Monday, December 10, 2018

Gangotri Goumukh Yatra 6-गंगा आरती का आनन्द,वशिष्ठ गुफा और नीलकण्ठ महादेव के दर्शन

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12/13सितम्बर 2018 गुरुवार (रात 12.30)

होटल शिवान्त ऋषिकेश

वैसे तो तारीख बदल चुकी है,इसीलिए मैने 13 सितम्बर लिखा है,वरना दिन तो आज का ही है। सुबह हम
भागीरथीपुरम में सब्जी पराठे का शानदार नाश्ता करके निकले। निकले तो सीआईएसएफ के विजय भान सिंह को फोन किया। वीबी सिंह हमसे मिलने भी आ गए। उनसे फिर मुलाकात हुई। नम्बरों का आदान प्रदान कल ही हो गया था। यहां से ऋषिकेश के लिए रवाना हुए। रास्ते में जगह जगह चार धाम परियोजना का काम चल रहा है। पीएम नरेन्द्र मोदी ने चारों धामों के रास्ते फोरलेन बनाने की घोषणा की है। जगह जगह पहाड को काटने के लिए मशीनें लगी हुई है। इस वजह से कई जगह रुकना पडता है।

हम दोपहर करीब दो बजे  यहां ऋषिकेश पंहुचे।  हमारे आने के पहले आईजी गुजियाल जी की वजह से हमारी सूचना पंहुच चुकी थी। यहां मुनि की रेती पुलिस स्टेशन के एसओ का फोन आ गया।  हमें बताया गया कि इस होटल में हमारे कमरे बुक है।
इसी दौरान प्रतीक दवे से भी बात हो गई। प्रतीक और हमारे होटल एक ही रोड पर है। ज्यादा दूर भी नहीं है। यहां पंहुचे तो दशरथ जी ने भोजन मंगवाया। हलका फुलका भोजन करने के बाद दशरथ जी सौ गए। हम तीनों घूमने निकले। घूमने निकले तो करीब दो किमी पैदल चल कर लक्ष्मण झूले तक जा पंहुचे। पांव बुरी तरह दर्द कर रहे थे,लेकिन फिर भी गए। रुद्राक्ष की माला गुम हो चुकी थी,तो नई माला खरीदी। इस माला को गंगा स्नान कराया और वापस लौटे। तब साढे चार हो चुके थे। दशरथ जी अब भी सो ही रहे थे। हम लोग थक कर चूर हो चुके थे। फिर थोडी देर बाद दशरथ जी की नींद खुली। नीलकण्ठ महादेव जाने का मन बनाकर नीचे  उथरे तो पता चला कि शाम को वहां जाने से कोई फायदा नहीं है। प्रतीक को फोन किया,तो उसने बताया कि वह त्रिवेणी घाट पर है। हम भी वहीं जाने के लिए निकल पडे। करीब सवा पांंच पर त्रिवेणी घाट पर पंहुचे।  यहां पौने सात बजे गंगा आरती होती है। त्रिवेणी घाट पर उसके एक वरिष्ठ मित्र आशुतोष जोशी व एक सहकर्मी पूजा भी मौजूद थे।
इधर उधर की बातें करते रहें। गंगातट से वैदेही और आई से विडीयो कालिंग पर चर्चा हुई। उनको गंगा दर्शन करवाए। गंगा आरती पौने सात पर होने वाली थी और अब इसका समय हो चुका था। हम गंगा आरती में शामिल हुए। मैने पूरी गंगा आरती का विडीयो बनाया। शाम करीब पौने आठ बजे वहां से लौटकर अपने होटल में आए। तभी प्रतीक का फोन आ गया। प्रतीक ने हमें उसके होटल में ही बुला लिया।  हम उसके होटल के लिए निकल पहडे। पहले अलोहा नाम के एक दूसरे ही होटल में पंहुच गए। वहां के होटल स्टाफ ने बताया कि एक और अलोहा होटल इससे आगे है। जल्दी ही पता चल गया कि प्रतीक आगे वाले अलोहा होटल में है।  खैर हम जैसे तैसे प्रतीक के कमरे में पंहुच गए। आशुतोष जोशी जी मारुति के सबसे बडे वेन्डर है,वे भी प्रतीक के साथ ही थे। रात करीब साढे दस बजे होटल से भोजन के लिए बाहर निकले। बडी मुश्किल से रात करीब साढे दस बजे एक होटल खुला मिला,जहां हमने भोजन किया और वहां से लौट आए।


नवां दिन

13 सितम्बर 2018 (दोपहर 3.30)
कोयल रेस्टोरेन्ट,शिवपुरी( ऋ षिकेश-बद्रीनाथ हाईवे)

हम इस रेस्टोरेन्ट में भोजन के लिए रुके हैं। अभी हम नीलकण्ठ महादेव के दर्शन करके लौटे हैं और अब वशिष्ठ गुफा जा रहा है।
आज की सुबह,हम करीब साढे नौ बजे गंगा स्नान के लिए निकले। गाडी से ही लक्ष्मण झूला रोड पर चले और लक्ष्मण झूले की पार्किंग में गाडी खडी करके पैदल आगे बढे। जिस तरफ हम थे,उस तरफ स्नान घाट नहीं हैं। हम लोग लक्ष्मण झूला पार कर दूसरी ओर पंहुचे और एक छोटे से घाट पर उतर गए। इस घाट पर जगह जगह लिखा हुआ था कि यह घाट टूट गया है,स्नान ना करें,लेकिन हमने यहीं स्नान किया। इस घाट पर एक परिवार और मौजूद था। घाट से ही फेसबुक पर लाइव किया। स्नान करके बाहर निकले। सडक़ पर एक ठेले पर आलू टिकिया खाई। लक्ष्मण झूले के इसी सिरे पर एक छोटी दुकान में गर्मागर्म समोसे बन रहे थे। यहां एक डेढ समोसा खाकर चाय पी और होटल लौट आए। हमारी योजना नीलकण्ठ महादेव जाने की थी। होटल में रुके रहना चाहते थे,लेकिन होटल वाले ने कहा कि आपकी बुकींग एक ही दिन की है। हमने तुरंत सारा सामान गाडी में पैक किया और नीलकण्ठ महादेव के लिए निकल पडे। रास्ता होटल से ही आगे जाने का था। बद्रीनाथ हाईवे पर करीब तीन किमी आगे चलकर दाहीने मुडते है। राफ्टिंग के लिए जाने का भी यही रास्ता है। पुल से नदी पार कर,बद्रीनाथ की ही दिशा में तीन-चार किमी आगे जाकर राफ्टिंग शुरु करने के स्थान आते है। पिछले साल राफ्टिंग के लिए यहीं से गए थे। नीलकण्ठ महादेव का रास्ता यहीं से आगे है। नीलकण्ठ महादेव ऋषिकेश से कुल पच्चीस किमी रूर है।  रास्ता बीच बीच में बेहद खराब है। करीब एक घण्टे में नीलकण्ठ महादेव पंहुचे। हलाहल पान के बाद शिवजी ने गले की ज्वाला को शान्त करने के लिए इसी स्थान पर साठ हजार वर्ष तक तपस्या की थी। फिर यहीं कण्ठ का स्वयंभू शिवलिंग स्थापित किया था। यहां गाडी काफी दूर पार्क करना पडी। पैदल मन्दिर पर पंहुचे,दर्शन किए। फेसबुक लाइव दिखाया और लौट पडे।

13/14 सितम्बर 2018 (रात 12.40)
होटल अतिथी(हरिद्वार-दिल्ली हाईवे)

इस वक्त हम बगल के ढाबे से भोजन करके होटल में लौटे हैं और सोने की तैयारी में है।
कहानी वहीं से शुरु करता हूं,जहां छोडी थी। नीलकण्ठ महादेव के दर्शन करके लौटे,अब हमें वशिष्ठ गुफा जाना था। वशिष्ठ गुफा जाने से पांच किमी पहले शिवपुरी में हमने भोजन किया। शिवपुरी से पांच किमी चलने के बाद,दाहीनी ओर एक सीमेन्टेड द्वार नजर आया। यही वशिष्ठ गुफा का द्वार था। गाडी सडक़ पर ही खडी करना थी। इस द्वार से जैसे ही आगे नजर पडी,नीचे उतरने के लिए सीढियां बनी हुई थी। सीढियां चढने उतरने की कोई इच्छा नहीं थी,लेकिन कोई चारा नहीं था। सीढियां उतरे। नीचे कुछ साधु भोजन बना रहे थे। उनसे नमस्कार करके आगे बढे। अभी और नीचे उतरना था। आगे सीढियां थी। इन सीढियोंको भी पार किया। इसके बाद सीढियां नहीं थी,लेकिन काफी नीचे जाना था। उतरते गए। काफी लम्बा रास्ता तय करके उस गुफा तक पंहुचे,जिसे वशिष्ठ गुफा कहा जाता है। यह गुफा करीब पैंतीस फीट लम्बी है। भीतर गए। सबसे अंत में शिवलिंग है। यहां एक युवा साधु शिवलिंग पर जल चढाते हुए पूजा कर रहा था। दर्शन किए। मैने पूछा कि फोटो ले सकते है या नहीं? उसने इंकार कर दिया। दर्शन करके बाहर निकले। बाहर आकर एक सेल्फी बनाई। बाहर एक बोर्ड पर इस गुफा का इतिहास लिखा हुआ है।
सप्तर्षि में से एक महर्षि वशिष्ठ ने यहां अपनी पत्नी के साथ बरसों तक घोर तपस्या की थी। उसके बाद 1928 में रामकृष्ण मिशन के एक सन्यासी पुरषोत्तम दास जी ने यहां घोर तपस्या की। वे लम्बे समय तक यहीं रहे।  82 वर्ष की आयु में उन्होने यहीं देह त्यागी।  उन्ही के नाम का ट्रस्ट बना हुआ है,जिसके चलते यहां अब कई सुविधाएं उपलब्ध है। यहां कमरे भी बने हुए है। रहने खाने की सुविधा भी है।
गुफा देखकर फिर से उपर आए। हल्की बूंदाबांदी होने लगी थी। शाम के साढे पांच बज चुके थे। यहां से लौटे। रास्ते में सडक़ पर बह रहे एक झरने के नीचे गाडी खडी करके गाडी की धुलाई की। इसका विडीयो भी फेसबुक पर शेयर किया। बाद में यह विडीयो काफी चर्चित भी हुआ।(see video)

शाम छ: बजे हम फिर से ऋ षिकेश में थे। आईजी गुंजियाल सा. से अब तक सम्पर्क नहीं हो पाया था। उनका एसएमएस सुबह आया था कि वे जैसे ही फ्री होंगे,बात करेंगे। लेकिन अब तक कोई खबर नहीं थी। ऋ षिकेश पंहुच कर हमने सोचा कि त्रिवेणी घाट पर कुछ देर इंतजार करते है। गूगल मैप ने हमें त्रिवेणी घाट से करीब दो किमी आगे साई घाट पर पंहुचा दिया। काफी देर यहां रुके रहे।  आईजी साहब से सम्पर्क करने का प्रयास किया,लेकिन सम्पर्क नहीं हो पाया। अब क्या करें...? इसी उहापोह
में निकले और हरिद्वार की ओर बढ गए। करीब साढे सात पौने आठ तक हरिद्वार पंहुच गए। एक चाय की दुकान पर रुककर चाय पी। यहां से अब दिल्ली हाईवे पर निकल गए। रात करीब साढे आठ बजे आईजी गुंजियाल सा. का फोन आया। वे पिछले दो दिनों से भारी व्यस्त थे। मैने कहा कि पूरी यात्रा बेहद शानदार रही,लेकिन आज  अगर उनसे मुलाकात हो जाती तो और भी मजा आ जाता। मैने बताया कि हम हरिद्वार भी पार कर चुके हैं। मैने कहा कि कहीं आगे पंहुचकर रुकने पर उनसे विडीयो काल पर चर्चा करुंगा। रुडकी में जाम लगा हुआ ता। काफी देर की वजह से खराब हुई। फिर आगे बढे। रात करीब दस बजे एक होटल मिला।
यहां आते ही गुंजियाल सा. से विडीयो काल पर मुलाकात की। सभी ने उनसे नमस्कार किया। कुछ देर बातें हुई,पता चला कि एक और कैलाशी उनसे मिलने पंहुचा है। वह नरेन्द्र था। नरेन्द्र  से भी विडीयो काल के जरिये मुलाकात हुई। रात करीब साढे ग्यारह बजे बगल के ढाबे पर भोजन करने पंहुचे। ढाबे से वैदेही से भी विडीयो काल पर मुलाकात हुई। भोजन करके लौटे तोरात के साढे बारह बज चुके थे। अब सोने की तैयारी है। कल दिल्ली पार करके अजमेर तक पंहुचने की इच्छा है। देखते है क्या होता है...?
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