Sunday, July 23, 2017
Saturday, July 22, 2017
Thursday, July 20, 2017
पं.नेहरु की नासमझी का कष्ट भुगत रहे हैं भारत,तिब्बत और भूटान
(सन्दर्भ-डोकलाम सीमा विवाद)
- तुषार कोठारी
वर्तमान में डोकलाम के चीनी भारत सीमा विवाद को शायराना अंदाज में कुछ यूं कहा जा सकता है कि लम्हो ने खता की,सदियों ने सजा पाई। यह देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरु की नासमझी थी,जिसका कष्ट आज तक भारत,तिब्बत और भूटान भुगत रहे हैं। पं. नेहरु की नासमझी इतनी अधिक थी कि इसे सरासर मूर्खता भी कहा जा सकता है। यदि किसी व्यक्ति को यह बता दिया जाए कि दीवार पर सिर मारने से उसका सिर फूट जाएगा और वह घायल हो जाएगा। यह स्पष्ट तौर पर समझाने के बावजूद यदि कोई व्यक्ति दीवार पर अपना सिर मार कर घायल होता है,तो उसे नासमझ कहेंगे या मूर्ख और पागल....? यदि स्नेह अधिक हो,तो ऐसे व्यक्ति को नासमझ कह लिया जाएगा,वरना तो ऐसा कृत्य मूर्खता या पागलपन की श्रेणी में ही आता है।
- तुषार कोठारी
वर्तमान में डोकलाम के चीनी भारत सीमा विवाद को शायराना अंदाज में कुछ यूं कहा जा सकता है कि लम्हो ने खता की,सदियों ने सजा पाई। यह देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरु की नासमझी थी,जिसका कष्ट आज तक भारत,तिब्बत और भूटान भुगत रहे हैं। पं. नेहरु की नासमझी इतनी अधिक थी कि इसे सरासर मूर्खता भी कहा जा सकता है। यदि किसी व्यक्ति को यह बता दिया जाए कि दीवार पर सिर मारने से उसका सिर फूट जाएगा और वह घायल हो जाएगा। यह स्पष्ट तौर पर समझाने के बावजूद यदि कोई व्यक्ति दीवार पर अपना सिर मार कर घायल होता है,तो उसे नासमझ कहेंगे या मूर्ख और पागल....? यदि स्नेह अधिक हो,तो ऐसे व्यक्ति को नासमझ कह लिया जाएगा,वरना तो ऐसा कृत्य मूर्खता या पागलपन की श्रेणी में ही आता है।
Sunday, July 16, 2017
J & K Journey 4 कश्मीर यात्रा-4/ आतंक के असर में घाटी का सफर
11 जून 2017 रविवार
सुबह 9.10
कोच न.बी-4/ 35 जामनगर एक्सप्रेस
कटरा रेलवे स्टेशन
सुबह तो ठीक हुई थी कि लेकिन यात्रा की शुरुआत विवाद से हुई। हमने ट्रेन का समय एक घण्टे पहले का
बताया था कि ताकि भगडद ना हो और आराम से ट्रेन पकड सकें। सुबह साढे सात पर नाश्ता करके आटो लेने के लिए गए। आटो वाले सौ की बजाय दो सौ रु.मांग रहे थे। मुझे गुस्सा आया,मैने पुलिस हेल्पलाइन नम्बर पर फोन लगाया। यह नम्बर पुलिस थाने का था।
J & K Journey 3 कश्मीर यात्रा-3/ आतंक के असर में घाटी का सफर
9 जून 2017 शुक्रवार
दोपहर ढाई बजे
पीडब्ल्यूडी डाक बंगला,उधमपुर।
कल दोपहर श्रीनगर घूमने के दौरान सबसे पहले हमारे ड्राइवर सोहनसिंह ने मुझे बताया कि कश्मीर में गडबडी हो रही है। हमें रात में ही निकल लेना चाहिए। बाद में कुछ और लोगों से पता चला कि शुक्रवार को कश्मीर में बन्द का आव्हान है। ऐसे में हमने तय किया कि सुबह जल्दी साढे पांच बजे कश्मीर से निकल पडेंगे। हम साढे पांच बजे वहां से निकले और दोपहर डेढ बजे यहां पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस के आरामदायक कमरों में आ गए। यहां आकर ही डायरी से जुडने का मौका मिल पाया है।
J & K Journey 2 कश्मीर यात्रा-2/ आतंक के असर में घाटी का सफर
6 जून 2017 मंगलवार (सुबह 6.30)
व्हायएचएआई कैम्प/हरवन,श्रीनगर
कल का पूरा दिन गाडी के सफर में ही बीता। सुबह उठने में देरी हो गई थी। सुबह 7.50 पर नींद खुली। स्नानादि से निवृत्त होते होते साढे नौ हो गए थे। सर्किट हाउस के कुक औंकारचंद ने नाश्ते में कलाडी और ब्रेड बटर बनाने का प्रस्ताव रखा था। उसका कहना था कि कलाडी उनके क्षेत्र की विशेष चीज है,जो दूध से बनाई जाती है।
J & K Journey -1 यात्रा वृत्तान्त -24 कश्मीर यात्रा-1 / आतंक के असर में घाटी का सफर
कैलाश मानसरोवर की यात्रा सफलतापूर्वक संपन्न करने के करीब आठ महीनों बाद अब मौका था सपरिवार
कश्मीर यात्रा का। 4 जून को विवाह की वर्षगांठ होती है और कोशिश ये होती है कि विवाह की वर्षगांठ किसी दर्शनीय स्थल पर मनाई जाए। इस बार कश्मीर भ्रमण की योजना बनाई। श्रीनगर में यूथ होस्टल्स के फेमिली कैंपिंग प्रोग्राम की तारीखें देखी और मित्रों से इस यात्रा पर जाने के लिए पूछा।
कश्मीर यात्रा का। 4 जून को विवाह की वर्षगांठ होती है और कोशिश ये होती है कि विवाह की वर्षगांठ किसी दर्शनीय स्थल पर मनाई जाए। इस बार कश्मीर भ्रमण की योजना बनाई। श्रीनगर में यूथ होस्टल्स के फेमिली कैंपिंग प्रोग्राम की तारीखें देखी और मित्रों से इस यात्रा पर जाने के लिए पूछा।
Sunday, April 30, 2017
Kailash Mansarovar Yatra -9 कैलाश मानसरोवर यात्रा- 9 (9 सितम्बर 2016 समापन )
9 सितम्बर 2016 गुरुवार/रात 11.30
जम्मूतवी एक्सप्रेस/ बी-4/5
कल का सारा दिन डायरी लिखने का समय ही नहीं मिला। आज का भी पूरा दिन दिल्ली में मिलने जुलने में निकल गया। कल दिल्ली पंहुचने में रात के सवा आठ बज गए थे। बहुत जल्दी में उतरे। यात्रा का सर्टिफिकेट लिया। तेजी से सामान को कमरे में टिकाया। 4 लोगों को एक रुम दिया गया था। आगरा के एसके पाण्डे जी और नासिक के रतन भावसार जी हमारे साथ थे। सामान टिकाया। उन्हे बताया कि हामारा मित्र इंतजार कर रहा है। फौरन निकले,कश्मीरी गेट मैट्रो स्टेशन पर पंहुचे। यहां से हुडा सिटी सेन्टर की की ट्रेन नेट एक घण्टा लेती है। Kailash Mansarovar Yatra -8 कैलाश मानसरोवर यात्रा- 8 (6 सितम्बर-8 सितम्बर 2016)
6 सितम्बर 2016 मंगलवार
काली नदी के किनारे / दोपहर 12.30इस वक्त हम घनघोर आवाज और तेज बहाव के साथ बहती काली नदी के किनारे बैठे हैं। यहां से महज एक-डेढ किमी की दूरी पर हमारे लिए वाहन खडे हैं जो हमें धारचूला तक पंहुचाएंगे। हमें यहां रोक दिया गया है क्योंकि आगे ब्लास्टिंग हो रही है। करीब पैंतालिस मिनट हमें यहीं इंतजार करना है। काली नदी के तेज बहाव का शोर लगातार सुनाई दे रहा है। नदी के इस तरफ हम हैं और सामने की तरफ की पहाडियां नेपाल में हैं। काली नदी भारत और नेपाल की सीमाओं के बीच बहती है।
Kailash Mansarovar Yatra -7 कैलाश मानसरोवर यात्रा- 7 (4 सितम्बर-5 सितम्बर 2016)
4 सितम्बर 2016 रविवार
केएमवीएन कैम्प गुंजी/ शाम 4.4010370 फीट
अब हम तिब्बत छोडकर भारत में आ चुके हैं। बीती रात सोते सोते ग्यारह बज गए थे और सुबह 5 बजे तकलाकोट से निकलना था। सुबह 4 बजे उठा। शेविंग करने के बाद दूध और कार्नफ्लेक्स का नाश्ता किया और बस में सवार हो गए। बस हमे सबसे पहले कस्टम आफिस ले गई,जहां बैग इत्यादि स्कैन किए गए। फिर बस में सवार हो कर लिपूलेख पास के लिए रवाना हो गए। तकलाकोट 12930 फीट पर है,जबकि लिपूलेख पास 16780 फीट है। तकलाकोट से निकलते ही बस पहाडों पर चलने लगी। इस बस ने हमें लिपूलेख पास से
करीब पांच किमी पहले उंचे पहाड पर उतारा।
Tuesday, April 18, 2017
Monday, April 17, 2017
जरुरी हे धर्मस्थलों से लाउड स्पीकर हटाना
- तुषार कोठारी
सोनू निगम ने जो कहा है,बिलकुल सही है। उन्होने वही कहा है,जो बारह वर्ष पहले उच्चतम न्यायालय कह चुका है। देश के नागरिक हर सुबह उन ध्वनियों को सुनने के लिए बाध्य है,जो वे सुनना नहीं चाहते। देश के किसी भी कोने में,किसी भी शहर के किसी भी हिस्से में सुबह आपकी नींद किसी मस्जिद की अजान की आवाज से ही खुलेगी। क्या यह अजान सुनने के लिए हर व्यक्ति बाध्य है?
Sunday, April 16, 2017
बूचडखानों पर रोक,मांसाहार,बीफ और शराब बन्दी का कम्फ्यूजन
तुषार कोठारी
जब से देश की केन्द्रीय सत्ता में और अनेक प्रदेशों में भाजपा बहुमत में आई है,भारतीय परंपरा और संस्कृति से अनजान अंग्रेजीदां बुध्दिजीवियों और मीडीया वालों के लिए कई सारे नए कन्फ्यूजन खडे हो गए है। कभी ये भ्रम परंपरा और संस्कृति को नहीं समझ पाने की वजह से होते है तो कभी भाषा की पर्याप्त समझ नहीं होने की वजह से। मजेदार बात यह है कि इस तरह भ्रमित हुए बुध्दिजीवी और मीडीया वाले अपने भ्रम को ही सत्य की तरह प्रस्तुत करते है,तो उनके ग्लैमर के असर में कई सारे लोग इसी को सच भी मानने लगते है।
Monday, March 27, 2017
Kailash Mansarovar Yatra -6 कैलाश मानसरोवर यात्रा- 6 (2 सितम्बर-3 सितम्बर 2016)
2 सितम्बर 2016 शुक्रवार
कुगु कैम्प मानसरोवरमानसरोवर तट पर दूसरा दिन यज्ञ के साथ बीता। सुबह की शुरुआत आलू पराठे के नाश्ते से हुई। मौसम बहुत बढिया था। शानदार धूप खिली हुई थी। मानसरोवर का रंग बार बार बदल रहा था। मैं कैमरा लेकर मानसरोवर पर पंहुचा। ढेर सारे फोटो लिए। फिर आशुतोष झील पर स्नान करने आ गया। उसका विडीयो बनाया। तभी एलओ श्री गुंजियाल सा.,जगजीत और तनु मित्तल वहां आ गए। फिर उनके साथ आया। हमने कई फोटो खींचे।
Saturday, March 25, 2017
प्रशासनिक कार्यप्रणाली में मौलिक परिवर्तन से ही बदलेगी देश की तस्वीर
-तुषार कोठारी
देश की स्वतंत्रता के बाद बनी लोकतांत्रिक सरकारों में से प्रत्येक सरकार ने देश के गरीब और पिछडे वर्गों की बेहतरी के लिए तमाम योजनाएं बनाई और लागू की। सात दशकों के इस लम्बे कालखण्ड में बनाई गई तमाम योजनाएं इतनी आकर्षक प्रतीत होती थी,कि लगता था कि इनके लागू होने के बाद समस्या जड से समाप्त हो जाएगी। लेकिन ये योजनाएं जब क्रियान्वयन के स्तर पर पंहुची तो पता चला कि योजनाओं का असर दस प्रतिशत भी नहीं हुआ। परिणाम यह है कि सत्तर साल पहले देश में जो समस्याएं थी,कमोबेश वही समस्याएं आज भी मुंह बाए खडी है।
देश की स्वतंत्रता के बाद बनी लोकतांत्रिक सरकारों में से प्रत्येक सरकार ने देश के गरीब और पिछडे वर्गों की बेहतरी के लिए तमाम योजनाएं बनाई और लागू की। सात दशकों के इस लम्बे कालखण्ड में बनाई गई तमाम योजनाएं इतनी आकर्षक प्रतीत होती थी,कि लगता था कि इनके लागू होने के बाद समस्या जड से समाप्त हो जाएगी। लेकिन ये योजनाएं जब क्रियान्वयन के स्तर पर पंहुची तो पता चला कि योजनाओं का असर दस प्रतिशत भी नहीं हुआ। परिणाम यह है कि सत्तर साल पहले देश में जो समस्याएं थी,कमोबेश वही समस्याएं आज भी मुंह बाए खडी है।
Thursday, March 16, 2017
Tuesday, March 14, 2017
Sunday, March 12, 2017
भाजपा की प्रचण्ड जीत-हिन्दुत्व की ओर बढती देश की राजनीति
-तुषार कोठारी
उत्तर प्रदेश और उत्तरांचल में भाजपा को मिली प्रचण्ड जीत का विश्लेषण
हर कोई अपने अपने ढंग से कर रहा है। कई लोग मोदी लहर को राम लहर से बडी भी
बता रहे हैं। इसे विकास के नारे की जीत भी माना जा रहा है। इन विश्लेषणों
से भी आगे अगर उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के नतीजों को साथ रख कर देखा जाए
तो पता चलता है कि देश की राजनीति की दिशा बदल रही है। देश की राजनीति अब
अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण से हिन्दुत्व की दिशा में बढने लगी है।Friday, February 10, 2017
राजस्थान से सबक सीखना चाहिए मध्यप्रदेश को
-तुषार कोठारी
हिन्दुओं के गौरव महाराणा प्रताप द्वारा हल्दीघाटी में लडे गए विश्वविख्यात युध्द के बारे में फैलाए गए महाराणा की पराजय के भ्रम को अब राजस्थान सरकार दूर करने वाली है। राजस्थान के पाठ्यक्रम में अब विद्यार्थियों को यह पढाया जाएगा कि हल्दीघाटी के युध्द में महाराणा की पराजय नहीं हुई थी,बल्कि अकबर की सेनाओं को भारी क्षति हुई थी और उन्हे पीछे हटना पडा था। राजस्थान सरकार द्वारा किए जा रहे इस स्तुत्य प्रयास से राजस्थान के पडोसी मध्यप्रदेश को भी सबक सीखने की जरुरत है।
Monday, January 30, 2017
Kailash Mansarovar Yatra -5 कैलाश मानसरोवर यात्रा- 5 (31 अगस्त-1 सितम्बर 2016)
31 अगस्त 2016 बुधवार
जुनझुई पू कैम्प / दोपहर 3.00 (आईएसटी)
कैलाश यात्रा का सबसे कठिन दुर्गम कहा जाने वाला हिस्सा आज हमने सफलतापूर्वक पार कर लिया। डेराफुक से यहां जुनझुई पू आने में के लिए डोलमा पास पार करना पडता है और कुल मिलाकर करीब पच्चीस किमी की पदयात्रा करना पडती है। डोलमा दर्रा 18600 फीट की उंचाई पर है,जहां आक्सिजन अत्यन्त विरल है। यहां चार कदम चलने भर से दम फूल जाता है।डेराफुक के हमारे कैम्प से डोलमा दर्रे तक का रास्ता 9 किमी का खडी चढाई का रास्ता है। इसे सूर्योदय से पहले पार कर लेना ही उचित होता है,क्योंकि सूर्योदय के बाद जैसे जैसे दिन चढता है,यहां मौसम बिगडने लगता है।
जुनझुई पू कैम्प / दोपहर 3.00 (आईएसटी)
कैलाश यात्रा का सबसे कठिन दुर्गम कहा जाने वाला हिस्सा आज हमने सफलतापूर्वक पार कर लिया। डेराफुक से यहां जुनझुई पू आने में के लिए डोलमा पास पार करना पडता है और कुल मिलाकर करीब पच्चीस किमी की पदयात्रा करना पडती है। डोलमा दर्रा 18600 फीट की उंचाई पर है,जहां आक्सिजन अत्यन्त विरल है। यहां चार कदम चलने भर से दम फूल जाता है।डेराफुक के हमारे कैम्प से डोलमा दर्रे तक का रास्ता 9 किमी का खडी चढाई का रास्ता है। इसे सूर्योदय से पहले पार कर लेना ही उचित होता है,क्योंकि सूर्योदय के बाद जैसे जैसे दिन चढता है,यहां मौसम बिगडने लगता है।
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