Sunday, December 17, 2023

आदि कैलास यात्रा-4 आखिर मिल ही गया इनर लाइन परमिट

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06 सितम्बर 2023 बुधवार (सुबह 9.30)
 होटल आदि कैलास धारचूला 

इस वक्त मैं पूरी तरह तैयार हो चुका हूं। दशरथ जी भी तैयार है। नवाल सा.स्नान कर रहे हैं। पंवार सा.अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।  आज का दिन हमें परमिट का इंतजार करना था,इसलिए सुबह से ही बोरियत हो रही थी।  सुबह 6.30 पर नींद खुल गई थी। उठने की इच्छा नहीं थी,सोने का मन नहीं था। इसी अन्तदर््वन्द में मैं जैसे तैसे उठा। बहुत धीरे धीरे नित्यकर्म निपटा रहे थे कि अचानक दशरथ जी ने प्रस्ताव रखा कि जब करने को कुछ है ही नहीं तो नारायण आश्रम हो आते हैं।


 नारायण आश्रम यहां से करीब 60 किमी दूर है। कैलास मानसरोवर यात्रा पहले नारायण आश्रम होकर ही जाती थी,लेकिन जिस वक्त हम गए थे,तब यह रास्ता बन्द था। इसलिए हम उस वक्त नारायण आश्रम नहीं जा पाए थे।   नारायण आश्रम जाने की बात से सभी उत्साहित हो गए और जल्दी जल्दी तैयार होने लगे। इसी का नतीजा था कि कुछ ही देर में सभी तैयार हो गए। मैने प्रतीक को भी फोन कर दिया है। हमारी गाडी पंचर है। जो से पहले उसे ठीक करवाना पडेगा। तब हम निकल पाएंगे। प्रतीक ने आधे घण्टे में आने का कहा है।  


 06 सितम्बर 2023 (रात 10.00 बजे) 
प्रतीक का होम स्टे नाबी


  इस वक्त हम नाबी गांव में प्रतीक के घर पर बने होम स्टे में ठहरे हुए है। हम यहां पौने आठ बजे पंहुचे थे।   सुबह साढे नौ बजे हम लोग नारायण आश्रम जाने का विचार कर रहे थे। प्रतीक का इंतजार कर रहे थे। प्रतीक आया तो नई खबर लेकर आया कि इनर लाइन परमिट आज ही जारी हो रहा है। इसलिए नारायण सेवा आश्रम जाने का आइडया ड्राप करके फौरन परमिट लेने की तैयारी में जुट गए। होटल से निकले,सीधे एसडीएम आफिस गए। इसी दौरान मैने अपने मोबाइल पर चैक किया तो पता चला कि परमिट इश्यू हो गया है। लेकिन इसका प्रिन्ट भी लेना था। हमने तय किया कि पहले नाश्ता कर लेते है,फिर होटल के सामने ही कम्प्यूचर वाले से प्रिन्ट निकलवा लेंगे।   


एक रेस्टोरेन्ट में नाश्ता  करके लौटे। अब आदि कैलास यात्रा पर जाना तय हो गया था। नाश्ता करके  लौटे। होटल के सामने वाले कम्प्यूटर दुकान से सभी परमिट के कलर प्रिन्ट निकलवाए।  होटल लौट कर यात्रा पर जाने का जरुरी सामान सैट किया।  आदि कैलास की यात्रा तीन दिन की है। इसलिए इतना ही लगेज लेकर जाना था,जो जरुरी है। सभी के पास पिट्ठू बैग थे,सिवाय मेरे और दशरथ जी के। हमने ये तय किया कि हम दोनो मेरे ही बडे वाले पिट्ठू बैग में सामान लेकर चलेंगे।  सारा सामान सैट हो गया,तो प्रतीक को फोन किया। उसने कहा राहूल गाडी लेकर पंहुच रहा है।


 इस वक्त साढे ग्यारह बज चुके थे। राहूल के इन्तजार में करीब एक घण्टा गुजर गया।   फिर अचानक ध्यान आया कि हमारी गाडी पंचर खडी है। उसे ठीक कराना भी जरुरी है। टोनी और दशरथ जी प्रतीक को साथ लेकर इनोवा का पंचर बनवाने के लिए निकले। बाकी हम तीनो ने यात्रापर जाने वाला सामान राहूल की गाडी पर चढाया। धारचूला मं रखने वाला सामान प्रतीक के दोस्त कैलाश के हवाले छोड कर हम राहूल की गाडी में सवार हो गए।  करीब साढे बारह बजे हम गाडी में सवार होकर निकल गए थे। लेकिन अभी टोनी और दशरथ जी गाडी का पंचर बनवाने गए थे। गाडी ठीक हो चुकी थी,लेकिन अभी इसे पार्किंग में खडी करने के लिए जाना था।  दशरथ जी और प्रतीक गाडी पार्क करने के एि निकले। हम वहीं इंतजार करते रहे। आखिर में करीब सवा दो बजे ये लोग लौटे। तब जाकर हम आदि कैलास यात्रा के लिए रवाना हो पाए। 


  हम लोग करीब ढाई पौने तीन बजे धारचूला से रवाना हुए। पहले पांगला पंहुचे। पुरानी यादें ताजा हो गई। पांगला से करीब दो किमी पहले पुल पर हमारी गाडियां फंस गई थी और वहीं से ट्रेकिंग शुरु करना पडी थी। वो पुल भी देखा। वहां से गुजर गए। बीआरओ (बार्डर रोड आर्गेनाइजेशन) ने गजब की मेहनत की है। जहां रोड मौजूद है,शानदार है। बाकी लैण्ड स्लाइड ने बिगाड दिया है। इसलिए बेहद खतरनाक है।  हमारे साथियों ने कहा था कि एक बार बुधी पार हो जाएगा तो उसके बाद कोई समस्या नहीं रहेगी। कहीं अच्छा और कहीं बेहद खराब और खतरनाक रास्ता। शाम पांच बजे के करीब हम बुधी पंहुचे।


 पहले हमे सौरभ मिला। सौरभ मानसरोवर यात्रा में हमारे साथ ही रहा था। फिर बुधी में धर्मा भी मिल गया।   सब लोगों से मुलाकात हुई। सुबह से भोजन नहीं हुआ था।  यहां भी भोजन नहीं था। सभी ने मैगी बनवा कर खाई। आनन्द आ गया। वहां से चले तो सौरभ भी हमारे साथ हो गया। गाडी में लोग ज्यादा हो गए थे। इसलिए अब प्रतीक और सौरभ गाडी की छत पर बैठकर यात्रा कर रहे थे। रास्ते की हालत वैसी ही थी,कहीं अच्छी और कहीं बेहद खराब।  लेकिन इस इलाके के लोगों के इलए ये खराब सडक भी वरदान से कम नहीं है। टूरिज्म लगातार बढ रहा है। प्रतीक ने अपने घर में होम स्टे बनवा लिया है।  


हम शाम 8.00 बजे यहां पंहुच गए थे। जहां जीप रुकी थी,वहां से करीब तीन सौ मीटर उपर चढ कर प्रतीक के घर पंहुचे। प्रतीक के होम स्टे में 10-10 बेड के दो बडे रुम्स बनाए हैं। टाइलेट कामन बनाए हैं।  अभी ये होम स्टे शुरुआती दौर में है। आने वाले समय में यहां सुविधाएं और बढेगी।   यहां आकर प्रतीक और सौरभ के साथ चकती का प्रसाद लिया और शानदार भोजन किया।  इस वक्त साढे दस बज चुके है। सभी मित्र सौ चुके है। अब मैं भी सोने वाला हूं। कल सुबह आदि कैलास के लिए निकलेंगे।  शुभ रात्रि.....।

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आदि कैलास यात्रा-5 महादेव के निवास की हूबहू प्रतिकृति है आदि कैला

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