Saturday, February 19, 2011
शिक्षा नीति के बदलाव से पहले व्यवहार में बदलाव की जरुरत-
प्राथमिक स्तर से लेकर उच्चस्तर तक शिक्षक और विद्यार्थी के सम्बन्धों पर पहले विचार किया जाना जरुरी है। यदि शिक्षा ग्रहण करने वाले के मन में शिक्षा देने वाले के प्रति आत्मीयता का भाव होगा तो शिक्षा लेना और देना दोनो ही काम आसान हो सकते है। वर्तमान समय में इसी बात की सबसे ज्यादा कमी है। यह विषय सीधे सीधे मनोविज्ञान से जुडा है। प्राथमिक और पूर्व प्राथमिक स्तर की शिक्षा पर नजर डालें तो ज्ञात होता है कि स्कूलों की एलकेजी यूकेजी और प्राथमिक कक्षाओं में जाने वाले नन्हे बच्चों के मामले में उनके अभिभावकों और शिक्षकों के बीच में कहीं कोई समन्वय दिखाई नहीं देता। एक आम भारतीय दम्पत्ति को जब अपने नन्हे बालक को स्कूल से पहला परिचय कराना होता है तो उसके सामने उंचे या बडे नाम वाले महंगे और अधिकांश बार अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में भेजने का सपना होता है। जिस स्कूल में बच्चे का दाखिला करवाया जाता है उस स्कूल के प्रबन्धन और शिक्षक की सोच ये रहती है कि उनके पास आए बच्चे को दो चार अंग्रेजी की कविताएं और अंग्रेजी के कुछ खास शब्द याद हो जाए ताकि उस बच्चे के अभिभावक अपने घर आए मेहमानों के सामने अपने बच्चे की क्षमताओं का प्रदर्शन कर सके और परिचितों में उनकी वाहवाही हो जाए। यदि बच्चे का प्रदर्शन ठीक होगा तो स्कूल का अच्छा प्रचार होगा और धन्धा ठीक से चल सकेगा।
समस्या यहीं से शुरु हो जाती है। जिस समय अभिभावक और शिक्षक का लक्ष्य ये होना चाहिए कि नन्हे बच्चे के कोमल मन में स्कूल और शिक्षा के प्रति आकर्षण उत्पन्न हो तब वे बच्चे के प्रदर्शन की चिन्ता करते है। अपने जीवन की शुरुआत में ही उस बच्चे को रटना सिखाया जाता है। बच्चे को नन्ही उम्र में चंद अंग्रेजी की पंक्तियां रटने के लिए दबाव डाला जाता है ताकि उसका और उसके स्कूल का नाम चल सके। प्राथमिक और पूर्व प्राथमिक स्तर की शिक्षा देने का काम आमतौर पर महिला शिक्षिकाओं के हाथ में है। नन्हे बच्चे के कोमल मन में अपनी शिक्षिका के प्रति अत्यधिक स्नेह और आदर का भाव होता है। कई मामलों में तो बच्चा अपने माता पिता से ज्यादा अपनी शिक्षिका की बात मानता है। लेकिन अधिकांश मामलों में शिक्षिकाओं के लिए इन नन्हे बच्चो को पढाने का काम महज उनकी नौकरी है,जिसे वे जैसे तैसे अंजाम दे देती है। नन्हे बच्चों के मन में विद्यालय या शिक्षा के प्रति आकर्षण बढ सके इसकी कोई चिंता उन्हे नहीं होती। बच्चों को शिक्षा के प्रथम परिचय में सिर्फ रटने और नकल करने की सीख दी जाती है। यही सिलसिला फिर जीवन भर चलता रहता है। बच्चे के मन में अपनी शिक्षिका से अतिरिक्त स्नेह पाने की इच्छा दबी ही रह जाती है।
जब बच्चा माध्यमिक स्तर पर पंहुचता है,तब उसकी समझ कुछ विकसित हो चुकी होती है। लेकिन तब भी उसे अपनी कक्षा में आने वाले शिक्षक शिक्षिकाओं में सिर्फ ऐसे लोग दिखाई देते है जिनके सामने सिर्फ कोर्स पूरा होने का महत्व होता है,बच्चे के मन में कोई झांकना नहीं चाहता। बच्चों को वे शिक्षक शिक्षिकाएं सर्वाधिक अच्छे लगते है जो पढाई के साथ साथ बच्चों से हंसी मजाक भी कर लेते है और कभी कभार विषय को छोडकर अन्य बातें भी पूछ लेते है। हांलाकि ऐसे लोग बेहद कम है। जब शिक्षक या शिक्षिका का अपने छात्रों के साथ अपनेपन का रिश्ता बन जाता है तो उस शिक्षक या शिक्षिका की कक्षा में बच्चों का प्रदर्शन भी अन्य लोगों की तुलना में बेहतर रहता है। छात्रों को महसूस होता है कि जो शिक्षक या शिक्षिका उन्हे स्नेह दे रहे है, उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरना चाहिए। इसी वजह से वे अधिक मेहनत करते है और अच्छे परिणाम हासिल होते है। सिर्फ इतना ही नहीं स्कूली जीवन में जिन छात्रों को अपने किसी शिक्षक या शिक्षिका से अतिरिक्त स्नेह मिला है,जीवनभर उनके मन में अपने उस शिक्षक या शिक्षिका के प्रति आदर का भाव रहता है। ये अनुभव वह प्रत्येक व्यक्ति कर चुका होगा जो कभी न कभी स्कूल या कालेज गया है।
विचारणीय पहलू यह भी है कि आजकल शिक्षकों के लिए बीएड की डिग्री को लगभग अनिवार्य कर दिया है। बीएड के पाठयक्रम में भी शिक्षा के नए तौर तरीके तो बताए गए है लेकिन इस विद्यार्थियों से शिक्षकों के तादात्म्य के महत्व पर कहीं कोई बात नहीं समझाई जाती। पूरे पाठयक्रम में किताबी बातें है लेकिन सर्वाधिक महत्वपूर्ण पहलू नदारद है।
महाविद्यालयों में छात्रों की बढती उश्रृंखलता के प्रश्न का समाधान भी इसी तथ्य में है। कालेज चाहे सरकारी हो या निजी,वहां छात्रों को पढाने वाले प्राध्यापकों में से अधिकांश छात्रों के प्रति या तो पूर्वाग्रहों से ग्रस्त रहते है,या उनके मन में युवाओं से कहीं न कहीं डर बना रहता है। नतीजा यह होता है कि अधिकांश प्राध्यापक अपने विद्यार्थियों से बिना जुडे किसी न किसी तरह कोर्स पूरा करने के चक्कर में लगे रहते है। चूंकि प्राध्यापकों का व्यवहार इस तरह का होता है,असीम उर्जा से भरे युवा छात्र भी विद्रोही होने लगते है। प्राध्यापकों में सम्मान प्राप्त करने की योग्यता नदारद सी हो गई है। किसी भी कालेज के क्लास रुम को नजदीक से देखिए,वहां प्राध्यापक कोर्स पढाने वाले रोबोट की तरह नजर आएगा और ऐसी स्थिति में निस्संदेह छात्र भी उसे मशीन ही मान कर धमाल मस्ती में लगे हुए दिखाई देंगे।
इसके विपरित चाहे प्राथमिक स्तर हो या माध्यमिक या उच्च स्तर,प्रत्येक स्तर पर कुछ ऐसे शिक्षक या प्राध्यापक होते है जो छात्रों में लोकप्रिय होते है। उनकी लोकप्रियता का मुख्य कारण ही यह होता है कि वे अपने छात्रों से जुड कर उन्हे पढाते है। छात्रों को जब अपनापन मिलता है तो वे भी बदले में अपने शिक्षक को सम्मान देने में नहीं हिचकते। हांलाकि शिक्षा के क्षेत्र में बढती व्यावसायिकता ने भी शिक्षकों के व्यवहार को प्रभावित किया है। आज के अनेक शिक्षक प्राध्यापक यह भी मानते है कि यदि वे स्कूल कालेज की क्लास में ही सही ढंग से पढा लेंगे तो टयूशन का उनका व्यवसाय कैसे चलेगा। लेकिन इसके बावजूद यदि अपने विद्यार्थियों के प्रति उनके मन में स्नेह का भाव होगा तो उन्हे कहीं अधिक लोकप्रियता और सफलता मिल सकती है।
बहरहाल,शिक्षा नीति के बदलाव से पहले शिक्षा देने वालों के व्यवहार में बदलाव लाना जरुरी है। उन्हे यह समझाया जाना जरुरी है कि उनके छात्र उनसे चाहते क्या है। यदि शिक्षा देने वाले इस बात का महत्व समझ जाएंगे तो नई पीढी के बच्चों की क्षमताओं का अधिक से अधिक उपयोग हो सकेगा और गुरु का घटता महत्व फिर से स्थापित हो सकेगा।
Thursday, January 28, 2010
republic day- a day for thinking about nation
Tuesday, January 19, 2010
भारत की जनता-प्रयोगशाला के चूहे
अब देखिये कि बी टी की असलियत क्या है । भारत में सबसे पहले बी टी काला फार्मूला कपास के लिए आया । कहा गया कि बी टी काटन से किसानो की तकदीर बदल जाएगी । किसानो ने भी महंगे दामो पर बी टी काटन के बीज ख़रीदे और बुवाई शुरू की । लेकिन कुछ समय बाद सचाई सामने आने लगी । आंध्र प्रदेश की सरकार ने अपने किसानो को चेतावनी दी है की वे जिन खेतो में बी टी काटन की फसले ली गई है वहा अपने मवेशियों को न जाने दे ।जहा बी टी काटन की फसले ली गई थी वहा चरने वाले कई मवेशियों की मौत हो गई। पता चला की उनकी किडनी और लीवर ख़राब हो गए थे। तब निष्कर्ष निकला गया की बी टी से किडनी और लीवर को नुकसान होने काला खतरा है। शायद यही कारन रहा की केरल और उड़ीसा सरकारों ने अपनी सीमाओं के भीतर
GM Food (Geneticaly modified food) के ट्रायल पर रोक लगा दी है । उत्तर प्रदेश,छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल ने जीएम फ़ूड की फिल्ड ट्रायल में अनियमितताओ और जी इ ऐ सी की कमजोर मोनिटरिंग की शिकायते की है। अंतर राष्र्टीय ख्यातिप्राप्त खाध्य सुरक्षा विशेषग्य देवेन्द्र शर्मा के मुताबिक जी इ ऐ सी पर आरोप है की उसने भारत में बी टी बैंगन को अनुमति देने के मामले में अंतर राष्ट्रीय बायो टेक इंडस्ट्री के दबाव में सुरक्षा और पर्यावरण को नजर अंदाज किया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री रहे अम्बुमणि रामदौस ने भी बी टी बैंगन का विरोध इस आधार पर किया था की इससे होने वाले प्रभावो पर पर्याप्त शोध नहीं किया गया है। इसकी वजह से स्वास्थ्य सुरक्षा और पर्यवारव पर क्या असर होगा इस पर भी शोध नहीं किया गया है। इसी आरोप को फ़्रांस के विशेषग्य गिलिस एरिक सेरालिनी ने भी सही ठहराया।
फ़्रांस के कीन विश्व विद्यालय के प्रोफ़ेसर गिलिस एरिक सेरालिनी के नेतृत्व में गठित commitee for indipendent research and information on genetic engineering ने बी टी बैंगन पर व्यापक शोध किया और पाया की बी टी बैंगन मानव जीवन के लिए पूरी तरह असुरक्षित है। कमिटी ने महाराष्ट्र हाय ब्रिड सीड्स कंपनी द्वारा उपलब्ध कराये गए तथ्यों (डाटा) को भी संदिग्ध बताया। कमिटी के अध्ययन से स्पष्ट हुआ की बी टी बैंगन खाने से बकरियों को भूख लगाना कम हो गया। चूहों में खून के थक्के बनने लगे और बायलर चिकन में ग्लूकोज का स्टार कम होने लगा। इससे इन प्राणियों में केनामयसीन नामक एंटी बायोटिक तत्व कम होने लगा। कमिटी ने महाराष्ट्र हाय ब्रीड्स कंपनी द्वारा किये गए सुरक्षा परीक्षणों पर भी प्रश्न चिन्ह लगाये है। ग्रीन पिस संस्था से जुड़े श्री सेरालिनी ने अपनी भारत यात्रा के दौरान उम्मीद जताई की भारत की सरकार अपनी जनता को प्रयोगशाला के चूहे नहीं बनने देगी जिन पर बी टी बैंगन का परिक्षण किया जाना हो। यूरोप में भी जनमत बी टी के खिलाफ है। इटली और ऑस्ट्रिया में बी टी पर करवाए गए शोध जी एम् फ़ूड के खिलाफ परिणाम देने वाले साबित हुए। यह तथ्य भी सामने आया की जी एम् फ़ूड काला उपयोग महिलाओ को बाँझ बना सकता है।
डेल्ही हाय कोर्ट ne मार्च २००८ में दिए अपने एक निर्णय में बी टी बैंगन के विरुध कई प्रमाण दिए है। अब भी सर्वोच्च न्यायलय में एक याचिका विचाराधीन है। इस सब के बावजूद अमेरिका की यह कंपनी अब बी टी मक्का और सोयाबीन के बिज बनाने की तयारी कर रही है.
Friday, December 25, 2009
who will be president
In BJP there are many corporators dreaming to become president.Some female corporators also think so. It is a intresting senerio of politics which will be mentene for some more days.Only Time will decided that who will be preident of RMC
Monday, November 16, 2009
locle body Election
When we talk about present mayor Mrs.Asha Mourya when she elected as BJP Mayor we thought that Ratlam city would run on the path of development but it could'nt done. In her leadership municipal corporation were busy in only fight of group ism. She faced many serious charges of corruption in her tenour and no doubt that some charges are right also.When we talk about her predesesor indepandent Mayor Paras Saklecha many stories of coruuption come in our mind.But Mr.Saklecha has elected MLA again on the bais of falls alligation made by him on his apponent Himmat Kothari.Present senerio of city politics is very cloudy.No one can say who will be the candidet of BJP or Congress.It will clear after some days.It will also clear that what roll will be played by Mr.Saklecha.That time we would discuss on the issue of Mayor But this time I can say that We should elect some good person for the post of Mayor.Our mayor should be honest and vise.He should think about city not for himself only.It is a chanc for every one of us to serve our city by cast our presious vote for our city in fevour of a right person.
Sunday, October 25, 2009
Sunday, September 13, 2009
Mahi Project
Sunday, August 9, 2009
जागो रतलाम के नागरिको
Tuesday, March 10, 2009
तिलक होली-परम्परा को नष्ट करने की कोशिश
Saturday, March 7, 2009
Tilak Holi-Stupidity of year
Holi is an incomparable festival of India. It is a festival of informality and total enjoyment. Holi is a day when anybody can free from his complexes and depressions. Holi is having no rules and regulations. You can do every thing what you want. You can abuse to any body and shout, as you like. If you would try to regularize Holi then Holi would not be Holi. Any attempt of formality in holi is completely foolishness. Even though some persons and organizations trying for that and so called Tilak Holi is also an example of it.
As for as concern of Tilak Holi, it is a marketing funda only and no serious thinking of saving water is behind it. Marketing managers has planned it for only revenue gain. Saving of water is not important subject for them. If it was important than the campaign have been ran whole year not only for one day. So called intellectuals of our city also following the campaign for only publicity in newspaper. Many of them would look playing Holi with wet colors.
So that don’t disturb the festival on the name of intellectuality. Holi is not for so called intellectuals its only for open hearted person who can smile and enjoy the life. We have so many ways to save water and we can save the water but not on the prize of Holi. So come and enjoy The Holi with colors because colors are the symbol of life. Colorful life is right of everyone.
Monday, March 2, 2009
Doctors creates history
Removing the iron angle from his body was a big challenge for doctors. Ratlam civil hospital is not having the necessary equipments for any complicated surgery. In spite of that surgery specialist Dr. Pushpendra Sharma, anesthesia expert Dr.Mahesh Mourya and bone specialist Dr.CS Roy has accepted the challenge and they have ready to start the operation. In charge collector Dr.Sanjay Goyal has given them morel support and he has directed for the operation in civil hospital’s operation theater.
When the decision of operation had taken by three doctors, some other doctors also agreed to support in operation. Many media person were present there for giving the support to doctors. Finely doctors started the operation, some important equipments brings from some privet nursing homes. The hard working of about three hours pleasure has come. Doctors declared that Shantilal is now out of danger. The roll of media was very nice in the incident. The reporter of Chetna TV Bunty (Yash) Sharma has played very important roll to save Shantilal’s life. He was the person who brings Shantilal to hospital very carefully and continuously given him moral support. Today every one is praising to Bunty for his service. It was a historical moment for city. It was a big news for all news channels and news papers. After incident it has proved that doctors of Ratlam is capable to do everything but they wants only moral support and required equipments.
Friday, February 27, 2009
Strike of revenue officers closed
.It’s made clear that during the CM visit in Ratlam on 10 February, SDM Mr.Saluja allegedly spoken worst language to tehsildar RK Haldhar ,some revenue inspectors and patwaris also hit by him. All revenue officers become anger on these matter and they started indefinite dharna. After passed two days dharna ,collector MK Gyani called them for talks..
Collector Mr. Gyani urged to protesters that they would stop the dharna till
20 feb. He made commitment to protesters that the solution of this problem would be searched soon. But till date no result had come and they again started dharana protest. They had only one demand that SDM would remove immediately remove from his post.But after the talk protesters agreed to call off the strike. As long as strike was going on the applicants who come to Collector office facing their official works.
Friday, February 13, 2009
Tehsildar and RI on indefinite strike
Conflict between tehsildar and SDM has started during the visit of CM yesterday. SDM Saluja did misbehave with city tehsildar RK Haldhar. RK Haldhar had become very anger and he decided to oppose it. Than all administrative officers like tehsildar, revenue inspectors and patwaris have decided strike against SDM. They said that mr.Saluja had shouted and told them eunuch. They wants that mr.Saluja must regret. But mr.Saluja denied charges. He said that he didn’t speak like that. He only tried to teach his subordinates. His wish was not hurt to anyone but his subordinates misunderstood and misquoted him.
Now dist. administrative officer union, RI union, patwari union and other employee unions have formed a joint front to fight on these issue. They have given a ultimatum to district collector for immediate removal of SDM Saluja before 16 February. After the time limit which is given by protester, they will start indefinite strike in whole district and government’s work will totally stop.
Film Director appeared in Ratlam court
It is made clear that the defamation case against the film producer company and writer director was filled by a local resident Yogesh Sharma and his advocate Santosh Tripathi. Both were angry because the film shown Ratlam city as a spot of prostitution. It was a shock for them.
The story of film JAB WE MET is based on Ratlam city. Hero of film Shahid Kapoor and heroin Kareena Kapoor met on Ratlam railway station in this film. They went to a local hotel in town and it was a spot of prostitutes where whores were available any time.
Ratlam court has accepted the petition against the film producer company AshtVinayak Sine Vison and writer director Imtiyaz Ali. Court had summoned them. Film producer company has sent its delegate ms. Damini Rasal to Ratlam court and she has got the bail. But the director of film Imtiyaz Ali did not come to Ratlam. District court had passed arrest warrant for Imtiyaz Ali. Yesterday Imtiyaz Ali came into Ratlam court and he urged for bail. Judicial magistrate Geeta Solanki has granted the bail for him.
After getting the bail Imtiyaz Ali said to reporters that he would not hurt the emotions of Ratlam.
Sunday, February 8, 2009
One person again died in road misshape
Police sources said that one resident of bramhano ke vas KrishnGopal 44 had leaved from his home on motorcycle in early morning 7.30 AM. He reached on main road of Shahr saray. At that time one truck in very high speed has arrived from other side and heated him powerfully. Krishngopal was injured very badly and he died on the spot. Unknown truck driver has ran from the spot.
Police were not rushed at the spot immediately so that public became angry and organized a chakkajam on the road. After getting information of chakkajam CSP Jitendra Dwivedi And TI Rameshwar Choudhary has reached there. They talked with people and then protester become cool down. Police has registered a criminal case against unknown truck driver.
Road accidents are increased in city area day by day. Many innocent persons have been killed in road accidents. Main reason of accidents is bad conditions of roads and no control on speed of vehicles. Traffic police is very lazy. It had batter that traffic police should have concentrate on making the system of traffic. There is no control on speed of vehicles in main area of city. Road condition must be better. It is in our practice that whenever any accident occurred on road, one speed breaker is made on that place. But it is not a solution of problem. There should be good roads and batter control on speed. Only the control on speed can save us by accidents.
Saturday, February 7, 2009
Problems increased for director of film
It is made clear that Kareena kapoor and Shahid Kapoor starer film JAB WE MET is based on Ratlam city. Film shows wrong picture about Ratlam city. Ratlam city is shown as a spot of prostitution in this film. One citizen of Ratlam Yogesh Sharma and his lawyer Santosh Tripathi had filled a case against producer company Asht Vinayak Sine Vison and the writer and director Imtiyaz Ali under the section 500 IPC for defamation of Ratlam city before the chief judicial magistrate. CJM had been satisfied by facts which were produced by complainant and his advocate Santosh Tripathi. CJM had summoned the producer and director in the court. As per order, film producer company has sent its delegate mis. Damini Rasaal and she had granted the bail from court but Imtiyaaz Ali director of film has not presented himself before the court. CJM has passed the arrest warrant against him. Against the arrest warrant Imtiyaaz Ali has filled a revision petition in district court. First addl. dist. judge GS Saluja has rejected the petition today after the hearing of case. He has denied the argument of petitioner’s lawyer.
After the order of court the way of arresting is being clear and film director might have felt problematic himself. He is in great trouble now. He will have got come to Ratlam court other wise he will be arrested by police.
Sunday, February 1, 2009
Mangalya Mandir insident
Mangalya Mandir had been built by mrs.Prerna ben thakor MD of JVL.It's a famous and beautifull temple but after the closer of JVL it was totly ignored.some time ago Asaram Bapu has purchesed it and converted it in Ashram. In the rule of Asaram Bapu,temple has lost its dignity and chenged into privet property. So that no person like to go there. if some budy goes there he is bieng beaten by temple athority.
अयोध्या-3 /रामलला की अद्भुत श्रृंगार आरती
(प्रारम्भ से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे ) 12 मार्च 2024 मंगलवार (रात्रि 9.45) साबरमती एक्सप्रेस कोच न. ए-2-43 अयोध्या की यात्रा अब समाप्...
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-तुषार कोठारी आरक्षण को लेकर मची बवाल पहली बार नहीं है। बिहार चुनाव के पहले भी लालू से लेकर मायावती तक तमाम नेता आरक्षण को खत्म करने की क...
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- तुषार कोठारी इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव द्वारा मस्जिदों में सुबह की अजान के लिए लाउड स्पीकर के उपयोग से हो...
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-तुषार कोठारी दिल्ली में हुए निर्भया काण्ड के बाद पूरे देश में हुए प्रदर्शनों और मीडीया के लगातार हंगामे के बाद जहां सरकार ने बलात्कार सम्...