Tuesday, April 23, 2013

रेप की राजनीति


(तुषार कोठारी)
कुछ दिनों से दोबारा ऐसा लगने लगा है,जैसे भारत में रेप और गैंग रेप के अलावा कोई दूसरा काम ही नहीं हो रहा है। जिस टीवी न्यूज या अखबार को देखिए,सिर्फ और सिर्फ रेप या गैंग रेप। रेप पर विद्वानों के बहस मुबाहसे। व्यवस्था को दोष देते चीखते चिल्लाते चेहरे। चारो ओर यही माहौल। एक घटना पर देश के प्रधानमंत्री,गृहमंत्री,प्रदेशों के मुख्यमंत्री और तमाम पुलिस अधिकारी कर्मचारी सब के सब कटघरे में खडे किए जा रहे है। जैसे रेप के दोषी ये लोग ही हो।

Sunday, January 27, 2013

अनुमानों और भ्रम के भरोसे राजनीति

तुषार कोठारी

वर्तमान समय की राजनीति अनुमानों और भ्रम के भरोसे चल रही है। नेताओं की सफलता इसी बात से आंकी जाती है कि उनके अनुमान कितने सटीक रहे। नेता अपने पूर्वानुमान कुछ तथ्यों के आधार पर लगाते है और इन तथ्यों पर वे पूरा भरोसा भी करते है। कई बार उनके पूर्वानुमान सटीक बैठ जाते है,तो नेता सत्ता पा जाते है और जब पूर्वानुमान गलत साबित होते है,तो नेता को सत्ता से बाहर का रास्ता देखना पडता है।

Monday, January 14, 2013

डर और घबराहट हमारा राष्ट्रीय चरित्र

  • (तुषार कोठारी)

लगता है डर और घबराहट हमारा राष्ट्रीय चरित्र है। जब भी सीमा पर तनाव की स्थिति बनती है,हमारा डर अहिंसा की आड में झलकने लगता है। एक आम आदमी से लेकर सत्ता के शीर्ष पर बैठे व्यक्तियों तक हर किसी की शायद यही समस्या है। कुछेक अपवाद जरुर होंगे लेकिन देश का जो चेहरा नजर आता है,वह यही है। हमारे इसी राष्ट्रीय चरित्र की एक और खासियत है कि हम अपने गुस्से का प्रदर्शन करने में कोई कमी नहीं करते,चीख पुकार मचाने में हमें कोई समस्या नहीं होती,लेकिन जब भी मुद्दों की गहराई में जाकर ठोस कदम उठाने की बात आती है, डर और घबराहट का हमारा राष्ट्रीय चरित्र फिर सामने आ जाता है।

Wednesday, November 21, 2012

क्या सचमुच हम सॉफ्टस्टेट नहीं है?

सन्दर्भ-अजमल कसाब को फांसी
(तुषार कोठारी)

सुबह सवेरे टीवी पर खबरें शुरु हुई कि दुर्दान्त आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को पुणे के येरवडा जेल में फांसी दे दी गई। टीवी चैनलों ने फौरन ही विभिन्न नेताओं और विशेषज्ञों को बुलाकर उनकी प्रतिक्रियाएं और चर्चाएं प्रसारित करना भी शुरु कर दिया। देश के प्रमुख विपक्षी दल भाजपा के तमाम नेताओं ने देर आये दुरुस्त आए कि टिप्पणी प्रस्तुत की और इससे आगे बढकर संसद हमले के आरोपी अफजल गुरु को भी फांसी देने की मांग कर डाली। एक टीवी चैनल पर एक विद्वान वक्ता यह कहते हुए भी दिखाई दिए कि कसाब को फांसी देकर भारत ने दिखा दिया है कि भारत सॉफ्ट स्टेट नहीं है। क्या वाकई?

Tuesday, October 30, 2012

तिब्बत मसले पर सरदार पटेल का ऐतिहासिक पत्र


नई दिल्ली
७ नवंबर, १९५०

मेरे प्रिय जवाहरलाल,
चीन सरकार ने हमें अपने शांतिपूर्ण उद्देश्यों के आंडबर में उलझाने का प्रयास किया है। मेरा यह मानना है कि वह हमारे राजदूत के मन में यह झूठ विश्वास कायम करने में सफल रहे कि चीन तिब्बत की समस्या को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाना चाहता है। चीन की अंतिम चाल, मेरे विचार से कपट और विश्र्वासघात जैसा ही है। दुखद बात यह है कि तिब्बतियों ने हम पर विश्र्वास किया है, हम ही उनका मार्गदर्शन भी करते रहे हैं और अब हम ही उन्हें चीनी कूटनीति या चीनी दुर्भाव के जाल से बचाने में असमर्थ हैं। ताजा प्राप्त सूचनाओं से ऐसा लग रहा है कि हम दलाई लामा को भी नहीं निकाल पाएंगे । यह असंभव ही है कि कोई भी संवेदनशील व्यक्ति तिब्बत में एंग्लो-अमेरिकन दुरभिसंधि से चीन के समक्ष उत्पन्न तथाकथित खतरे के बारे में विश्र्वास करेगा।

truth about Soniya Gandhi

आधुनिक भारत की राबर्ट क्लाइव: सोनिया गांधी

सोनिया माइनो गांधी. भारत की सबसे ताकतवर महिला शासक जिसके प्रत्यक्ष हाथ में सत्ता भले ही न हो लेकिन जो एक सत्ताधारी पार्टी की सर्वेसर्वा हैं. जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी लंबे अरसे से सोनिया गांधी के बारे में ऐसे आश्चर्यजनक बयान देते रहे हैं जिसपर सहसा यकीन करना मुश्किल होगा. लेकिन अब जैसे जैसे समय बीत रहा है सोनिया गांधी का सच और सुब्रमण्यम स्वामी के बयान की दूरियां घटती दिखाई दे रही हैं. सोनिया गांधी के बारे में खुद सुब्रमण्यम स्वामी का यह लेख-

Wednesday, April 25, 2012

आर्थिक सुधार यानी गरीबों पर मार


(तुषार कोठारी)
देश में जब जब आर्थिक सुधारों की बात चलती है,देश के मध्यमवर्गीय और गरीब लोगों को घबराहट होने लगती है। जब भी बडे अर्थशाी देश की अर्थव्यवस्था के मजबूत होने का दावा करते है,गरीबों को लगता है कि उन पर कहर टूटने वाला है। जब भी देश का वित्तमंत्री या प्रधानमंत्री जीडीपी के उपर चढने और मुद्रास्फीती के गिरने का दावा करता है,गरीबों की पहले से खाली थाली में कोई और चीज कम होने की आशंका पैदा हो जाती है।

Saturday, April 7, 2012

Monday, March 19, 2012

दुनिया चाहे नकारे,हम नहीं छोडेंगे अंग्रेजी मीडीयम

शिक्षा की भाषा-कुछ विचारणीय बिन्दु
(तुषार कोठारी)
ग्लोबलाईजेशन के इस जमाने में अनपढ और गरीब व्यक्ति भी अपने बच्चे को पढा लिखा कर बडा और सफल आदमी बनाने की चाहत रखता है। मध्यमवर्गीय और नौकरीपेशा व्यक्ति के लिए तो बच्चों की सुव्यवस्थित शिक्षा बडी चुनौती है ही। हर व्यक्ति अपने बच्चों को लगातार तेेज होती जा रही शैक्षणिक प्रतिस्पर्धा में जीतने वाला बनाना चाहता है। इन सारी चुनौतियों में भारत के आम आदमी की धारणा यह भी है कि उच्चस्तरीय शिक्षा की एकमात्र चाबी है अंग्रेजी।

Tuesday, June 7, 2011

पर्यटन की आड में देश में बढता तबलीगी खतरा


दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकवादी ओसामा बिन लादेन के खात्मे के बाद अमरिका जहां लादेन के कुख्यात आतंकी संगठन अल कायदा के विश्वव्यापी नेटवर्क को नष्ट करने की योजनाओं में जुटा है वहीं पाकिस्तान में हुए आत्मघाती हमलों के बाद अलकायदा की सक्रियता के संकेत भी मिले है। अलकायदा के नेटवर्क को ध्वस्त करने की मुहिम के दौरान अमेरिका के जांचकर्ताओं के हाथ कुछ ऐसे तथ्य भी लगे है जिनसे यह मालूम पडता है कि अल कायदा के आतंकी, किसी न किसी रुप में तबलीगी जमातों का उपयोग अपने हित में करते थे।

अयोध्या-3 /रामलला की अद्भुत श्रृंगार आरती

(प्रारम्भ से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे )  12 मार्च 2024 मंगलवार (रात्रि 9.45)  साबरमती एक्सप्रेस कोच न. ए-2-43   अयोध्या की यात्रा अब समाप्...