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Tuesday, April 24, 2018
Sunday, April 22, 2018
Tripura Mizoram Journey-8
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आईजॉल की उंचाई,रैएक टॉप पर
7 मार्च 2018 बुधवार (सुबह 9.00)
स्टेट गेस्ट हाउस आईजोल
नाश्ते की टेबल पर आलू पराठों के इंतजार में डायरी लिख रहा हूं। अब कुछ बातें मिजोरम के बारे में। मिजोरम पिछले करीब डेढ सौ सालों से मिशनरीज के प्रभाव में आते आते पूरी तरह ईसाई राज्य बन गया है। मिजो भाषा के लिए रोमन लिपि को ही अपना लिया गया है। बीती रात से पिछली रात हम सिलचर में भी मिजोरम के गेस्ट हाउस में ही थे। बडी बात यह थी कि सिलचर के सर्किट हाउस के प्रत्येक कमरे में बाईबिल रखी हुई थी।Thursday, April 19, 2018
Tripura Mizoram Journey-7
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कल सुबह से शुरु हुई विचित्रताएं आधी रात तक जारी रही। रेलवे वालों की मदद से हम राजधानी ट्रेन में सवार होकर रात पौने ग्यारह बजे बदरपुर पंहुच गए। राजधानी का सफर था इसलिए पता ही नहीं चला कि कब
बदरपुर पंहुच गए। हमारे साथ बीएसएफ के दो कर्मचारी भी थे,जिन्हे सिलचर ही जाना था। अब हम कुल छ: लोग थे।
अगरतला से आईजोल-मुसीबतों का सफर
6 मार्च 2018 मंगलवार (सुबह 9.00)
रोड किंग सूमो सर्विस सिलचर
फिलहाल हम रोडकिंग सूमो सर्विस के आफिस में बैठे है। सामने वह सूमो गाडी खडी है,जिसमें हमें आईजोल जाना है। हमारा सामान सूमो पर लादा जा चुका है।कल सुबह से शुरु हुई विचित्रताएं आधी रात तक जारी रही। रेलवे वालों की मदद से हम राजधानी ट्रेन में सवार होकर रात पौने ग्यारह बजे बदरपुर पंहुच गए। राजधानी का सफर था इसलिए पता ही नहीं चला कि कब
बदरपुर पंहुच गए। हमारे साथ बीएसएफ के दो कर्मचारी भी थे,जिन्हे सिलचर ही जाना था। अब हम कुल छ: लोग थे।
Monday, April 16, 2018
Tripura Mizoram Journey-6
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इस यात्रा क िवचित्रिताओं रतलाम से ही शुरु हो गई थी। रतलाम में ट्रेन छूटते छूटते बची थी। दौडते हुए ट्रेन
पकडी थी। अगली सुबह यानी 28 फरवरी को पहले तो एयरपोर्ट मैट्रो में बैग छूट गया था। वह बैग मिला तो हमारी अगरतला की फ्लाईट छूट गई थी। इसी दिन शाम को संतोष जी का मोबाइल चोरी हो गया था। 1 मार्च को फ्लाईट पकड ली,लेकिन फिर कोलकाता में अगली फ्लाईट छूटते छूटते बची।
पहले प्लेन छूटा,अब ट्रेन.......
5 मार्च 2018 सोमवार (दोपहर 1.50)
अगरतला रेलवे स्टेशन,अगरतला
यह यात्रा विचित्रिताओं से भरी हुई है। इस समय हमें अगरतला सिलचर पैसेंजर में होना था,लेकिन हम अगरतला रेलवे स्टेशन के वीआईपी लाउंज में बैठे हुए है।इस यात्रा क िवचित्रिताओं रतलाम से ही शुरु हो गई थी। रतलाम में ट्रेन छूटते छूटते बची थी। दौडते हुए ट्रेन
पकडी थी। अगली सुबह यानी 28 फरवरी को पहले तो एयरपोर्ट मैट्रो में बैग छूट गया था। वह बैग मिला तो हमारी अगरतला की फ्लाईट छूट गई थी। इसी दिन शाम को संतोष जी का मोबाइल चोरी हो गया था। 1 मार्च को फ्लाईट पकड ली,लेकिन फिर कोलकाता में अगली फ्लाईट छूटते छूटते बची।
Thursday, April 12, 2018
Tripura Mizoram Journey-5
देवाधिदेव के विश्रामस्थल उनाकोटि में
4 मार्च 2018 रविवार (रात 10.00)
अगरतला सर्किट हाउस
आज का पूरा दिन करीब साढे तीन सौ किमी की यात्रा करके उनाकोटि की अद्भूत,आश्चर्यजनक मूर्तियां देखकर हम वापस लौट चुके हैं। आज त्रिपुरा की आखरी रात है। कल सुबह ग्यारह बजे हम ट्रेन से सिलचर के लिए रवाना हो जाएंगे। वहां से आईजॉल जाएंगे। इसवक्त हम भोजन कर चुके है।अब आज की कहानी। कल शाम यह तय हुआ था कि सुबह साढे छ: बजे निकलेंगे। सुबह साढे छ: तो नहीं लेकिन सात बजे हम सभी लोग तैयार होकर डे दादा की गाडी में सवार हो गए।
Tuesday, April 10, 2018
Tripura Mizoram journey-4
नीरमहल का सौन्दर्य और बांग्ला बार्डर की फ्लैग सैरेमनी
3 मार्च 2018 शनिवार (दोपहर 3.10)
सर्किट हाउस अगरतला
आज की सुबह हम लोग साढे सात बजे तैयार होकर गाडी में बैठ गए थे। कल तक हमसें कहा जा रहा था कि मतगणना का दिन होने से आज के दिन हमें बाहर नहीं निकलना चाहिए। कल शाम आईबी एसपी दीक्षित जी ने भी कहा था कि हिंसा की आशंका हो सकती है। हमारा ड्राइवर भी यही कह रहा था,लेकिन हमने दबाव डाला तो वह आने को तैयार हो गया।Monday, April 9, 2018
Tripura Mizoram Journey-3
देवलोक के द्वार तक का सफर
02 मार्च 2018 शुक्रवार (रात 9.30)
रुम न. 1 सर्किट हाउस अगरतला (त्रिपुरा)
हम भोजन कर चुके हैं। अब हमें अपने कक्ष क्र.7 में जाकर सोना है। हमारा कक्ष उपरी मंजिल पर है। अनिल बाहर अपने घर पर बात कर रहा है। दशरथ जी और संतोष जी ताश खेल रहे हैं। इसी बाच अनिल भी कमरे में आ चुका है।आज की सुबह साढे पर हम तैयार हो चुके थे। सवा सात पर ड्राइवर बीएल डे का फोन आ चुका था। हम लोग साढे सात,सात चलीस तक तैयार हो चुके थे। बाहर निकले,गाडी आल्टो नहीं थी,बल्कि मारुति की ही इको थी।
हम गाडी में सवार हुए और चल पडे।
Sunday, April 8, 2018
Tripura Mizoram Journey-2
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हम यानी मै और अनिल यहां पहली मंजिल पर कमरा न.7 में रुके है। अभी कुछ देर पहले भोजन किया है। भोजन के बाद मैं और अनिल बाहर सडक़ पर करीब 1 किमी टहल कर आए हैं। कल सुबह सात बजे निकलना है। टैक्सी तय कर ली है। फिलहाल सोने की तैयारी है। सोने से पहले,कल से लेकर अभी तक का हाल लिख रहा हूं। कहानी वहीं से शुरु करता हूं जहां छोडी थी।
अगरतला की धरती पर,उज्जयंता पैलेस में
1मार्च 2018 गुरुवार (रात 10.00)
सर्किट हाउस अगरतला (त्रिपुरा)
त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में,यहां सर्किट हाउस के कमरा न.7 में इस वक्त डायरी से जुडने का मौका मिला है। सर्किट हाउस में हमारे पास दो रुम है। रुम न.1 में,इससे ठीक नीचे संतोष जी और दशरथ जी हैं।Saturday, April 7, 2018
Tripura Mizoram Journey -1
यात्रा वृत्तान्त-26 त्रिपुरा सुन्दरी के दरबार से देवाधिदेव के विश्रामस्थल उनाकोटि तक
(त्रिपुरा मिजोरम यात्रा 27 फरवरी से 9 मार्च 2018)
देश के उत्तर पूर्वी राज्यों को देखने की इच्छा के चलते पूर्वोत्तर क्षेत्रों की अनेक यात्राएं की। सेवन सिस्टर कहलाने वाले सात राज्यों में से पांच राज्यों के भ्रमण मैं कर चुका था। अब केवल त्रिपुरा और मिजोरम शेष रह गए थे। इस बार इन दोनो राज्यों में भी घूम लिए और इसी के साथ पूर्वोत्तर का भ्रमण पूरा हुआ। इस यात्रा की योजना भी दो-तीन माह पूर्व ही बन गई थी। हवाई टिकट भी बुक करवा लिए गए थे। टिकट बुकींग के समय यह ध्यान ही नहीं रहा कि होली औस रंगपंचमी भी इन्ही दिनों में पहडने वाली है। यह जानकारी टिकट बुक करने के बाद ही मिल पाई थी। परिणाम यह हुआ कि वर्ष 2018 की होली हमने त्रिपुरा में मनाई,जबकि रंगपंचमी का दिन त्रिपुरा से मिजोरम जाने की यात्रा में गुजरा। इस यात्रा की डायरी,तो यात्रा के दौरान ही लिखता रहा था,लेकिन इसे कम्प्यूटर पर लाने की शुरुआत आज 16 मार्च 2018 से की।
Thursday, January 25, 2018
Tuesday, January 23, 2018
पदमावत प्रकरण-पागलपन की पराकाष्ठा
-तुषार कोठारी
विश्व की तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था भारत,विश्वशक्ति बनने की राह पर भारत,अंतरिक्ष विज्ञान में विश्व के
पागलपन का ऐसा दौर इससे पहले कभी देखने को नहीं मिला। सबसे दुखद पहलू यह है कि सरकार में बैठे नेताओं को इस प्रकरण में वोटों के हानि लाभ का गणित नजर आने लगा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक बार निर्णय दे दिए जाने के बावजूद मध्यप्रदेश और राजस्थान की राज्य सरकारें दोबारा से सुप्रीम कोर्ट जा पंहुची। गनीमत यह थी कि सर्वोच्च न्यायालय ने दोनो सरकारों को जमकर लताड लगाई और पदमावत को लेकर दायर तमाम याचिकाओं को एक बार में रद्द कर दिया।
विश्व की तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था भारत,विश्वशक्ति बनने की राह पर भारत,अंतरिक्ष विज्ञान में विश्व के
पागलपन का ऐसा दौर इससे पहले कभी देखने को नहीं मिला। सबसे दुखद पहलू यह है कि सरकार में बैठे नेताओं को इस प्रकरण में वोटों के हानि लाभ का गणित नजर आने लगा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक बार निर्णय दे दिए जाने के बावजूद मध्यप्रदेश और राजस्थान की राज्य सरकारें दोबारा से सुप्रीम कोर्ट जा पंहुची। गनीमत यह थी कि सर्वोच्च न्यायालय ने दोनो सरकारों को जमकर लताड लगाई और पदमावत को लेकर दायर तमाम याचिकाओं को एक बार में रद्द कर दिया।
Thursday, November 23, 2017
Satopant Swargarohini Yatra-13 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-13 (अंतिम)
(फिर से रतलाम) 18 सितम्बर 2017
रोहतक में रात को देर हो गई थी। इसका असर सुबह के कार्यक्रम पर पडना था। सुबह नौ बजे रवाना होना था,लेकिन निकलते निकलते दस बज गए। हमारी मंजिल यानी रतलाम अभी साढे आठ सौ किमी दूर था। एक बार दशरथ जी ने सुझाव दिया कि पुष्कर होते हुए चले।
रोहतक में रात को देर हो गई थी। इसका असर सुबह के कार्यक्रम पर पडना था। सुबह नौ बजे रवाना होना था,लेकिन निकलते निकलते दस बज गए। हमारी मंजिल यानी रतलाम अभी साढे आठ सौ किमी दूर था। एक बार दशरथ जी ने सुझाव दिया कि पुष्कर होते हुए चले।
Satopant Swargarohini Yatra-12 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-12
19 सितम्बर 2017 मंगलवार (दोपहर 3.50)
इ खबरटुडे आफिस रतलाम
यात्रा के अंतिम हिस्से में व्यस्तताएं इतनी अधिक रही कि डायरी से जुडने का मौका ही हाथ नहीं आया। बीती रात डेढ बजे रतलाम पंहुचने के बाद आज दोपहर को यह मौका मिल पाया है। अब स्मृतियों को पीछे वहां तक ले जाता हूं जहां से डायरी छोडी थी।
इ खबरटुडे आफिस रतलाम
यात्रा के अंतिम हिस्से में व्यस्तताएं इतनी अधिक रही कि डायरी से जुडने का मौका ही हाथ नहीं आया। बीती रात डेढ बजे रतलाम पंहुचने के बाद आज दोपहर को यह मौका मिल पाया है। अब स्मृतियों को पीछे वहां तक ले जाता हूं जहां से डायरी छोडी थी।
Satopant Swargarohini Yatra-11 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-11
(ग्यारहवां दिन) 17 सितम्बर 2017 (रविवार) (दोपहर 2.15)
पुलिस रेस्ट हाउस ऋषिकेश
आज की सुबह गंगा स्नान से हुई। पुलिस रेस्ट हाउस गंगा किनारे पर है। यह राम झूले के नजदीक है। सुबह गंगास्नान के बाद कमरे में आए,तभी एसडीआरएफ के एसआई कवीन्द्र सजवान ने आकर बताया कि राफ्टिंग की व्यवस्था हो रही है। एकाध घण्टे बाद आप राफ्टिंग के लिए जा सकेंगे।
पुलिस रेस्ट हाउस ऋषिकेश
आज की सुबह गंगा स्नान से हुई। पुलिस रेस्ट हाउस गंगा किनारे पर है। यह राम झूले के नजदीक है। सुबह गंगास्नान के बाद कमरे में आए,तभी एसडीआरएफ के एसआई कवीन्द्र सजवान ने आकर बताया कि राफ्टिंग की व्यवस्था हो रही है। एकाध घण्टे बाद आप राफ्टिंग के लिए जा सकेंगे।
Satopant Swargarohini Yatra-10 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-10
(दसवां दिन) 16 सितम्बर 2017 शनिवार (रात 11.00)
ऋषिकेश पुलिस रेस्ट हाउस
गंगा मां के किनारे पर पुलिस रेस्ट हाउस में,मै डायरी लिख रहा हूं। आज सुबह से शुरु कर ता हूं। शरीर का पोर पोर दुख रहा था,लेकिन शायद इसी दर्द की वजह से ठीक से नींद नहीं आई थी। कल रात मैने बद्रीविशाल मंदिर जाने से साफ मना कर दिया था। रात को दर्द की अधिकता से एहसास हुआ कि शायद बद्रीनाथ के तप्त कुण्ड में स्नान से दर्द दूर हो जाएगा।
ऋषिकेश पुलिस रेस्ट हाउस
गंगा मां के किनारे पर पुलिस रेस्ट हाउस में,मै डायरी लिख रहा हूं। आज सुबह से शुरु कर ता हूं। शरीर का पोर पोर दुख रहा था,लेकिन शायद इसी दर्द की वजह से ठीक से नींद नहीं आई थी। कल रात मैने बद्रीविशाल मंदिर जाने से साफ मना कर दिया था। रात को दर्द की अधिकता से एहसास हुआ कि शायद बद्रीनाथ के तप्त कुण्ड में स्नान से दर्द दूर हो जाएगा।
Satopant Swargarohini Yatra-9 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-9
(नौंवा दिन) 15 सितम्बर 2015 शुक्रवार (दोपहर 12.00)
लक्ष्मीवन
लक्ष्मीवन की घाटी में एक टीले पर हम पांच लोग हमारे कुक देवेन्द्र के साथ रुके हुए है। आशुतोष पीछे आ रहा है। यह हमारी वापसी की यात्रा है। यह यात्रा हमने आज सुबह साढे आठ बजे चक्रतीर्थ से प्रारंभ की थी।
चक्रतीर्थ से लक्ष्मीवन की वापसी जाने की अपेक्षा कुछ आसान है,क्योकि हम नीचे उतरते जाते है। हांलाकि यह रास्ता पूरी यात्रा का सबसे दुर्गम रास्ता है। रास्ते का वर्णन एक बार फिर से करने की इच्छा है।
Satopant Swargarohini Yatra -8 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-8
(आठवां दिन)15 सितम्बर 2017 शुक्रवार (सुबह 7.05)
चक्रतीर्थ कैम्प
पहाडों के उपर सूरज की रोशनी नजर आने लगी है,लेकिन हमारे कैम्प से अभी यह काफी दूर है। धूप दिखने की हिम्मत से ही सारे साथी नित्यकर्म से निवृत्त हो चुके है। इस कैम्प की खासियत यह है कि पूरे मैदान में पहाडी झरनों से उतरते पानी की प्राकृतिक नहर सी बनी हुई है। पानी की सारी जरुरत इसी नहर से पूरी हो जाती है। हांलाकि ये पानी बर्फीला है और जमा देता है। हाथ धो लो तो हाथ सुन्न पड जाते है।
चक्रतीर्थ कैम्प
पहाडों के उपर सूरज की रोशनी नजर आने लगी है,लेकिन हमारे कैम्प से अभी यह काफी दूर है। धूप दिखने की हिम्मत से ही सारे साथी नित्यकर्म से निवृत्त हो चुके है। इस कैम्प की खासियत यह है कि पूरे मैदान में पहाडी झरनों से उतरते पानी की प्राकृतिक नहर सी बनी हुई है। पानी की सारी जरुरत इसी नहर से पूरी हो जाती है। हांलाकि ये पानी बर्फीला है और जमा देता है। हाथ धो लो तो हाथ सुन्न पड जाते है।
Satopant Swargarohini Yatra -7 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-7
(सातवां दिन)14 सितम्बर 2017 गुरुवार (शाम चार बजे)
चक्रतीर्थ कैम्प
टेण्ट के बाहर बर्फीली तेज हवा चल रही है। हम किचन टेण्ट में बैठे है। टेण्ट में ही दो स्टोव जलाकर सूप बनाकर पी चुके है। सारे लोग सतोपन्त झील और स्वर्गारोहिणी मार्ग पर जाकर भी आ चुके हैं। यात्रा के अंतिम लक्ष्य को हासिल कर चुके है।
चक्रतीर्थ कैम्प
टेण्ट के बाहर बर्फीली तेज हवा चल रही है। हम किचन टेण्ट में बैठे है। टेण्ट में ही दो स्टोव जलाकर सूप बनाकर पी चुके है। सारे लोग सतोपन्त झील और स्वर्गारोहिणी मार्ग पर जाकर भी आ चुके हैं। यात्रा के अंतिम लक्ष्य को हासिल कर चुके है।
Satopant Swargarohini Yatra-6 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-6
(छठा दिन)13 सितम्बर 2017 बुधवार (शाम 4.20)
चक्रतीर्थ कैम्प
सूरज की धूप खिली हुई है। हमारे टेण्ट लग रहे हैं। कुक देवेन्द्र सूप तैयार कर रहा है। चक्रतीर्थ वह स्थान है,जहां से धर्मराज ने अकेले ही यात्रा की थी। शेष सभी पाण्डव व द्रौपदी पहले ही प्राण त्याग चुके थे। यहां से सतोपंत झील मात्र चार किमी दूर है।
चक्रतीर्थ कैम्प
सूरज की धूप खिली हुई है। हमारे टेण्ट लग रहे हैं। कुक देवेन्द्र सूप तैयार कर रहा है। चक्रतीर्थ वह स्थान है,जहां से धर्मराज ने अकेले ही यात्रा की थी। शेष सभी पाण्डव व द्रौपदी पहले ही प्राण त्याग चुके थे। यहां से सतोपंत झील मात्र चार किमी दूर है।
Satopant Swargarohini Yatra-5 स्वर्ग की सीढियां चढने की चाहत-5
(पांचवा दिन)12 सितम्बर 2017 मंगलवार (शाम 4.40)
कैम्प साईट लक्ष्मीवन
माना गांव से यहां तक का करीब सात किमी का रास्ता,जो कि है ही नहीं,बेहद कठिन,खतरनाक और थका देने वाला है। ये रास्ता पार कर हम साढे चार पर यहां पंहुचे। सबसे बडी परेशानी यह है कि हमारे पोर्टर,टेण्ट और खाद्य सामग्री लेकर अब तक नहीं पंहुचे है। हम उन्ही का इंतजार कर रहे है। इसी इंतजार को मैं डायरी लिख कर पूरा कर रहा हूं।
कैम्प साईट लक्ष्मीवन
माना गांव से यहां तक का करीब सात किमी का रास्ता,जो कि है ही नहीं,बेहद कठिन,खतरनाक और थका देने वाला है। ये रास्ता पार कर हम साढे चार पर यहां पंहुचे। सबसे बडी परेशानी यह है कि हमारे पोर्टर,टेण्ट और खाद्य सामग्री लेकर अब तक नहीं पंहुचे है। हम उन्ही का इंतजार कर रहे है। इसी इंतजार को मैं डायरी लिख कर पूरा कर रहा हूं।
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