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सातवां दिन
16 जुलाई 2024 मंगलवार (दोपहर 3.00)
भीमद्वार (श्रीखण्ड कैलास यात्रा मार्ग)
इस वक्त भीम द्वार में जबर्दस्त तेज बारिश हो रही है और भाग्यशाली है कि बारिश तेज होने से पहले टेण्ट में आ चुके है। आज की हमारी यात्रा भीमतलाई से सुबह सवा आठ बजे शुरु हुई थी। भीमतलाई से अगली पहाडी के टाप पर हमे कुंशा कैम्प नजर आ रहा था। लेकिन कुंशा तक पंहुचने के लिए हमे सीधे पहाड से नीचे उतरना था।
इस पहाड से नीचे उतरना बेहद खतरनाक था। दो दो फीट उंचे पत्थरों से नीचे पैर रखना और नीचे उतरना। ये ढलान पहाड के काफी नीचे तक थी। दो पहाडियों के जोड में झरना बह रहा था,इस झरने को पार करने के बाद अब इस दूसरी पहाडी के टाप तक चढना था।भीमतलाई के कैम्प से हमें कुंशा कैम्प के पहले एक ग्लेशियर भी नजर आ रहा था,जिसे पार करते हुए लोग भी नजर आ रहे थे। लेकिन इस ग्लैशियर तक पंहुचने के लिए हमे कुल तीन पहाड चढने और उतरने पडे। तब कहीं जाकर ग्लैशियर आया। इस ग्लैशियर को पार करने के बाद हमें वो पहाडी चढना थी जिसके टाप पर कुंशा कैम्प था।
हम करीब सवा दो घण्टे में कुंशा पंहुच गए थे। यानी इस वक्त साढे दस हो रहे थे। कुंशा में हमे बंटी हिमाचली और उसकी टीम भी मिल गई। बंटी ने हमसे कहा कि अगर पार्वती बाग में ठहरने की व्यवस्था हो गई तो मैं आप लोगों की भी व्यवस्था करवा दुंगा। वरना भीम द्वार पर तो रुकना ही है।
कुंशा से भीमद्वार करीब दो किमी दूर है। कुंशा में मैगी और पराठे आदि का नाश्ता करके हम करीब 11.40 पर आगे बढे। फिर से तीन चार पहाडों पर चढने उतरने के बाद आखिरकार भीम द्वार का कैम्प नजर आने लगा।
मैं और प्रकाश राव पौने दो -दो बजे तक भीमद्वार कैम्प पर पंहुच गए। हमने सोचा कि बाकी साथियों का इंतजार करते है। कुछ ही देर में दशरथ जी नवाल सा. और आदित्य भी आ गए। हम थोडा ही आगे बढे थे कि हमे बंटी हिमाचली मिल गया। वह शुरुआत वाले टेण्ट में ही अपनी टीम के साथ रुका हुआ था। वहां हमारे रुकने के लिए भी एक टेण्ट था,लेकिन वहां से टायलेट काफी दूर था। इसलिए दशरथ जी और आदित्य ठीक ठाक सा टेण्ट तलाश करने निकल गए। काफी देर बाद वे टेण्ट पक्का कर के लौटे। तब तक तेज बारिश शुरु हो गई। इस वक्त हम सभी इसी टेण्ट में बारिश रुकने का इंतजार कर रहे है।
भीमद्वार (शाम 7.45)
कल सुबह हमने दो बजे ट्रैक शुरु करने का फैसला किया है,इसलिए एक बजे उठना होगा। 7.15 पर शाम का भोजन हो चुका है। मैने मेरी आदत के खिलाफ थोडे दाल चावल शाम को खाए। आज पूरे दिन भर में मैने कुंशा में एक प्लेट मैगी खाई थी। मुझे भूख का एहसास तभी हुआ था। उसके बाद मुझे कुछ भी खाने की इच्छा नहीं हुई थी,लेकिन शाम को मुझे लगा कि थोडा सा कुछ खा लिया जाए। तो मैने दो चार चम्मच दाल चावल खा लिए। प्रकाशराव ने 4 आलू बाइल करने को कहा था। अभी तक आलू आए नहीं है।
जब मैं डायरी लिख रहा था,बारिश कभी रुक रही थी,कभी अचानक तेज हो रही थी,लेेकिन शाम के सात बजते बजते बारिश पूरी तरह बन्द हो गई। आसमान साफ हो गया। अब हम सोने की तैयारी में है,क्योंकि आधी रात को जागना है। तब तक के लिए शुभ रात्रि.........।
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