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जीएमवीएन रेस्ट हाउस बद्रीनाथ
बद्रीनाथ के जीएमवीएन रेस्ट हाउस में रात के इस वक्त सब लोग सौ चुके है। चिंतन जगा हुआ है। अभी उसने मलय से बात की है। मैं तो सोने ही वाला था कि तभी मुझे डायरी की याद आ गई। इसी के साथ पूरे दिन भर का घटनाक्रम भी याद आ गया।
जोशीमठ से सुबह छ:बजे निकलना था। हम केवल पन्द्रह मिनट लेट हुए। सवा छ: बजे हम जोशीमठ से रवाना हो गए थे। बीती रात जो जमावट की थी,वह सुबह काम आई। गाडी ठीक पौने छ: बजे रेस्टहाउस पर आ गई थी।
सवा छ: पर हम निकल पडे। रास्ते में दो तीन बार जाम लगे,लेकिन हम नौ बजे बद्रीनाथ के बस स्टैंड पर पंहुच गए। रतलाम वाले पंडित जी से चर्चा हो चुकी थी। वहां रुकने का पूरा इंतजाम भी था,लेकिन हम कोई दूसरी जगह चाहते थे। बस स्टैंड पर गाडी रुकते ही हम होटलों की तलाश में निकल पडे। सब लोगों को बस स्टैंड पर खडा किया,सामान के साथ और मैं व प्रकाश निकले। दो-चार होटल देखें। सब के सब अंधाधुंध मुंह फाड रहे थे। तीन हजार रु. से नीचे कोई राजी ही नहीं था। तभी मुझे जीएमवीएन का बोर्ड नजर आया। जीएमवीएन पंहुचे तो पता चला कि डोरमैट्री तीन सौ रु.प्रति व्यक्ति के हिसाब से मिलेगी,लेकिन दोपहर बारह बजे के बाद। हमारे साथ लगेज था। थोडा चमकाया धमकाया तो एक कमरे में सामान रखने की व्यवस्था हो गई। सामान टिका कर प्रकाश राव और उनका परिवार स्नान व दर्शन के लिए निकल पडा। मैं वैदेही और चिंतन चरण पादुका के दर्शन के लिए चल पडे। चरण पादुका बद्रीनाथ मंदिर से साढ़े तीन किमी उपर है। हम चले तो वैदेही की हालत खराब होने लगी,लेकिन धीरे धीरे मैं उसे चरण पादुका तक ले ही गया। वहां तक पंहुचने के दौरान कई सारे विडीयोज बनाए। हम बेहद धीरे धीरे रुकते रुकते गए थे,लेकिन लौटना जल्दी था। हम करीब तीन बजे नीचे लौटे। नीचे प्रकाश राव पूरे परिवार के साथ हमारा इंतजार कर रहे थे। हम लोग मिले और फिर चल पडे जीएमवीएन रेस्ट हाउस के लिए।
नई समस्या यह थी कि हमारे पास नगदी रुपया बचा ही नहीं था। मेरे पास कई सारे कार्ड थे,लेकिन यहां के सारे एटीएम बंद या खराब थे।
अब हमारे पास चाय पीने तक के पैसे नहीं थे। फिर प्रकाश ने रतलाम वाले पंडित जी को फोन लगाया। पंडित जी ने तुरंत पन्द्रह हजार रु. की व्यवस्था कर दी। पंडित जी की मदद से अब हम सक्षम हो गए थे। अब कोई समस्या नहीं थी। एक दिन और यहीं रुकने का फैसला किया। कल वसुधारा जाएंगे और परसों सुबह यहां से वापस निकलेंगे।
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खाली जेब और चरण पादुका के दर्शन
9 जून 2019 रविवार (रात 10.00)जीएमवीएन रेस्ट हाउस बद्रीनाथ
बद्रीनाथ के जीएमवीएन रेस्ट हाउस में रात के इस वक्त सब लोग सौ चुके है। चिंतन जगा हुआ है। अभी उसने मलय से बात की है। मैं तो सोने ही वाला था कि तभी मुझे डायरी की याद आ गई। इसी के साथ पूरे दिन भर का घटनाक्रम भी याद आ गया।
जोशीमठ से सुबह छ:बजे निकलना था। हम केवल पन्द्रह मिनट लेट हुए। सवा छ: बजे हम जोशीमठ से रवाना हो गए थे। बीती रात जो जमावट की थी,वह सुबह काम आई। गाडी ठीक पौने छ: बजे रेस्टहाउस पर आ गई थी।
सवा छ: पर हम निकल पडे। रास्ते में दो तीन बार जाम लगे,लेकिन हम नौ बजे बद्रीनाथ के बस स्टैंड पर पंहुच गए। रतलाम वाले पंडित जी से चर्चा हो चुकी थी। वहां रुकने का पूरा इंतजाम भी था,लेकिन हम कोई दूसरी जगह चाहते थे। बस स्टैंड पर गाडी रुकते ही हम होटलों की तलाश में निकल पडे। सब लोगों को बस स्टैंड पर खडा किया,सामान के साथ और मैं व प्रकाश निकले। दो-चार होटल देखें। सब के सब अंधाधुंध मुंह फाड रहे थे। तीन हजार रु. से नीचे कोई राजी ही नहीं था। तभी मुझे जीएमवीएन का बोर्ड नजर आया। जीएमवीएन पंहुचे तो पता चला कि डोरमैट्री तीन सौ रु.प्रति व्यक्ति के हिसाब से मिलेगी,लेकिन दोपहर बारह बजे के बाद। हमारे साथ लगेज था। थोडा चमकाया धमकाया तो एक कमरे में सामान रखने की व्यवस्था हो गई। सामान टिका कर प्रकाश राव और उनका परिवार स्नान व दर्शन के लिए निकल पडा। मैं वैदेही और चिंतन चरण पादुका के दर्शन के लिए चल पडे। चरण पादुका बद्रीनाथ मंदिर से साढ़े तीन किमी उपर है। हम चले तो वैदेही की हालत खराब होने लगी,लेकिन धीरे धीरे मैं उसे चरण पादुका तक ले ही गया। वहां तक पंहुचने के दौरान कई सारे विडीयोज बनाए। हम बेहद धीरे धीरे रुकते रुकते गए थे,लेकिन लौटना जल्दी था। हम करीब तीन बजे नीचे लौटे। नीचे प्रकाश राव पूरे परिवार के साथ हमारा इंतजार कर रहे थे। हम लोग मिले और फिर चल पडे जीएमवीएन रेस्ट हाउस के लिए।
नई समस्या यह थी कि हमारे पास नगदी रुपया बचा ही नहीं था। मेरे पास कई सारे कार्ड थे,लेकिन यहां के सारे एटीएम बंद या खराब थे।
अब हमारे पास चाय पीने तक के पैसे नहीं थे। फिर प्रकाश ने रतलाम वाले पंडित जी को फोन लगाया। पंडित जी ने तुरंत पन्द्रह हजार रु. की व्यवस्था कर दी। पंडित जी की मदद से अब हम सक्षम हो गए थे। अब कोई समस्या नहीं थी। एक दिन और यहीं रुकने का फैसला किया। कल वसुधारा जाएंगे और परसों सुबह यहां से वापस निकलेंगे।
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