Sunday, April 30, 2017

Kailash Mansarovar Yatra -7 कैलाश मानसरोवर यात्रा- 7 (4 सितम्बर-5 सितम्बर 2016)

4 सितम्बर 2016 रविवार

केएमवीएन कैम्प गुंजी/ शाम 4.40
10370 फीट

अब हम तिब्बत छोडकर भारत में आ चुके हैं। बीती रात सोते सोते ग्यारह बज गए थे और सुबह 5 बजे तकलाकोट से निकलना था।  सुबह 4 बजे उठा। शेविंग करने के बाद दूध और कार्नफ्लेक्स का नाश्ता किया और बस में सवार हो गए।  बस हमे सबसे पहले कस्टम आफिस ले गई,जहां बैग इत्यादि स्कैन किए गए।  फिर बस में सवार हो कर लिपूलेख पास के लिए रवाना हो गए। तकलाकोट 12930 फीट पर है,जबकि लिपूलेख पास 16780 फीट है। तकलाकोट से निकलते ही बस पहाडों पर चलने लगी। इस बस ने हमें लिपूलेख पास से
करीब पांच किमी पहले उंचे पहाड पर उतारा।

Monday, April 17, 2017

जरुरी हे धर्मस्थलों से लाउड स्पीकर हटाना

- तुषार कोठारी


सोनू निगम ने जो कहा है,बिलकुल सही है। उन्होने वही कहा है,जो बारह वर्ष पहले उच्चतम न्यायालय कह चुका है। देश के नागरिक हर सुबह उन ध्वनियों को सुनने के लिए बाध्य है,जो वे सुनना नहीं चाहते। देश के किसी भी कोने में,किसी भी शहर के किसी भी हिस्से में सुबह आपकी नींद किसी मस्जिद की अजान की आवाज से ही खुलेगी। क्या यह अजान सुनने के लिए हर व्यक्ति बाध्य है?

Sunday, April 16, 2017

बूचडखानों पर रोक,मांसाहार,बीफ और शराब बन्दी का कम्फ्यूजन

तुषार कोठारी 

जब से देश की केन्द्रीय सत्ता में और अनेक प्रदेशों में भाजपा बहुमत में आई है,भारतीय परंपरा और संस्कृति से अनजान अंग्रेजीदां बुध्दिजीवियों और मीडीया वालों के लिए कई सारे नए कन्फ्यूजन खडे हो गए है। कभी ये भ्रम परंपरा और संस्कृति को नहीं समझ पाने की वजह से होते है तो कभी भाषा की पर्याप्त समझ नहीं होने की वजह से। मजेदार बात यह है कि इस तरह भ्रमित हुए बुध्दिजीवी और मीडीया वाले अपने भ्रम को ही सत्य की तरह प्रस्तुत करते है,तो उनके ग्लैमर के असर में कई सारे लोग इसी को सच भी मानने लगते है।

Monday, March 27, 2017

Kailash Mansarovar Yatra -6 कैलाश मानसरोवर यात्रा- 6 (2 सितम्बर-3 सितम्बर 2016)

2 सितम्बर 2016 शुक्रवार

कुगु कैम्प मानसरोवर

मानसरोवर तट पर दूसरा दिन यज्ञ के साथ बीता। सुबह की शुरुआत आलू पराठे के नाश्ते से हुई। मौसम बहुत बढिया था। शानदार धूप खिली हुई थी। मानसरोवर का रंग बार बार बदल रहा था। मैं कैमरा लेकर मानसरोवर पर पंहुचा। ढेर सारे फोटो लिए। फिर आशुतोष झील पर स्नान करने आ गया। उसका विडीयो बनाया। तभी एलओ श्री गुंजियाल सा.,जगजीत और तनु मित्तल वहां आ गए। फिर उनके साथ आया। हमने कई फोटो खींचे।

Saturday, March 25, 2017

प्रशासनिक कार्यप्रणाली में मौलिक परिवर्तन से ही बदलेगी देश की तस्वीर

-तुषार कोठारी

देश की स्वतंत्रता के बाद बनी लोकतांत्रिक सरकारों में से प्रत्येक सरकार ने देश के गरीब और पिछडे वर्गों की बेहतरी के लिए तमाम योजनाएं बनाई और लागू की। सात दशकों के इस लम्बे कालखण्ड में बनाई गई तमाम योजनाएं इतनी आकर्षक प्रतीत होती थी,कि लगता था कि इनके लागू होने के बाद समस्या जड से समाप्त हो जाएगी। लेकिन ये योजनाएं जब क्रियान्वयन के स्तर पर पंहुची तो पता चला कि योजनाओं का असर दस प्रतिशत भी नहीं हुआ। परिणाम यह है कि सत्तर साल पहले देश में जो समस्याएं थी,कमोबेश वही समस्याएं आज भी मुंह बाए खडी है।

Sunday, March 12, 2017

भाजपा की प्रचण्ड जीत-हिन्दुत्व की ओर बढती देश की राजनीति

-तुषार कोठारी
उत्तर प्रदेश और उत्तरांचल में भाजपा को मिली प्रचण्ड जीत का विश्लेषण हर कोई अपने अपने ढंग से कर रहा है। कई लोग मोदी लहर को राम लहर से बडी भी बता रहे हैं। इसे विकास के नारे की जीत भी माना जा रहा है। इन विश्लेषणों से भी आगे अगर उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के नतीजों को साथ रख कर देखा जाए तो पता चलता है कि देश की राजनीति की दिशा बदल रही है। देश की राजनीति अब अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण से हिन्दुत्व की दिशा में बढने लगी है।

Friday, February 10, 2017

राजस्थान से सबक सीखना चाहिए मध्यप्रदेश को

-तुषार कोठारी

हिन्दुओं के गौरव महाराणा प्रताप द्वारा हल्दीघाटी में लडे गए विश्वविख्यात युध्द के बारे में फैलाए गए महाराणा की पराजय के भ्रम को अब राजस्थान सरकार दूर करने वाली है। राजस्थान के पाठ्यक्रम में अब विद्यार्थियों को यह पढाया जाएगा कि हल्दीघाटी के युध्द में महाराणा की पराजय नहीं हुई थी,बल्कि अकबर की सेनाओं को भारी क्षति हुई थी और उन्हे पीछे हटना पडा था। राजस्थान सरकार द्वारा किए जा रहे इस स्तुत्य प्रयास से राजस्थान के पडोसी मध्यप्रदेश को भी सबक सीखने की जरुरत है।

Monday, January 30, 2017

Kailash Mansarovar Yatra -5 कैलाश मानसरोवर यात्रा- 5 (31 अगस्त-1 सितम्बर 2016)

31 अगस्त 2016 बुधवार
जुनझुई पू कैम्प / दोपहर 3.00 (आईएसटी)


कैलाश यात्रा का सबसे कठिन दुर्गम कहा जाने वाला हिस्सा आज हमने सफलतापूर्वक पार कर लिया। डेराफुक से यहां जुनझुई पू आने में के लिए डोलमा पास पार करना पडता है और कुल मिलाकर करीब पच्चीस किमी की पदयात्रा करना पडती है। डोलमा दर्रा 18600 फीट की उंचाई पर है,जहां आक्सिजन अत्यन्त विरल है। यहां चार कदम चलने भर से दम फूल जाता है।डेराफुक के हमारे कैम्प से डोलमा दर्रे तक का रास्ता 9 किमी का खडी चढाई का रास्ता है। इसे सूर्योदय से पहले पार कर लेना ही उचित होता है,क्योंकि सूर्योदय के बाद जैसे जैसे दिन चढता है,यहां मौसम बिगडने लगता है।

Sunday, January 22, 2017

दलितों और वंचितों का ही हक छीन रहा है आरक्षण

-तुषार कोठारी

आरक्षण को लेकर मची बवाल पहली बार नहीं है। बिहार चुनाव के पहले भी लालू से लेकर मायावती तक तमाम नेता आरक्षण को खत्म करने की कथित कोशिशों को लेकर रौर्द्र रुप दिखा चुके है। वे अपने बयानों से पूरी तरह ये साबित करना चाहते है कि दलित,शोषित और पिछडे वर्गों के सच्चे रहनुमा सिर्फ वे ही है।
 लेकिन बात इतनी सीधी नहीं है। आरक्षण को बनाए रखने के लिए चीख पुकार मचाने वाले इन नेताओं की हैसियत देखिए। कोई दो बार मुख्यमंत्री रह चुका है। कोई मुख्यमंत्री और केन्द्रीय मंत्री जैसे उच्च पदों को सुशोभित कर चुका है। ये सभी वे लोग है जो समाज के सर्वाधिक शक्तिशाली और रसूखदार तबके में शामिल है।

Tuesday, January 17, 2017

Kailash Mansarovar Yatra -4 कैलाश मानसरोवर यात्रा- 4 (26 अगस्त-30 अगस्त )

27 अगस्त 2016 शनिवार

होटल पुलान तकलाकोट (तिब्बत)
रात 8.10 (आईएसटी) / रात 10.40 (चाईना टाइम)


कल रात से लेकर आज रात,अभी तक का समय बेहद सनसनीखेज गुजरा। बीती रात आठ बजे सौ गए थे,क्यङ्क्षकि रात दो बजे लिपूलेख पास के लिए निकलना था। इससे पहले तक मौसम ने कहीं दगाबाजी नहीं की थी,लेकिन रात पौने आठ बजे से हलकी बूंदाबांदी शुरु हो गई थी,जिसने दस बजते बजते बूंदाबांदी का स्वरुप ले लिया था। रात पौने एक पर जब मैं उठा तो बारिश हो रही थी। कडाके की ठण्ड में बरसते पानी में बाहर निकलना कठिन था,लेकिन नित्यकर्म के लिए बाहर निकला। वैसे दो बार की आदत है,मौसम की प्रतिकूलता के कारण मैने एक बार में ही मामला खत्म कर दिया और यहीं गलती की।

Monday, January 16, 2017

कौन हो सकता है इस राष्ट्र का पिता...?

  • तुषार कोठारी

इस देश में युगों युगों से पूजित मर्यादा पुरुषोत्तम राम की लंका विजय के बाद लक्ष्मण जी ने उनसे कहा कि अयोध्या जाने की बजाय सोने की लंका में ही रहने में क्या बुराई है? तब भगवान राम ने वह जवाब दिया था,जो आज तक देश के प्रत्येक व्यक्ति के लिए मार्गदर्शक है। भगवान श्री राम ने लक्ष्मण से कहा था कि लक्ष्मण ये लंका चाहे सोने की हो,लेकिन जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान होती है। जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।

Wednesday, January 11, 2017

Kailash Mansarovar Yatra -3 कैलाश मानसरोवर यात्रा- 3 (23 अगस्त-26 अगस्त 2016)

23 अगस्त 2016 मंगलवार

केएमवीएम बुधी / रात 9.15


आज के दिन का समापन बेहद शानदार रहा। हमारे ग्रुप के एलओ संजय गुंजियाल जी ने आज हमें बडा सम्मान दिया। उन्होने अगले वर्ष बद्रीनाथ के उपर स्वर्ग आरोहिणी की ट्रैकिंग के लिए आमंत्रित भी किया। यह बडा आनन्ददायी समापन था।
सुबह की शुरुआत 3.20 पर जागरण से हुई थी। बताया गया था कि हमें 21 किमी पैदल चलना है। लेकिन यह ट्रैक वास्तव में 18 किमी का था। यह भी बताया गया था कि 4444 सीढियां उतरना है।

Tuesday, December 27, 2016

Kailash Mansarovar Yatra-2 कैलाश मानसरोवर यात्रा-2 (19 अगस्त-22 अगस्त)

19 अगस्त 2016 शुक्रवार

केएमवीएन टीआरएच अलमोडा/ रात 8.25


आज का पूरा दिन बसों में हिचकोले खाते हुए और स्वागत कराते हुए गुजरा है। हमारे दल के सभी यात्री ठीक समय पर बस में सवार होने के लिए अपनी डोरमैट्री से नीचे आ चुके थे। गुजराती समाज के मुख्यद्वार पर तीर्थयात्रा विकास समिति दिल्ली सरकार और कैलाश मानसरोवर यात्रा समिति के सदस्यों द्वारा यात्रियों के स्वागत का कार्यक्रम रखा गया था। पहले एक पण्डित ने पूजा अर्चना की और तब वहां मौजूद सदस्यों ने एक एक यात्री को तिलक लगाकर केसरिया दुपट्टे औढाए। इस मौके पर यात्रियों को कुछ धार्मिक पुस्तकें व अन्य उपहार भी दिए गए। यहां पर तीर्थयात्रा विकास समिति के चेयरमेन कमल बंसल व उनके साथ दिखाई देने वाली दो महिलाएं भी थी। आज ये सभी हंसते मुस्कुराते हुए यात्रियों को बिदा कर रहे थे।

Friday, December 23, 2016

Kailash Mansarovar Yatra -1 कैलाश मानसरोवर यात्रा-1

यात्रा वृत्तान्त - 23

कैलाश मानसरोवर यात्रा

सनातन से सीधे संवाद का स्थान


बचपन से लगे यात्राओं के शौक और पिछले करीब डेढ दशक में देश के लगभग सभी कोनो में भ्रमण के दौरान हर बार यह इच्छा सताती थी कि कैलाश मानसरोवर की यात्रा करना है। लेकिन जब भी इस यात्रा का मन होता,यात्रा का खर्चीला होना इस इच्छाओं को वहीं रोक देता था। पिछले कुछ समय से पैरों में हलकी दिक्कतें भी शुरु हो गई। तब और लगने लगा कि अब कैलाश मानसरोवर जाने के लिए अधिक समय नहीं बचा है। लेकिन जैसा कि मेरे साथ होता आया है,मैने जो भी इच्छा की,प्रभु ने उसे पूरा किया।

अयोध्या-3 /रामलला की अद्भुत श्रृंगार आरती

(प्रारम्भ से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे )  12 मार्च 2024 मंगलवार (रात्रि 9.45)  साबरमती एक्सप्रेस कोच न. ए-2-43   अयोध्या की यात्रा अब समाप्...