गोवा के खँडहर हो चुके किले,दूधसागर और जुआरियो की पसंद केसिनो
14 नवंबर 2019 (शाम 7.30)ओयो रुम्स,पोरवोरिम पणजी गोवा
डायरी से जुडे हुए दो दिन गुजर चुके हैं। इस वक्त पूरा दिन घूम घाम कर अभी रुम में लौटे है। अब फिर से कैसिनो जाना है। थोडा सा समय है। इसलिए डायरी खोल ली है।
12 नवंबर को कोठारी सम्मेलन का समापन था। सुबह के सत्र में कोठारी परिवार के कुछ विशीष्ट जनों ने अपने व्याख्यान दिए। प्रसन्न जी मजूमदार(नागपुर) ने ज्योतिष पर उपयोगी जानकारी दी। 2022 में फिर से कोठारी सम्मेलन आयोजित करने और नई पीढी को सक्रिय करने का निश्चय हुआ।
मैने वेबसाईट बनाने का सुझाव दिया। भोजन के साथ कोठारी सम्मेलन समाप्त हुआ। कुछ लोग पहले निकल गए थे,कुछ अब निकल रहे थे। हमे भी निकलना था। पहले विकास दादा,कुमुद काकी आदि को बिदा किया। अब हमारे जाने की बारी थी। नलू आत्या को वहीं रुकना था। मैने टैक्सी के बारे में पूछा तो उसने पणजी का किराया एक हजार रु.बताया। हमने आटो व बस से ही जाने का निर्णय किया। टोनी ने मुझे फोन करके पहले करवाई रुम बुकींग कैंसल करवाने को कहा था। उन्होने विजू के घर के पास कमरे ले लिए थे। बडी साईज के अच्छे कमरे थे।
हम मंदिर से निकले और सौ रु. में आटो करके फोन्डा पंहुचे। वहां से मात्र साठ रुपए में
बस से शाम करीब पांच बजे पणजी बस स्टैण्ड पंहुच गए। विजू का फोन आ गया था,वह बस स्टैण्ड के पास ही नवतारा होटल में था। हम वहां पंहुचे और पहले चाय पी। फिर विजू का गाडी में सवार होकर वहां से रवाना हुए। उसी समय टोनी का फोन आ गया था कि हम डोनापाला बीच की तरफ जा रहे है,आप भी वहीं आ जाओ। विजू को उसके आफिस पर उतारकर विजू की ही गाडी से हम डोनापाला बीच के लिए चल पडे। बीच पर पंहुचते ही ध्यान आया कि विजू से गाडी की चाबी लेना तो भूल ही गए हैं। उसे फोन लगाया और बताया कि गाडी की चाबी नहीं है। उसने अपने एक असिस्टेन्ट को चाबी देकर भेजा। कुछ देर इस बीच पर गुजार कर अब वापस लौटने लगे और मिरामार बीच पर पंहुचे। मिरामार बीच पर पंहुचते पंहुचते अंधेरा घिरने लगा था। कुछ वक्त इस बीच पर बिताया। यहां से लौटे तो पणजी के मुख्य बाजार में आए। अब विजू फ्री हो चुका था। उसे साथ लेकर रुम पर पंहुचे। यहां अपना सामान टिका कर पहले विजू के घर गए । विजू की पत्नी सरिता भी हम लोगों के साथ आ गई थी। अब हम कलांगुट बीच के लिए निकले। इस बीच से लौटते लौटते रात के सवा ग्यारह बज गए थे। सभी को भोजन भी करना था। योजना रुम पर स्विगी से भोजन मंगाने की थी,लेकिन रुम पर पंहुचे तो स्विगी भी बंद हो चुका था।
मैं विजू और टोनी भोजन लेने गए। सभी लोगों को जोर की भूख लगी थी। नजदीक के ही एक होटल में भोजन मिल गया। भोजन करते करते रात के बारह बज गए। सोते सोते डेढ बज गया।
13 सितंबर के दिन की शुरुआत किले देखने से हुई। विजू की गाडी मेरे पास थी। पणजी से करीब पैंतीस किमी दूर आग्वडा फोर्ट पर पंहुचे। यह किला पुर्तगालियों ने पन्द्रहवीं सदी में बनवाया था। किले का मुख्य द्वार और परकोटा सुरक्षित है। यहां जमीन के नीचे जेल बनी हुई है। जिसे अब बंद कर दिया गया है। कडी धूप में इस किले में घूमना पसीने से स्नान करने का काम था। पसीने से स्नान करते करते इस किले के विडीयो और फोटो बनाए।
हमारी अगली मंजिल शाहपुरा फोर्ट ता। यह भी करीब तीस किमी दूर था। यह फोर्ट उंचाई पर है। तीखी धूप में पहाड चढना कठिन काम था। केवल मैं,गज्जू और उसकी पत्नी पूनम इस किले को देखने पंहुचे। किला उंचाई पर है लेकिन इसमें सिर्फ मुख्यद्वार और परकोटा है। इसके अलावा कुछ नहीं। यह समुद्र के किनारे पर बना है,इसलिए परकोटे से समुद्र के दृश्य दिखाई देते हैं। यहां एक दो फोटो बनाए। वापस लौटे। अगला पडाव
था,कलांगुट बीच। कलांगुट बीच पर वाटर स्पोर्ट्स होते है। मैने और वैदेही ने तो ये सब पहले कर रखा है,इसलिए हमने मना कर दिया। गज्जू की बेटी तानी ने भी इंकार कर दिया। टोनी,अपूर्वा,गज्जू और पूनम पैरासैलिंग करने गए और करीब एक घण्टे में लौटे। इस दौरान मैने बीच पर महंगे ठन्डे पेय का मजा लिया।
दोपहर के करीब चार बज गए थे। सब थक चुके थे। यहां से कमरों पर लौटे। शाम को क्रूज पर जाने का कार्यक्रम था। कमरे पर आकर नींद आ गई। करीब साढे पर क्रूज के लिए निकला। विजू की गाडी मेरे पास ही थी। रास्ते में विजू का फोन आया कि आप क्रूज पर क्या करोगे? हम अलग चलते हैं। मैने भी सहमति जताई। वैदेही भी अकेले क्रूज पर जाने को राजी नही थी। हम दोनों विजू के आफिस पर पंहुच गए। बाकी लोग क्रूज पर चले गए।
चूंकि वैदेही साथ थी इसलिए विजू ने कैसिनो जाने का कार्यक्रम बनाया। यहां के एक बडे कैसिनो में विजू की अच्छी पकड है। उसने कैसिनो की वाइस प्रेसिडेन्ट को फोन किया। मैजेस्टिक कैसिनो ग्राउण्ड कैसिनो है। इसमें प्रवेश का शुल्क प्रति व्यक्ति डेढ हजार रु. है। भीतर ड्रिंक और डिनर फ्री है। हम लोग बिना शुल्क के भीतर गए। वाइस प्रेसिडेन्ड मैरी गेट पर मौजूद थी। उसने हमारा स्वागत किया। हमें भीतर ले जाकर छोडा। अभी तक मैने कैसिनो फिल्मो में ही देखा था। पहली बार सचमुच में कैसिनो देखा। यहां बडी संख्या में महिलाएं भी दांव लगा रही थी। कैसिनो में कोई गडबड नहीं होती। महिलाओं को पूरा सम्मान दिया जाता है। किसी ने कोई गडबड करने की कोशिश की तो बाउंसर उसे बाहर फेंक देते है। पूरी ईमानदारी से जुआ होता है। किसी का दांव लगता है तो पूरी ईमानदारी से पूरी राशि दे दी जाती है। गोवा में करीब अठारह कैसिनो है और पूरी दुनिया से जुए के शौकीन यहां आकर लाखों करोडों की हार जीत करते है। कैसिनो में वैदेही ने भी छोटे मोटे दांव लगाए और करीब साढे छ: सौ रु.हार गई। विजू ने बताया कि वह बाईस हजार रु. हारा है। वो अमूमन मेहमानों को लेकर आता है,तभी जुआ खेलता है और कई बार एक लाख रु. तक जीत चुका है। इसलिए उसकी हिम्मत खुली हुई है।
इसी बीच टोनी का फोन आ गया। वो क्रूज राइड करके आ चुके थे और भोजन के लिए जा रहे थे। हम भी वहां पंहुचे। अभी उनका भोजन सर्व नहीं हुआ था। कुछ देर वहां रुके और फिर विजू के साथ मैं और वैदेही रुम पर आ गए। करीब साढे ग्यारह बजे बाकी की पार्टी भी लौट आई। कुछ देर बातें करते रहे।
इसी दौरान कल यानी चौदह नवंबर को दूध सागर जाने के लिए किराये की गाडी लेने की भी बात तय हो गई। गाडी सुबह आठ बजे मिलेगी। सुबह आठ बजे निकलने की योजना बनाकर सौ गए।
14 नवंबर की शुरुआत दूध सागर के लिए रवानगी से हुई। बीती रात 8 बजे निकलने का तय हुआ था,लेकिन मेरी नींद ही साढे सात बजे खुली,जब टोनी का फोन आया। देर होना तय था। टोनी ने कहा कि वह पणजी से गाडी लेकर आता है तब तक मुझे तैयार हो जाना चाहिए। टोनी और अपूर्वा गाडी लेने चले गए। मैं और वैदेही झटपट तैयार हुए। इन ओयो रुम्स में नाश्ता काम्प्लिमेन्ट्री है। आज नाश्ते में पोहे बने थे। रतलामी सेव के साथ पोहे दबा कर सुबह करीब नौ बजे हम दूध सागर के लिए रवाना हो गए।
दूध सागर फौण्डा से आगे पणजी से करीब 75 किमी दूर है। रास्ता अच्छा है। करीब 60 किमी तो हाईवे का रास्ता है। हम करीब साढे ग्यारह बजे दूध सागर के रास्ते वाले गांव मारलेम पंहुच गए। यहां से दूध सागर झरना 12 मिकी दूर है। वहां जाने के लिए यहीं की गाडी लेना पडती है। प्रति गाडी आने जाने का किराया साढे तीन हजार रु. है। आने जाने में करीब डेढ घण्टा लगता है और डेढ घण्टा वहां रुक सकते है। जाने के लिए हर व्यक्ति को लाइफ जैकेट लेना पडता है। प्रति व्यक्ति 40 रु. में लाइफ जैकेट मिलती है। दूध सागर झरना असल मे भगवान महावीर अभ्यारण्य के भीतर पडता है। भगवान महावीर अभ्यारण्य कुल 240 किमी क्षेत्र मे फैला है। दूधसागर झरना इस अभ्यारण्य के भीतर होने से वहा जाने के लिए वनविभाग की सशुल्क अनुमति
लेना पडती है। दूधसागर झरने को देश का सबसे ऊचा झरना माना जाता है। इसकी ऊचाई 310 मीटर यानी 1017 फीट है,जबकि इसकी चौडाई 30 मीटर है। इसमें जाने के लिए पचास रु. प्रति व्यक्ति शुल्क वन विभाग भी वसूलता है। गांव से गाडी चली और महज पांच सौै मीटर के बाद अभ्यारण्य का गेट आ गया। यहां सात लोगों के साढे सात सौ रु. चुका कर गाडी आगे बढी। ये बारह किमी का रास्ता बेहद कठिन और खतरनाक है। कुछ आगे बढते ही सामने एक जंगली तेज बहाव वाला नाला था,जिसे पार करना था। इस पर कोई पुल नहीं है। जीप को नाले में उतारकर पार करना था। जीप करीब दो ढाई फीट पानी में डूबती है और इस नाले को पार करती है। रास्ता बेहद उबड खाबड,कीचड से भरा हुआ है और पानी में डूबी एक दो पुलियाओं को भी पार करना पडता है।
हम करीब एक बजे दूध सागर के एंड पाइन्ट पर पंहुच गए। आगे करीब पन्द्रह मिनट का रास्ता पत्थरों में पहाडी पैदल रास्ता है। इस रास्ते में भी दो तेज बहाव वाले नाले पार करना पडते हैं। लेकिन इन नालों पर बेहद संकरी पुलियाएं बनी हुई है।
दूध सागर झरना तब ज्यादा प्रसिध्द हुआ,जब शाहरुख दीपिका की फिल्म चैन्नई एक्सप्रेस में इसे दिखाया गया। फिल्म में चैन्नई जाती ट्रेन एक बेहद नयनाभिराम दृश्य वाली जगह पर रुकती है,जहां उपर पहाडी से एक झरना बहता है और यहीं ट्रेन निकालने के लिए पुलिया बनाई गई है। झरना इस पुलिया के नीचे से उतरता है और नीचे जाकर और बडा हो जाता है। दूध सागर उस कुण्ड को कहते हैं,जहां ये झरना गिरता है। इस कुण्ड में नहाने का बडा आनन्द है। नीचे से देखने पर र्टेन गुजरने वाली पुलिया और झरने का उपरी छोर भी नजर आता है। यदि इसी समय ट्रेन भी गुजरती हुई नजर आ जाती तो बडा ही आकर्षक दृश्य हो जाता,लेकिन हम जितनी देर वहां रुके ट्रेन नहीं गुजरी।
हमें ये जानकारी नहीं थी कि दूध सागर पर नहाने की भी सुविधा है। हममें से कोई भी कपडे तौलिया आदि लेकर नहीं आया था।लेकिन झरने के सामने आकर,कुण्ड में तैरते लोगों को देखकर टोनी का मन नहीं माना। वह नहाने को तैयार हो गया। उसने मुझे उकसाया तो मैं भी तैयार हो गया। केवल अण्डर वियर के गीले होने का मामला था। हम दोनो कपडे उतारकर लाइफ जैकेट पहन कर कुण्ड में उतर गए। हमें देखकर वैदेही का मन भी ललचा गया। वह भी कपडों समेत कुण्ड में उतर गई। कुछ देर हम लोगों ने जल क्रीडा का आनन्द लिया। अब निकले। बगल में नहाकर निकले एक सज्जन का तौलिया लेकर मैने अण्डर वियर उतारा और सीधे जीन्स चढा ली।
लौट कर आए तो पता चला कि एक लाइफ जैकेट कम आया है। मैं और गज्जू लाइफ जैकेट ढूंढने वापस वहीं जाने लगे। हमारा ड्राइवर बब्बन भी हमारे साथ आया। झरने से थोडा ही पहले बब्बन कहीं से एक जैकेट उठा लाया और हम जीप तक वापस आ गए। सब लोग जीप में सवार हुए और उसी कठिन रास्ते से लौट पडे। ठीक तीन बजे हम नीचे आ चुके थे। अब भोजन करना था। दो तरीके थे,कि तुरंत वहीं भोजन कर लिया जात या कुछ आगे चलकर किसी ढाबे पर भोजन करते। यह तय हुआ कि थोडा आगे चल कर भोजन करेंगे। टोनी आगे की गाडी में था,पीछे मैं और वैदेही चल रहे थे। कई सारे होटल निकल गए,लेकिन ये लोग रुके ही नहीं। करीब पौन घण्टा गुजर गया। वैदेही को जबर्दस्त भूख लगी थी। मुझे भी जमकर भूख लग गई थी,लेकिन इन आगे वालों को कहीं होटल ही नजर नहीं आ रहा था। अब फोण्डा भी निकल गया था और पणजी मात्र तीस किमी दूर था। आगे वालों को होटल ही नहीं दिखाई दे रहे थे। 5 कीमि और निकल गए। अब पणजी केवल पन्द्रह किमी दूर था। तब जाकर एक रेस्टोरेन्ट नजर आया। इस वक्त साढे चार बज चुके थे। यहां मैने मासाला डोसा खाया। एक भोजन थाली वैदेही के लिए मंगवाई थी। जिसमें से एक रोटी मैने खाई। भोजन अच्छा था।
यहां से आगे बढे। अब हमें ओल्ड गोवा में सेन्ट आगस्टीन चर्च देखना था,जहां कहते है कि साढे तीन सौ साल पुरानी ममी रखी हुई,जिसके नाखून आज भी बढ रहे हैं। यहीं एएसआई का म्यूजियम भी है। लेकिन अब पांच बज चुके थे और म्यूजियम बन्द हो चुका था। चर्च में ममी का बाक्स देखा। पणजी में किराये पर ली हुई गाडी लौटाई। अब एक ही गाडी से सात लोगों को पोरवोरिम में रुम्स तक जाना था। टोनी गाडी की डिक्की में बैठ गया। गाडी मैने चलाई। हम करीब साढे सात बजे रुम पर पंहुच गए। आज की रात फिर से कैसिनो जाना है। आज सभी लोग कैसिनो जाएंगे। आज समुद्र में खडे क्रूज कैसिनो में जाएंगे। विजू सरिता को लेकर आ चुका है और बस अब हम निकलने वाले है।
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