Wednesday, November 20, 2019

कश्मीर लद्दाख यात्रा-10

स्वर्णमन्दिर के दर्शन और तीखी धूप में बाघा बार्डर की परेड

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11 सितंबर 2019 (रात 11.15)
ओयो होटल अमृतसर

   अमृतसर के सुप्रसिध्द स्वर्णमन्दिर के बेहद नजदीक एक ओयो होटल में इस वक्त हम ठहरे हुए हैं।
    आज की सुबह हम बनिहाल में जेके टूरिज्म के डाक बंगले में सोकर उठे थे। सुबह साढे आठ तक सब लोग
लगभग तैयार हो चुके थे। रात को बनिहाल के एसएचओ आबिद बुखारी से सुबह मिलने की बात हुई ती। हमारे फोन बंद थे। डाक बंगले के एक कर्मचारी का फोन लेकर मैने आबिद बुखारी को फोन लगाया। उसने कहा कि वह पन्द्रह बीस मिनट में रेस्ट हाउस पर पंहुचेगा। इस दौरान हम लोगों ने बेहतरीन सब्जी पराठे का नाश्ता किया। चाय पी। हम निकलने को तैयार थे।
मैने फिर से एक कर्मचारी का फोन लेकर आबिद को फोन लगाया। उसने कहा कि वह पांच मिनट में पंहुच रहा है। इधर हम गाडी में सवार होने को तैयार थे। गाडी में सवार हो ही रहे थे कि मैने सबसे कहा कि पांच मिनट रुकना पडेगा,लेकिन उसी वक्त एसएचओ आबिद फुल यूनिफार्म में चार अंगरक्षकों के साथ वहां पंहुच गया। हम फिर से रेस्टहाउस के भीतर पंहुचे। आबिद ने फिर से चाय का आर्डर दिया। अब बातें होने लगी। अनुच्छेद 370 और कश्मीर पर। आबिद का कहना था कि फारुख अब्दुल्ला जैसे नेता को विश्वास में लेना चाहिए था,क्योंकि वही भारत का झण्डा उठाए हुए था। हम इससे सहमत नहीं थे,लेकिन चर्चा होती रही। आबिद बुखारी का कहना था कि एक लाख लोग मर चुके है। हर घर में किसी ना किसी की मौत हो चुकी है। अब केन्द्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह लोगों को प्यार से मनाए। पता नहीं कब स्थिति सुधरेगी। मेरा सोचना यह था कि बाकी देश के सवा सौ करोड लोगों की भावनाएं इन्हे पता ही नहीं है। कुल मिलाकर आबिद से अच्छी बातें हुई। आगे भी सम्पर्क में रहने के वादों के साथ हम यहां से बिदा हुए।
 हम 10.30 पर बनिहाल से निकले। आज टोनी की तबियत ठीक थी। गाडी वही चला रहा था। आगे लगातार पहाडी रास्ता था। हम चलते रहे। इसी दौरान ध्यान में आया कि गाडी के अगले पहिये में डिस्क पैड घिस गए हैं। गाडी के सेंसर लगातार इसकी सूचना दे रहे थे। हमने करीब साढे बारह बजे जम्मू पार कर लिया।
उधमपुर से ही शानदार फोरलेन रास्ता शुरु हो गया था। पहाडों की तलहटी थी,इसलिए रास्ता पहाडी और घुमावदार ही था। लेकिन फोरलेन शानदार था। हम जम्मू पार कर गए। हमें गाडी ठीक करवानी थी। योजना यह थी कि अगर ठीक से चले तो आज ही शाम को अमृतसर की वाघा बार्डर की परेड देख लेंगे। लेकिन गाडी में समस्या थी। जम्मू से आगे बढे। गाडी भी ठीक करवाना थी और भोजन भी करना था। अचानक महिन्द्रा का शोरुम नजर आया।  गाडी लेकर वहां पंहुचे,गाडी चैक करवाई। वहां बताया गया कि काम तो मात्र आधे पौन घण्टे का है,लेकिन इस काम को करने में तीन चार घण्टे लग जाएंगे।  वहां से आगे बढे। अभी सवा दो बजे थे। बारिब्राम्हना में एक सर्विस स्टेशन नजर आया। यह  किसी बलवीरसिंह का था। पास ही में ढाबा भी था। गाडी दिखाई,तो उसने कहा कि अगर डिस्क पैड मिल गए तो काम हो जाएगा। उसने डिस्क पैड के लिए कहीं फोन लगाया और फिर बोला कि काम हो जाएगा। हम बगल के ढाबे में भोजन करने चले गए। ढाबे पर राजमा और भिण्डी का आर्डर दिया। भिण्डी तो शानदार थी लेकिन राजमा खराब हो चुका था। ढाबे वाले को बताया तो उसने राजमा की जगह दाल दे दी। भोजन करने के दौरान ही हमें पता चला कि डिस्क पैड नहीं मिले है। गाडी ठीक नहीं हो पाएगी। हम वहां से आगे बढने को तैयार थे। इस वक्त चार बज गए थे और अमृतसर १६० किमी दूर था।  हम परेड के वक्त तक वहां नहीं पंहुच सकते थे। अब यह तय था कि अमृतसर में ही रात गुजारना है। कल स्वर्णमन्दिर,जलियांवाला बाग और अटारी की परेड देखकर ही आगे बढना है।
    हमारे मोबाइल भी अब चालू हो चुके थे। इंटरनेट भी चालू हो गया था। मैने पंजाब सरकार के पोर्टल पर सर्किट हाउस बुक करवाया,लेकिन सर्किट हाउस पर फोन करने पर पता चला कि वहां रिनोवेशन चल रहा है। ओयो पर होटल देखे। आठ सौ रु.प्रति रुम के हिसाब से रुम उपलब्ध थे। इस होटल पर रुम बुक करवाए। शाम साढे छ: बजे हम अमृतसर में पंहुच गए थे। अमृतसर में घुस ही रहे थे कि अचानक एक गैरेज नजर आया। उसको गाडी दिखाई। उसने कहा कि आप सुबह साढे नौ पर आ जाईए,एक घण्टे में काम हो जाएगा। वहां से गूगल लोकेशन लेकर होटल पर पंहुचे। बढिया ठीकठाक एसी कमरे थे। यहां पंहुचे,मनोरंजन कार्यक्रम चला। रात नौ बजे होटल से निकले,तो सीधे स्वर्णमन्दिर के सामने पंहुच गए। इसी बाजार में एक प्रसिध्द रेस्टोरेन्ट में भोजन किया।  बाहर निकले तो टोनी ने कहा बाजार घूमते है। सब लोग बाजार घूमने को राजी हो गए। टोनी को खरीददारी करना थी। उसने एक दुकान से आठ सौ रु.प्रति सूट के हिसाब से १० सूच खरीदे। रात करीब साढे दस पर होटल लौट आए। इसके बाद मैं और प्रकाश होटल से निकले तो रात सवा ग्यारह बजे होटल में लौटे। इसी दौरान वैदेही का फोन आ गया। मैने कहा कि मैं डायरी लिख रहा हूं। बातें हुई,फिर डायरी से जुडा। अब सोने का वक्त।

12 सितंबर 2019 (रात 12.45)
होटल गैलेक्सी बठिण्डा

घडी के हिसाब से तो तारीख बदल चुकी है,लेकिन मैं डायरी 12 तारीख में ही लिख रहा हूं। आज की सुबह अमृतसर से शुरु हुई थी। होटल में काम्प्लिमेन्ट्री नाश्ता भी था। पता चला नाश्ते में सिर्फ आलू पराठे थे। आलू पराठे खाकर करीब दस बजे होटल से चैक आउट किया। बटालारोड पर स्थित राघव कार गैरेज में  कल गए थे। आज सुबह करीब साढे पांच किमी चलकर वहीं पंहुचे। गाडी ठीक करवानी थी। इसमें करीब डेढ घण्टा लगा। इसी दौरान मैने वाघा बार्डर की परेड के वीआईपी पास के लिए कई स्थानीय पत्रकारों को फोन लगाए। आखिर में एक पत्रकार ने बीएसएफ के डीआईजी का नंबर दिया। अब गाडी ठीक हो चुकी थी। हम वहां से निकले और सीधे स्वर्णमन्दिर पंहुचे। स्वर्णमन्दिर के मुख्य मंदिर हरमन्दिर साहब में भारी भीड थी। सभी ने भीतर नहीं जाने का निर्णय लिया। सरोवर के बीच में स्थित स्वर्णमन्दिर के दूर से दर्शन करने के बाद इस परिसर में स्थित तमाम गुरुद्वारों के दर्शन करके लंगर में पंहुचे। अमृतसर में इस वक्त तबाह करने वाली गर्मी पड रही थी। पसीने की धाराएं बह रही थी। पसीने के कारण कपडे गीले हो चुके थे।
इसी हालत में हम स्वर्णमन्दिर के लंगर में पंहुचे। हर दिन यहां लाखों लोग लंगर चखते है। हमने भी लंगर चखा। गजब का सेवाभाव है। श्रध्दालु काम में जुटे ही रहते है। भोजन करके बाहर निकले। बगल में ही जलियांवाला बाग है,जहां जनरल डायर ने करीब चार सौ लोगों की नृशंस हत्या की थी और 1250 को घायल कर दिया था। बाद में उधम सिंह ने जनरल डायर को लंदन जाकर मार दिया था। जलियांवाला बाग में घूम कर फोटो खींच कर बाहर निकले।
     अभी पौने दो बजे थे। अटारी की बाघा बार्डर पर परेड देखना थी। परेड़ छ: बजे शुरु होती है। हम अटारी के लिए चल पडे। जैसे तैसे हमने चार बजाए। तीखी धूप,जबर्दस्त गर्मी,करीब 42 डिग्री तापमान। हम अभी लेह और कश्मीर की ठण्डक से लौटे हैं। ठण्ड से अचानक खतरनाक गर्मी से सामना हुआ है। हम अटारी बार्डर पर चार बजे पंहुचे। तेज धूप में सामान्य गैलरी में जाकर बैठना पडा। वीआईपी पास हासिल करने की सारी कोशिशें बेकार साबित हुई।  बीएसएफ के अफसरों से बात हुई,तो उन्होने कहाकि आप पहले बताते तो काम हो जाता। हम आम गैलेरी के गर्म पत्थरों पर जाकर बैठ गए।
 जानलेवा गर्मी की तीखी धूप में गर्म पत्थरों पर डेढ घण्टा गुजारा। वाघा  बार्डर अब बडा टूरिस्ट पाइन्ट बन चुका है। हर दिन दस हजार से ज्यादा लोग यहां परेड देखने के लिए पंहुचते हैं।  सरकार ने बहुत बडा पैवेलियन बना दिया है। टूरिस्ट अट्रैक्शन के चलते परेड में कई नए आईटम जोड दिए गए हैं। शुरुआत में देशभक्ति के फिल्मी गाने चलते है। करीब आधे पौन घण्टे के बाद वहां मौजूद डांस की इच्छुक महिलाओं को बुलाया गया। फिर करीब आधे घण्टे तक देशभक्ति गीतों पर महिलाएं नाचती रहीं। दूसरी तरफ पाकिस्तान की दर्शक दीर्घा भारत के मुकाबले बहुत छोटी थी और उसमें दर्शक भी बहुत कम थे।
 भारत के नागरिक भरचक जोश में भरकर नारे लगा रहे थे। बीएसएफ का एक जवान नारे लगवा रहा था। इसी दौरान तिरंगे झण्डे लेकर बच्चियां और महिलाएं दौड लगा रही थी। परेड देखने आए विदेशी मेहमान भी उत्साहित थे। कई विदेशी लडकियां पहले तिरंगा लेकर दौडी और बाद में जब महिलाओं को डांस के लिए बुलाया गया तो विदेशी लडकियां भी डांस के लिए पंहुच गई। उन्होने भी जमकर डांस किया। इसके बाद ध्वज उतारने की प्रक्रिया पूरी हुई। इस पूरे कार्यक्रम के दौरान भीषण गर्मी की वजह से हम लोगों के सारे कपडे पसीने से पूरी तरह भीग चुके थे।
    परेड सात बजे खत्म हुई। हमने कल ही तय किया था कि अमृतसर से करीब सौ किमी आगे जाकर रुकेंगे। फोरलेन पर निकल पडे। हमें बठिण्डा हाईवे पर जाना था। बठिण्डा करीब सवा सौ किमी था। हमने सोचा था कि सौ किमी चल कर कहीं रुक जाएंगे। बठिण्डा से पहले फरीदकोट आता है। फरीदकोट के आसपास हाईवे पर होटल मिलने की उम्मीद थी। अब पौने नौ बजने को थे। फरीदकोट तीस चालीस किमी दूर था। हम रोड के दोनो  तरफ होटल देख रहे थे। होटल कहीं नजर नहीं आया। वहां से आगे बढे। अब दस बज चुके थे और बठिण्डा के पास ही पंहुच चुके थे। बठिण्डा के पास पंहुचने के पहले हम ओयो पर बठिण्डा के होटल सर्च कर रहे थे,लेकिन ओयो पर बठिण्डा में कोई होटल दिखाई नहीं दे रहा था। आखिर में यही तय हुआ कि बठिण्डा शहर के भीतर जाकर होटल देखे जाए। बठिण्डा के भीतर गए रेलवे स्टेशन इलाके में पंहुचे और वहीं होटल ढूंढे। करीब पौने ग्यारह बजे हम इस होटल में पंहुचे। सामान टिकाया। कुछ देर ठहरे,फिर भोजन करने स्टेशन के पास पंहुचे। भोजन करके लौटे। इस वक्त रात के १.२० हो रहे है। अब सोने का वक्त है।

13 सितंबर 2019(सुबह 9.05)
होटल गैलेक्सी बठिण्डा

सभी लोग तैयार हो चुके है और अब यहां से निकलने की तैयारी है। बीती रात हमने काफी रास्ता तय कर लिया था। आज हमें अजमेर के आसपास पंहुचना है,तभी कल रात हम रतलाम पंहुच सकेंगे।
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