Tuesday, June 23, 2015
Saturday, June 20, 2015
यात्रा वृत्तान्त-10 गंगा की गोद में ( यमनोत्री यात्रा)
गोवा यात्रा से लौटने के मात्र एक महीने बाद ही ऐसे योग बने कि उत्तरांचल तक की लम्बी यात्रा का मौका हाथ लग गया। इस यात्रा में हम अपने ही वाहन से यमनौत्री तक गए। चारो धाम पंहुचने का इरादा था,लेकिन गंगौत्री के रास्ते में ही बर्फ थी और रास्ता बन्द था। फिर कार्यक्रम बदला और ऋ षिकेश में गंगा नदी में रिवर राफ्टिंग का अनुभव लिया। रिवर राफ्टिंग के दौरान लहरों की चपेट में आकर नदी में गिरा और जैसे मौत को सामने देख लिया।
वरिष्ठ नेता के लिए जरुरी है घैर्य
-तुषार कोठारी
क्या सचमुच देश में आपातकाल वाली स्थितियां बन सकती है? भाजपा के
वयोवृध्द नेता लालकृष्ण आडवाणी के साक्षात्कार से उठे भूचाल के बाद ये सवाल
सिर उठाने लगा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को जरुर
आपातकाल महसूस हो रहा था। अपनी असफलताओं को छुपाने के लिए उन्हे केन्द्र
सरकार पर ठीकरा फोडने के अलावा दूसरा कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है,लेकिन
इसी तरह की बात अगर आडवाणी कहते है,तो इसके मायने बदल जाते है।Sunday, June 14, 2015
यात्रा वृत्तान्त-9 गोवा कुलस्वामिनी के दरबार में
गोवा की यह यात्रा 29 जनवरी 2010 को शुरु हुई थी। यह पारिवारिक मित्रों की यात्रा थी,जिसमें मै,वैदेही,चिन्तन,नरेन्द्र शर्मा,श्रीमती सुनीता शर्मा और उदित अग्रवाल(टोनी) शामिल थे। इस यात्रा में गोवा के साथ साथ हम शिवाजी के प्रसिध्द सिंधु दुर्ग तक पंहुचे थे।
यात्रा वृत्तान्त-8 भारत का आखरी छोर कन्याकुमारी (दक्षिण में)
लम्बे समय से देश के दक्षिणी हिस्से को देखने की इच्छा थी। यह इच्छा 2009 के जून महीने में तब पूरी हुई जब चैन्ने में सुभाष नायडू की बहन के विवाह का कार्यक्रम तय हुआ। विवाह की जानकारी मिलते ही हम लोगों ने विवाह के बाद कन्याकुमारी और रामेश्वरम देखने की योजना भी बना ली। इस यात्रा में हमारी टीम काफी बडी थी। इस यात्रा में मेरे साथ दशरथ पाटीदार,नरेन्द्र शर्मा,भारत गुप्ता,कमलेश पाण्डेय मन्दसौर से आशुतोष नवाल और उसे छोडने आया गंगाराम (अमित सोनगरा) और सुभाष नायडू ऐसे कुल आठ लोग थे।
Friday, May 15, 2015
Monday, May 11, 2015
Friday, May 8, 2015
Sunday, April 26, 2015
यात्रा वृत्तान्त-7 शबरी कुंभ (11,12 और 13 फरवरी 2006)
12 फरवरी 06 - सूरत बस डिपो(शाम 4.00)
दुविधा से बचने के लिए कल शबरी कुंभ में जाने का पक्का निर्णय कर लिया था। 10 फरवरी की आधी रात को भोपाल से लौटने के बाद यह तय कर लिया था कि आने वाले 4 दिनों की जबर्दस्त दुविधा से बचने का यह अच्छा उपाय होगा और इसलिए दो हजार का जूता खाते हुए भी जाने का मन बन गया। 11 फरवरी की सुबह मा.प्रभाकर जी का चेकअप कराकर फ्री होते होते दोपहर दो बज गए। 2 बजे जब स्टेशन पर टिकट लेने पंहुचे तो बडी आसानी से आज सुबह की जनता में 3 रिजर्वेशन मिल गए।
दुविधा से बचने के लिए कल शबरी कुंभ में जाने का पक्का निर्णय कर लिया था। 10 फरवरी की आधी रात को भोपाल से लौटने के बाद यह तय कर लिया था कि आने वाले 4 दिनों की जबर्दस्त दुविधा से बचने का यह अच्छा उपाय होगा और इसलिए दो हजार का जूता खाते हुए भी जाने का मन बन गया। 11 फरवरी की सुबह मा.प्रभाकर जी का चेकअप कराकर फ्री होते होते दोपहर दो बज गए। 2 बजे जब स्टेशन पर टिकट लेने पंहुचे तो बडी आसानी से आज सुबह की जनता में 3 रिजर्वेशन मिल गए।
Thursday, April 16, 2015
Monday, April 13, 2015
सच को सामने लाने का सही वक्त
-तुषार कोठारी
देश की स्वतंत्रता के बाद सही मायने में सच को सामने लाने का यही सही
वक्त है। पिछले 68 वर्षों में देश की जनता से कई सारे सच छुपाए गए है।
सुभाष चन्द्र बोस हो या सावरकर,देश के सच्चे नायकों को दरकिनार कर जनता को
भ्रम में रखा गया है। आज जब नेताजी से जुडी गोपनीय फाइलों और दस्तावेजों को
सार्वजनिक करने की मांग उठाई जा रही है,तो यह इसके लिए सबसे सही वक्त है।
यही नहीं इस तरह की और भी छुपा कर रखी गई जानकारियों को देश की जनता के
सामने लाने का भी यही वक्त है।Saturday, March 28, 2015
यात्रा वृत्तान्त-6 अमरनाथ बाबा के दरबार में
(अमरनाथ यात्रा 14 जुलाई 2001 से 4 अगस्त 2001)
लद्दाख यात्रा के दस महीनों बाद इस बार हम जम्मू काश्मीर के रास्ते पर चले। अमरनाथ यात्रा के बहाने जम्मू काश्मीर का बचा हुआ हिस्सा देखने के लिए इस बार भी वही टीम निकली,लेकिन इसमें एक सदस्य कम हो गया। अमरनाथ यात्रा में मै,राजेश घोटीकर,कमलेश पाण्डेय और विनय कोटिया शामिल हुए। इस बार भी गाडी की समस्या आशुतोष ने ही हल की। उसने अपने किसी परिचित की गैस से चलने वाली मारुति वैन किराये पर दिलाने का इंतजाम किया। पिछली बार की तुलना में यह गाडी बेहद आरामदायक थी क्योकि यह पैट्रोल और गैस दोनो से चलती थी। इसके अलावा इस बार हम लोग अनुभवी ड्राइवर और यात्री बन चुके थे। हमारी यह यात्रा 14 जुलाई को रतलाम से शुरु हुई।
Sunday, March 8, 2015
गठबन्धन धर्म बडा या राष्ट्रधर्म….?
-तुषार कोठारी
अब से करीब छब्बीस साल पहले काश्मीर में मेडीकल की एक 23 वर्षीय छात्रा
का आतंकवादियों ने अपहरण कर लिया था। उस युवती के पिता ने अपहरण से मात्र
पांच दिन पूर्व इस महान भारत देश के अत्यधिक महत्वपूर्ण गृह मंत्रालय का
कामकाज सम्हाला था। इस युवती के अपहरण का ड्रामा छ: दिनों तक चला और
आखिरकार अपनी जान की कीमत देकर सुरक्षाकर्मियों द्वारा पकडे गए पांच
आतंकियों को सरकार ने जेल से रिहा कर दिया। छ: दिनों बाद वह युवती सही
सलामत अपने घर लौट आई थी।Tuesday, March 3, 2015
Friday, February 27, 2015
Wednesday, February 25, 2015
मदर की सच्चाई बताने का हक सिर्फ विदेशियों को,भारतीयों को नहीं
-तुषार कोठारी
दुनिया की भयानकतम औद्योगिक दुर्घटनाओं में से एक भोपाल गैस काण्ड में
अधिकारिक तौर पर चार हजार से अधिक लोगों की मौत हुई थी और इससे कई गुना
ज्यादा लोग इससे प्रभावित हुए थे। दुर्घटना के फौरन बाद करुणा की मूर्ति
कोलकाता से भोपाल पंहुची थी। लेकिन वह गैस काण्ड से पीडीत प्रभावित लोगों
की मदद के लिए वहां नहीं पंहुची था,बल्कि गैस काण्ड के लिए जिम्मेदार
यूनियन कार्बाइड के प्रबन्धन की मदद के लिए पंहुची थी। उसने
यूनियन कार्बाइड के प्रबन्धन को इस अपराध के लिए क्षमा कर देने का निवेदन
किया था।Saturday, February 21, 2015
क्या सचमुच आ गए अच्छे दिन….?
- तुषार कोठारी
करीब साढे सात साल जेल में गुजार कर जमानत पर रिहा हुए गुजरात के आईपीएस
पुलिस अधिकारी डीजी वंजारा ने कहा कि अब अच्छे दिन आ गए है। लेकिन क्या
सचमुच अच्छे दिन आ गए है। डीजी वंजारा के लिए तो जरुर अच्छे दिन आ गए
है,लेकिन साध्वी प्रज्ञा और उन जैसे कई लोग है जो वोट बैंक की घृणित
राजनीति की सूली पर चढाए गए और आज तक कष्ट झेलने को मजबूर है।Monday, February 16, 2015
हिमालय का हाई एल्टीट्यूड
रतलाम से लद्दाख (2 सितम्बर से 26 सितम्बर 2000)
रतलाम से लद्दाख की यह यात्रा चार पहिया वाहन से पहली हमारी पहली यात्रा थी। यात्रा के लिए हमने आशुतोष नवाल की मारुति वैन ली थी। यह गाडी आशुतोष ने कुछ ही दिन पहले खरीदी थी और इसमें स्टीमर का इंजिन लगाकर इसके डीजल से चलने वाली गाडी में तब्दील कर लिया था। इस यात्रा में मेरे साथ राजेश घोटीकर,कमलेश पाण्डेय,विनय कोटिया और आशुतोष नवाल (मन्दसौर) थे। यात्रा की एक खासियत यह भी थी कि हममें से कोई भी परफेक्ट ड्राइवर नहीं था,लेकिन फिर भी हम डीजल की मारुति वैन से 2 सितम्बर 2000 को लद्दाख यात्रा के लिए निकल पडे। यह यात्रा 26 सितम्बर को समाप्त हुई।
रतलाम से लद्दाख की यह यात्रा चार पहिया वाहन से पहली हमारी पहली यात्रा थी। यात्रा के लिए हमने आशुतोष नवाल की मारुति वैन ली थी। यह गाडी आशुतोष ने कुछ ही दिन पहले खरीदी थी और इसमें स्टीमर का इंजिन लगाकर इसके डीजल से चलने वाली गाडी में तब्दील कर लिया था। इस यात्रा में मेरे साथ राजेश घोटीकर,कमलेश पाण्डेय,विनय कोटिया और आशुतोष नवाल (मन्दसौर) थे। यात्रा की एक खासियत यह भी थी कि हममें से कोई भी परफेक्ट ड्राइवर नहीं था,लेकिन फिर भी हम डीजल की मारुति वैन से 2 सितम्बर 2000 को लद्दाख यात्रा के लिए निकल पडे। यह यात्रा 26 सितम्बर को समाप्त हुई।
केन्सर व झुलसी त्वचा के कई मरीज हुए लाभान्वित
कास्मेटिक एवं प्लास्टिक सर्जरी शिविर संपन्न
रतलाम,15 फरवरी (इ खबरटुडे)। भारत भक्ति संस्थान रतलाम
द्वारा आयोजित निशुल्क कास्मेटिक एवं प्लास्टिक सर्जरी शिविर में मुंह के
कैन्सर,झुलसी त्वचा जैसी समस्याओं से ग्रस्त कई मरीज लाभान्वित हुए। उदयपुर
के कास्मेटिक एवं प्लास्टिक सर्जरी विशेषज्ञ डॉ.सुमित सिंघल ने मरीजों को
यथायोग्य चिकित्सकीय परामर्श दिया।शिविर का आयोजन कस्तूरबा नगर स्थित गीतादेवी अस्पताल में किया गया था। शिविर के दौरान करीब तीन दर्जन से अधिक मरीजों ने विशेषज्ञ डॉ.सुमित सिंघल से परामर्श प्राप्त किया। शिविर में मुंह के केन्सर,झुलसने से चिपकी त्वचा,शरीर पर बनाए गए टैटू को हटाने,चेहरे पर बनी झुर्रियों को हटाने,गंजेपन को समाप्त करने,चेहरे और गर्दन पर मस्से जैसी समस्याओं से पीडीत मरीज आए थे।
शिविर आयोजन में गीतादेवी अस्पताल के डॉ.लेखराज पाटीदार,भारत भक्ति संस्थान के राजेश घोटीकर,तुषार कोठारी,राजेश पाण्डेय,दशरथ पाटीदार,उदित अग्रवाल,संजय पाटीदार इत्यादि का सराहनीय सहयोग रहा।
http://epaper.patrika.com/c/4521303
Monday, February 9, 2015
Monday, February 2, 2015
वरिष्ट पत्रकार श्री गर्ग ई खबर टुडे के कार्यालय मे
देश के वरिष्ठ पत्रकार और संपादक श्रवण गर्ग पिछले दिनो
महाराष्ट्र समाज के एक कार्यक्रम मे व्याख्यान देने रतलाम आए थे. इस मौके पर वे ई खबर टुडे के कार्यालय मे भी आये.उन्होने यहा काफ़ी समय गुज़ारा और ई खबर टुडे के समाचारो की सराहना भी की. यह समाचार उज्जैन से प्रकाशित दैनिक अवन्तिका मे भी प्रकाशित हुआ था.
Thursday, January 29, 2015
दुनिया के लिए जरुरी है तिब्बत की स्वतंत्रता
भारत के आखरी छोर पर बसे दुनिया के दूसरे सबसे बडे बौध्द मठ तवांग तक
पंहुचना अपने आप में दुष्कर कार्य है। देश के सुदूर उत्तर पूर्व में तिब्बत
या वर्तमान में कथित तौर पर चीन की सीमा से सटे तवांग शहर को यहां के
विशाल बौध्द मठ की वजह से भी पहचाना जाता है। इस मठ के प्रमुख गुरु तुलकु
रिनपोचे का कहना है कि तिब्बत स्वतंत्र होकर रहेगा। तिब्बत की स्वतंत्रता
पूरी दुनिया के लिए जरुरी है। तिब्बत की स्वतंत्रता का संघर्ष तब तक जारी
रहेगा जब तक कि तिब्बत पूर्णत:स्वतंत्र नहीं हो जाता।
Thursday, January 15, 2015
चमत्कारी तनोट माता,जहां बेकार हो गए पाकिस्तान के बम
राजस्थान यात्रा नवंबर 1999
रतलाम-जैसलमेर-रतलाम
इस यात्रा में हम चार मित्र मै,कमलेश पाण्डेय,अनिल मेहता और राजेश घोटीकर मोटर साइकिलों से गए थे। यूथ होस्टल्स आफ इण्डिया की नेशनल डेजर्ट सफारी में हिस्सा लेने के लिए हम लोग रतलाम से निकले थे। यह यात्रा हमने मेरी राजदूत (175 इलेक्ट्रानिक) और कमलेश की यामाहा आरएक्स-100 से की थी। इस यात्रा में पहले विनय कोटिया जाने वाला था,लेकिन एन वक्त पर उसका कार्यक्रम रद्द हुआ और उसके स्थान पर राजेश घोटीकर हमारे साथ हो गया।
रतलाम-जैसलमेर-रतलाम
इस यात्रा में हम चार मित्र मै,कमलेश पाण्डेय,अनिल मेहता और राजेश घोटीकर मोटर साइकिलों से गए थे। यूथ होस्टल्स आफ इण्डिया की नेशनल डेजर्ट सफारी में हिस्सा लेने के लिए हम लोग रतलाम से निकले थे। यह यात्रा हमने मेरी राजदूत (175 इलेक्ट्रानिक) और कमलेश की यामाहा आरएक्स-100 से की थी। इस यात्रा में पहले विनय कोटिया जाने वाला था,लेकिन एन वक्त पर उसका कार्यक्रम रद्द हुआ और उसके स्थान पर राजेश घोटीकर हमारे साथ हो गया।
Wednesday, January 7, 2015
Tuesday, January 6, 2015
कलात्मकता और विशालता है खजुराहो की खासियत
सांची-खजुराहो-झांसी-ओरछा-ग्वालियर यात्रा
दि. 4 जनवरी 1997 शनिवार
पूरे 362 दिन बाद फिर से यात्रा पर। इस यात्रा में भी हम दो ही लोग थे। मै और अनिल मेहता। एक बहाना भोपाल में एपीपी की परीक्षा का था,जो कल सुबह नौ बजे बैरागढ में होना है। सोचा था,दोपहर तीन की ट्रेन से उज्जैन पंहुचकर इन्दौर भोपाल पैसेंजर से भोपाल पंहुचेंगे। घर से निकलने में कुछ देरी हो गई और आखिरकार शाम 5.30 पर रतलाम-ग्वालियर बस से साढे आठ पौने के बीच उज्जैन पंहुचे। समय का
प्राकृतिक गुफा में रहती है मां काली
(अम्बा जी और माउण्ट आबू यात्रा)
रतलाम से अम्बा जी और माउण्ट आबू की यह यात्रा मैने और अनिल मेहता (सैलाना) ने मेरी राजदूत मोटर साइकिल से की थी। रतलाम से निकलते समय यह तय नहीं था कि वास्तव में जाना कहां है। रतलाम से निकलने के बाद हमने रोड एटलस देखकर यह तय किया कि माउण्ट आबू देखा जाए। इस यात्रा पर हम 7 जनवरी 1996 को निकले थे।
रतलाम से अम्बा जी और माउण्ट आबू की यह यात्रा मैने और अनिल मेहता (सैलाना) ने मेरी राजदूत मोटर साइकिल से की थी। रतलाम से निकलते समय यह तय नहीं था कि वास्तव में जाना कहां है। रतलाम से निकलने के बाद हमने रोड एटलस देखकर यह तय किया कि माउण्ट आबू देखा जाए। इस यात्रा पर हम 7 जनवरी 1996 को निकले थे।
Tuesday, December 30, 2014
फिल्म पीके का विरोध कितना जायज?
-तुषार कोठारी
विधु विनोद चौपडा,राजू हीरानी और आमिर खान इन दिनों बेहद खुश होंगे। उनकी फिल्म पीके पहले ही हफ्ते में पीके दो सौ करोड के क्लब में शामिल तो हो ही गई थी। अब हर दिन फिल्म को लेकर चल रहे विरोध के कारण नया प्रचार मिल रहा है और हो सकता है कि अब पीके कमाई के नए रेकार्ड बना दे। धार्मिक भावनाओं को आहत करना ,धार्मिक परंपराओं पर आघात करना और देवी देवताओं को अपमानित करना भारत के तथाकथित बुध्दिजीवी और प्रगतिशील लोगों का पुराना शौक रहा है।
Friday, December 19, 2014
Thursday, December 18, 2014
भारतीय सिध्दान्त से ही चल पाएगी दुनिया
- तुषार कोठारी
पेशावर की गलियों से पाकिस्तान के हर शहर तक और भारत समेत दुनिया के
तमाम मुल्कों में फैली गम और गुस्से की लहर के बाद कई ऐसे सवाल खडे हो रहे
हैं,जिन्हे अब तक जानबूझ कर पीछे धकेला जाता रहा है। लेकिन मानवता की
सुरक्षा के लिए इन सवालों के जवाब पूरी ईमानदारी से खोजना बेहद जरुरी है।
पूरी दुनिया ने इस जघन्य,क्रूरतम और पैशाचिक हत्याकाण्ड की निन्दा की है।
लेकिन इस निन्दा के साथ यह भी जरुरी है कि पूरी दुनिया तेजी से इस जघन्यता
और पैशाचिकता की जडों को ढूंढे और इन्हे जल्दी से जल्दी नष्ट करें। ताकि
मानवता सुरक्षित रह सके।Wednesday, December 10, 2014
अयोध्या कारसेवा का आंखोदेखा हाल
बाईस साल पहले 6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर निर्माण के लिए कारसेवा की गई थी। इस कारसेवा में बाबरी ढांचे को ध्वस्त कर रामलला का अस्थाई मन्दिर बनाया गया था। इन बाईस सालों में आज तक यह कहीं भी प्रकाशित नहीं हुआ था कि उन दिनों में वास्तव में कारसेवा किस तरह से हुई थी। इस कारसेवा में,मैं दुनिया का अकेला शख्स था जो कैमरे के साथ उस परिसर के भीतर मौजूद था। क्योकि मीडीया के लोगों को वहां से हटा दिया गया था और मैं कारसेवक की हैसियत से वहां था। उसी समय मैने कारसेवा का आंखोदेखा हाल अपनी डायरी में नोट किया था। फोटो फिलहाल मेरे पास उपलब्ध नहीं है। कारसेवा के मेरे संस्मरण इन्दौर से प्रकाशित दैनिक स्वदेश में 6 दिसम्बर 2014 से 10 दिसम्बर तक निरन्तर प्रकाशित हुए है। ये संस्मरण www.ekhabartoday.com पर और मेरे ब्लाग tusharkothari.blogspot.com पर भी उपलब्ध है।
Monday, December 8, 2014
Sunday, December 7, 2014
रामजन्मभूमि कारसेवा का आंखोदेखा हाल
यात्रा-वृत्तान्त अयोध्या (राम जन्मभूमि कारसेवा)
बाइस
साल पहले विश्व भर के अरबों हिन्दुओं द्वारा पूजित प्रभू श्रीराम की
अयोध्या स्थित जन्मभूमि को मुक्त कराने के लिए 6 दिसम्बर 1992 को कारसेवा
प्रारंभ हुई थी। इस कारसेवा के दौरान कारसेवकों ने अदम्य साहस और वीरता का
परिचय देते हुए बाबरी ढांचे को ध्वस्त कर दिया और राम जन्म भूमि को विदेशी
आक्रमणों के चिन्हों से मुक्त कर दिया। अयोध्या की इस कारसेवा में रतलाम
से भी हजारों कारसेवक गए थे। कारसेवा के दौरान तुषार कोठारी द्वारा लिखी गई
यात्रा डायरी कारसेवा का आंखोदेखा विवरण प्रस्तुत करती है।Wednesday, November 5, 2014
देश के लिए घातक है यह मौन
- तुषार कोठारी
दिल्ली की जामा मस्जिद के कथित शाही इमाम द्वारा देश के प्रधानमंत्री की
उपेक्षा करने और शत्रु देश के नेता को न्यौता भेजने के निहितार्थ जितने दिल्ली की जामा मस्जिद के कथित शाही इमाम द्वारा देश के प्रधानमंत्री की
खतरनाक है,उससे कहीं अधिक खतरनाक इस मुद्दे पर राष्ट्रवादी मुस्लिमों का
मौन है। देश में यदि कोई अल्पसंख्यक समस्या है,तो उसका हल मुख्यधारा में
मौजूद राष्ट्रवादी अल्पसंख्यकों के ही पास है। उनकी मुखरता ही देश में
मौजूद इक्का दुक्का अलगाववादी स्वरों को बन्द कर सकती है।
Friday, September 5, 2014
Saturday, August 30, 2014
इतिहास फिर से क्यों लिखा जाना चाहिए
आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की भारी-भरकम जीत के साथ ही यह तय हो गया था कि अब देश में इतिहास को लेकर विवाद उठेगा. भारतीय जनता पार्टी की सरकार इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश करेगी, जिसका विरोध भी होगा. सरकार के अभी सौ दिन पूरे नहीं हुए हैं, लेकिन यह विवाद भी शुरू हो गया और विरोध का बिगुल भी फूंक दिया गया. जब अटल जी की सरकार बनी थी, तब भी इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश की गई थी. सबसे पहले एनसीईआरटी की किताबें बदली गईं. लेकिन तत्कालीन मानव संसाधन मंत्री मुरली मनोहर जोशी ने यह काम ऐसे लोगों के हाथों में दे दिया, जो इतिहास की किताबें लिखने में अपरिपक्व साबित हुए.
Friday, August 29, 2014
भ्रम के बादलों में घिरा दुनिया का सबसे बडा संगठन
-तुषार कोठारी
पूरी दुनिया में गैर राजनीतिक और बिना सरकारी मदद के चलाए जा रहे
स्वयंसेवी सामाजिक संगठनों की संख्या गिनी चुनी ही है। कुछ स्वयंसेवी
अन्तर्राष्ट्रिय संस्थाओं की शाखाएं भारत में भी सक्रीय है। लेकिन इस तरह
की संस्थाओं में सामान्य लोगों की भागीदारी न के बराबर है। किसी एक शहर में
इस तरह के क्लब या संस्था में दो तीन दर्जन लोगों से अधिक सदस्य नहीं
होते। इस लिहाज से इस प्रकार की संस्थाओं का वजूद महज अखबारी खबरों और
दस्तावेजों में होता है,लेकिन समाज में परिवर्तन ला सकने जैसे बडे उद्देश्य
के लिहाज से इस तरह की संस्थाएं पूरी तरह बेअसर है।Wednesday, August 6, 2014
Tuesday, June 17, 2014
हम कब खेलेंगे फुटबाल?
-तुषार कोठारी
इन दिनों पूरी दुनिया पर फुटबाल विश्व कप का खुमार छाया हुआ है। भारत
में फुटबाल की लोकप्रियता नहीं के बराबर है और फुटबाल के इस सर्वाधिक
लोकप्रिय खेल में भारत की कोई हैसियत नहीं है। लेकिन चूंकि पूरी दुनिया
फुटबाल के नशे में झूम रही है,इसलिए भारत के समाचार माध्यम टीवी और अखबारों
में भी फुटबाल विश्व कप को लेकर रोजाना खबरें और विशेष कार्यक्रम प्रस्तुत
किए जा रहे है। Friday, May 23, 2014
Andman & Nicobaar Journey कालापानी नहीं स्वतंत्रता का महातीर्थ अण्डमान
(यात्रा वृत्तान्त - तुषार कोठारी)
रतलाम लौटने के बाद कई लोग मिले,जो कि अण्डमान निकोबार से पूर्णत: अपरिचित थे। वे नहीं जानते कि अण्डमान निकोबार भारत का अंग है और सुदूर समुद्र में स्थित द्वीप समूह है। कुछ इतना जरुर जानते थे कि ये भारत का केन्द्रशासित प्रदेश है,लेकिन कहां है,कैसा है,ये नहीं जानते थे। कुख्यात कालापानी जेल और भारत की स्वतंत्रता के लिए अण्डमान में सहे गए कष्टों को जानने वाले तो नगण्य से है।
Tuesday, May 20, 2014
अपने अन्त के निकट आ पंहुची है कांग्रेस
-तुषार कोठारी
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद अब लगने लगा है कि कांग्रेस समाप्त
होने के निकट पंहुचती जा रही है। हांलाकि ये स्थिति भारतीय लोकतंत्र के लिए
बहुत अच्छी नहीं होगी,लेकिन राजनीतिक परिदृश्य के जो संकेत मिल रहे है,वे
साफ दिखा रहे है कि आने वाला समय सचमुच कांग्रेस मुक्त भारत का समय होगा। कांग्रेस से सम्बन्धित कुछ रोचक तथ्य देखिए। कांग्रेस की स्थापना के समय भी मनमोहन मौजूद थे और समाप्ति के समय भी मनमोहन मौजूद है। हर कोई जानता है कि एक सौ उन्तीस वर्ष पूर्व 1885 में सर ए ओ ह्यूम ने कांग्रेस की स्थापना की थी। लेकिन ये तथ्य बहुत कम लोग जानते होंगे कि संस्थापक सदस्यों में से एक मनमोहन घोष भी थे। दूसरा रोचक संयोग। कांग्रेस की स्थापना विदेशी व्यक्ति ने की थी,उसके अन्त की इबारत भी विदेशी महिला श्रीमती सोनिया गांधी की अध्यक्षता में लिखी जा रही है।
Saturday, May 10, 2014
Thursday, May 8, 2014
आरोपों को अपने पक्ष में मोडने की कला
-तुषार कोठारी
नरेन्द्र मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री बने एक दशक से अधिक समय गुजर
चुका है,लेकिन इस लोकसभा चुनाव से पहले तक कोई नहीं जानता था कि वे अगडे है
या पिछडे। अपने उपर लगने वाले आरोपों को बडी खुबसूरती से अपने ही पक्ष में
उपयोग करने की जो कला नरेन्द्र मोदी जानते है,वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य
में मौजूद कोई भी नेता इस कला में वैसा पारंगत नहीं है। उन पर इस चुनाव में
जो भी आरोप लगाया गया,मोदी का ही चमत्कार था कि वह आरोप मोदी के लिए फायदे
का सौदा बन गया। चाय बेचने वाले से लगाकर नीच राजनीति तक उनके खिलाफ बोला
गया हर शब्द उन्हे फायदा दे गया जबकि आरोप लगाने वाले के लिए बगले झांकने
के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा। Sunday, February 23, 2014
पाशविकता की पराकाष्ठा और अदम्य साहस का साक्षी कालापानी
(स्वातंत्र्यवीर वि.दा.सावरकर की पुण्यतिथी २६ फरवरी पर विशेष)
अमानवीय अत्याचारों की इन्तेहा,पाशविकता की पराकाष्ठा और इनके साथ देश की आजादी के लिए मौत से भी ज्यादा खतरनाक कष्टों को हंसते,हंसते झेलने का अदम्य साहस और वीरता। भारत का स्वातंत्र्य समर, अण्डमान के पोर्टब्लेयर स्थित कालापानी के नाम से कुख्यात सेलुलर जेल में जीवन्त हो उठता है। अपने देशप्रेम के लिए एक साथ दो दो आजीवन कारावास की सजा भुगतने वाले वीर सावरकर के अप्रतिम शौर्य और साहस की गाथाएं यहां सजीव हो उठती है। तेरह फीट लम्बी और सवा सात सात फीट चौडी कालकोठरी में रहकर हर दिन बैल की जगह कोल्हू में जुतकर तेल निकालने वाले वीर सावरकर और अन्य असंख्य क्रान्तिकारियों के बलिदान की साक्षी रही सेलुलर जेल आज भारत का राष्ट्रीय स्मारक बन चुका है। लेकिन इसे देखें बिना सिर्फ शब्दों से यहां की गई क्रूरता और अत्याचारों का अनुमान लगा पाना बेहद कठिन है।
Thursday, October 3, 2013
Saturday, September 28, 2013
युवराज के लिए सर्वोच्च पद की गरिमा का बलिदान
- तुषार कोठारी
दागी नेताओं के हित में लाए जा रहे अध्यादेश पर कांग्रेस के युवराज
द्वारा की गई टिप्पणी के चाहे जो राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे हो,इससे
ये जरुर निर्विवाद रुप से सिध्द हो गया है कि भारतीय लोकतंत्र के सर्वोच्च
पद प्रधानमंत्री पद की गरिमा को पूरी तरह गिरा
दिया गया है। मनमोहन सिंह का नाम देश के इतिहास में शायद इसीलिए लिया
जाएगा कि उन्होने प्रधानमंत्री पद की गरिमा को शर्मसार होने के स्तर तक
गिरा दिया है। निश्चय ही ऐसे अयोग्य व्यक्ति को देश पर दस साल तक थोपे रहने
के लिए कांग्रेस और सोनिया गांधी के अपराध को भी अक्षम्य माना जाएगा।Saturday, July 27, 2013
दुविधा से उबरने का समय
- तुषार कोठारी
अब लगता है कि देश के दुविधा से निकलने के दिन नजदीक आ रहे है। लम्बे अरसे से देश दुविधा में जी रहा था। दुविधा हर स्तर पर थी। राजनैतिक पार्टियों से लगाकर नेताओं तक और बुध्दिजीवियों से लगाकर जनता तक हर कोई दुविधाग्रस्त नजर आ रहा था। कांग्रेस इस दुविधा में थी कि कैसे युवराज को सामने लाया जाए,तो भाजपा इस दुविधा में थी कि कैसे हिन्दूवादी छबि को वापस हासिल किया जाए? बुध्दिजीवियों की दुविधा सेक्यूलरिज्म और सांप्रदायिकता के मुद्दे पर थी तो जनता इन सभी की दुविधा देख कर दुविधा ग्रस्त हो रही थी। लेकिन अब लगता है कि परिस्थितियां खुद ही दुविधा से उबारने का समय सामने ला रही है।
Sunday, June 2, 2013
बाबा मौर्य इ खबर टुडे कार्यालय में
आज प्रख्यात कलाकार बाबा मौर्य इ खबर टुडे के कार्यालय में आये. बाबा जी ने देश की ज्वलंत समस्याओ पर अपने मौलिक विचार व्यक्त किये. उन्होंने कहा कि देश आज विभिन्न समस्याओ से जूझ रहा है।इससे निपटने के लिए देशवासियों में राष्ट्र भाव होना आवश्यक है और यह राष्ट्र भावना विदेशो से इम्पोर्ट नहीं की जा सकती
Saturday, April 27, 2013
Wednesday, April 24, 2013
Tuesday, April 23, 2013
रेप की राजनीति
(तुषार कोठारी)
कुछ दिनों से दोबारा ऐसा लगने लगा है,जैसे भारत में रेप और गैंग रेप के अलावा कोई दूसरा काम ही नहीं हो रहा है। जिस टीवी न्यूज या अखबार को देखिए,सिर्फ और सिर्फ रेप या गैंग रेप। रेप पर विद्वानों के बहस मुबाहसे। व्यवस्था को दोष देते चीखते चिल्लाते चेहरे। चारो ओर यही माहौल। एक घटना पर देश के प्रधानमंत्री,गृहमंत्री,प्रदेशों के मुख्यमंत्री और तमाम पुलिस अधिकारी कर्मचारी सब के सब कटघरे में खडे किए जा रहे है। जैसे रेप के दोषी ये लोग ही हो।Sunday, January 27, 2013
अनुमानों और भ्रम के भरोसे राजनीति
तुषार कोठारी
वर्तमान समय की राजनीति अनुमानों और भ्रम के भरोसे चल रही है। नेताओं की सफलता इसी बात से आंकी जाती है कि उनके अनुमान कितने सटीक रहे। नेता अपने पूर्वानुमान कुछ तथ्यों के आधार पर लगाते है और इन तथ्यों पर वे पूरा भरोसा भी करते है। कई बार उनके पूर्वानुमान सटीक बैठ जाते है,तो नेता सत्ता पा जाते है और जब पूर्वानुमान गलत साबित होते है,तो नेता को सत्ता से बाहर का रास्ता देखना पडता है।Friday, January 25, 2013
Monday, January 21, 2013
Monday, January 14, 2013
डर और घबराहट हमारा राष्ट्रीय चरित्र
- (तुषार कोठारी)
लगता है डर और घबराहट हमारा राष्ट्रीय चरित्र है। जब भी सीमा पर तनाव की स्थिति बनती है,हमारा डर अहिंसा की आड में झलकने लगता है। एक आम आदमी से लेकर सत्ता के शीर्ष पर बैठे व्यक्तियों तक हर किसी की शायद यही समस्या है। कुछेक अपवाद जरुर होंगे लेकिन देश का जो चेहरा नजर आता है,वह यही है। हमारे इसी राष्ट्रीय चरित्र की एक और खासियत है कि हम अपने गुस्से का प्रदर्शन करने में कोई कमी नहीं करते,चीख पुकार मचाने में हमें कोई समस्या नहीं होती,लेकिन जब भी मुद्दों की गहराई में जाकर ठोस कदम उठाने की बात आती है, डर और घबराहट का हमारा राष्ट्रीय चरित्र फिर सामने आ जाता है।
Wednesday, November 21, 2012
क्या सचमुच हम सॉफ्टस्टेट नहीं है?
सन्दर्भ-अजमल कसाब को फांसी
(तुषार कोठारी)
सुबह सवेरे टीवी पर खबरें शुरु हुई कि दुर्दान्त आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को पुणे के येरवडा जेल में फांसी दे दी गई। टीवी चैनलों ने फौरन ही विभिन्न नेताओं और विशेषज्ञों को बुलाकर उनकी प्रतिक्रियाएं और चर्चाएं प्रसारित करना भी शुरु कर दिया। देश के प्रमुख विपक्षी दल भाजपा के तमाम नेताओं ने देर आये दुरुस्त आए कि टिप्पणी प्रस्तुत की और इससे आगे बढकर संसद हमले के आरोपी अफजल गुरु को भी फांसी देने की मांग कर डाली। एक टीवी चैनल पर एक विद्वान वक्ता यह कहते हुए भी दिखाई दिए कि कसाब को फांसी देकर भारत ने दिखा दिया है कि भारत सॉफ्ट स्टेट नहीं है। क्या वाकई?
(तुषार कोठारी)
सुबह सवेरे टीवी पर खबरें शुरु हुई कि दुर्दान्त आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को पुणे के येरवडा जेल में फांसी दे दी गई। टीवी चैनलों ने फौरन ही विभिन्न नेताओं और विशेषज्ञों को बुलाकर उनकी प्रतिक्रियाएं और चर्चाएं प्रसारित करना भी शुरु कर दिया। देश के प्रमुख विपक्षी दल भाजपा के तमाम नेताओं ने देर आये दुरुस्त आए कि टिप्पणी प्रस्तुत की और इससे आगे बढकर संसद हमले के आरोपी अफजल गुरु को भी फांसी देने की मांग कर डाली। एक टीवी चैनल पर एक विद्वान वक्ता यह कहते हुए भी दिखाई दिए कि कसाब को फांसी देकर भारत ने दिखा दिया है कि भारत सॉफ्ट स्टेट नहीं है। क्या वाकई?
Tuesday, October 30, 2012
तिब्बत मसले पर सरदार पटेल का ऐतिहासिक पत्र
नई दिल्ली
७ नवंबर, १९५०
मेरे प्रिय जवाहरलाल,
चीन सरकार ने हमें अपने शांतिपूर्ण उद्देश्यों के आंडबर में उलझाने का प्रयास किया है। मेरा यह मानना है कि वह हमारे राजदूत के मन में यह झूठ विश्वास कायम करने में सफल रहे कि चीन तिब्बत की समस्या को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाना चाहता है। चीन की अंतिम चाल, मेरे विचार से कपट और विश्र्वासघात जैसा ही है। दुखद बात यह है कि तिब्बतियों ने हम पर विश्र्वास किया है, हम ही उनका मार्गदर्शन भी करते रहे हैं और अब हम ही उन्हें चीनी कूटनीति या चीनी दुर्भाव के जाल से बचाने में असमर्थ हैं। ताजा प्राप्त सूचनाओं से ऐसा लग रहा है कि हम दलाई लामा को भी नहीं निकाल पाएंगे । यह असंभव ही है कि कोई भी संवेदनशील व्यक्ति तिब्बत में एंग्लो-अमेरिकन दुरभिसंधि से चीन के समक्ष उत्पन्न तथाकथित खतरे के बारे में विश्र्वास करेगा।
truth about Soniya Gandhi
आधुनिक भारत की राबर्ट क्लाइव: सोनिया गांधी
सोनिया
माइनो गांधी. भारत की सबसे ताकतवर महिला शासक जिसके प्रत्यक्ष हाथ में
सत्ता भले ही न हो लेकिन जो एक सत्ताधारी पार्टी की सर्वेसर्वा हैं. जनता
पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी लंबे अरसे से सोनिया गांधी के बारे
में ऐसे आश्चर्यजनक बयान देते रहे हैं जिसपर सहसा यकीन करना मुश्किल होगा.
लेकिन अब जैसे जैसे समय बीत रहा है सोनिया गांधी का सच और सुब्रमण्यम
स्वामी के बयान की दूरियां घटती दिखाई दे रही हैं. सोनिया गांधी के बारे
में खुद सुब्रमण्यम स्वामी का यह लेख-
Thursday, April 26, 2012
Wednesday, April 25, 2012
आर्थिक सुधार यानी गरीबों पर मार
(तुषार कोठारी)
देश में जब जब आर्थिक सुधारों की बात चलती है,देश के मध्यमवर्गीय और गरीब लोगों को घबराहट होने लगती है। जब भी बडे अर्थशाी देश की अर्थव्यवस्था के मजबूत होने का दावा करते है,गरीबों को लगता है कि उन पर कहर टूटने वाला है। जब भी देश का वित्तमंत्री या प्रधानमंत्री जीडीपी के उपर चढने और मुद्रास्फीती के गिरने का दावा करता है,गरीबों की पहले से खाली थाली में कोई और चीज कम होने की आशंका पैदा हो जाती है।
Saturday, April 7, 2012
Thursday, April 5, 2012
Sunday, April 1, 2012
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(प्रारम्भ से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे ) 12 मार्च 2024 मंगलवार (रात्रि 9.45) साबरमती एक्सप्रेस कोच न. ए-2-43 अयोध्या की यात्रा अब समाप्...
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