम से निकलेंगे। तो इस हिसाब से पिछली यात्रा के मात्र 58 दिन बाद अगली यात्रा तय थी। स्थान भी तय कर लिया था कि आदि कैलास जाएंगे। यात्री पांच थे। मैं दशरथ जी प्रकाश राव संतोष जी और आशुतोष नवाल जी।
समस्या गाडी की थी। ये सोचा कि किराये की गाडी ले लेते है। इस पर भी कोशिशें चली। फिर आशुतोष ने एक दिन मन्दसौर बुलाया। एक गाडी दिखाई,लेकिन ये गाडी जमी नहीं। फिर आशुतोष ने कहा कि एक झायलो है,उसे सर्विसिंग करवा कर उससे चलेंगे। इधर उदित अग्रवाल(टोनी ) भी यात्रा पर जाने का इच्छुक था। यात्रा के आखरी दिनों में संतोष जी की यात्रा रद्द हो गई। फिर टोनी को कहा। उसने अपने ममेरे भाई की इनोवा का जुगाड किया और यात्रा तय हो गई। पहले 31 अगस्त निकलने की तारीख थी,लेकिन पता चला कि 30 अगस्त रक्षाबन्धन के दिन भद्रा नक्षत्र लगेगा इसलिए राखी 31 अगस्त को मनाई जाएगी। तो यात्रा की तारीख 31 की बजाय 1 सितम्बर कर ली।
15 अगस्त के बाद धारचूला में विकी यानी विक्रम धामी और हमारा पुराना साथी प्रतीक सबसे बात हो गई। उन्होने कहा आप आ जाओ,सब जम जाएगा। कुल मिलाकर 1 सितम्बर चय हो गई। तय हुआ कि 1 सितम्बर की सुबह 9 बजे सब लोग इ खबरटुडे आफिस पर आ जाएंगे। आशुतोष को मन्दसौर से लेंगे। फिर योजना बनी कि एटलेन से चलना चाहिए। आशुतोष को बताया तो उसने सीतामउ से एटलेन पर जाइन करने की हामी भर ली।
आज सुबह मैं 9 बजे इ खबरटुडे के आफिस पर पहुंच गया। किशोर मुझे लेने आ गया था। आफिस पंहुचते ही मैने दशरथ जी को फोन लगाया। उन्होने कहा कि मैं रतलाम आ चुका हूं और अस्सी फीट रोड पर हूं। फिर टोनी को फोन किया। वो पहले से तैयार था। 10 मिनट में टोनी पंहुच गया। प्रकाश राव को अल्कापुरी से लेना था। चूंकि दशरथ जी अस्सी फीट रोड पर थे,इसलिए उन्होने कहा कि वो प्रकाश जी को लेकर आएंगे। लेकिन हम लेट हो गए। प्रकाश राव और दशरथ जी 9.45 पर आफिस पंहुचे। तब तक सुरेन्द्र सिंह भामरा,संतोष जी राहूल और प्रतिमा ताई आफिस पर आ गए थे। सबने हमें बिदा किया। नाश्ता किशोर ले आया था। जो हमने गाडी में रख लिया और रवाना हो गए।
करीब एक घण्टे बाद सीतामउ में आशुतोष और पूरी टीम मिल गई। एटलेन पर ही बिदाई समारोह हो गया। यहां पंकज,गज्जू,दिवाकर,पंकज तिलक,भूपेन्द्र तोमर आदि सब लोग मौजूद थे। बिदाई समारोह के बाद करीब साढे बारह बजे हम एटलेन पर सीतामउ से रवाना हुए। करीब डेढ बजे भानपुरा से आगे दर्रा पर एटलेन समाप्त हो गया। हम एटलेन से नीचे उतरे सभी को भूख लगी हुई थी। एक ढाबे पर रुके। उसने कहा सेव और भिण्डी की सब्जी के अलावा और कुछ नहीं है। हम इसी पर राजी हो गए। भोजन किया। आगे बढे।
दौसा से दिल्ली का एटलेन तैयार हो चुका है। हम इसी एटलेन से दिल्ली और आगे पैरिफैरल रोड पकड कर उत्तराखण्ड जाना चाहते थे। एटलेन हम छोड चुके थे। जो कि अब हमें दौसा में मिलना था। फिर से एटलेन पकडने में हमें करीब 5 घण्टे लग गए। दौसा से कुछ किमी पहले हमने एटलेन पकड लिया था। अब शाम हो चुकी थी। हम जानते थे कि 8 लेन पर रात गुजारने की व्यवस्था नहीं है। फिर भी हमें लगा था कि एटलेन पर जो रेस्ट एरिया बने है,शायद वहां रैनबसेरे की व्यवस्था होगी। इसी चक्कर में 3-4 रेस्ट एरिया चैक कर लिए लेकिन वहां सिर्फ भोजन था,रात गुजारने की व्यवस्था नहीं थी।
आगे अलवर आ रहा था। इस वक्त शाम के करीब साढे सात बज चुके थे। हमने तय किया कि अलवर में उतरकर होटल ले लेंगे। हम अलवर के कट पर उतर गए लेकिन टोल बूथ के कर्मचारी ने जोर देकर कहा कि अगले रेस्ट एरिया में रात गुजारने की सुविधा भी है। हम चाहते थे कि एटलेन रोड की व्यवस्थाओं को नजदीक से देखेें। अलवर के टोल से बाहर निकले,लेकिन टोलकर्मी की सलाह पर फिर से एटलेन पर चढ गए। रेस्ट एरिया मात्र एक किमी आगे था। वहां पंहुचे तो पता चला कि भोजन तो है,लेकिन रुकने की व्यवस्था नहीं है। वहीं के एक कर्मचारी ने बताया कि पांच सौ मीटर आगे एक कट मिलेगा जहां से यू टर्न करके फिर से अलवर जा सकते है,लेकिन आगे बढने पर पता चला कि यू टर्न को बन्द किया जा चुका है। आगे बढे।
कुछ किमी चलने पर आगे फिरोजपुर झिरका का बोर्ड नजर आया। तय किया कि यहीं पे उतर कर रात गुजारेंगे। एट लेन से उतरे तो करीब दस किमी चलने पर फिरोजपुर झिरका गांव आया और ये होटल मिला। ये पूरा इलाका मेवात का इलाका है। नूंह यहां से सिर्फ 38 किमी दूर है। सड़कों पर जालीदार टोपी वाले ही नजर आ रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे पाकिस्तान में आ गए हो। इस होटल में सत्ताइस सौ रु, में दो रुम लिए। ये हिन्दू का एकमात्र होटल है। रुम लिए। भोजन किया। अब सोने की तैयारी है।
02 सितम्बर 23 शनिवार (सुबह 8.40)
होटल चुटानीस फिरोजपुर झिरका
रात को तय किया था कि सुबह आराम से उठकर सुबह नौ बजे तक निकलेंगे। इस वक्त तीन लोग स्नान करके तैयार हो चुके है। मुझे अभी स्नान करना है और नवाल सा.स्नान कर रहे है। रतलाम से चलकर हम अब तक करीब 630 किमी चल चुके है। इस बार एटलेन और आगे भी एक्सप्रेस वे होने से गतिच अधिक है,इसलिए हम एक दिन रपहलेही धारचूला पंहुच सकते है। इसलिए विचार ये है कि बीच में किसी स्थान पर एक दिन गुजारेंगे। अब निकलने की तैयारी है।
02 सितम्बर 2023 शनिवार (रात 11.35)
होटल सुकून स्टे नैनीताल
इस वक्त हम प्रसिध्द पर्यटन स्थल नैनीताल के होटल सुकून स्टे में ढाई हजार रु. में दो रुम लेकर रुके हैं। हम यहां शाम साढे सात बजे पंहुच गए थे। यहां रुकने की कहानी भी रोचक है। हम रामपुर से निकले थे। दोपहर करीब तीन बजे। यात्रा की शुरुआत में टोनी ने कहा था कि नैनीताल हमारे रास्ते से मात्र 40 किमी दूर ही पडता है,वहां जरुर जाना है। हम में से किसी को भी नैनीताल जाने की इच्छा नहीं थी। हम कई बार नैनीताल के पास से गुजरे है,लेकिन हमें पता था कि यहां एक तालाब है ,एक मन्दिर है। ऐसी चीजें हर पर्यटन स्थल पर होती है। लेकिन चूंकि टोनी का उत्साह था इसलिए यहां आना था।
एक और बडा कारण यह भी था कि एटलेन रोड और शानदार रास्तों की वजह से हम दूसरे ही दिन उत्तराखण्ड में प्रवेश कर चुके थे,वरना पिछले साल तक यहां तक आने में तीन दिन लगा करते थे। इसलिए जब योजना बनाई थी,तब धारचूला पंहुचने में 4 दिन का वक्त गिना था। लेकिन अभी तो हम तीसरे ही दिन धारचूला पंहुच सकते थे। इसलिए एक दिन अतिरिक्त था,तो नैनीताल आ गए।
सुबह झिरका फिरोजपुर से समोसे और पनीर पकौडे खाकर निकले थे। उस रेस्टोरेन्ट में चाय नहीं थी। सोचा था कि एटलेन के रेस्ट एरिया में चाय मिल जाएगी। लेकिन यहां से आगे पूरे एटलेन में कहीं ङी रेस्ट एरिया चालू नहीं हुए थे। एटलेन पार किया तो दिल्ली के बाहर से ही इस्टर्न पैरिफैरल एक्सप्रेस वे पर पंहुच गए. इस रोड पर भी कहीं ङी चाय की व्यवस्था नहीं थी। करीब ढाई घण्टे बिना किसी व्यवस्था के चलते रहे। इस्टर्न पैरिफैरल रोड पार करके हापुड वाले हाईवे पर आए. इस हाई वे पर बढते ही शिवा ढाबा हापुड वाले का बोर्ड नजर आया। शानदार होटल था। महंगा भी। इस वक्त करीब साढे बारह हो गए थे, भूख भी लग आई थी। सीधे भोजन का आर्डर दिया। 5 लोगों का भोजन करीब एक हजार रु. का पडा।
भोजन करके आगे बढे। रामपुर में टोनी की भतिजियों की ससुराल में जाना था। करीब सवा दो बजे वहां पंहुचे। उ्होने चाय और भारी नाश्ते की व्यवस्था कर रखी थी। हम भरपेट भोजन करे हुए थे। इसलिए वहां मैने तो सिर्फ चाय पी। साथियों ने थोडा नाश्ता भी किया। वहीं हमे बताया गया कि यदि नैनीताल जाना है तो कालाढूंगी वाला रास्ता छोटा और अच्छा है। वैसे नैनीताल हमारे धारचूला के रास्ते से थोडा अलग पडता हैलेकिन चूंकि तय कर चुके थे कि नैनीताल जाना है और हमारे पास एक अतिरिक्त दिन भी था। इसलिए कालाढूंगी होकर नैनीताल की तरफ बढ चले। रास्ते में चलते हुए मैने अगोडा पर आनलाइन नैनीताल का एक होटल बुक कर लिया। होटल का नाम था,माउण्ट एन्ड लेक ,चौबीस सौ रु. में दो रुम पांच गेस्ट। बुकींग की कन्फर्मेशन भी आ गई।
नैनीताल में माल रोड पार करके बडे खतरनाक संकरे रास्ते पर चलकर इस होटल माउण्ट एन लेक पर पंहुचे। यहां पता चला कि हमारी बुकींग असल में भीमताल के माउण्ट एन लेक होटल में है। यहां के होटल का नाम माउण्ट एण्ड लेक है,जबकि भीमताल का होटल माउण्ट एन लेक है। सिर्फ 'एन' और 'एण्ड' का अन्तर था। भीमताल नैनीताल से करीब बीस किमी दूर है। हम भीमताल भी जा सकते थे,लेकिन यहां नैनीताल में उसी होटल वाली रोड पर इस सुकून स्टे में हमें पच्चीस सौ रु. में दो रुम मिल गए। रुम बढिया थे। यहीं रुकने का फैसला किया। तब तक आठ बज गए थे। हम कमरों में आ गए।भोजन का आर्डर देकर गपशप करते रहे।
कल आीटीबीपी के आईजी गुंजियाल सा. से बात नहीं हो पाई थी। आज उन्ही का फोन आ गया। उन्होने ठहरने की व्यवस्था की बात कही। मैने कहा आप आने की कोशिश कीजिए। बहरहाल वे बहुत व्यस्त है,उनका अभी आना संभव नहीं है। लेकिन उन्होने कहा कि मुझे तुम्हारा प्रोग्राम भेज दो ताकि मैं रुकने आदि की व्यवस्था हो सके। ये प्रोग्राम हम उन्हे कल भेजेंगे। इसी दौरान वैदेही और फिर चिंतन से बात हो गई। कल सुबह उठकर नैनीताल घूमना है और दोपहर तकयहां से रवाना हो जाना है। हमारी अगली मंजिल धारचूला है। जहां से हम आदि कैलाश की यात्रा प्रारंभ करेंगे। इस वक्त बारह बजकर चार मिनट हो चुके है और तारीख बदल चुकी है,इसलिए अब सोने की तैयारी
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