Monday, December 28, 2020

हेमकुण्ड साहिब यात्रा-4

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बद्रीनाथ के दर्शन, तप्त कुण्ड पर कोरोना का असर

29 सितम्बर 2020 मंगलवार (रात10.15)

होटल दुर्गा पैलेस गोविन्द घाट

 इस वक्त हम गोविन्दघाट गुरुद्वारे के नजदीक इस होटल में रुके हैैं और सुबह छ: बजे हेमकुण्ड के लिए निकलने की योजना है।  

दोपहर को हम सडक़ के जाम में फंसे थे। दोपहर पौने एक बजे जाम खुला और हम आगे बढे। हम करीब दो बीस पर जोशीमठ पंहुच गए।

गोविन्दघाट यहां से मात्र 20 किमी है। लेकिन अब घांघरिया जाने की बजाय पहले बद्रीनाथ जाने का विचार है। जोशीमठ से आगे बढे। गोविन्दघाट पंहुचते पंहुचते दोपहर के तीन बज गए। अब डर यह था कि क्या बद्रीनाथ जाकर वापस आ सकते है या नहीं? 

सभी लोग भूखे थे। गोविन्दघाट के मुख्यबाजार मे तो कोई ढाबा,होटल नजर नहीं आया। वहां से करीब आधा किमी आगे एक भगत होटल नजर आया। वहां पूछा तो बोला भोजन उपलब्ध है। भोजन की टेवल पर यही डिस्कशन होती रही कि आगे करना क्या है? बद्रीनाथ जाएं या यहीं रुक जाए। भोजन का आर्डर दिया। तुरंत सर्व भी हो गया। भोजन शानदार था। भोजन के बाद काफी भी पी ली। हमारा अंदाजा था कि इस सब में एक घण्टा तो लग ही जाएगा,लेकिन हम मात्र आधे घण्टे में ही फ्री हो गए थे। ठीक साढे तीन बजे वहां से निकल गए और ठीक एक घण्टे बाद हम बद्रीनाथ पंहुच चुके थे। रास्ते में जगह जगह सडक़ का काम चल रहा  है। थोडी सी सडक़ अच्छी फिर खराब।

बद्रीनाथ में कोरोना का खासा असर नजर आ रहा था। भीडभाड का नामोनिशान नहीं। गाडी,बिलकुल मन्दिर के  पास तक पंहुच गई। पार्किंग में गाडी खडी करके तप्त कुण्ड में स्नान करने के लिए कपडे एक बैग में रख लिए। जूते कार में ही खोलकर स्लीपर पहन ली। 

पांच मिनट में ही हम मंदिर में पंहुच गए। कोरोना के कारण जाने व आने का रास्ता अलग अलग कर दिया गया है। कोरोना के कारण तप्त कुँ्ड को बन्द कर दिया गया है। दर्शनार्थी ना के बराबर थे। फौरन मन्दिर पर पंहुच गए।  बीच में एक काउण्टर पर इ रजिस्ट्रेशन की चैकिंग की गई। तुरंत ही मन्दिर के भीतर जाने के लिए चल पडे। इसी समय मैने वैदेही को विडीयोकाल कर दिया। मन्दिर के भीतर फोटोग्र्राफी प्रतिबन्धित है,लेकिन मेरी विडीयो काल जारी थी। उसको मन्दिर के दर्शन करवाए। बमुश्किल 10-15 मिनट में बाहर आ गए।  दर्शन करके बाहर आए। फिर सभी ने अपने अपने परिजनों को विडीयो काल पर बद्रीनाथ मन्दिर के बाहर के दृश्य दिखा दिए। 

वहां से लौटे। अभी ठक सवा पांच बजे थे। हम वापस गोविन्द घाट के लिए चल पडे।  रास्ते में भेडों के एक रेवड ने परेशान कर दिया। हमे दो तीन स्थानों पर रुकना पडा। अंधेरा घिरते घिरते हम गोविन्दघाट आ गए। मुख्य सडक़ से गोविन्दघाट गुरुद्वारा काफी भीतर है। रास्ता भी बेहद डरावना है। पहाड को काटकर कच्चा रास्ता बना हुआ है। लेकिन आखिरकार हम गोविन्दघाट गुरुद्वारे पर पंहुच ही गए। इसी दौरान जगजीत भाई ने यहां के एसएचओ से बात कराने की बात कही। एसएचओ से हमारी बात भी हो गई और मुलाकात भी हो गई। इसी दौरान हमने होटल में कमरा भी ले लिया।  तब एसएचओ ने होटल वाले को हमारे बारे में बताया। इसके बाद हमें होटल में वीआईपी ट्रीटमेन्ट मिलने लगा। हमने भोजन का आर्डर  दे दिया। रात्रि चर्चा और भोजन के बाद इस वक्त सारे लोग सौ चुके है। मैैं भी डायरी लिख चुका हूं। अब मुझे भी सो जाना चाहिए।

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