Wednesday, May 29, 2019

Bhutan Sikkim Journey-2

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यात्रा वृतान्त-31 / शांति का देश भूटान-  प्रवेश का परमिट मिलेगा या.....  ?

 (4 जनवरी 2019 से 14 जनवरी 2019 तक)


7 जनवरी 2019  सोमवार (सुबह 7. 00 )
होटल कस्तूरी जैगांव

आज हमें भूटान का परमिट बनवाकर थिम्फू  के लिए रवाना होना है।  लगता है थिम्फू के रास्ते में कई चुनौतियां है,लेकिन इस बार हम सारी चुनौतियां पार कर ही लेंगे। चुनौतियों की शुरुआत तो रतलाम से ही हो गई थी,जब एक जनवरी को यह ध्यान में आया था कि दशरथ जी के पास वोटर आईडी कार्ड नहीं है। कहां खो गया है। पासपोर्ट इन्होने बनवाया नहीं है और भूटान में बिना वोटर आईडी या पासपोर्ट के प्रवेश नहीं किया जा सकता। आनन फानन में वोटर आईडी बनवाने की प्रक्रिया शुरु की।
पहले दिन तो हिमांशु को किसी परिचित से पता चला कि वोटर आईडी कार्ड आठ-दस दिन के पहले बन ही नहीं सकता,क्योंकि साहब के डिजीटल सिग्रेचर तैयार नहीं है। फिर मैने कलेक्टोरेट जाकर उठा पटक की। तमाम मशक्कत के बाद आखिरकार रतलाम से निकलने वाले दिन यानी 4 जनवरी की दोपहर को दशरथ जी को नया रंगीन वोटर आईडी कार्ड मिल गया। वैसे हमने उनके वोटर आईडी कार्ड की फोटो कापी को स्कैन करके एक नकली कार्ड पहले ही बना लिया था। खैर ये कहानी यहीं खतम नहीं होती।
जब बागडोगरा से जैगांव आ रहे थे,तब ड्राइवर ने बताया था कि अगर आपने पहले कभी भूटान का परमिट लिया हो और लौटते समय उसे जमा नहीं करवाया हो,तो फिर आपका परमिट नहीं बन सकता। हम 2011  में भूटान आए थे और अब आज ये याद नहीं है कि हमने परमिट लौटाए थे या नहीं। कल यहां फुनशिलोंग घूमते वक्त भी ड्राइवर थापा ने यहीं बात बताई थी। हांलाकि शाम को जब ट्रेवल एजेन्ट के यहां फार्म भरे,तब उसने कहा कि अगर उस वक्त आपके फिंगर प्रिन्ट नहीं लिए थे,तो कोई दिक्कत नहीं आएगी। मुझे याद आता है कि उस वक्त फिंगर प्रिन्ट तो नहीं लिए थे। खैर...,अब देखते है कि आज क्या होता है..?


7जनवरी 2019 सोमवार (रात 10.30 आईएसटी/ रात 11.00 भूटान)
होटल शांतिदेवा थिम्फू 

रात के इस वक्त भूटान की राजधानी थिम्फू में प्रमुख बाजार के बीचो बीच होटल शांति देवा में हम सोने की तैयारी कर रहे हैं।
हम भारतीय समय के अनुसार,रात 8.10 और भूटानी समय के मुताबिक 8.40 पर थिम्फू  में अपने होटल पर पंहुच गए थे। यहां आते ही कमरों में जाकर सैटल हुए।
 अब कहानी वहां से शुरु करता हूं जहां छोडी थी। सुबह थोडा जल्दी उठ कर साढे तक तैयार हो गए। ट्रेवल एजेन्ट का फोन अब तक आया नहीं था। हम कमरों से नीचे उतरे और नीचे होटल के ही रेस्टोरेन्ट में पंहुच कर नाश्ता किया। नाश्ते के दौरान ही ट्रेवल एजेन्ट का फोन आ गया,कि उसकी एक कर्मचारी हमारे परमिट बनवाने के लिए आ चुकी है। हमने नाश्ता किया और उस भूटानी महिला के साथ इमिग्रेशन आफिस पर पंहुच गए। वो भूटानी महिला 45 के करीब की थी। वह भूटान सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त गाइड थी। इमिग्रेशन आफिस भूटान द्वार से भीतर घुसते ही दाई ओर नजदीक ही है।  हमें इमिग्रेशन आफिस पर ले जाकर उसने एक स्थान पर खडा कर दिया। हमारे कागजात लेकर उसने चैक करवाए। महज दस पन्द्रह मिनट में वह हमें उपर वाली मंजिल पर ले गई,जहां हमारे परमिट बनना थे। हमें एक काउंटर पर  लाइन में खडा कर दिया गया। हमारे आगे कई लोग थे,जिनके वेब कैमरे से फोटो लिए जा रहे थे। करीब आधे घंटे के इंतजार के बाद पहला नंबर  आशुतोष का था। आशुतोष का नंबर आया तो हलकी घबराहट हुई कि कहीं पहले,जब हम आए थे,तब का रेकार्ड अगर हुआ तो इस बार भी हमें परमिट मिलेगा ही नहीं। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।  आशुतोष के फिंगर प्रिन्ट लिए गए,जो वैरिफाई हो गए। फिर फोटो लिया और परमिट ओके हो गया। उसके बाद हिमांशु और अनिल का परमिट बना। फिर मेरा परमिट भी वैरिफाई हो गया।
अब यह तय हो गया था कि हम भूटान जा रहे हैं। परमिट बनने के बाद वहीं के काउंटर से तीन मोबाइल सिम खरीदी। यहां टूरिस्ट के लिए सिम की व्यवस्था है। सिम ली,उस समय ग्यारह बज चुके थे। सिम लेकर लौटे। हमें हमारी गाईड ने बताया कि अब आप होटल जाईए,करीब एक डेढ बजे गाडी आएगी। क्योकि  गाडी का परमिट बनना बाकी है। हम अब होटल में लौट आए। बाजार में इधर उधर घूमते रहे।
आशुतोष और हिमांशु फिर से फुनशिलोंग चले गए। मैं दशरथ जी और अनिल जैगांव में घूमते रहे।  करीब पौने एक बजे ट्रेवल एजेन्ट का फोन आया कि कागज तैयार हो गए हैं। हम तीनों उसके आफिस में पंहुचे। वहां जाकर होटल बुकींग के तेरह हजार रु.एडवान्स दिए। फिर गाडी में बैठकर होटल में आए। सारा सामान गाडी में जमाया। अब हम चले थिम्फू  के लिए। आशुतोष और हिमांशु को फुनशोलिंग से ही गाडी में बैठा लिया।  हमारी गाडी अब थिम्फू  के लिए चल पडी। फुनशोलिंग से थिम्फू 170 किमी है। रास्ता टू लेन है और शानदार है। पूरा पहाडी रास्ता। एक सौ अस्सी डिग्री के मोड। घनी हरियाली। पहाडों पर घने जंगल। इन्ही नागमोडी रास्तों पर चलते रहे। शाम पांच बजते बजते मौसम ठंडा होन लगा छ: बजते बजते हमें गर्म कपडे पहनने पड गए। रास्ता शानदार था। बीच में एक दो स्थानों पर लैंडस्लाइड नजर आई,लेकिन फिर भी रास्ता अच्छा था। रात करीब आठ बजे (भारतीय समय) हम थिम्फू  पंहुच गए। यहां रुक कर अंधेरे में कुछ फोटो आदि खींचे। रात सवा आठ तक हम होटल पर पंहुच गए।
 भूटान का समय हमसे आधा घंटा आगे है। जब हमारी घडी सवा आठ बजा रही थी,तब भूटान में पौने नौ बज चुके थे। होटल में आकर कमरों में सैटल हुए।
 हमारे एजेन्ट ने सही कहा था। कमरे बेहद शानदार हैं। रुम हीटर भी है। स्टार रेटिंग जैसा होटल है। भोजन का आर्डर हम रास्ते से ही दे चुके थे। भोजन कमरों में ही परोसा गया। भोजन अच्छा था। सब्जी रोटी दाल और चावल। सभी का भोजन एक ही कमरे में था। भोजन करके हम अपने कमरे में लौटे।
ठंड अच्छी खासी है, लेकिन इतनी भी नहीं है कि हम झेल ना सके। रतलाम से यहां का मौसम देख रहे थे,तो डर लग रहा था। बाहर तो अच्छी खासी ठंड है लेकिन कमरे में रुमहीटर है,इसलिए हम बनियान में बैठे है। कल सुबह साढे आठ बजे निकलना है।
शुभ रात्रि......।

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