22 दिसम्बर 2023 शुक्रवार (रात 1.00)
पप्पू एण्ड पप्पू रिजार्ट,सोनकच्छ
पिछली यात्रा आदि कैलास वाली 12 सितम्बर 23 को समाप्त हुई थी। फिर विधानसभा चुनाव आ गए। इस यात्रा की कोई योजना नहीं थी। 13 दिसम्बर को मलय,मिजोरम से आने वाला था,उसे लेने इ्नदौर गए। समय था,इसलिए एयरपोर्ट के नजदीक बाबा मौर्य के घर चले गए। बैठे,बातें हुई। तो बाबा ने कहा कि राम मन्दिर के प्राण प्रतिष्ठा से पहले एक बार अयोध्या चलना चाहिए। मैने फौरन हां कह दिया। रात दो बजे रतलाम लौटे थे। लेकिन अगले ही दिन बाबा का फोन आ गया कि अयोध्या चलना ही है। मैने भी हां कह दिया। फिर राजेश घोटीकर को भी चलने के लिए तैयार किया।
21 दिसम्बर को प्रकाश राव के कहने पर भोपाल जाने का कार्यक्रम करीब एक महीने पहले तय हो गया था। 22 दिसम्बर की शाम बाबा का एक कार्यक्रम भोपाल में तय था। बाबा मौर्य 22 को इन्दौर से चलकर भोपाल पंहुचेंगे। हम 21 को रतलाम से निकल गए। हमारा 21 को भोपाल जाना तो तय ही था। हमलोग शाम 5 बजे रतलाम से निकले। डा. दिनेश राव की नई आर्टिगा सीएनजी वाली लेकर चले। हम चार यानी मै,प्रकाश राव,राजेश घोटीकर और संतोष त्रिपाठी।
योजना यह थी कि रास्ते में रात कहीं रुक कर सुबह भोपाल जाएंगे। अंदाजा था कि रात आठ साढे आठ तक देवास पार करके रुकेंगे,लेकिन अब उज्जैन देवास नेशनल हाईवे बन चुका है। भोपाल का बायपास कब चूक गए पता ही नहीं चला। करीब 8 किमी रांग साइड चल कर भोपाल बायपास आए। तब पता चला कि ये वो वाला बायपास रोड नहीं है,जिससे हम अक्सर जाते है। खैर साढे नौ बजे तक भोपाल बायपास से देवास पार करके रात गुजारने की जगह तलाशने लगे। आखिरकार हमारी खोज रात 11 बजे पप्पू एण्ड पप्पू रिसोर्ट पर आकर खत्म हुई। 2800 रु. में दो रुम लेकर रुके है। भोजन करके कमरे में आए तब तक तारीख 21 से बदलकर 22 हो चुकी थी।
अयोध्या आन्दोलन चालू हुआ तब से अयोध्या की चार यात्राएं कर चुका हूं। ये अयोध्या की पांचवी यात्रा होगी। कल दिन में बाबा मौर्य इन्दौर से भोपाल पंहुचेंगे। फिर मै और राजेश बाबा के साथ अयोध्या के सफर पर चल पडेंगे। प्रकाश राव और संतोष जी रतलाम लौट जाएंगे। एक खास बात और। भोपाल की कई दर्जन यात्राएं कर चुका हूं। पहली बार रोड वाले होटलों की तलाश की तो पता चला कि भोपाल के रास्ते में रात गुजारने के लिए गिने चुने होटल्स ही है। पप्पू एण्ड पप्पू में भी दर्जनों बार रुका हूं लेकिन यहां रात गुजारने का मौका पहली बार ही मिला है।
कल सुबह यानी 22 दिसम्बर को यहां से भोपाल पंहुचेंगे और बाबासे मुलाकात के बाद अयोध्या के लिए रवाना होगा। इस वक्त रात के 1.15 हो चुके है। तारीख 21 से 22 हो चुकी है। डायरी लिख चुका हूं। अब सोने का समय.....।
23 दिसम्बर 2023 शनिवार (शाम 7.45)
होटल अतिथी गेस्ट हाउस, लखनऊ (उ.प्र.)
इस वक्त मैं अभी स्नान करके बाहर निकला हूं। भोजन तैयार हो रहा है। जल्दी भोजन करके सोने की तैयारी है। आज का पूरा दिन बिना मुंह धोए,बिना दंतमंजन किए,बिना भोजन किए गुजरा है और यहां लखनऊ पंहुच कर हमारे काम समाप्त हुए है। अब कहानी वहीं से जहां छोडी थी....
22 दिसम्बर 23
सोनकच्छ,भोपाल,लखनऊ सोनकच्छ के पप्पू एण्ड पप्पू रिसोर्ट से निकलने में काफी देर हो गई। रात को जब स्टेट फोरम की काजलिस्ट देखी थी तो पता चला था कि प्रकाश राव का केस दोपहर दो बजे वाली काजलिस्ट में है। उसमें भी 43 नम्बर है। सीधा सा मतलब था कि दोपहर तीन बजे के पहले नम्बर नहीं आएगा। इसी चक्कर में बडे आराम से 8 बजे तक सोता रहा। बाकी के लोग अपने टाइम से उठकर तैयार हो रहे थे।
9 बजे प्रकाशराव पूरी तरह तैयार होकर मेपे कमरे में आए कि जल्दी चलना है,क्योकि भोपाल वाले वकील सा. को कहीं बाहर जाना है। मैने कहा कि अब एकाध घण्टे पहले मैं तैयार नहीं हो राउंगा,क्योंकि रात को आराम से उठने का निर्णय हुआ था। 9.15 तक बाकी के तीनो साथी घोटीकर जी,त्रिपाठी सा.और पंवार सा.पूरी तरह तैयार थे,इधर मेरा तो स्नान भी नहीं हो पाया था। मुझे तैयार होते होते साढे नौ हो गए। मैं तैयार हुआ तब तक बाकी तीनो का नाश्ता हो चुका था। मैं नीचे उतरा तो मैने एक डोसा लिया।
नाश्ता करके 10 बजे चले। करीब साढे ग्यारह बजे भोपाल के पास पंहुचे। पंवार सा. चाहते थे कि पहले स्टेट फोरम चले। वहां पंहुचे। उनके भोपाली वकील सा.का जूनियर वहीं था। उससे मिले। केस का नम्बर दोपहर तीन बजे तक आने की उम्मीद थी। वहां पौने एक बज रहे थे। ये तय किया कि चलकर भोजन किया जाए। लौटते हुए दो बज जाएंगे। हमने एमपी नगर में मनोहर डोयरी में भोजन किया।
भोजन कर करा के निकले तो ढाई बज रहे थे। 2.45 पर कोर्ट पंहुचे। पंवार सा. उपर गए तो पता चला कि 63 वां नम्बर चल रहा है। ये कैसे हो गया,43 वां नम्बर इतनी जल्दी कैसे निकल गया? फिर पता चला कि कोर्ट ने बडी तेजी से मामले निपटाए थे। खैर पंवार सा. को केवल वकील पत्र पेश करना था,जो कर दिया गया। अब पंवार सा.और संतोष जी रतलाम जाने को तैयार थे। मैने बाबा से पूछा तो पता चला कि बाबा का कार्यक्रम शारदा विहार में है। संघ के महाविद्यालयीन विद्यार्थियों के शीत शिविर था,जिसमें बाबा का कार्यक्रम था। पंवार सा. और त्रिपाठी जी हमे सवा पांच बजे शारदा विहार पर छोड गए।
हमारी इच्छा नींद निकालने की थी । काफी देर तक गेट पर इंतजार करते रहे। करीब पौने छ: बजे भीतर से कोई लेने आया। बाबा के लिए दो कक्ष आरिक्षित थे। हमारा इरादा कमरे में पंहुचते ही सोने का था। उपर पंहुचते ही मुझे ध्यान आया कि मेरा चश्मा नदारद है। ढूंढा तो नहीं मिला,तो तुरंत पंवार सा. को फोन किया कि जहां हो वहीं रुक जाओ। चश्मा नहीं मिला। पंवार सा. तब तक दो तीन किमी निकल गए थे। उन्हे वापस लौटाया। थोडी नाराजगी के बाद वे लौट कर आए,लेकिन गाडी में चश्मा नहीं मिला। आखिरकार उन्हे बिदा किया। उपर कमरे में आया तो चमत्कार की तरह चश्मा सामने आ गया।
अब हम सोना चाहते थे,ताकि बाबा आएं तब तक हमारी थकान मिट जाए। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। कार्यक्रम की तैयारी कर रहे कार्यकर्ता फोन लगाकर बुला रहे थे कि आप नीचे आकर व्यवस्था देख लो। आखिरकार नीचे गए। व्यवस्थाएं देखी। कुल मिलाकर आराम नहीं कर पाए। फिर बाबाजी भी आ गए। बाबा जी की टीम भी आ गई। तैयारियां पूरी हो गई। रात नौ बजे कार्यक्रम शुरु हुआ। समापन का समय साढे दस बजे का था। संघ का कार्यक्रम था,इसलिए ठीक साढे दस बजे कार्यक्रम समाप्त कर दिया। कार्यक्रम समाप्ति के बाद निकलना था,लेकिन निकलते निकलते रात के बारह बज गए।
इस दौरान मेरी बाबा से बात हो रही थी। मैं चाहता था कि यहां से निकल कर 50-100 किमी चल कर रुक जाएंगे लेकिन बाबा चाहते थे कि रात भर चला जाए। बाबा जी चाहते थे कि जल्दी से जल्दी लखनऊ पंहुचा जाए। जहां बाबा को किसी सरकारी अधिकारी से मिलना था। बहरहाल भोपाल से चले। गाडी मैं ड्राइव कर रहा था। बारह बजे चले तो तीन बजे तक 125 किमी चलकर मैने हाथ खडे कर दिए। फिर बाबा के साथ आए दीपक ने गाडी सम्हाल ली। मैं पीछे की सीट पर जाकर सोने की कोशिश करने लगा। नींद आ तो रही थी,लेकिन लग नहीं पा रही थी। आंखे बन्द किए बैठा रहा। गाडी रात भर चलती रही।
सुबह छ: साढे छ: पर हम आल्हा ऊदल के शहर छतरपुर पंहुच गए। छतरपुर में बाबा के मूर्तिकार मित्र दिनेश शर्मा के घर पंहुचे। चाय टोस्ट के साथ ीप। फिर दिनेश के स्टुडियो पंहुचे जहां दर्जनों मूर्तियां मौजूद थी। मूर्तियां दिखी। यहां एक टाइलेट भी था। लेकिन कमोड वाला नहीं था। दूसरा कोई चारा नहीं था,इसलिए इसी टायलेट में फ्रेश हुए और यहां से आगे बढे।
कमाल ये था कि ना मूंह धोया,ना दंतमंजन किया। स्नान का तो प्रश्न ही नहीं था। नाश्ता भोजन भी नहीं। छतरपुर से मैने गाडी सम्हाली।हमने बांदा पार कर लिया। सड़क पर जबर्दस्त कोहरा। विजीबिलिटी कहीं तो 20 प्रतिशत,तो कहीं दस प्रतिशत से भी कम। कभी धीमे,कभी तेज चलते रहे। करीब ग्यारह बजे तक मै ड्राइव करता रहा। फिर दीपक को गाडी पकडा दी। इस बीच कहीं मटर खरीदी तो कहीं ठण्डी कचौरी भी खा ली। बांदा के बाग दीपक ने गाडी चलाई,तो जब लखनऊ सौ किमी रह गया,दोपहर करीब एक बजे गाडी फिर मैने सम्हाल ली। शाम को साढे चार बजे लखनऊ के इस स्थान तक गाडी मैं ही चलाता रहा।
यहां पंहुचे,बाबा के मित्र के इस होटल में पंहुचे। काफी देर तक बातें होती रही। फिर मै और घोटीकर उपर कमरे में आए। शेविंग की,स्नान किया। अभी बाबा जी और बाकी के दोनो भोजन करने गए है। मैं भी जा रहा हूं। कल अयोध्या जाना है।
25 दिसम्बर 20223 सोमवार,सुबह 8.25
ग्राम अलीगंज,अयोध्या
इस वक्त हम बाबा के एक मित्र रामचन्द्र जी के घर पर है और तैयार हो रहे है। इनका घर अयोध्या से करीब बीस किमी दूर खेतों के बीच अकेला घर है। असल में इसे फार्म हाउस भी कहा जा सकता है। लखनऊ से कल सुबह करीब दस बजे निकले थे। अतिथि गेस्ट हाउस में चाय बिस्कीट खाकर निकले। घोटीकर जी को भूख लगी थी,मुझे भी भूख लग आई थी।
लखनऊ शहर का बाहरी इलाका पार किया। सड़क किनारे एक ठेले पर बाटी चोखा का बोर्ड लगा था। यहांगाडी रोक कर पूछा तो वह बाटी बनाने की तैयारी कर रहा था। थोडा आगे बढे तो एक दूसरे ठेले पर बाटी चोखा तैयार था। बिहार में इसी को लिट्टी चोखा कहते है। बाटी के भीतर सत्तू का मसाला भर कर बाटी बनाते है। साथ में आलू की सब्जी और चटनी। एक प्लेट ली। मजा आ गया। एक प्लेट में दो बाटी और सब्जी सिर्फ पच्चीस रु. में। देखते ही देखते हम लोगों ने चार प्लेट बाटी चोखा निपटा दिया।
यहां से आगे बढे। दोपहर करीब डेढ बजे अयोध्या पंहुच गए। सबसे पहले निर्माण कार्यशाला पंहुचे। यहां बाबा के परिचित मौजूद थे। यहीं पर 22 जनवरी के उद्घाटन समारोह के आमंत्रण बांटने की व्यवस्था चल रही थी। कई सारे टेलीफोन लगे हुए थे । बाबा के परिचित एक कार्यकर्ता ने बाबा का परिचय बाकी सभी से करवाया। उनकी बातें चलती रही। इस बीच मैने निर्माण कार्यशाला स्थल का एक विडीयो बनाया। यहां दर्जन भर कारीगर,मन्दिर के स्तंभों पर कारीगरी करने में जुटे थे। अधिकांश कारीगर राजस्थान के थे।
इस बीच,हमे वही कार्यकर्ता भोजन कराने ले गया। कार्यशाला से थोडी दूरी पर एक भोजनशाला थी,जहां कार्यकर्ताओं के लिए भोजन तैयार किया जाता है। हम करीब ढाई बजे वहां पंहुचे। वहां न्यूज 24 की एक रिपोर्टर भी मौजूद थी। बाबा से चर्चा के बाद उसने बाबा का एक इंटरव्यू भी लिया। यहीं दाल चावल सब्जी रोटी का भोजन हुआ। अब दोपहर के साढे तीन हो चुके थे।
यहां से निकले तो कारसेवकपुरम पंहुचे। कारसेवक पुरम मन्दिर आन्दोलन के समय से केन्द्रीय कार्यालय है। अब यहां दो तीन हजार लोगों के रहने की व्यवस्था भी की गई है। टीनशेड के भीतर डोरमैट्री बनाई गई है,जिसमे पलंग लगाए गए है। यहीं पर वेद विद्यालय भी संचालित होता है। वेद विद्यालय के प्राचार्य इन्द्रदेव जी सेभी भेंट हुई। इससे पहले बाबा के मित्र रामचन्द्र जी भी आ गए थे। वेद विद्यालय में कुछ देर गुजार कर हम चले,रामचन्द्र जी के साथ। रामचन्द्र जी अयोध्या में कालोनाईजर है। सरयूपार एक बडी कालोनी विकसित कर रहे है,जिसमें 4500 फीट के प्लाट दो हजार रु. वर्गफीट के भाव के है। इसी तरह जन्मभूमि न्यास द्वारा बनाई गई टेण्ट सिटी के पास भी वे एक कालोनी बना रहे है,जिसमें एक हजार फीट के प्लाट साढे चार हजार रु. के भाव के है।
उनकी कालोनिया देखने के बाद हम सीधे चल दिए फैजाबाद यानी अयोध्या केन्ट,जहां आज अयोध्या महोत्सव का शुभारंभ होना था,और केन्द्रीय मंत्री अश्विनी चौबे यहां आने वाले थे। हम यहां पंहुचे। इस अयोध्या महोत्सव का आयोजन 12-14 वर्ष पहले अयोध्या महोत्सव न्यास नामक संस्था ने शुरु किया था,जिसमें अब यूपी टूरिज्म भी सहआयोजक बन गया है। हरीश श्रीवास्तव इसके अध्यक्ष है और नाहद कैफ सचिव है। वहां पंहुचते ही सारे पदाधिकारियों ने बाबा का स्वागत किया।
अयोध्या महोत्सव एक निजी मेला है जिसमें कई सारे दुकानदार दुकानें लगाते है। झूले लगाए जाते है। मंच पर गीत संगीत के कार्यक्रम होते है। अश्विनी चौबे करीब आठ बजे मंच पर आए। एक दो भजन हुए और फिर चौबे जी का भाषण। इसके बाद बाबाजी की पुस्तक का विमोचन किया गया। कार्यक्रम के बाद रामचन्द्र जी के साथ अलीगंज नामक गांव में खेतों के बीच बने घर पर जाना था,लेकिन इससे पहले एक ढाबे पर भोजन हुआ। फिर इनके घर पंहुचे और आकर सीधे सो गए। रामचन्द्र जी यहां अपने परिवार, पत्नी,बच्चों और माता पिता के साथ रहते है।
आज की सुबह हैण्डपंप के गुनगुने पानी से स्नान हुआ है। अब नाश्ते का इंतजार चल रहा है और इस बीच मैने डायरी लिख ली।
25 दिसम्बर 2023 सोमवार,रात 12.00
रुद्राक्ष गेस्ट हाउस अयोध्या
आज का पूरा दिन अयोध्या में भटकते भटकते गुजर गया। इस वक्त हम रुद्राक्ष गेस्ट हाउस,एक घटिया से गेस्ट हाउस में सोने की तैयारी में है। सुबह अलीगंज के रामचन्द्र जी वर्मा के घर पर आलू पालक की सब्जी तुअर की दाल,चावल और मोटी रोटियों का नाश्ता कम भोजन करके निकलने में ही साढे दस बज गए थे। यहां हमने काले आलू देखे। उपर से काले,भीतर से भी पूरा काले। स्वाद पूरा आलू का लेकिन ये शुगर फ्री आलू है।
बहरहाल,सुबह यहां से निकलते वक्त बाबा की या किसी और की यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से बात हो गई थी। केशव प्रसाद मौर्य बाबा के मित्र है। उन्होने सर्किट हाउस बुला लिया था। हम जहां ठहरे थे,वहां से सर्किट हाउस 20-25 किमी दूर होगा। गाडी चली और मुझे नींच लग गई। मेरी नींद सीधे सर्किट हाउस में ही खुली। सर्किट हाउस में करीब ढाई घण्टे के इंतजार के बाद उप मुख्यमंत्री मौर्य सा. आए। पहले बाबा और रामचन्द्र जी उनसे मिलने भीतर चले गए। काफी देर के बाद हमें भी बुलाया गया। फोटो खींचे गए। कुछ देर बाद केशव प्रसाद मौर्य जी वहां से रवाना हो गए।
अब हमें अमेरिका से आए बच्चों के साथ जन्मभूमि मन्दिर के दर्शनों के लिए जाना था। बाबा तो रामचन्द्र जी की गाडी में थे। हमारी गाडी में सीएनजी और पैट्रोल दोनो ही खत्म होने को थे। हम सीएनजी डलवाने रुके तो लम्बी कतार में लगना पडा और करीब डेढ घण्टा सीएनजी भरवाने में लग गया। तब तक बाबा जी अमेरिका से आए बच्चों के पास पंहुच गए। हम सीएनजी डलवा कर कारसेवक पुरम पंहुच गए। इस वक्त दोपहर के तीन बज चुके थे। हम वहीं भटकते रहे। मैने कारसेवक पुरम के विडीयो बनाए। फिर इरादा हुआ कि बाबा के आने से पहले हम कम से कम एक चक्कर सरयू तट तो जाकर आ जाए। गाडी उठाई और सरयू तट के लिए चल पडे। अभी सरयू किनारे पंहुचे ही थे कि फोन आ गया,आपको दर्शन के पास लेने के लिए बिरला धर्मशाला आना है।
सरयू तट पर विडीयो बनाकर लौटने लगे,तो हमारी गाडी वाहनों के बीच फंसी हुई थी। गाडी को निकालने में टाइम लगना था,इसलिए घोटीकर जी और अयोध्या के एक लोकर बन्दे पुष्पेन्द्र पाठक को इ रिक्शा से आगे भेजा। मैं और दीपक बाद में गाडी लेकर निकले। हम 6.00 बजे तक बिरला धर्मशाला पंहुच गए। अमेरिका के बच्चे और बाबा जी वहीं थे। हमारे संध्या आरती के पास तैयार थे। पास 15 लोगों के थे और हम कुल 24 लोग थे। जन्मभूमि न्यास के एक कार्यकर्ता अच्छेलाल जी भी वहां आ गए। वे हम सभी को भीतर ले गए। बिना ज्यादा रोकटोक के हम रामलला के अस्थाई मन्दिर में पंहुच गए। वहां जाने के दौरान जन्मभूमि पर बनता मन्दिर स्पष्ट नजर आ रहा था। अद्भुत और भव्य...।
अस्थाई मन्दिर में पंहुच कर रामलला के दर्शन कर लिए। प्रसाद भी ले लिया। पास की संख्या से हम लोगों की संख्या अधिक थी,इसलिए ये तय हुआ कि जितने लोग ज्यादा है,वे बाहर निकल जाएं। हम आरती में नहीं रुके,बाहर निकल आए। रात 8.00 बजे अमेरिकन बच्चों को लेकर हनुमानगढी पंहुचे,जहां आरती हो रही थी। आरती में शामिल हुए। हनुमानगढी में आरती और दर्शन के बाद लौटे,अमेरिकन बच्चों को आटो करवा कर उनके होटल भिजवाया। अब हम फ्री हो चुके थे।
इसी वक्त बाबा को याद आया कि आज अटल जी का जन्मदिवस है और इसी उपलक्ष्य में एक राष्ट्रीय कवि सम्मेलन हो रहा है,जिसमें उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी मौजूद रहेंगे। मौर्य सा. ने बाबा को भी कवि सम्मेलन में बुलवाया है। लेकिन इससे पहले हम एक बार फिर कारसेवक पुरम पंहुचे,जहां बाबा के कई पुराने परिचित मिले। उन्हे बाबा की पुस्तकें भेंट की। भोजन भी वहीं हुआ. फिर वहां से जीआईसी मैदान पंहुचे,जहां कवि सम्मेलन हो रहा था। वहां बाबा की फिर उपमुख्यमंत्री मौर्य सा. से मुलाकात हो गई। वहां कुछ कवियों को बाबा जी की पुस्तक भेंट करके इस गेस्ट हाउस पर पंहुचे।
यह गेस्ट हाउस बाबा के किसी मीडीया वाले परिचित ने करवाया है। बाबा जी हुक्के का दम लगा चुके है। सुबह आठ बजे यहां से निकल जाने की योजना है। इस वक्त साढे बारह हो चुके है। अब सोने की तैयारी....।
26 दिसम्बर 2023 मंगलवार (रात 2.30)
आशीर्वाद होटल,एमपी-यूपी बार्डर,झांसी
इस वक्त रात के 1.15 हो चुके है। कायदे से तारीख बदलकर 27 दिसम्बर हो चुकी है,लेकिन मैं डायरी में 26 तारीख ही लिख रहा हूं। हम झांसी से निकल कर एसपी बार्डर में यहां सुनील यादव के आसीर्वाद होटल में ठहरे है। हमारे यहां रहने की व्यवस्था टीआई गब्बरसिंह गूजर ने करवाई है,जो आजकल दतिया में पदस्थ है।
सुबह 8.30 पर अयोध्या के रुद्राक्ष गेस्ट हाउस से निकले। न्हिोने रुकने की व्यवस्था करवाई थी,उनके घर पंहुचे। घर नजदीक ही था। 10-15 मिनट वहां ठहरे। बाबा अयोध्या के दिनों में इन लोगों के साथ रहते थे। यहां से भडे तो रामचन्द्र जी का फोन आ गया,कि वो कालिका हवेली होटल पर हमारा इंतजार कर रहे है। करीब आधे घण्टे में वहां पंहुचे। 2-3 मिनट बाद रामचन्द्र जी भी वहां आ गए। हमने छोले भटूरे का नाश्ता,भोजन जैसा कर लिया। फिर यहां से आगे बढे।
बाबा को लखनऊ में यूपी के संस्कृति सचिव से मिलना था। दोपहर करीब साढे बारह बजे लखनऊ के पर्यटन मंत्रालय में पंहुच गए। बाबा के एक मित्र वहां पहले से इंतजार कर रहे थे। बाबा उनके साथ पीएस संस्कृति विभाग से मिलने चले गए। नीचे हम लोगों यानी,मैने,घोटीकर जी और दीपक ने चाय पी। कुछ ही देर में बाबा जी नीचे आ गए। पीएस संस्कृति ने बाबा जी को प्रपोजल बनाकर देने को कहा था। प्रपोजल पहले से तैयार थे। बाबा के परिचित के साथ यूपी की नाट्य संगीत अकादमी के सचिव के दफ्तर में गए। तब तक बाबा जी ने अपने प्रपोजल के प्रिन्ट निकाल लिए थे,जो उन्होने अपने मित्र को दे दिए।
इस वक्त दोपहर के सवा दो बजे थे और अब हमारी मंजिल सीधे इन्दौर थी। लखनऊ से चले। मैने गूगल मैप की मदद से सबसे तेज रास्ता देखा था,जो कि आगरा एक्सप्रेस वे होकर जाता था। हम एक्सप्रेस वे पर चढ गए,लेकिन यहां बाबा ने आपत्ति उटाई कि ये बहुत लम्बा रास्ता है। फिर एक शार्ट रास्ता ठूंठा। एक्सप्रेस वे छोडकर नीचे उतर गए। गाडी में सीएनजी भी भरवाना थी। एक्सप्रेस वे पर पंप ही नहीं थे। इसके बाद करीब 150 किमी स्टेट हाईवे पर चले। शाम करीब 4 .30 पर झांसी के फोरलेन हाईवे पर आ गए।
मैं चाहता था कि रात को कहीं रुक जाए लेकिन बाबा जी की इच्छा थी रुकने पर खर्च करने की बजाय लगातार चला जाए। बहरहाल चलते चलते अपने मित्र गब्बरसिंह की याद आई। गब्बरसिंह शिवपुरी में टीआई है। फोन किया तो पता चला कि वो आजकल दतिया टीआई है। लेकिन गब्बरसिंह जी ने ही हमारे रुकने की यहां व्यवस्था करवाई।
झांसी शिवपुरी रोड पर आरटीओ बैरियर पार करते ही विपरित दिशा में ये आशीर्वाद होटल है। यहां के मालिक सुनील यादव हमारा इंतजार ही कर रहे थे। यहां तक कि होटल पर पंहुचने का रास्ता भी सुनील यादव ने ही फोन करके बताया था। हम इस होटल में आ गए। बाबा जी ने हल्का भोजन किया। मैने और घोटीकर जी ने सुनील यादव के साथ चीयर्स बोला। सुबह 8.00 बजे यहां से निकलना है।
27 दिसम्बर 2023 बुधवार,प्रात: 8.20
आशीर्वाद होटल
इस वक्त मै स्नान कर चुका हूं। इन्दौर यहां से करीब 450 किमी है और हम शिवपुरी,गुना,ब्यावरा होते हुए शाम से पहले इन्दौर पंहुच जाएंगे,ऐसी उम्मीद है। चारों लोग तैयार हो चुके है और अब निकलने की तैयारी है। समापन हम वहां से चले तो लगातार शानदार रास्ता था। रास्ते में ही मैने देवास या इन्दौर से ट्रेन देखी। हम बिलकुल अवन्तिका एक्सप्रेस के टाइम पर देवास पंहुच सकते थे। हमने यही तय किया कि देवास से ट्रेन पकड लेंगे। अवन्तिका एक्सप्रेस के आने से पहले हम देवास स्टेशन पंहुच गए थे। बाबा और दीपक से बिदा ली। अयोध्या में मिले उपहारों को समेटा और ट्रैन का टिकट लेकर ट्रैन में सवार हो गए। शाम को करीब साढे सात बजे हमारी ये अयोध्या यात्रा रतलाम पंहुचकर समाप्त हुई।
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