Sunday, December 17, 2023

आदि कैलास यात्रा-(अंतिम)- बारिश और भू स्खलन के बीच वापसी और नरी सैमरी माता के दर्शन

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10 सितम्बर 23 रविवार (सुबह 8.20) 
होटल हिमालय दर्र्शन बैरिनाग
 

 इस वक्त हम निकलने की तैयारी कर रहे हैं। प्रकाश राव अभी अभी उठे है। उनका स्वास्थ्य अब वे ठीक बता रहे हैं। आशुतोष और मेरा स्नान अभी बाकी है। दूसरे कमरे में टोनी काफी देर से जागा हुआ है,दशरथ जी को मैं उठा कर आया हूं।  कल दोपहर से हल्की बारिश शुरु हो गई थी। कभी धीमी,कभी तेज। इस वक्त भी बारिश हो रही है। होटल के कमरे के बाहर पूरे पहाड का शानदार नजारा दिखाई देता है। लेकिन बारिश हो रही है,तो बादलों ने पूरे इलाके को ढंक लिया है। बादलों की वजह से कुछ भी नजर नहीं आ रहा है। होटल का व्यू मौसम साफ होता तो बेहद शानदार होता।


  कल भी जब पाताल भुवनेश्वर से बैरिनाग के लिए चले थे,पहाडों पर बादलों के अत्यन्त सुन्दर और स्वार्गिक दृश्य दिखाई दे रहे थे। कई बार तो बादल हमारे रास्ते पर ही आ रहे थे,जिससे दिन की रोशनी होने के बावजूद सड़क पर कुछ भी देख पाना संभव नहीं था,और हेडलाइट जला कर धीमे धीमे चलना पड रहा था।  पाताल भुवनेश्वर धारचूला से हलद्वानी के सीधे रास्ते से हट कर है और करीब सौ किमी अतिरिक्त चलना पडता है। यहां से अलमोडा 110 किमी है। अल्मोडा से फिर हम हलद्वानी के हाईवे पर पंहुच जाएंगे। उम्मीद है कि आज हम पहाडों से नीचे उतर जाएंगे।  


10 सितम्बर 23 रविवार (रात 11.30) 
होटल अशोका डी ग्रैण्ड हलद्वानी 


 इस वक्त हम हलद्वानी के इस होटल के एक कमरे में पांच बिस्तर लगाकर सोने की तैयारी में है।  हम सुबह 9.45 पर बैरिनाग के हिमालय दर्शन होटल से निकले थे। हमने गलत रास्ता पकड़ लिया था। फिर गूगल मैप और लोगों से पूछ पाछ कर सही रास्ता पकडा। सही रास्ते पर चले काफी देर बाद यानी करीब 11.30 पर एक होटल मिला जहां शानदार भोजन मिल गया।  


 सुबह से बल्कि रात से ही बारिश हो रही थी।बादल छाए हुए थे। जब भोजन करने रुके तब बारिश तेज हो गई थी। होटल में शानदार घर जैसी सब्जियां और रोटियां थी। मैने एक पराठा बनवाया। करेला,काले चने,और आलू बैंगन की सब्जी के साथ बेहतरीन भोजन किया। हम यहां से आगे बढे। बारिश थमने का नाम नहीं ले रही थी। हमारा रास्ता करीब दो सौ किमी का था। हमारा विचार था कि हम हलद्वानी पार करके 50-60 किमी आगे मैदानी इलाके में पंहुच जाएंगे। लेकिन जब हलद्वानी 15 किमी दूर था,वहीं जाम लगा हुआ था।  इस जाम की वजह से हम 15 किमी का रास्ता करीब साढे तीन घण्टे में पार कर पाए।


 हलद्वानी में टोनी को किसी परिचित को एक गिफ्ट पैक देना था। वह व्यक्ति मेन रोड पर ही था। वहां सामान दिया,तब रात के सवा नौ बज चुके थे। सामान देकर आगे भडे। होटल की तलाश थी ताकि तुरंत रुक जाएं। बारिश लगातार हो रही थी।इसी दौरान हम सभी के मोबाइल पर मैसेज आया कि उत्तराखण्ड के पिथौरागढ और अल्मोडा जिलों में जबर्दस्त बारिश होगी।  बारिश लगातार हो रही थी,तेज हो रही थी। ऐसी स्थिति में इस होटल में आए। एक कमरा पांच बिस्तर वाला तय हो गया। सारा लगेज उपर लाए। भोजनादि से निवृत्त हुए। अब सोने की बारी है। मुझे लगता है कि एक रात्रि विश्राम के बाद हम रतलाम पंहुच जाएंगे।  


11 सितम्बर 2023 सोमवार(सुबह8.45)
 होटल अशोका डी ग्रैण्ड हलद्वानी  


इस वक्त मैं नहा धोकर तैयार हो चुका हूं। बाकी लोग भी तैयार हो रहे है। प्रकाश राव स्नान कर चुके है। उदित अग्रवाल भी स्नान कर रहे हैं। दशरथ जी और नवाल सा.भी तैयार हो रहे है।  हम अपनी यात्रा के अंतिम चरण में है। आज हम टोनी की कुलदेवी के दर्शन करते हुए जयपुर के आसपास पंहुच जाएंगे और कल मन्दसौर होते हुए रतलाम। ये यात्रा बारह दिनों में पूरी हो जाएगी।  


इस पूरी यात्रा में हमने उत्तराखण्ड के कुमाऊं क्षेत्र में तिब्बत और नेपाल की सीमा को छुआ। धारचूला ने नेपाल के दारचूला में गए। धारचूला में भारत की आखरी सीमा तक बनी सड़क पर चलकर आदि कैलास,नाभिढांग और ओम पर्वत के दर्शन किए। सड़क तो बन गई है,लेकिन हिमालय की चुनौतियां है। जितनी सड़क बनती है,भूस्खलन उसे बरबाद कर देता है। बीआरओ यानी बार्डर रोड आर्गेनाईजेशन लगातार सड़क को चालू रखने में जुटा रहता है।  


जब हम ओम पर्वत से धारचूला लौट रहे थे,बुधी से ठीक पहले भू स्खलन से रास्ता बन्द हो गया था। बीआरओ की एक पोकलेन मशीन ने कुछ ही घण्टों में रास्ता चलने लायक बना दिया। यहां के मशीन आपरेटर,जेसीबी और पोकलेन चलाने वाले बेहद साहसी है और मशीनों को पहाड पर खतरनाक  उंचाई तक चढा देते है। उन्ही की कार्यकुशलता का असर है कि रोड चलते रहते है।  


हम बेहद भाग्यशाली रहे कि हम आदि कैलास के दर्शन कर पाए। क्योकि जिस दिन हम दर्शन करके धारचूला लौटे,उसी के बाद से लगातार बारिश शुरु हो गई थी। हम जब धारचूला से पाताल भुवन्श्वर जा रहे थे,बारिश धीमी थी,लेकिन वहां से हलद्वानी आने के दौरान दिन भर तेज बारिश होती रही। हमे हाईवे पर जगह जगह लैण्ड स्लाइडिंग होती नजर आई। गनीमत ये रही कि इससे हाईवे बन्द नहीं हुआ और ना ही हमें कोई क्षति पंहुची।


 धारचूला से हमारे निकलते ही प्रशासन ने आदि कैलास यात्रा पर रोक लगा दी। वो केवल एक दो दिन थे,जब प्रशासन ने आदि कैलास जाने की अनुमति दी थी। हमारे निकलने के बाद बारिश के चलते रास्ते बन्द हो गए। कल धारचूला में प्रतीक ने फोन करके बताया था कि रास्ता बन्द हो गया है।   अब यहां से निकलने की तैयारी है।  


11 सितम्बर 2023 रात 12.00 बजे
 होटल मामा भांजा जयपुर मन्दसौर हाईवे
  


इस वक्त हम जयपुर बायपास पार करके जयपुर से कुछ ही आगे मन्दसौर रोड पर एक होटल में रुके है। कल शाम हम हलद्वानी के एक होटल में थे। आज सुबह वहां से निकले थे। हमारा टार्गेट था कि जयपुर पार करके कहीं रुकना है,ताकि हम कल शाम तक मन्दसौर पंहुच जाएं।  हम इस होटल पर आए। आते ही यहां सारी व्यवस्था हो गई। दो एसी रुम और एक अतिरिक्त बिस्तर। कमरे में पंहुचे कि तभी चिंंतन का फोन आ गया। चिन्तन को किसी वेबसीरीज में आडियो मेन्टेनेन्स का काम मिला है।


  इधर उसका फोन आया,उधर हम होटल में कमरे देखने घुसे। कमरे देख रहा था,चिन्तन से बात कर रहा था। सब कुछ जल्दी ही सैट हो गया। गपशप की,भोजन किया। यात्रा के हिसाब पर माथापच्ची की। अब सोने की तैयारी। आज हम करीब 660 किमी का सफर कर चुके है। इस दौरान टोनी की कुलदेवी नरी सैमरी पर भी पंहुचे। वहां दर्शन किए। फिर जयपुर वेस्टर्न कारिडोर को पार करके आगे बढे तब तक रात के 9.20 हो गए थे। होटल देखते देखते 9.45 हो गए थे। 9.45 पर होटल मिला। बढिया से रुके। अब सोने की तैयारी.....।  


12 सितम्बर 23 मंगलवार (सुबह 9.30) 
होटल मामा भांजा जयपुर मन्दसौर हाईव 


 इस वक्त हम तैयार होकर निकलने की तैयारी में है। आज यात्रा का अंतिम दिन है। मित्रों का कहना है कि सांवरिया सेठ के दर्शन करते हुए जाना है। यहां से निकलेंगे तो सांवरिया जी क दर्शन करते हुए मन्दसौर पंहुच जाएंगे। सब लोग तैयार हो चुके है। अब तक हम करीब 2500 किमी की यात्रा कर चुके है और करीब पांच सौ किमी और चलना है। 


 13 दिसम्बर 2023 (अपरान्ह 3.00) 
इ खबरटुडे आफिस रतलाम


  हमारी यात्रा 12 सितम्बर को मन्दसौर और फिर रतलाम पंहुच कर समाप्त हो गई थी। लेकिन यात्रा वृत्तान्त को कम्प्यूटरीकृत करने का काम आज समाप्त हुआ है। यात्रा का समापन मन्दसौर में कई सारे मित्रों की मौजूदगी में हुए स्वागत समारोह के साथ हुआ था। रतलाम के मित्र भी मन्दसौर पंहुच गए थे। पिछली कई यात्राओं के समापन की यही परम्परा सी बन गई है। मन्दसौर में स्वागत समारोह भोजन आदि के समापन के बाद जब हम वहां से चले तो रात करीब बारह बजे तारीख बदलने के वक्त रतलाम पंहुच गए। सभी मित्रों को उनके घरों पर छोडने के बाद मैं और टोनी आखरी में अपने घरों को पंहुचे।   रतलाम में आते ही काम की व्यस्तताएं इतनी अधिक हो गई थी कि यात्रा वृत्तान्त को कम्प्यूटरीकृत करने का समय ही नहीं मिल पा रहा था। बहुत धीरे धीरे,थोडा थोडा कर के डायरी में लिखे वृत्तान्त को कम्प्यूटर में उतारा और यह काम आज जाकर सम्पन्न हो पाया।   


17 दिसम्बर 2023 रविवार
इ खबर टुडे ऑफिस 

 यात्रा वृत्तांत को कम्प्यूटरीकृत करने का काम 13 दिसम्बर को हो गया था लेकिन इसके बाद इसे ब्लॉग पर अपलोड करने का काम आज हो पाया है। तारीखे रेकॉर्ड पर रहे इसलिए इसे भी दर्ज किया है। 

अब अगली यात्रा का इंतजार...। समाप्त।      

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