Thursday, November 23, 2017

Satopant Swargarohini Yatra -4 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-4

(चौथा दिन) 11 सितम्बर 2017 सोमवार (दोपहर 2.10)
पुलिस रेस्ट हाउस बद्रीनाथ

कल जैसा तय किया था,आज हमें चरण पादुका और उससे उपर जहां तक संभव हो,जाकर आना था। सुबह करीब छ: बजे उठे। मैं,आशुतोष और अनिल यहीं रुके रहे,शेष चार लोग आज फिर तप्त कुण्ड में स्नान कर बद्रीनाथ जी के दर्शन करने चले गए। कुक को सब्जी पराठे का नाश्ता बनाने को कह दिया था। करीब साढे नौ पर सभी लोग नाश्ता करने बैठे।

 अब हमें निकलना था। हम सभी ने ट्रैकिंग पर जाने के बैग तैयार कर रखे थे। हम लोगों ने अपने अपने बैग कन्धे पर टांगे और चल पडे। हम देखना चाहते थे कि इतना वजन लेकर चल सकते है या नहीं। सभी लोगों ने यह परीक्षा पूरे नम्बरों से पास की।

शाम 6.00
दोपहर को ट्रैकिंग से लौट कर डायरी लिख रहा था,लेकिन इतनी नींद आने लगी कि डायरी लिखना छोडना पडा। बहरहाल,किस्सा जहां छोडा था,वहीं से फिर शुरु करता हूं।
हम लोग,बद्रीनाथ मन्दिर से उपर चरण पादुका और उससे आगे तक जाना चाहते थे। चरण पादुका की दूरी
करीब साढे तीन किमी है। यह काफी ऊंचाई वाला स्थान है। कठिन चढाई है।  चरण पादुका से पहले एक हनुमान मन्दिर आता है। इस हनुमान मन्दिर पर रुके,दर्शन किए । वहां एक युवा साधु मौजूद थे,उनसे बातचीत की कोशिश की,लेकिन उन्होने कहा कि वे व्यस्त है। यहां से एक एक कदम रखते हुए आगे बढे। चरण पादुका पर पंहुचे। कहते है,भगवान बद्रीनारायण इसी रास्ते से बद्रीनाथ पंहुचे थे। यहां एक शिला पर उनके पदचिन्ह उभरे हुए है।
चरण पादुका पर एक गुफा है। जिसमें अखण्ड ज्योत जल रही है। इस गुफा में महन्त श्री बुध्दिनाथ योगी रहते हैं। ये महन्त जी सिरोही राजस्थान के हैं।. छ: महीने इस गुफा में रहते हैं। महन्त बुध्दिनाथ जी ने हमें हर्बल चाय पिलाई।  चरण पादुका की कहानी भी बताई कि भगवान बद्रीनारायण तिब्बत के एक स्थान से चलकर इसी मार्ग से आए थे।
चरण पादुका से हम करीब आधा किमी उपर और गए। वहां पन्द्रह बीस मिनट बैठे रहे,ताकि हाई एल्टीट्यूड से अनुकूलन हो सके। जब चढना शुरु किया था,तब धूप खिली हुई थी,लेकिन इस वक्त धूप नदारद थी और बर्फीली हराओं के थपेडे शरीर को लग रहे थे। गर्म कपडे पहने नहीं थे। ठण्डी हवा को देखते हुए टोपी निकाल कर पहनी। अब लौटना शुरु किया।  हम करीब डेढ बजे नीचे आ गए। बद्रीनाथ पुल के किनारे एक होटल पर चाय पीने रुके।
 रास्ते में एसडीआरएफ के कुन्दन आर्य का फोन आ गया था। हमारे साथ जाने वाला किचन टेण्ट आ चुका था,जो हमें लेना था। आईजी संजय गुंजियाल जी के सौजन्य से ट्रैकिंग की तमाम जरुरी चीजे हम ऋ षिकेश से ही लेकर आ चुके थे। इसमें ट्रैकिंग स्टिक्स,टेण्ट,स्लिपिंग बैग्स,हैडलाईट्स आदि सबकुछ था। केवल बारिश से बचने के पोंचू और किचन टेण्ट नहीं था। पोंचू हमें यहां से मिल गए और किचन टेण्ट भी आ गया था।
दोपहर करीब दो बजे रेस्ट हाउस पर लौटे। बद्रीनाथ मन्दिर के नीचे रेस्टोरेन्ट में जब चाय पी रहे थे,तब हम तीन नदलों में बंट गए थे। मैं और आशुतोष रेस्ट हाउस आ गए। महेश जी को खांसी हो रही थी,इसलिए उनके साथ अनिल अस्पताल गया। दशरथ जी और प्रकाश,रतलाम के राजपुरोहित से मिलने चले गए। रेस्ट हाउस पंहुचे तो थोडी देर में आर्य सा. आ गए। उन्होने बताया कि वे जोशीमठ जा रहे है। वे अपने सबइंस्पेक्टर जगमोहन का नम्बर दे गए।

















नींद तो आ ही रही थी। मैं बिस्तर में घुस गया। थोडी ही देर में आशुतोष भी बिस्तर के हराले हो गया। आंखे बन्द करके पडा रहा। करीब आधे घण्टे बाद हमारा टूर आपरेटर अंकित नैनवाल,गाईड और कुक को लेकर आ गया। गाईड सूरज फोटोग्राफर है। उसने कहा कि वो मेरा कैमरा आपरेट कर लेगा। कुक देवेन्द्र ने राशन सामग्री की लिस्ट में सभी चीजों की मात्रा लिख दी। लिस्ट तैयार थी। हमने सोचा कि जाकर किराना सामान खरीद ही लिया जाए। जाने लगे तो धीरे धीरे सभी लोग तैयार हो गए। बस स्टैण्ड के पास नैथानी किराना नामक दुकान से ही अधिकांश ट्रैकर सामान खरीदते है। हमारे दल में हम छ: सदस्यों के अलावा एक गाईड,एक कुक और चार पोर्टर इस तरह अब कुल बारह लोग हो गए थे। हमें बारह लोगों के लिए पांच दिन का सुबह शाम का भोजन चाय नाश्ता आदि लेना था।
 किराना दुकान पर आटा दाल चावल सब कुछ पैक कराया। पांच हजार का सामान हो गया। किराना दुकान से लिए सामान के तीन कट्टे,एक कार्टून और केरोसीन की पांच पांच लीटर की दो कैन है। इसके बाद हमने सब्जियां खरीदी। आलू किराना दुकान से ही ले लिए थे। पांच दिन की पांच सब्जियां भिण्डी,पत्ता गोभी,शिमला मिर्च,लौकी,अदरक,हरी मिर्ची टमाटर आदि भी खरीद लिए। सारा सामान हमारे रेस्ट हाउस में आ चुका है।
कल सुबह नौ बजे रवाना होने की योजना है। अंकित कह कर गया है कि पोर्टर सुबह आठ साढे आठ तक आ जाएंगे।
अभी शाम को डायरी लिख ही रहा था कि एसडीआरएफ के सब इंस्पेक्टर जगमोहन व दो जवान आ गए। उनसे चर्चा होती रही। वे कहकर गए है कि यदि पोर्टेबल आक्सिजन पैक मिल गए,तो वे सुबह लेकर आ जाएंगे।
 अब शाम के भोजन की तैयारी है।
पांचवे दिन की यात्रा पढने के लिए यहां क्लिक करें

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