9 सितम्बर 2016 गुरुवार/रात 11.30
जम्मूतवी एक्सप्रेस/ बी-4/5
कल का सारा दिन डायरी लिखने का समय ही नहीं मिला। आज का भी पूरा दिन दिल्ली में मिलने जुलने में निकल गया। कल दिल्ली पंहुचने में रात के सवा आठ बज गए थे। बहुत जल्दी में उतरे। यात्रा का सर्टिफिकेट लिया। तेजी से सामान को कमरे में टिकाया। 4 लोगों को एक रुम दिया गया था। आगरा के एसके पाण्डे जी और नासिक के रतन भावसार जी हमारे साथ थे। सामान टिकाया। उन्हे बताया कि हामारा मित्र इंतजार कर रहा है। फौरन निकले,कश्मीरी गेट मैट्रो स्टेशन पर पंहुचे। यहां से हुडा सिटी सेन्टर की की ट्रेन नेट एक घण्टा लेती है। हम ट्रेन में सवार हुए। प्रतीक को फोन किया। उसने कहा कि वह हुडा सिटी सेन्टर से एक स्टेशन पहले इफको चौक स्टेशन पर उतर जाएं। हम इफको चौक स्टेशन पर साढे नौ बजे उतरे। पाच-सात मिनट में प्रतीक कार लेकर आ गया। उसके साथ कार में सवार हो कर होटल पंहुचे। मुलाकात और बातें रात एक बजे तक चलती रही। रात डेढ बजे सोये। सुबह नौ बजे नींद खुली। फौरन स्नान आदि करके दस बजे होटल का काम्प्लिमेन्ट्री नाश्ता किया। वहां से मैट्रो में बैठकर फिर से गुजराती समाज पंहुचे। तब तक बारह बज चुके थे। हमें अपना लगेज सैट करना था। काफी सारा सामान एक दूसरे के बैग्स में था। लगेज खोलकर सैट करते करते सवा एक बज गया। एक बजे माथुर जी के निवास पर पंहुचना था। देर हो चुकी थी। धर्मशाला से निकले औव फिर से मैट्रो में सवार होकर पटेल चौक और वहां से आटो लेकर अशोका रोड स्थित बीजेपी कार्यालय पंहुचे। माथुर जी से भेंट की। भोजन किया। करीब डेढ घण्टे वहीं रुके। वहां से निकले। किसान संघ के कार्यालय पर प्रभाकर जी केलकर सेभेंट हुई। उन्हे यात्रा के बारे में बताते रहे। करीब पांच बजे वहां से निकले। उनका ड्राइवर किसी को लेने नई दिल्ली स्टेशन जा रहा था। हम भी उसी गाडी में नई दिल्ली स्टेशन पंहुच गए। मैट्रो में सवार होकर शाम करीब साढे पांच बजे गुजराती समाज पंहुच गए। यहां आकर देखा पश्चिम बंगाल की काली माता रेखारानी पटनायक इधर उधर घूम रही थी। हमे देखते ही बोली,सबके सब चले गए ,सुबह से कोई ही मिला नहीं। मैं किसी का फोन नम्बर भी नहीं ले पाई। पूरी यात्रा में इनसे बात ही नहीं हो पाई थी। यह अकेली महिला पश्चिम बंगाल के मिदनापुर से अकेली मानसरोवर यात्रा पर आ गई। उन्हे हिन्दी बोलने में भी समस्या है और अंग्रेजी बोलने में भी। आशुतोष ने बताया कि वह अकेली महिला देश के कई स्थान घूम चुकी है। रेखा जी से बातचीत में पता चला कि वे अविवाहित है और अपने भाई के परिवार के साथ रहती है। जल संसाधन विभाग में एनालिस्ट के पद से हाल ही में रिटायर्ड हुई है। उन्हे कई यात्रियों के मोबाइल नम्बर दिए। जगजीत से उनकी बात भी कराई। यहां अब सिर्फ पार्थसारथी जी,फणिराज,रेखारानी और हम बचे है। गुजराती समाज वालो ने आकर बताया कि आगे ठहरने के लिए किराया देना होगा। पार्थसारथी जी फणिराज और हमने साथ में भोजन किया। आज का भोजन भी सशुल्क था। हमने अपने बैग्स उठाए। पार्थसारथी जी और फणिराज हमें बाहर तक छोडने आए और हम सही समय पर स्टेशन पंहुचकर ट्रेन में सवार हो गए।
ट्रेन में सवार होने के बाद अब पूरे दिन और पिछले दिन की सारी बातें याद आ रही है।
कल नौकुचिया ताल के केएमवीएन टीआरएच में सुबह आराम से करीब सात बजे उठे। निकलने का समय साढे दस बजे का तय किया गया था। कई सारे लोग तालाब में बोटिंग का आनन्द लेने निकल गए। हम लोग भी स्नानादि से निपट कर इधर उधर घूमते रहे। फोटोग्राफी कर ली। कई सहयात्रियों के फोन नम्बर व फोटो ले लिए। पराठे,पोहे आदि का तगडा नाश्ता करके यहां से बस में सवार हुए। यहां से काठगोदाम नजदीक ही है। काठगोदाम में बस बदलकर वाल्वो में सवार होना था,क्योंकि वहां से दिल्ली तक अब समतल है। काठगोदाम के टीआरएच पर फिर भजन संगीत से स्वागत किया गया। केएमवीएन के जीएम आए थे। उनके द्वारा सभी यात्रियों को आदिकैलाश,कैलाश के कैलेण्डर,गंगाजली आदि भेंट किए गए। यहां भोजन की व्यवस्था थी। नाश्ता इतना तगडा किया था कि अभी भोजन की जगह नहीं थी। यहां से हमारे एलओ आईजी संजय गुंजियाल जी बिदा ले रहे थे। उनसे उनका संदेश लेकर रेकार्ड किया। यहां से बस चली तो रास्ते में रुद्रपुर में डॉ.रजनीश बत्रा उतर गई। अब हमारी मंजिल सीधे दिल्ली थी। रास्ते में गाजियाबाद से पहले गढगंगा में गुलशन कुमार द्वारा अल्पाहार की व्यवस्था की गई थी। गुलशन कुमार जी पुराने कैलाशी है और कई वर्षों से कैलाश यात्रियों की सेवा में लगे हैं। वे हर जत्थे के लौटने पर यहां अल्पाहार की व्यवस्था करते हैं। यात्रा पर जाने से पहले भी उन्होने एक बेहद उपयोगी सामानों से भरा पाउच सभी यात्रियों को भेंट किया था। गढगंगा 4.50 पर पंहुचे थे। यहां अल्पाहार के बाद सभी यात्रियों को गंगाजल की शीशियां भेंट की गई। यहां से एक यात्री नरेन्द्र सैनी बिदा हो गए। यहां से दिल्ली मात्र दो घण्टे का रास्ता था,लेकिन ट्रैफिक की गडबडियों के चलते देरी की संभावना थी। बस में आगे बढे तो पता चला कि हमारे लगेज वाला ट्रक रात ग्यारह बजे के बाद पंहुचेगा। क्योंकि अभी दिल्ली में नो एन्ट्री का समय है। सबसे ज्यादा दिक्कत डीडवाना के महावीर राखेचा जी को थी। उनकी ट्रेन रात साढे दस पर थी। ट्रक वाले से बात हुई तो पता चला कि वह तीन-चार किमी पीछे ही है। उसका इंतजार किया। उसके आने पर राजस्थान के एसएसपी हिंगलाज जी ने कहा कि वह बस के साथ चले। यदि कोई रोकेगा तो वे बात कर लेंगे। ट्रक को एक जगह रोका गया,लेकिन हिंगलाज जी ने बात कर मामला निपटा लिया। लगेज के साथ हम रात सवा आठ बजे गुजराती समाज सदन पंहुच गए। यहां जल्दी से सर्टिफिकेट सामान आदि लेकर प्रतीक के पास जाने के लिए निकल गए।
10 सितम्बर 2016 शनिवार
जम्मूतवी एक्सप्रेस/नागदा स्टेशनसुबह 7.20
यात्रा के आखरी घण्टे। ट्रेन जल्दी आ गई थी। इसलिए नागदा स्टेशन पर खडी है। आशुतोष को लेने मन्दसौर से कई लोगों के रतलाम पंहुचने की खबर है। मुझे लेने भी लोग आने वाले है। चौदह अगस्त को शुरु हुआ यह सफर आज खत्म हो रहा है। इन पच्चीस-छब्बीस दिनों में कई नए परिचय मित्रताएं हुई। भगवान शिव के मूल निवास कैलाश के दर्शन मानसरोवर में स्नान आदि उपलब्धियां मिली। दो सौ किमी पैदल ट्रैक किया। खतरनाक उंचाईयों पर चढ कर अपनी क्षमताएं जांची। पैरों से डर था लेकिन पैरों ने पूरा साथ दिया। पूरी यात्रा में घोडा नहीं किया। लिपूलेख और डोलमा पास जैसी उंचाईयां छुई। अब फिर से घर। रतलाम। देखते है क्या बदला है?
...इति......।
Pilgrimage tour of Kailash Mansarovar does not require an expedition level of fitness.
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