चट्टानों पर आराम फरमाता घडियाल
प्रारम्भ से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें2 फरवरी 2020
सुबह करीब छ: बजे उठे और सात बजे तक गांधीसागर में 8 न. पर स्थित एफआरओ के निवास परिसर में पंहुच गए। राजेश यहीं रुका हुआ था। बोटिंग के लिए यहीं से जाना था। वन विभाग ने करीब पन्द्रह लोगों को बोटिंग कराने की व्यवस्था की थी,ताकि जलीय पक्षियों को भी गिना जा सके। मछली पकडने वाली एक मोटर बोट में सारे बर्ड वाचर्स सवार हुए। यह बोट बांध के नजदीक से चली तो चौरासी गढ तक पंहुची।
पहले बोट गांधीसागर के दाहिने किनारे से सटकर चलती रही,ताकि किनारे के पक्षियों का अवलोकन किया जा सके। जहां कहीं पक्षी नजर आए,वहां बोट को धीमा किया जाता रहा। सडक़ से चलने पर जहां सर्किट हाउस न.1 आता है,हम गांधीसागर में वहां तक पंहुचे। वहां से लौटे तो अब बोट जलाशय के दूसरे किनारे से सट कर चलने लगी। पहाड की दीवारों में बने प्राकृतिक गड्ढों या खोह में कई स्थानों पर उल्लू और गिध्द बैठे हुए दिखाई दिए। बर्डर्स इनके फोटो बना रहे थे। हम करीब दो घण्टे तक बोट में रहे और करीब पौने दस बजे किनारे पर लौट आए। बर्ड्स सर्वे का अधिकारिक काम अब निपट चुका था। अब फारेस्ट रेस्ट हाउस के बैस कैम्प पर पंहुच कर अपना डाटा वहां देना था।
बोट से निकले तब करीब पौने दस बज चुके थे। हम वहां से अपनी कार में सवार हो कर 3 न. पर बने सिंचाई रेस्ट हाउस पर वापस लौटे। रास्ते में चौराहे पर चाय पी। अब हमें स्नान करना था और बेस कैम्प पर पंहुचना था।
करीब बारह बजे हम तैयार होकर रेस्ट हाउस से निकले। रास्ते में बस का इंतजार करते एक वन कर्मी को हमने अपनी कार में लिफ्ट दी। वनकर्मी को भी बैस कैम्प पर ही जाना था। इसी दौरान राजेश ने कहा कि कई बार गांधीसागर आने के बावजूद अब तक उसे घडियाल देखने का मौका नहीं मिला। बान्ध पर पंहुचे तो पानी के बीच चट्टानों पर आराम फरमाता घडियाल भी नजर आ गया। घडियाल के कई सारे फोटो लिए। इसके बाद सीधे फारेस्ट रेस्ट हाउस के बेस कैम्प पर पंहुच गए। यहां सभी प्रतिभागियों की मौजूदगी में समापन का कार्यक्रम चल रहा था। इसमें सीएफ अजय कुमार यादव और डीएफओ क्षितिज कुमार मौजूद थे। प्रतिभागियों ने वाहन व्यवस्था में गडबडी का मुद्दा उठाया। फिर सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र वितरित किए गए। सारे प्रतिभागियों का एक ग्रुप फोटो भी खींचा गया।
समापन के मौके पर दाल बाफले लड्डू का भोजन रखा गया था। भोजन करके हम करीब दो बजे यहां से मन्दसौर के लिए रवाना हो गए। बीच में एकाध जगह रुक कर चाय पी और करीब साढे चार बजे हम मन्दसौर में आशुतोष के आफिस में पंहुच गए। आशुतोष किसी खबर में व्यस्त था। थोडी देर बाद जब वह फारिग हुआ तो हम लोग वहां से सीधे खान पुरा में स्थित तीन छत्री वाले बालाजी मन्दिर के लिए निकल पडे। यहां बाबा सत्यनारायण मौर्य की तीन दिवसीय रामकथा -सुनो रे रामकहानी- का आयोजन चल रहा है। आज कथा का दूसरा दिन है। बाबा मौर्य अपनी टीम के साथ कार्यक्रम की तैयारी कर रहे थे। कुछ देर उनकी तैयारियां देखी। फिर करीब एकाध घण्टे इधर उधर की बातें होती रही। शाम साढे सात बजे से कार्यक्रम शुरु होने वाला था। बाबा से मुलाकात के बाद हम फिर से आशुतोष के आफिस में लौट आए। यहां करीब एक घण्टा रुके और फिर से कथा स्थल पर पंहुच गए। मंच पर बाबा के साथी कलाकार भजन प्रस्तुत कर रहे थे। बाबा के मंच पर आने में अभी देर थी। करीब आठ बजे बाबा यहां पंहुचे। हम फिर से मंच के पीछे बाबा के कक्ष में पंहुचे। आधा घण्टा बातें होती रही। हुक्का भी गुडगुडाया। साढे आठ बजे बाबा मंच पर अवतरित हुए। मैने बाबा से कहा था कि आप समय का ध्यान रखा करो। बाबा की कथा शुरु हुई। मुझे लगा था कि ये कथा है इसलिए शायद साढे दस ग्यारह बजे तक समापन हो जाएगा। लेकिन नहीं। बाबाजी पौने बारह बजे तक मंच पर डटे रहे। सारे श्रोता बन्ध ही चुके थे। पौने बारह पर कथा समाप्त हुई। फिर बाबा के कमरे में पंहुचे। बाबा को भोजन करना था और आशुतोष की टीम हमारा ढाबे पर इंतजार कर रही थी। हमारा मित्र मिलन समारोह तडके तीन बजे तक चला।
होटल पर पंहुच कर सोए तो अगले दिन यानी तीन फरवरी को सुबह दस बजे आंख खुली। बारह सवा बारह तक तैयार हुए और कथा स्थल के पास ही जहां बाबा जी रुके हुए थे,वहां जा पंहुचे। करीब दो बजे तक बाबा जी से दुनिया जहान के विषयों पर चर्चा होती रही। फिर यहां से निकल कर आशुतोष के आफिस पर पंहुचे। फिर मनीष के रुम पर पंहुच गए। यहां हमारा बिदाई समारोह शाम पौने छ: तक चलता रहा।
ठीक 5.55 पर मैने गाडी की ड्राइविंग सम्हाली और हम शाम को सवा सात बजे रतलाम पंहुच गए।
जंगलों में मैं बहुत घूमा हूं,लेकिन इस बार बर्ड्स वाचिंग के लिए पहली बार गया था। डेढ दिन की बर्ड्स वाचिंग में पता चला कि इस क्षेत्र में कितने जुनूनी लोग हैं। धीरे से यह शौक अब हमें भी लग गया है। अनिल को भी एक कैमरा लेने की इच्छा हो रही है। मुझे अपने कैमरे से और अच्छा कैमरा लेने की इच्छा हो रही है। यह भी तय हो गया है कि अब जहां कहीं बर्ड्स सर्वे होगा हम भी जरुर जाएंगे।
समाप्त ।
बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteहमें जानकारी देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।