Monday, December 28, 2020

हेमकुण्ड साहिब यात्रा-2

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गाडी खराब,सेंसर की तलाश और गंगा आरती

26 सितम्बर 2020 शनिवार(रात10.02)
होटल शिवमूर्ति  हरिद्वार

आखिरकार कोरोना टेस्ट कराने के 96 घण्टे पहले हम उत्तराखण्ड में प्रवेश कर गए। इस वक्त हम हरिद्वार के स्टेशनरोड पर होटल ग्र्राण्ड शिवमूर्ति में सोने की तैयारी कर रहें है।  

सुबह जयपुर से करीब 20-25 किमी आगे पराठों का नाश्ता करके निकले थे। गाडी स्टार्ट हुई। मनीष गाडी चला रहा था। उसने कहा कि गाडी का एकाध सेंसर गडबड कर रहा है। जब रतलाम से चले थे,तभी से गाडी का स्पीडोमीटर बन्द पडा था। डेशबोर्ड पर मीटर में इसका संकेत भी मिल रहा था।

यह तय हुआ कि आगे कहीं मारुति के अधिकृत सर्विस सेन्टर में गाडी को दिखाना हे। वहां से चले,करीब 10-15 किमी बाद एक सर्विस सेन्टर मिला,लेकिन  वहां वो सेंसर नहीं मिला जिसकी गाडी को जरुरत थी। मैकेनिक ने हमें बताया कि वैसे तो गाडी में कोई दिक्कत नहीं आएगी। आगे 17 किमी बाद नीमराना मेंं मारुति के सर्विस सेन्टर पर वो सेंसर मिल जाएगा,जो हमें चाहिए। हम आगे बढे। नीमराना का सर्विस सेन्टर देखते हुए। वो तो मिला नहीं हम चलते चलते मानेसर पंहुच गए। इसी दौरान मैैं सेन्धवा में कोमल कानूनगो से बात कर रहा था। कल ही खबर मिली थी कि अजय कानूनगो को पक्षाघात हो गया है। उसका हालचाल जान रहा था कि इसी बीच मुझे इस्टर्न पैरिफेरल रोड का बोर्ड नजर आ गया। लेकिन चूंकि मैैं फोन पर बात कर रहा था,इसलिए मैैं बता नहीं पाया। हम चलते हुए मानेसर पंहुच गए। वहीं एक मारुति सर्विस सेन्टर नजर आ गया। वहां पंहुचे। वहां के मैनेजर ने बोला कि हां सेंसर है। हम गाडी ठीक कर देंगे। गाडी को सर्विस सेन्टर में खडा किया। मैकेनिक ने हमें कहा कि आधा लगेगा। गाडी अभी गर्म है। यह सुनकर हम चाय पीने चले गए। पास की एक दुकान पर चाय पीकर लौटे,तब तक हमारी गाडी बाहर ही खडी थी। तभी हमें मैकैनिक ने बताया कि जो सेंसर आपको चाहिए,वो यहां उपलब्ध नहीं है । आगे कहीं देखिएगा। यहां भी हमारा काम नहीं बना,लेकिन मैकेनिक ने यह जरुर बता दिया कि इस्टर्न पैरिफेरल रोड पीछे छूट गया है। हमें करीब दस किमी पीछे जाकर इस्टर्न पैरिफेरल एक्सप्रेस वे पकडना था। हम वहां से पीछे लौटे। करीब दस बारह किमी पीछे जाकर हम इस्टर्न पैरिफेरल एक्सप्रेस वे पर पंहुचे। हम दिल्ली के भीतर बिलकुल भी नहीं जाना चाहते थे। इस्टर्न पैरिफेरल वे पकडकर चल पडे। अभी हम  20-22 किमी ही चले थे कि मनीष ने कहा कि डीजल खत्म होने वाला है। इस रोड पर पहले पैट्रोल पंप नहीं था। लेकिन अब एक चालू हो गया है,जो यहां से 20-25 किमी आगे था। उसी पैट्रोल पंप पर डीजल डलवाया और सभी ने राहत की सांस ली। 

अब बढे सीधे हरिद्वार की ओर। बीच में 30-40 किमी गाडी मैने ड्राइव की। इसके बाद गाडी फिर से मनीष ने सम्हाल ली।  पूरे रास्ते में मारुति का वर्कशाप कहींनजर नहीं आया। अब उम्मीद सिर्फ रुढकी या हरिद्वार मेंथी। गाडी बेहद भारी चल रही थी। गेयर भी गडबडा रहे थे। स्टेयरिंग भी टाइट हो रहा था। पिकअप कम हो गया था। ये सारी समस्याएं सेंसर लगाने के बाद ही हल होने वाली थी।

इसी बीच आशुतोष ने पुराने ड्राइवर सुभाष पाल को फोन लगा दिया। वह हमारा इंतजार कर रहा था। हमें वह हाईवे पर मिला। हमने उसे कहा कि हम होटल तय करके बुलाएंगे। उसने घर चलने का भारी आग्र्रह किया,लेकिन हम उसे विनम्रता से मना करके आगे बढ गए। एक बार फिर हम शहर का रास्ता चूक कर आगे बढ गए,लेकिन फिर पलट कर शहर का रास्ता पकडा। हमेंरात गुजारने की व्यवस्था करना थी।  स्टेशन रोड के इस होटल मेंआकर हमारी खोज खत्म हुई। यहां आने के बाद सुभाष को भी बुलवा लिया। बातें होती रही। फिर सुभाष को बिदा किया। कल सुबह सबसे पहले गाडी का ईलाज करेंगे,जब वह निपट जाएगा तब यहां से आगे बढेंगे। शुभ रात्रि........।


 27 सितम्बर 2020 रविवार (प्रात: 9.10)

होटल ग्र्राण्ड शिवमूर्ति हरिद्वार

इस वक्त हम सभी लोग करीब करीब तैयार हो चुके हैैं। अनिल अभी स्नान कर रहा है। आशुतोष और मनीष रेडी है। हमारा मित्र सुभाष पाल अभी आधे घण्टे पहले गरमा गरम आलू पराठे का नाश्ता यहां रख कर गया है। वह मारुति शोरुम देखने गया है। जिससे कि हम गाडी ठीक करवा सकें।

पहाड पर चढने के पहले गाडी के सेंसर ठीक करवाना जरुरी है। तभी हम निश्चिंत होकर चल सकेंगे। यहां गाडी ठीक होने के बाद हम बद्रीनाथ के रास्ते पर चलेंगे और जहां तक जा सकेंगे वहां पंहुच कर रुकेंगे।


28 सितम्बर 2020 सोमवार (प्रत: 7.45)

होटल शिवमूर्ति ग्र्राण्ड,हरिद्वार


आज हमारी यात्रा जोशीमठ के लिए शुरु होगी। हम लोग तैयार होने वाले है। कल पूरा दिन हमें हरिद्वार में ही गुजारना पडा। सुबह सुभाष पाल के लाए हुए पराठों से पेटपूजा करके मैैं और मनीष गाडी ठीक करवाने के लिए निकले थे। यहां का मारुति शोरुम काफी बडा है। हमारे पंहुचने से पहले ही करीब 40 गाडियां वहां लग चुकी थी। हम भी लाइन में लग गए। अगर इसी लाइन में लगे रहते तो पता नहीं कब हमारा नम्बर आता। मैने वर्कशाप मैनेजर,जोकि सुरेखा दुबे नामक महिला थी,से बात की। बताया कि हम मध्यप्रदेश से आए हैैं और पहाड पर उपर जाना है। हमारा काम जल्दी करवा दें। उसने मदद की। जाब कार्ड बना। फिर मैकेनिक आया। उसने कहा कि मै ट्रायल लेकर देखता हूं।  ट्रायल लेने के बाद उसने कई सारे काम बता दिए। गाडी के फस्र्ट और सेकण्ड गेयर में काम था। क्लच भी गडबड कर रहा था। एबीएस सेंसर भी बदलना था। मैकेनिक ने कहा कि गाडी आज तो ठीक हो ही नहीं सकती। कल दोपहर या शाम तक यह कम्प्लीट होगी। हमने फिर से निवेदन किया कि हमें बहुत आगे जाना है। हमारा सारा कार्यक्रम गडबड हो जाएगा। फिर उन लोगों ने कहा कि हम शाम तक या कल सुबह तक इसे पूरा कर देंगे।

अब रविवार को हरिद्वार में ही रुकने के सिवाय कोई चारा नहीं था। गाडी में हमारा सामान पडा था। वहां के कर्मचारियों से कहा कि वे हमेंहोटल छोड दे ताकि हम गाडी में से सामान निकाल सके। एक कर्मचारी हमें होटल छोडने आया।  हमने गाडी में से सारा सामान निकाला और गाडी को वापस वर्कशाप पर भेज दिया। इस पूरे वाकये ने 20-21 साल पहले की अमरनाथ यात्रा याद दिला दी,जब अमरनाथ जाते वक्त जालन्धर में गाडी खराब हुई थी और पूरा दिन जालन्धर के बिन्दर उस्ताद के गैरेज पर गुजारना पडा था।

हरिद्वार में इस वक्त जबर्दस्त गरमी पड रही थी। बाहर निकल कर घूमने की किसी की भी इच्छा नहीं थी। कमरे का एसी चालू करके कमरे में ही पडे रहे। टीवी देखते रहे,नींद भी निकाल ली। शाम करीब साढे पांच बजे गंगा स्नान के लिए हर की पौडी के लिए चले। बेटरी आटो से घाट के दूसरे किनारे पर पंहुचे। अभी गंगा आरती में थोडा वक्त था। हमने सोचा कि पहले स्नान कर लेते हैै। घाट पर भीडभाड बिलकुल नहीं है। गिने चुने लोग। हम स्नान करने लगे और उधर गंगा आरती शुरु हो गई। हमारा स्नान हुआ,उधर गंगा आरती भी समाप्त हो गई। तीर्थयात्रियों की कमी के चलते शायद आरती का समय भी घटना दिया गया है। वरना आरती तो करीब एक घण्टा चला करती थी। गंगा स्नान करके पैदल ही होटल पर लौटे। होटल काफी दूर था। होटल लौटने में हमें करीब चालीस मिनट का वक्त लगा।

 फिर से टीवी न्यूज देखते हुए वक्त गुजारा। आज तय कर लिया था कि भोजन बाहर करेंगे। हमारा होटल स्टेशन रोड पर ही है। इसी सडक़ पर आगे बढो तो पहले बस स्टैण्ड,फिर रेलवे स्टेशन और आगे बढो तो हर की पौडी का रास्ता आता है। स्टेशन इलाके के एक होटल में भोजन किया। कोरोना का असर है कि होटल भी लगभग सूने पडे है। भोजन करके होटल लौटे। 

सुबह आईजी साहब से भी बात हो गई थी। वे किसी सरकारी काम से सहारनपुर जाने वाले थे। उनके लौटने की उम्मीद थी,लेकिन शाम को जगजीत ने बताया कि वे देरी से लौटेंगे। नतीजा यह कि उनसे मुलाकात संभव नहीं थी। जब उत्तराखण्ड घूमघाम कर लौटेंगे तब उनसे मुलाकात होगी।

अब हरिद्वार से निकलने की तैयारी...।

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