Tuesday, November 4, 2014
देश के लिए घातक है यह मौन
- तुषार कोठारी
दिल्ली की जामा मस्जिद के कथित शाही इमाम द्वारा देश के प्रधानमंत्री की
उपेक्षा करने और शत्रु देश के नेता को न्यौता भेजने के निहितार्थ जितने दिल्ली की जामा मस्जिद के कथित शाही इमाम द्वारा देश के प्रधानमंत्री की
खतरनाक है,उससे कहीं अधिक खतरनाक इस मुद्दे पर राष्ट्रवादी मुस्लिमों का
मौन है। देश में यदि कोई अल्पसंख्यक समस्या है,तो उसका हल मुख्यधारा में
मौजूद राष्ट्रवादी अल्पसंख्यकों के ही पास है। उनकी मुखरता ही देश में
मौजूद इक्का दुक्का अलगाववादी स्वरों को बन्द कर सकती है।
Friday, September 5, 2014
Saturday, August 30, 2014
इतिहास फिर से क्यों लिखा जाना चाहिए
आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की भारी-भरकम जीत के साथ ही यह तय हो गया था कि अब देश में इतिहास को लेकर विवाद उठेगा. भारतीय जनता पार्टी की सरकार इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश करेगी, जिसका विरोध भी होगा. सरकार के अभी सौ दिन पूरे नहीं हुए हैं, लेकिन यह विवाद भी शुरू हो गया और विरोध का बिगुल भी फूंक दिया गया. जब अटल जी की सरकार बनी थी, तब भी इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश की गई थी. सबसे पहले एनसीईआरटी की किताबें बदली गईं. लेकिन तत्कालीन मानव संसाधन मंत्री मुरली मनोहर जोशी ने यह काम ऐसे लोगों के हाथों में दे दिया, जो इतिहास की किताबें लिखने में अपरिपक्व साबित हुए.
Friday, August 29, 2014
भ्रम के बादलों में घिरा दुनिया का सबसे बडा संगठन
-तुषार कोठारी
पूरी दुनिया में गैर राजनीतिक और बिना सरकारी मदद के चलाए जा रहे
स्वयंसेवी सामाजिक संगठनों की संख्या गिनी चुनी ही है। कुछ स्वयंसेवी
अन्तर्राष्ट्रिय संस्थाओं की शाखाएं भारत में भी सक्रीय है। लेकिन इस तरह
की संस्थाओं में सामान्य लोगों की भागीदारी न के बराबर है। किसी एक शहर में
इस तरह के क्लब या संस्था में दो तीन दर्जन लोगों से अधिक सदस्य नहीं
होते। इस लिहाज से इस प्रकार की संस्थाओं का वजूद महज अखबारी खबरों और
दस्तावेजों में होता है,लेकिन समाज में परिवर्तन ला सकने जैसे बडे उद्देश्य
के लिहाज से इस तरह की संस्थाएं पूरी तरह बेअसर है।Wednesday, August 6, 2014
Tuesday, June 17, 2014
हम कब खेलेंगे फुटबाल?
-तुषार कोठारी
इन दिनों पूरी दुनिया पर फुटबाल विश्व कप का खुमार छाया हुआ है। भारत
में फुटबाल की लोकप्रियता नहीं के बराबर है और फुटबाल के इस सर्वाधिक
लोकप्रिय खेल में भारत की कोई हैसियत नहीं है। लेकिन चूंकि पूरी दुनिया
फुटबाल के नशे में झूम रही है,इसलिए भारत के समाचार माध्यम टीवी और अखबारों
में भी फुटबाल विश्व कप को लेकर रोजाना खबरें और विशेष कार्यक्रम प्रस्तुत
किए जा रहे है। Thursday, May 22, 2014
Andman & Nicobaar Journey कालापानी नहीं स्वतंत्रता का महातीर्थ अण्डमान
(यात्रा वृत्तान्त - तुषार कोठारी)
रतलाम लौटने के बाद कई लोग मिले,जो कि अण्डमान निकोबार से पूर्णत: अपरिचित थे। वे नहीं जानते कि अण्डमान निकोबार भारत का अंग है और सुदूर समुद्र में स्थित द्वीप समूह है। कुछ इतना जरुर जानते थे कि ये भारत का केन्द्रशासित प्रदेश है,लेकिन कहां है,कैसा है,ये नहीं जानते थे। कुख्यात कालापानी जेल और भारत की स्वतंत्रता के लिए अण्डमान में सहे गए कष्टों को जानने वाले तो नगण्य से है।
Tuesday, May 20, 2014
अपने अन्त के निकट आ पंहुची है कांग्रेस
-तुषार कोठारी
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद अब लगने लगा है कि कांग्रेस समाप्त
होने के निकट पंहुचती जा रही है। हांलाकि ये स्थिति भारतीय लोकतंत्र के लिए
बहुत अच्छी नहीं होगी,लेकिन राजनीतिक परिदृश्य के जो संकेत मिल रहे है,वे
साफ दिखा रहे है कि आने वाला समय सचमुच कांग्रेस मुक्त भारत का समय होगा। कांग्रेस से सम्बन्धित कुछ रोचक तथ्य देखिए। कांग्रेस की स्थापना के समय भी मनमोहन मौजूद थे और समाप्ति के समय भी मनमोहन मौजूद है। हर कोई जानता है कि एक सौ उन्तीस वर्ष पूर्व 1885 में सर ए ओ ह्यूम ने कांग्रेस की स्थापना की थी। लेकिन ये तथ्य बहुत कम लोग जानते होंगे कि संस्थापक सदस्यों में से एक मनमोहन घोष भी थे। दूसरा रोचक संयोग। कांग्रेस की स्थापना विदेशी व्यक्ति ने की थी,उसके अन्त की इबारत भी विदेशी महिला श्रीमती सोनिया गांधी की अध्यक्षता में लिखी जा रही है।
Saturday, May 10, 2014
Wednesday, May 7, 2014
आरोपों को अपने पक्ष में मोडने की कला
-तुषार कोठारी
नरेन्द्र मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री बने एक दशक से अधिक समय गुजर
चुका है,लेकिन इस लोकसभा चुनाव से पहले तक कोई नहीं जानता था कि वे अगडे है
या पिछडे। अपने उपर लगने वाले आरोपों को बडी खुबसूरती से अपने ही पक्ष में
उपयोग करने की जो कला नरेन्द्र मोदी जानते है,वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य
में मौजूद कोई भी नेता इस कला में वैसा पारंगत नहीं है। उन पर इस चुनाव में
जो भी आरोप लगाया गया,मोदी का ही चमत्कार था कि वह आरोप मोदी के लिए फायदे
का सौदा बन गया। चाय बेचने वाले से लगाकर नीच राजनीति तक उनके खिलाफ बोला
गया हर शब्द उन्हे फायदा दे गया जबकि आरोप लगाने वाले के लिए बगले झांकने
के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा। Sunday, February 23, 2014
पाशविकता की पराकाष्ठा और अदम्य साहस का साक्षी कालापानी
(स्वातंत्र्यवीर वि.दा.सावरकर की पुण्यतिथी २६ फरवरी पर विशेष)
अमानवीय अत्याचारों की इन्तेहा,पाशविकता की पराकाष्ठा और इनके साथ देश की आजादी के लिए मौत से भी ज्यादा खतरनाक कष्टों को हंसते,हंसते झेलने का अदम्य साहस और वीरता। भारत का स्वातंत्र्य समर, अण्डमान के पोर्टब्लेयर स्थित कालापानी के नाम से कुख्यात सेलुलर जेल में जीवन्त हो उठता है। अपने देशप्रेम के लिए एक साथ दो दो आजीवन कारावास की सजा भुगतने वाले वीर सावरकर के अप्रतिम शौर्य और साहस की गाथाएं यहां सजीव हो उठती है। तेरह फीट लम्बी और सवा सात सात फीट चौडी कालकोठरी में रहकर हर दिन बैल की जगह कोल्हू में जुतकर तेल निकालने वाले वीर सावरकर और अन्य असंख्य क्रान्तिकारियों के बलिदान की साक्षी रही सेलुलर जेल आज भारत का राष्ट्रीय स्मारक बन चुका है। लेकिन इसे देखें बिना सिर्फ शब्दों से यहां की गई क्रूरता और अत्याचारों का अनुमान लगा पाना बेहद कठिन है।
Thursday, October 3, 2013
Saturday, September 28, 2013
युवराज के लिए सर्वोच्च पद की गरिमा का बलिदान
- तुषार कोठारी
दागी नेताओं के हित में लाए जा रहे अध्यादेश पर कांग्रेस के युवराज
द्वारा की गई टिप्पणी के चाहे जो राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हो,इससे
ये जरुर निर्विवाद रुप से सिध्द हो गया है कि भारतीय लोकतंत्र के सर्वोच्च
पद प्रधानमंत्री पद की गरिमा को पूरी तरह गिरा
दिया गया है। मनमोहन सिंह का नाम देश के इतिहास में शायद इसीलिए लिया
जाएगा कि उन्होने प्रधानमंत्री पद की गरिमा को शर्मसार होने के स्तर तक
गिरा दिया है। निश्चय ही ऐसे अयोग्य व्यक्ति को देश पर दस साल तक थोपे रहने
के लिए कांग्रेस और सोनिया गांधी के अपराध को भी अक्षम्य माना जाएगा।Saturday, July 27, 2013
दुविधा से उबरने का समय
- तुषार कोठारी
अब लगता है कि देश के दुविधा से निकलने के दिन नजदीक आ रहे है। लम्बे अरसे से देश दुविधा में जी रहा था। दुविधा हर स्तर पर थी। राजनैतिक पार्टियों से लगाकर नेताओं तक और बुध्दिजीवियों से लगाकर जनता तक हर कोई दुविधाग्रस्त नजर आ रहा था। कांग्रेस इस दुविधा में थी कि कैसे युवराज को सामने लाया जाए,तो भाजपा इस दुविधा में थी कि कैसे हिन्दूवादी छबि को वापस हासिल किया जाए? बुध्दिजीवियों की दुविधा सेक्यूलरिज्म और सांप्रदायिकता के मुद्दे पर थी तो जनता इन सभी की दुविधा देख कर दुविधा ग्रस्त हो रही थी। लेकिन अब लगता है कि परिस्थितियां खुद ही दुविधा से उबारने का समय सामने ला रही है।
Sunday, June 2, 2013
बाबा मौर्य इ खबर टुडे कार्यालय में
आज प्रख्यात कलाकार बाबा मौर्य इ खबर टुडे के कार्यालय में आये. बाबा जी ने देश की ज्वलंत समस्याओ पर अपने मौलिक विचार व्यक्त किये. उन्होंने कहा कि देश आज विभिन्न समस्याओ से जूझ रहा है।इससे निपटने के लिए देशवासियों में राष्ट्र भाव होना आवश्यक है और यह राष्ट्र भावना विदेशो से इम्पोर्ट नहीं की जा सकती
Saturday, April 27, 2013
Wednesday, April 24, 2013
Tuesday, April 23, 2013
रेप की राजनीति
(तुषार कोठारी)
कुछ दिनों से दोबारा ऐसा लगने लगा है,जैसे भारत में रेप और गैंग रेप के अलावा कोई दूसरा काम ही नहीं हो रहा है। जिस टीवी न्यूज या अखबार को देखिए,सिर्फ और सिर्फ रेप या गैंग रेप। रेप पर विद्वानों के बहस मुबाहसे। व्यवस्था को दोष देते चीखते चिल्लाते चेहरे। चारो ओर यही माहौल। एक घटना पर देश के प्रधानमंत्री,गृहमंत्री,प्रदेशों के मुख्यमंत्री और तमाम पुलिस अधिकारी कर्मचारी सब के सब कटघरे में खडे किए जा रहे है। जैसे रेप के दोषी ये लोग ही हो।
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