Wednesday, November 20, 2019

लद्दाख कश्मीर यात्रा-09

370 हटने से बेअसर दिखी पूरी घाटी

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10 सितंबर 2019 (रात 11.15)
जीकेटीडीसी रेस्ट हाउस बनिहाल

बनिहाल के जेके टूरिज्म के रेस्ट हाउस में बनिहाल पुलिस स्टेशन के एसएचओ आबिद बुखारी से मित्रता करने के बाद हम कमरे में सोने की तैयारी कर रहे है। किस्सा वहीं से शुरु करना पडेगा,जहां हम दो ढाई घण्टे फंसे हुए थे।
    हम सोनमर्ग में फंसे हुए थे। मोहर्रम का मातम जुलूस चीटींकी चाल से आगे बढ रहा था। एकाध दर्जन रक्तरंजित लोगों को मेडीकल हेल्प दी गई। जैसे तैसे मातम जुलूस हाईवे से सरका और हम सोनमर्ग से दोपहर तीन बजे आगे बढ पाए।  श्रीनगर यहां से करीब अस्सी किमी दूर था।
सडक़ शानदार थी। अब कश्मीर घाटी शुरु हो चुकी थी। हमें जानना था कि 370 हटने का असर क्या है। हाई वे पर ज्यादातर  दुकानें बंद नजर आ रही थी,लेकिन जरुरत की चीजों की दुकानें खुली थी। लोग सामान्य तौर पर आवाजाही कर रहे थे और कहीं भी तनाव नजर नहीं आ रहा था। हाईवे पर करीब पचास किमी आगे बढने के बाद एक बोर्ड नजर आया,जो बता रहा था कि सीधे जम्मू का रास्ता अलग था और श्रीनगर का रास्ता अलग था। अब हमें यह तय करना था कि हम सीधे जम्मू के रास्ते पर चलें या श्रीनगर में जाए। रास्ते भर हर गांव में और हाईवे पर भी हर जगह सेना और पुलिस के लोग तैनात थे। यहां दो रास्ते बंट रहे थे,वहां गाडी रोकी और वहां तैनात सश बलों के जवानों से बातचीत की। वे हमें देखकर खुश हो गए कि हम एमपी से आ रहे हैं। एक जवान ने स्थानीय पुलिस वाले से पूछताछ कर हमें बताया कि हमें सीधे आगे निकल जाना चाहिए,क्योंकि आज मोहर्रम है

और श्रीनगर में ठहरने की व्यवस्था नहीं हो पाएगी। लेकिन उन्होने जो रास्ता सुझाया था वह सीधे श्रीनगर के लाल चौक पर जा रहा था। हम लाल चौक वाले रास्ते पर बढ गए। बाजार की दुकानें यूं तो बन्द नजर आ रही थी,लेकिन रोजमर्रा की जरुरतों वाली दुकानें जैसे किराना,सब्जी भाजी,दूध,दवाएं आदि की दुकानें खुली हुई थी। सडक़ पर चप्पे चप्पे पर सुरक्षाकर्मी तैनात थे,लेकिन लोग,यहां तक कि महिलाएं और बच्चे भी बडे आराम से सडक़ पर चल रहे थे। हम श्रीनगर सिटी में पंहुच गए।  इस वक्त शाम के साढे पंाच बज चुके थे।  शहर में भी वही हाल था। दुकानें बंद थी,लेकिन जरुरतें पूरी हो रही थी। सडक़ों पर लोग बडे आराम से घूम रहे थे। हमें लगा था कि हमारी गाडी रोककर पूछताछ की जाएगी या हमें शहर के भीतर जाने से रोका जाएगा,लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। पिछले कई दिनों से टीवी पर जो खबरें आ रही थी,वे सब सच साबित हो रही थी। हमें लगा था कि जगह जगह चैकिंग हो रही होगी,लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। लालचौक के पहले केवल एक जगह हमें रोका गया। सामान्य पूछताछ हुई। फिर हमने पूछा कि हमें यहां रुकना है तो हमें सुरक्षाकर्मी ने बताया कि लालचौक या डल झील पर होटल मिल सकते है। हांलाकि रास्ते में जितने होटल नजर आए,वो सब बंद थे। हमारी समस्या यह थी कि अगर रुकने की व्यवस्था नहीं हो पाई और रात हो गई,तो हम क्या करेंगे। हमने तय किया कि श्रीनगर शहर के भीतर का नजारा करते हुए हम आगे बढ जाएंगे। जहां दो रास्तो अलग हुए थे,वहां सुरक्षाकर्मी ने बताया था कि आप आराम से दो घण्टे में घाटी से बाहर निकल सकते है और आगे काजीगुंड में आपको होटल मिल जाएंगे। इसलिए आप वहीं चले जाना। श्रीनगर शहर में दुकानें बाजार बंद थे,लेकिन लोगों का सामान्य जीवन सुचारु दिख रहा था। किराना दुकानें,सब्जीभाजी,दूध और फल की दुकानें खुली हुई थी और लोग अपनी जरुरत की चीजें खरीद रहे थे। हमें बताया गया था कि व्यापारी अपनी दुकानें केवल विरोध प्रदर्शन के लिए बंद दिखा रहे हैं। यह भी सही साबित हो गया था। एक दो जगह हमने होटलों में पूछताछ भी की थी,लेकिन होटल बंद थे। इस वक्त छ: बज गए थे। यही तय किया कि श्रीनगर से निकल कर घाटी के बाहर जाकर किसी होटल में रुक जाए। हम निकल पडे। करीब पचास किमी तक समतल भूमि पर फोरलेन रास्ता था। पाम्पोर,अनंतनाग जैसे कस्बे से आगे बढकर जवाहर टनल तक जा पंहुचे। घाटी खत्म होने के बाद करीब अठारह किमी पहाड चढने के बाद जवाहर टनल आती है,जो जम्मू को कश्मीर से अलग करती है। टनल पार करके आघे बढे। इस वक्त साढे सात बज चुके थे। घाटी में पिछले छ: सात घण्टे घूमने के बाद हम समझ चुके थे कि सारी चीजें पूरे नियंत्रण में है और अब सब कुछ ठीक होने वाला है। जवाहर टनल से निकल कर होटल की तलाश करते रहे। करीब आधे घण्टे बनिहाल कस्बा आया। यहां एक दो होटल देखने के बाद जानकारी मिली कि जेकेटीडीसी का डाकबंगला है। यहां पंहुचे तो बडी आसानी से थोडे महंगे,लेकिन बेहतरीन कमरे मिल गए।  बारह सौ का एक कमरा। कमरे शानदार थे। बिना वक्त गंवाएं हम यहां रुक गए। यहां शुध्द शाकाहारी भोजन भी उपलब्ध था। मनोरंजन कार्यक्रम के बाद बढिया भोजन किया। डाइनिंग होल में भोजन किया। इसी दौरान प्रकाश राव स्थानीय कर्मचारियों से धारा ३७० पर चर्चा करने लगा। हम कमरे पर आए,तभी बनिहाल पुलिस के एसएचओ आबिद बुखारी से मुलाकात हुई। ये दस पन्द्रह मिनट की मुलाकात बेहद शानदार रही। युवा एसएचओ आबिद बुखारी राष्ट्रीय खिलाडी है और धारा ३७० को हटाने के पक्ष में है। मोबाइल नंबर का आदान प्रदान हुआ। इसी दौरान आबिद के फोन से वासिफ काजी से बात हुई। सुबह मिलने का वादा करने के बाद ये चर्चा समाप्त हुई। अब सोने का वक्त...।
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