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06 सितम्बर 2023 बुधवार (सुबह 9.30)
होटल आदि कैलास धारचूला
इस वक्त मैं पूरी तरह तैयार हो चुका हूं। दशरथ जी भी तैयार है। नवाल सा.स्नान कर रहे हैं। पंवार सा.अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। आज का दिन हमें परमिट का इंतजार करना था,इसलिए सुबह से ही बोरियत हो रही थी। सुबह 6.30 पर नींद खुल गई थी। उठने की इच्छा नहीं थी,सोने का मन नहीं था। इसी अन्तदर््वन्द में मैं जैसे तैसे उठा। बहुत धीरे धीरे नित्यकर्म निपटा रहे थे कि अचानक दशरथ जी ने प्रस्ताव रखा कि जब करने को कुछ है ही नहीं तो नारायण आश्रम हो आते हैं।